अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-नेपाल: हाल के घटनाक्रम
- 19 May 2022
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारत-नेपाल संबंध, भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि 1950, कालापानी सीमा मुद्दा, भारत की पड़ोस प्रथम नीति। मेन्स के लिये:भारत-नेपाल संबंध- महत्त्व और प्रमुख चुनौतियाँ, भारत-नेपाल संबंधों में चीन का हस्तक्षेप। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी, नेपाल का दौरा किया है, जहाँ उन्होंने नेपाल के प्रधानमंत्री के साथ एक बौद्ध विहार के निर्माण की आधारशिला रखी, जिसे भारत की सहायता से बनाया जाएगा।
- प्रधानमंत्री ने 2566वाँ बुद्ध जयंती समारोह में हिस्सा लिया और नेपाल एवं भारत के बौद्ध विद्वानों तथा भिक्षुओं की एक सभा को संबोधित किया।
- प्रधानमंत्री ने नेपाल की प्राचीन संस्कृति और सभ्यता के संरक्षण के लिये उसकी प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत-नेपाल संबंध हिमालय जितना ही मज़बूत और प्राचीन है।
यात्रा की मुख्य विशेषताएँ:
- बौद्ध संस्कृति और विरासत के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र:
- प्रधानमंत्री ने लुंबिनी मठ क्षेत्र नेपाल में भारत अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र के निर्माण के लिये शिलान्यास किया।
- इस केंद्र को बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक पक्षों के सार का आनंद लेने के लिये दुनिया भर के तीर्थयात्रियों और पर्यटकों का स्वागत करने हेतु विश्वस्तरीय सुविधाओं से युक्त किया जाएगा।
- इसका उद्देश्य दुनिया भर से लुंबिनी में आने वाले विद्वानों और बौद्ध तीर्थयात्रियों की सेवा करना है।
- जल-विद्युत परियोजनाएँ:
- दोनों देशों ने 490.2 मेगावाट (MW) के अरुण-4 जल-विद्युत परियोजना के विकास और कार्यान्वयन के लिये सतलुज जल-विद्युत निगम (SJVN) लिमिटेड तथा नेपाल विद्युत प्राधिकरण (NEA) के मध्य पाँच समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
- नेपाल ने भारतीय कंपनियों को नेपाल में पश्चिम सेती जल-विद्युत परियोजना में निवेश करने के लिये भी आमंत्रित किया।
- उपग्रह परिसर की स्थापना:
- भारत ने रूपन्देही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) का एक उपग्रह परिसर स्थापित करने की पेशकश की है और भारतीय तथा नेपाली विश्वविद्यालयों के बीच कुछ समझौता ज्ञापनों को हस्ताक्षर करने के लिये भेजा है।
- पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना:
- नेपाल ने कुछ लंबित परियोजनाओं जैसे- पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना, 1996 में नेपाल और भारत के बीच हस्ताक्षरित महाकाली संधि की एक महत्त्वपूर्ण शाखा तथा पश्चिम सेती जल-विद्युत परियोजना, जलाशय-प्रकार (Reservoir-Type) की विद्युत परियोजना, जिसकी अनुमानित क्षमता 1,200 मेगावाट (MW) है, पर भी चर्चा की।
नेपाल के साथ भारत के पूर्ववर्ती संबंध:
- 1950 की शांति और मित्रता की भारत-नेपाल संधि दोनों देशों के मध्य मौजूद विशेष संबंधों की आधारशिला रही है।
- नेपाल, भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी है और सदियों से चले आ रहे भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक संबंधों के कारण वह हमारी विदेश नीति में भी विशेष महत्त्व रखता है।
- भारत और नेपाल हिंदू धर्म एवं बौद्ध धर्म के संदर्भ में समान संबंध साझा करते हैं, उल्लेखनीय है कि बुद्ध का जन्मस्थान लुंबिनी नेपाल में है और उनका निर्वाण स्थान कुशीनगर भारत में स्थित है।
- हाल के वर्षों में नेपाल के साथ भारत के संबंधों में कुछ गिरावट आई है। वर्ष 2015 में भारत को नेपाल के संविधान प्रारूपण प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने और फिर एक "अनौपचारिक नाकाबंदी" के लिये दोषी ठहराया गया, जिसने भारत के खिलाफ व्यापक आक्रोश पैदा किया।
- वर्ष 2017 में नेपाल ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पर हस्ताक्षर किये, जिससे नेपाल में राजमार्ग, हवाई अड्डे और अन्य बुनियादी ढाँचे बनाए जाने थे। बीआरआई को भारत ने खारिज़ कर दिया था तथा नेपाल के इस कदम को चीन के प्रति झुकाव के तौर पर देखा जा रहा था।
- वर्ष 2019 में नेपाल ने उत्तराखंड के कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख व सुस्ता (पश्चिम चंपारण ज़िला, बिहार) क्षेत्र पर नेपाल के हिस्से के रूप में दावा करते हुए एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया।
भारत-नेपाल संबंधों में बाधाएँ:
- क्षेत्र-संबंधी विवाद: भारत-नेपाल संबंधों में एक प्रमुख बाधा कालापानी सीमा विवाद है। इन सीमाओं को वर्ष 1816 में अंग्रेज़ों द्वारा निर्धारित किया गया था और भारत को वे क्षेत्र विरासत में प्राप्त हुए जिन पर 1947 तक अंग्रेज़ क्षेत्रीय नियंत्रण रखते थे।
- जब भारत-नेपाल सीमा का 98% सीमांकन किया गया था, तो दो क्षेत्रों- सुस्ता और कालापानी में यह कार्य अपूर्ण रहा।
- वर्ष 2019 में नेपाल ने एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी करते हुए उत्तराखंड के कालापानी, लिंपियाधुरा एवं लिपुलेख और बिहार के पश्चिमी चंपारण ज़िले के सुस्ता क्षेत्र पर अपना दावा जताया।
- शांति और मित्रता संधि में निहित समस्याएँ: वर्ष 1950 में भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि पर नेपाल द्वारा हस्ताक्षर इस उद्देश्य से किये गए थे कि ब्रिटिश भारत के साथ उसके विशेष संबंध स्वतंत्र भारत के साथ भी जारी रहें तथा उन्हें भारत के साथ खुली सीमा एवं भारत में कार्य कर करने के अधिकार का लाभ मिलता रहे।
- लेकिन वर्तमान में इसे एक असमान संबंध और भारतीय अधिरोपण के रूप में देखा जाता है।
- इसे संशोधित और अद्यतन करने का विचार 1990 के दशक के मध्य से ही संयुक्त वक्तव्यों में प्रकट होता रहा है, लेकिन ऐसा छिटपुट व उत्साहहीन तरीके से ही हुआ।
- विमुद्रीकरण की अड़चन: नवंबर 2016 में भारत ने विमुद्रीकरण की घोषणा कर दी और उच्च मूल्य के करेंसी नोट (₹1,000 और ₹500) के रूप में 15.44 ट्रिलियन रुपए वापस ले लिये। इनमें से 15.3 ट्रिलियन रुपए की नए नोटों के रूप में अर्थव्यवस्था में वापसी भी हो गई है।
- लेकिन इस प्रक्रिया में कई नेपाली नागरिक जो कानूनी रूप से 25,000 रुपए भारतीय मुद्रा रखने के हकदार थे (यह देखते हुए कि नेपाली रुपया भारतीय रुपए के साथ सहयुक्त (Pegged) है) इससे वंचित कर दिये गए।
- नेपाल राष्ट्र बैंक (नेपाल का केंद्रीय बैंक) के पास 7 करोड़ भारतीय रुपए हैं और अनुमान है कि सार्वजनिक धारिता 500 करोड़ रुपए की है।
- नेपाल राष्ट्र बैंक के पास विमुद्रीकृत बिलों को स्वीकार करने से भारत के इनकार और एमिनेंट पर्सन्स ग्रुप (EPG) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट की अज्ञात परिणति ने नेपाल में भारत की छवि को बेहतर बनाने में कोई मदद नहीं की है।
आगे की राह
- वर्तमान में आवश्यकता इस बात की है कि क्षेत्रीय राष्ट्रवाद के आक्रामक प्रदर्शन से बचा जाए और शांतिपूर्ण बातचीत के लिये आधार तैयार किया जाए जहाँ दोनों पक्ष संवेदनशीलता का प्रदर्शन करते हुए संभव समाधानों की तलाश करें। ‘नेवरवुड फर्स्ट’ की नीति के महत्त्वपूर्ण अनुपालन के लिये भारत को एक संवेदनशील और उदार भागीदार बनने की ज़रूरत है।
- भारत को लोगों के परस्पर-संपर्क, नौकरशाही संलग्नता के साथ-साथ राजनीतिक अंतःक्रिया के मामले में नेपाल के साथ अधिक सक्रिय रूप से संबद्ध होना चाहिये।
- बिजली व्यापार समझौता ऐसा होना चाहिये कि भारत, नेपाल के लोगों में भरोसे का निर्माण कर सके। भारत में अधिकाधिक नवीकरणीय (सौर) ऊर्जा परियोजनाओं के कार्यान्वयन के बावजूद जल-विद्युत ही एकमात्र स्रोत है जो भारत में चरम मांग की पूर्ति कर सकता है।
- भारत-नेपाल के बीच हस्ताक्षरित ‘द्विपक्षीय निवेश संवर्द्धन और संरक्षण समझौते’( BIPPA) पर नेपाल की ओर से अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
- नेपाल में निजी क्षेत्र, विशेष रूप से व्यापार संघों की आड़ में कार्टेल, विदेशी निवेश के विरुद्ध कड़े संघर्ष चला रहे हैं।
- महत्त्वपूर्ण है कि नेपाल यह संदेश दे कि वह भारतीय निवेश का स्वागत करता है।
विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: B
प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: C
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