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डेली न्यूज़

  • 27 Jul, 2024
  • 44 min read
सामाजिक न्याय

आश्रय का अधिकार: मौलिक अधिकार

प्रिलिम्स के लिये:

सर्वोच्च न्यायालय, आश्रय का अधिकार, रेलवे, जीवन का अधिकार, अनुच्छेद 21, आवास, गोपनीयता, कानून की उचित प्रक्रिया, भूमि सीमा, अनुच्छेद 19(1)(e), प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY), राष्ट्रीय शहरी आवास निधि (NUHF), राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, दीन दयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM), वन संसाधन, रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम (RERA), 2016, भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवज़ा और पारदर्शिता का अधिकार, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013

मेन्स के लिये:

आर्थिक विकास और मौलिक अधिकारों के बीच संतुलन।

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

सर्वोच्च न्यायालय ने हल्द्वानी में रेलवे के अवसंरचनात्मक विकास और रेलवे की भूमि पर अवैध रूप से कब्ज़ा करने वाले आरोपियों के लिये आश्रय के मौलिक अधिकार के बीच संतुलन बनाने का आह्वान किया।

  • न्यायालय ने आगे कहा कि उसके आदेशों की गलत व्याख्या भविष्य में सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण को बढ़ावा देने के रूप में भी नहीं की जा सकती।

आश्रय का अधिकार क्या है और इसमें शामिल महत्त्वपूर्ण संवैधानिक प्रावधान क्या हैं?

  • भारत में आश्रय के अधिकार को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा गारंटीकृत जीवन के अधिकार के व्यापक दायरे के तहत एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता प्राप्त है।
    • यह अधिकार सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक नागरिक को पर्याप्त आवास उपलब्ध हो, जिसे गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिये आवश्यक माना जाता है।
    • इसका तात्पर्य केवल सिर पर छत अर्थात् आश्रय ही नहीं है, बल्कि इसमें पर्याप्त गोपनीयता, स्थान, सुरक्षा, प्रकाश व्यवस्था, वेंटिलेशन, बुनियादी ढाँचा और कार्यस्थलों व सामाजिक सुविधाओं से निकटता भी शामिल है।
  • उचित पुनर्वास और उचित प्रक्रिया के बिना लोगों का जबरन आश्रय से निष्कासन/बेदखली आश्रय के अधिकार का उल्लंघन करती है।

आश्रय से निष्कासन/बेदखली के संबंध में नैतिक विचार क्या हैं?

  • मानवाधिकार उल्लंघन: प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षित आवास/आश्रय का अधिकार है और पर्याप्त वैकल्पिक व्यवस्था के बिना बेदखली इस अधिकार को कमज़ोर करती है।
  • अनुपातहीन प्रभाव: बेदखली से गरीब, दिव्यांग और बुजुर्ग सहित हाशिये पर पड़े समूहों पर असमान रूप से असर पड़ता है, जिनके पास स्थानांतरित होने या पुनर्वास/अनुकूलन के लिये कम संसाधन हो सकते हैं।
  • विकल्पों का अभाव: कभी-कभी वैकल्पिक आवास समाधान या सहायता सेवाओं की पेशकश किये बिना बेदखली की जाती है, जिससे लोगों के पास पुनर्वासन/अनुकूलन के लिये कोई स्थान नहीं बचता।

आश्रय के अधिकार से संबंधित न्यायिक निर्णय क्या हैं?

  • ओल्गा टेलिस बनाम बॉम्बे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (1985): झुग्गीवासियों ने वैकल्पिक आवास के बिना बेदखली के खिलाफ दलील देते हुए एक जनहित याचिका दायर की। न्यायालय ने माना कि बेदखली आजीविका के अधिकार का उल्लंघन है तथा आजीविका के पर्याप्त साधन सुनिश्चित करना और लोगों को उनके अधिकारों से वंचित न करना राज्य का कर्तव्य है।
  • महाराष्ट्र राज्य बनाम बसंती भाई खेतान (1986): सर्वोच्च न्यायालय ने भूमि हदबंदी कानून को कायम रखते हुए कहा कि यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता। हालाँकि, पुनर्वास और पुनर्स्थापन प्रदान करने की ज़िम्मेदारी राज्य की है।
  • चमेली सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (1995): न्यायमूर्ति रामास्वामी ने कहा कि आश्रय का अधिकार अनुच्छेद 21 और निवास का अधिकार [अनुच्छेद 19(1)(e)] के अंर्तगत एक मौलिक अधिकार है।
  • अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन बनाम अहमद सिंह और गुलाब सिंह (1996): ओल्गा टेलिस मामले की तरह, न्यायालय ने फुटपाथ पर रहने वालों को इस शर्त पर बेदखल करने की अनुमति दी कि उन्हें वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराया जाएगा।
  • सुदामा सिंह एवं अन्य बनाम दिल्ली राज्य एवं अन्य (2010): याचिकाकर्त्ताओं ने झुग्गी बस्तियों से पुनर्वास की मांग की थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि किसी भी बेदखली में पर्याप्त मुआवज़ा या वैकल्पिक आवास शामिल होना चाहिये।

लोगों को आश्रय प्रदान करने के लिये सरकार द्वारा कौन-सी पहलें की गई हैं?

  • प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY): यह देश के निम्न एवं मध्यम आय वाले निवासियों के लिये किफायती आवास तक पहुँच की सुविधा हेतु भारत सरकार की एक क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी योजना है।
  • राष्ट्रीय शहरी आवास कोष (NUHF): यह आवास योजनाओं के कार्यान्वयन के लिये राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन: इसका उद्देश्य गरीब परिवारों को लाभकारी स्वरोज़गार के साथ ही कुशल मज़दूरी के अवसरों तक पहुँच प्रदान करके निर्धनता को कम करना है, जिसके परिणामस्वरूप स्थायी आधार पर उनकी आजीविका में सुधार होगा।
  • दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM): इसका उद्देश्य शहरी बेघर लोगों को आवश्यक सेवाओं से सुसज्जित आश्रय उपलब्ध कराना है।
  • झोपड़पट्टी पुनर्वास प्राधिकरण (SRA) योजना: विशेष रूप से महाराष्ट्र में सक्रिय यह योजना झुग्गीवासियों के लिये आवास उपलब्धता के साथ उनके पुनर्वास पर केंद्रित है।

भारत में आश्रय के अधिकार का समर्थन करने के लिये कौन-से कानून बनाए गए हैं?

  • गंदी बस्ती क्षेत्र (सुधार और उन्मूलन) अधिनियम, 1956:
    • यह सरकार को उन झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने का अधिकार देता है जो स्वास्थ्य एवं सुरक्षा जोखिमों के कारण निवास की दृष्टि से अनुपयुक्त हैं।
    • ऐसे मामलों में अनुपयुक्त आवास को बेहतर, अधिक सतत् संरचनाओं से परिवर्तित करने के लिये पुनर्विकास योजनाएँ तैयार की जाती हैं।
  • अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वननिवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006:
    • यह आजीविका के लिये निवास या स्व-कृषि के लिये व्यक्तिगत अथवा साझा अधिग्रहण के तहत वन भूमि पर कब्ज़ा करने और रहने का अधिकार प्रदान करता है।
    • यह वन समुदायों के वन संसाधनों का उपयोग एवं प्रबंधन करने के अधिकारों को भी मान्यता देता है।
  • रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 (RERA):
    • यह आवासीय परियोजनाओं की पारदर्शिता, जवाबदेहिता तथा समय पर प्रदायगी सुनिश्चित करने के लिये रियल एस्टेट क्षेत्र को नियंत्रित करता है।
    • यह परियोजनाओं के पंजीकरण को अनिवार्य करके तथा शिकायत निवारण तंत्र प्रकी उपलब्धता द्वारा घर खरीदारों को संरक्षण प्रदान करता है।
  • भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्स्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013:
    • इसमें भूमि अधिग्रहण से प्रभावित लोगों के पुनर्स्थापन और पुनर्वास के लिये विस्तृत प्रावधान शामिल किये गए हैं।
    • यह सुनिश्चित करता है कि विस्थापित परिवारों को आवास के साथ-साथ अपने जीवन के पुनर्वासन तथा पुनर्व्यव्स्थापन के लिये सहायता प्राप्त हो।
  • आदर्श किराएदारी अधिनियम, 2021:
    • इसका उद्देश्य विवाद समाधान हेतु त्वरित निर्णय तंत्र स्थापित करना, परिसर के किराये को विनियमित करना और मकान मालिकों तथा किरायेदारों के हितों का संरक्षण करना है।

विकास परियोजनाओं और आश्रय के अधिकार के बीच संतुलन कैसे बनाए रखा जा सकता है?

  • वैकल्पिक आवास समाधान: विकास परियोजनाओं के कारण विस्थापित लोगों के लिये पर्याप्त वैकल्पिक आवास का विकल्प प्रदान करना।
  • विधिक सुरक्षा और निष्पक्ष प्रक्रियाएँ: यह सुनिश्चित करना कि यदि आवश्यक हो, तो विस्थापन उचित प्रतिकर और सहायता के साथ वैध एवं न्यायपूर्ण विधि से किया जाए।
  • सामुदायिक विकास और एकीकरण: स्थानीय बुनियादी ढाँचे, सेवाओं और आर्थिक अवसरों को बढ़ाने के लिये परियोजना में सामुदायिक विकास कार्यक्रमों को शामिल करना।
  • दीर्घकालिक योजना: शहरी नियोजन और आवास के लिये दीर्घकालिक रणनीतियाँ विकसित करना, जो विकास लक्ष्यों को किफायती और सुलभ आवास की आवश्यकता के साथ एकीकृत करती हैं।

निष्कर्ष:

उच्चतम न्यायालय ने आश्रय के अधिकार को जीवन के अधिकार से जोड़ते हुए इसकी मौलिक प्रकृति पर बल दिया है, जबकि संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसे मानवाधिकार के रूप में मान्यता दी गई है। राज्य किफायती आवास उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य करने के लिये बाध्य है, इसका अर्थ यह नहीं है कि उसे सभी आवासों का निर्माण करना चाहिये या सभी विस्थापनों को रोकना चाहिये। आश्रय का अधिकार, भूमि के अधिकार से पृथक् स्पष्ट जानकारी और यथार्थवादी अपेक्षाओं की आवश्यकता को व्यक्त करता है। इसके मूल तत्त्व को पहचानकर, व्यक्ति अपने अधिकारों का समर्थन कर सकते हैं और आवश्यकता पड़ने पर न्यायिक निवारण की मांग कर सकते हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. विकास और व्यक्तियों के मौलिक अधिकार प्रायः परस्पर विरोधी होते हैं। क्या आप इससे सहमत हैं? उदाहरण के साथ समझाइये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स

प्रश्न. भारत में तीव्र शहरीकरण की प्रक्रिया ने जिन विभिन्न सामाजिक समस्याओं को जन्म दिया है, उनकी विवेचना कीजिये। (2013)

प्रश्न. ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाओं का प्रावधान (PURA) का आधार संयोजकता (मेल) स्थापित करने में निहित है। टिप्पणी कीजिये। (2013)


शासन व्यवस्था

इंडियाAI मिशन

प्रिलिम्स के लिये:

कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इंडियाAI मिशन, लार्ज मल्टीमॉडल मॉडल, गैर-व्यक्तिगत डेटासेट, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी

मेन्स के लिये: 

इंडियाAI मिशन, भारत में AI नवाचार और स्टार्टअप, AI पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने के लिये भारत सरकार की प्रतिबद्धता इंडियाAI मिशन के लिये नए बजटीय आवंटन से स्पष्ट है।

  • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) को उच्च प्रदर्शन वाले ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) की खरीद सहित AI आधारभूत संरचना को बढ़ाने के लिये केंद्रीय बजट 2024-25 में 551.75 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
  • इस मिशन का उद्देश्य घरेलू AI विकास को समर्थन देना एवं विदेशी हार्डवेयर पर निर्भरता कम करना है।

इंडियाAI मिशन क्या है?

  • उद्देश्य: मिशन का उद्देश्य AI प्रणालियों के विकास और परीक्षण का समर्थन करने के लिये भारत में एक मज़बूत AI कंप्यूटिंग बुनियादी ढाँचे की स्थापना करना है।
    • मिशन का उद्देश्य डेटा की गुणवत्ता को बढ़ाना और साथ ही स्वदेशी AI तकनीक विकसित करना है। यह शीर्ष प्रतिभाओं को आकर्षित करने, उद्योग सहयोग को बढ़ावा देने, प्रभावशाली AI स्टार्टअप का समर्थन करने के साथ नैतिक AI प्रथाओं को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
  • वित्तीय सहायता: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मार्च में 10,372 करोड़ रुपए के इंडियाAI मिशन को मंजूरी दी थी, जिसका उद्देश्य 10,000 से अधिक GPU की कंप्यूटिंग क्षमता स्थापित करना और साथ ही स्वास्थ्य सेवा, कृषि एवं शासन जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिये प्रमुख भारतीय भाषाओं को सम्मिलित करने वाले डेटासेट पर प्रशिक्षित 100 अरब से अधिक मापदंडों की क्षमता वाले आधारभूत मॉडल विकसित करना है।
  • वर्तमान संकेंद्रण: प्रारंभिक प्रयासों में परियोजना को आरंभ करने के लिये 300 से 500 GPU की खरीद शामिल होगी।
  • GPU खरीद का महत्त्व: GPU बड़े पैमाने पर AI मॉडलों के प्रशिक्षण एवं निर्माण हेतु महत्त्वपूर्ण हैं, जो उन्नत AI अनुप्रयोगों के लिये आवश्यक हैं।
    • डेटा सेंटर GPU समानांतर संचालन, AI, मीडिया एनालिटिक्स तथा 3D रेंडरिंग समाधानों हेतु महत्त्वपूर्ण हैं, जिससे वे मशीन लर्निंग, मॉडलिंग और क्लाउड गेमिंग जैसे उन्नत उपयोग के मामलों के लिये आवश्यक हो जाते हैं।
    • यह खरीद भारतीय स्टार्टअप्स को आवश्यक कंप्यूटिंग क्षमता प्रदान करेगी, जो मौजूदा बाज़ार में कमियों को दूर करेगी।
  • इंडियाAI मिशन के प्रमुख घटक:
    • इंडियाAI कंप्यूटिंग क्षमता - इस इकोसिस्टम में सार्वजनिक निजी भागीदारी के जरिए निर्मित 10,000 या उससे ज्यादा ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) का AI कंप्यूटिंग बुनियादी ढाँचा शामिल होगा। इसके अतिरिक्त, एक AI बाज़ार डिज़ाइन किया जाएगा जो AI नवोन्मेषी को एक सेवा और पूर्व-प्रशिक्षित मॉडलों के रूप में AI की पेशकश करेगा। ये AI नवाचार हेतु महत्त्वपूर्ण संसाधनों का एकल बिंदु समाधान भी होगा।
    • इंडियाAI नवाचार केंद्र - इंडियाAI नवाचार केंद्र महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में स्वदेश में निर्मित लार्ज मल्टीमाॅडल मॉडलों (LMMs) तथा डोमेन-विशिष्ट बुनियादी मॉडल के विकास एवं तैनाती में सहयोग प्रदान करेगा।
    • इंडियाAI डेटासेट मंच - भारतीय स्टार्टअपों और शोधकर्त्ताओं की गैर-व्यक्तिगत डेटासेट तक अबाधित पहुँच के लिये वन-स्टॉप समाधान प्रदान करने हेतु एक एकीकृत डेटा प्लेटफॉर्म विकसित किया जाएगा।
    • इंडियाAI एप्लीकेशन डेवलपमेंट इनिशिएटिव - इंडियाAI एप्लीकेशन डेवलपमेंट की पहल केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य विभागों और अन्य संस्थानों से प्राप्त समस्याओं के लिये महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में AI के प्रयोग को बढ़ावा देगा।
    • इंडियाAI फ्यूचर स्किल्स - ये स्नातक, स्नातकोत्तर स्तर एवं पीएचडी की पढ़ाई में AI पाठ्यक्रमों को बढ़ाएगी। इसके अतिरिक्त छोटे शहरों में डेटा एवं AI लैब्स स्थापित की जाएंगी।
    • इंडियाAI स्टार्टअप फाइनेंसिंग - इंडियाAI  स्टार्टअप फाइनेंसिंग के स्तंभ की परिकल्पना डीप-टेक AI स्टार्टअप को समर्थन और गति देने और साथ ही उन्हें भविष्य की AI परियोजनाओं हेतु फंडिंग तक सुगम पहुँच प्रदान करने के लिये की गई है।
    • सुरक्षित और भरोसेमंद AI - AI के जिम्मेदारीपूर्ण अनुप्रयोग, तैनाती और उसे अपनाए जाने के कार्य को आगे बढ़ाने के लिये पर्याप्त सजगता की जरूरत को पहचानते हुए, सुरक्षित और भरोसेमंद AI का ये स्तंभ उत्तरदायित्वपूर्ण AI परियोजनाओं के कार्यान्वयन को सक्षम बनाएगा।

भारत के कृत्रिम बुद्धिमत्ता(AI) बाज़ार की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • मुख्य रुझान
    • विभिन्न क्षेत्रों में अपनाना: भारत सरकार द्वारा प्रारंभ की गई राष्ट्रीय AI रणनीति और राष्ट्रीय AI पोर्टल जैसी पहलों के कारण भारत में विभिन्न क्षेत्रों में AI को अपनाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
      • स्वास्थ्य सेवा, वित्त, खुदरा, विनिर्माण और कृषि जैसे क्षेत्र तीव्रता से AI प्रौद्योगिकियों के साथ एकीकृत हो रहे हैं।
  • डेटा एनालिटिक्स पर ध्यान केंद्रित करना: क्लाइव हंबी का यह कथन कि "डेटा नया तेल (के समान मूल्यवान संसाधन) है" जो Al-संचालित डेटा विश्लेषण के बढ़ते महत्त्व को रेखांकित करता है।
  • क्लस्टर्स: सहायक नीतियों, शोध संस्थानों और AI प्रौद्योगिकियों की बढ़ती मांग जैसे कारकों के कारण भारतीय शहरों में AI क्लस्टर उभर रहे हैं। प्रमुख शहरों में बेंगलूरू, हैदराबाद, मुंबई, चेन्नई, पुणे तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) शामिल हैं।
    • बेंगलूरू को "भारत की सिलिकॉन वैली" के नाम से जाना जाता है, जहाँ बहुराष्ट्रीय कंपनियों, स्टार्टअप एवं शैक्षणिक संस्थानों का एक समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र है। यहाँ 2,000 से अधिक सक्रिय स्टार्टअप हैं और साथ ही वार्षिक IT निर्यात 50 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक है और साथ ही शहर का AI अनुसंधान में भी मज़बूत है, जहाँ वार्षिक रूप से 400 से अधिक पेटेंट दाखिल किये जाते हैं।
  • भारत के AI बाज़ार में निवेश के अवसर: 
    • इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) एवं AI-संचालित परिशुद्ध कृषि एवं फसल निगरानी का उपयोग करके उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है।
    • AI-संचालित धोखाधड़ी का पता लगाना, जोखिम मूल्यांकन एवं ग्राहक सेवा स्वचालन की मांग में वृद्धि हो रही है और साथ ही AI समाधानों को लागू करने हेतु भारतीय बैंकों के साथ सहयोग किया जा सकता है।
    • AI पूर्वानुमानित निदान, वैयक्तिकृत उपचार और दवा खोज के अवसर प्रदान करता है।
    • चैटबॉट एवं अनुशंसा इंजन(recommendation engines) जैसी AI प्रौद्योगिकी के आधार पर खुदरा क्षेत्र में परिवर्तन हो रहा है।

इंडियाAI मिशन के लिये अपेक्षित चुनौतियाँ क्या हैं?

  • सीमित GPU क्षमता और अवसंरचना: मिशन का उद्देश्य 10,000 GPU की उच्च-स्तरीय AI कम्प्यूट क्षमता का निर्माण करना है। फिर भी, AI अनुप्रयोगों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये इन GPU की समय पर खरीद और तैनाती के बारे में चिंताएँ विद्यमान हैं
    • GPU की उच्च लागत, जैसे कि Nvidia की A100 चिप की कीमत 10,000 अमेरिकी डॉलर तक है, जो छोटे व्यवसायों के लिये एक बड़ी चुनौती है
    • GPU की उपलब्धता एक बाधा है और इस हार्डवेयर के अधिग्रहण और एकीकरण तीव्रता लाना AI क्षमताओं को आगे बढ़ाने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • डेटा पहुँच और गुणवत्ता: विविध डेटासेट पर एआई मॉडल का प्रशिक्षण, विशेष रूप से इंडिक भाषाओं के लिये, महत्त्वपूर्ण है। हालाँकि, मौजूदा डेटासेट प्रभावी स्वदेशी एआई मॉडल विकसित करने के लिये अपर्याप्त हैं।
  • सीमित AI विशेषज्ञता और उच्च लागत: भारत में कुशल AI पेशेवरों की कमी है। इस समस्या का समाधान करने के प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन इस अंतराल को समाप्त करना एक चुनौतीपूर्ण  कार्य है।
  • उच्च कार्यान्वयन लागत: एआई समाधानों के कार्यान्वयन की लागत, विशेष रूप से विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में, काफी अधिक हो सकती है
    • इसमें बुनियादी ढाँचे और एकीकरण के लिये पूंजी निवेश शामिल है, जो व्यापक रूप से अपनाने में बाधा बन सकता है।
  • बुनियादी ढाँचे की कमी: प्रभावी AI तैनाती के लिये उन्नत क्लाउड कंप्यूटिंग बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता होती है। जबकि AIRAWAT जैसे प्रयास प्रगति का प्रतिनिधित्व करते हैं, भारत में अभी भी एआई अनुप्रयोगों को बढ़ाने के लिये आवश्यक व्यापक एआई और क्लाउड कंप्यूटिंग सुविधाओं का अभाव है
  • नैतिक एवं सत्यनिष्‍ठा संबंधी चिंताएँ: चूँकि AI एल्गोरिदम निर्णय लेने को तीव्र गति  से प्रभावित कर रहे हैं, अतः AI मॉडल में नैतिक उपयोग सुनिश्चित करना और पूर्वाग्रहों से बचना महत्त्वपूर्ण है।
    • प्रभावित डेटासेट या त्रुटिपूर्ण प्रशिक्षण डेटा के कारण विषम परिणामों की संभावना महत्त्वपूर्ण ज़ोखिम पैदा करती है।
    • संवेदनशील और व्यक्तिगत डेटा के प्रबंधन से डेटा सुरक्षा और गोपनीयता से संबंधित ज़ोखिम उत्पन्न कर सकते हैं
  • भू-राजनीतिक और विनियामक मुद्दे: भू-राजनीतिक तनाव और निर्यात नियंत्रण विनियम आवश्यक AI प्रौद्योगिकियों एवं घटकों तक पहुँच को प्रतिबंधित कर सकते हैं, जिससे भारत की AI समाधानों को प्रभावी ढंग से विकसित करने तथा इसे तैनात करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
  • पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: विशेष रूप से OpenAI के ChatGPT के लिये AI क्वेरीज़, नियमित Google सर्च की तुलना में काफी अधिक ऊर्जा का प्रयोग करती हैं। इमेज बेस्ड AI सर्च और भी अधिक ऊर्जा का खपत करते हैं। AI मॉडल, सामान्य सर्च की तुलना में अधिक मात्रा में डेटा का उपयोग करते हैं, जिससे डेटा को संसाधित करने, संग्रहीत और पुनर्प्राप्त करने के लिये अधिक विद्युत संकेतों की आवश्यकता होती है।
    • बढ़ी हुई डेटा प्रोसेसिंग से अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है, जिससे डेटा केंद्रों में शक्तिशाली एयर-कंडीशनिंग और शीतलन प्रणालियों की आवश्यकता होती है।
    • AI उपकरणों से वैश्विक ऊर्जा खपत में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। वर्तमान में, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, वैश्विक विद्युत ऊर्जा की मांग में डेटा केंद्रों की हिस्सेदारी 1% से लेकर 1.3% तक है, जिसके वर्ष 2026 तक 1.5% से 3% तक बढ़ने का अनुमान है।
    • विशेषज्ञों का मानना ​​है कि भारत को जल्द ही AI और डेटा केंद्रों के महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय नुकसान का सामना करना पड़ेगा। डेटा केंद्रों को ठंडा रखने के लिये जल संसाधनों की बढ़ती मांग पर्यावरणीय चिंताओं को बढ़ाती है।

आगे की राह:

  • हार्डवेयर विनिर्माण को प्रोत्साहित करना: वर्ष 2021 में अधिसूचित IT हार्डवेयर और सेमीकंडक्टर के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना पात्र फर्मों के लिये घरेलू विनिर्माण में निवेश बढ़ाने के लिये प्रोत्साहन प्रदान करती है। इस पहल का विस्तार करने से इस क्षेत्र में विकास को और बढ़ावा मिल सकता है।
  • स्टार्ट-अप सपोर्ट: AI-स्टार्टअप के लिये वित्तीय प्रोत्साहन, मेंटरशिप और इनक्यूबेशन सुविधाएँ प्रदान करना। तेलंगाना के T-हब (भारत का सबसे बड़ा इनक्यूबेशन सेंटर) जैसे AI-केंद्रित त्वरक और इनक्यूबेटर स्थापित करना।
  • व्यापक डेटा पारिस्थितिकी तंत्र: एक राष्ट्रीय डेटा प्लेटफॉर्म को मानकीकृत प्रारूपों और गुणवत्ता जाँच के साथ केंद्रीकृत डेटा भंडार के रूप में विकसित किया जा सकता है, जिसमें गोपनीयता सुनिश्चित करते हुए डेटा साझाकरण को बढ़ावा दिया जा सकता है। डेटा की गुणवत्ता में सुधार के लिये एन्क्रिप्शन तकनीकों के साथ-साथ डेटा लेबलिंग और क्यूरेशन में निवेश करना।
  • नैतिक AI को प्राथमिकता देना: व्यापक AI नैतिकता दिशानिर्देश और विनियम विकसित करना, स्वतंत्र AI नैतिकता बोर्ड स्थापित करना, AI-सिस्टम में पारदर्शिता और व्याख्या को बढ़ावा देना और पूर्वाग्रहों की पहचान करने एवं उन्हें कम करने के लिये नियमित AI ऑडिट करना।
  • सामाजिक प्रभाव हेतु अनुप्रयोग: प्रमुख सामाजिक चुनौतियों की पहचान करना और AI-संचालित समाधान विकसित करना। स्वास्थ्य सेवा, कृषि, शिक्षा और अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में AI अनुप्रयोगों को प्राथमिकता देना। समाज के सभी वर्गों के लिये AI संबंधित लाभों तक समान पहुँच सुनिश्चित करना।
  • सतत् AI को बढ़ावा देना: ऊर्जा-कुशल AI एल्गोरिदम और हार्डवेयर में निवेश करके, डेटा केंद्रों में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देना और ऊर्जा अनुकूलन एवं संसाधन प्रबंधन हेतु AI-संचालित समाधान प्रदान कर स्थायी AI का समर्थन करना।
  • कौशल में अंतर (Talent Gap): इंटर्नशिप, शोध परियोजनाओं और संकाय विनिमय हेतु साझेदारी को बढ़ावा देना। भारत में निवेश करने के लिये विदेशी छात्रों और कर्मचारियों को आकर्षित करना, AI प्रतिभा को बनाए रखने के लिये वेतन में वृद्धि करना।

दृष्टि मेन्स प्रश्न::

प्रश्न. इंडिया AI मिशन के उद्देश्यों और प्रमुख घटकों पर चर्चा कीजिये। इसका उद्देश्य भारत के AI परिदृश्य को किस प्रकार परिवर्तित करना है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स 

विकास की वर्तमान स्थिति में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता(Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है?

  1. औद्योगिक इकाइयों में विद्युत् की खपत कम करना
  2. सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना
  3. रोगों का निदान
  4. टेक्स्ट से स्पीच (Text-to-Speech) में परिवर्तन
  5. विद्युत् ऊर्जा का बेतार संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1,2, 3 और 5
(b) केवल 1,3 और 4
(c) केवल 2,4 और 5
(d) 1,2,3,4 और 5

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. भारत के प्रमुख शहरों में आई.टी. उद्योगों के विकास से उत्पन्न होने वाले मुख्य सामाजिक-आर्थिक प्रभाव क्या हैं ? (2022)

प्रश्न. “चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के प्रादुर्भाव ने ई-गवर्नेंस को सरकार अविभाज्य अंग बनाने में पहल की है।” विवेचना कीजिये। (2020)


भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत की पहली अपतटीय खनिज नीलामी

प्रिलिम्स के लिये:

महत्त्वपूर्ण खनिज, आत्मनिर्भर भारत, विशेष आर्थिक क्षेत्र, राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन, परमाणु ऊर्जा, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, भारतीय खान ब्यूरो

मेन्स के लिये:

महत्त्वपूर्ण खनिज, भारत के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों का महत्त्व, भारत में खनिज वितरण।

स्रोत: बिज़नेस लाइन

चर्चा में क्यों

भारत अपनी पहली अपतटीय खनिज नीलामी शुरू करने के लिये तैयार है, जो संसाधन प्रबंधन में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। प्रस्तावित राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन (NCCM) के हिस्से के रूप में यह पहल महत्त्वपूर्ण खनिजों हेतु आपूर्ति शृंखला को बढ़ाने का लक्ष्य रखती है।

  • केंद्रीय खान मंत्री ने 10 ब्लॉकों की पहचान की घोषणा की, जो आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप खनिज संसाधनों में आत्मनिर्भरता की दिशा में राष्ट्र की खोज में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।

अपतटीय खनिज नीलामी से संबंधित प्रमुख विवरण क्या हैं?

  • चिह्नित खनिज ब्लॉक: भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone- EEZ) में स्थित 10 ब्लॉकों की अन्वेषण रिपोर्ट समग्र लाइसेंस प्रदान करने के लिये नीलामी हेतु उपलब्ध हैं। इनमें से पॉली-मेटैलिक नोड्यूल और क्रस्ट के 7 ब्लॉक अंडमान सागर में स्थित हैं, जबकि लाइम-मड के 3 ब्लॉक गुजरात तट से दूर स्थित हैं।
  • खनिजों के प्रकार: वे खनिज ब्लॉक जिनमें कोबाल्ट और निकल जैसे महत्त्वपूर्ण खनिज होते हैं, जो स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न करने, भंडारित एवं संचारित करने तथा इस्पात निर्माण के लिये निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकियों के निर्माण हेतु महत्त्वपूर्ण हैं।
  • नियामक ढाँचा: नीलामी अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम (OAMDR), 2002 के तहत आयोजित की जाएगी।
    • खनिज संसाधन निर्धारण, अन्वेषण और वाणिज्यिक उत्पादन के लिये समग्र लाइसेंस जारी किये जाएंगे।

अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 2002 

  • खान मंत्रालय OAMDR अधिनियम, 2002 का प्रशासन करता है, जो भारत के प्रादेशिक जल, महाद्वीपीय शेल्फ, अनन्य आर्थिक क्षेत्र और अन्य समुद्री क्षेत्रों में खनिज संसाधनों के विकास तथा विनियमन एवं उससे संबंधित या उसके प्रासंगिक मामलों के लिये प्रावधान करता है।
  • वर्ष 2023 में हाल ही में किये गए संशोधन में परिचालन अधिकारों के लिये पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया शुरू करने, खनन प्रभावित व्यक्तियों हेतु एक ट्रस्ट स्थापित करने, अन्वेषण में वृद्धि करने और साथ ही आपदाओं के मामले में राहत प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।
    • संशोधन के माध्यम से विवेकाधीन नवीकरण को हटा दिया गया, पचास वर्ष की मानक पट्टा अवधि स्थापित की गई, समग्र लाइसेंस की शुरुआत की गई, परिचालन अधिकारों के लिये क्षेत्र सीमा निर्धारित की गई, तथा समग्र लाइसेंस और उत्पादन पट्टे के आसान हस्तांतरण की सुविधा प्रदान की गई।

राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन क्या है?

  • आवश्यकता: इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की बढ़ती मांग के कारण भारत महत्त्वपूर्ण खनिजों के आयात हेतु मुख्यतः चीन पर अत्यधिक निर्भर है।
  • आयात पर इस निर्भरता का नकारात्मक आर्थिक प्रभाव पड़ता है, जिससे चालू खाता घाटा बढ़ता है और घरेलू उत्पादन प्रभावित होता है।
  • आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये चीन पर भारत की निर्भरता के संबंध में रणनीतिक चिंताओं पर प्रकाश डाला गया है
  • उद्देश्य: ताँबा, लिथियम, निकल, कोबाल्ट और दुर्लभ मृदा तत्त्वों सहित महत्त्वपूर्ण खनिजों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करना। ये खनिज लैपटॉप से ​​लेकर इलेक्ट्रिक कारों तक लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के लिये आवश्यक घटक हैं।
  • अनुप्रयोग:
  • इलेक्ट्रॉनिक्स: लैपटॉप, इलेक्ट्रिक कार और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के निर्माण के लिये आवश्यक।
  • स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियाँ: पवन टर्बाइनों और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के लिये महत्त्वपूर्ण।
  • उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र: परमाणु ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा, अंतरिक्ष, रक्षा, दूरसंचार और हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक्स।
  • NCCM को समर्थन देने के लिये विधायी और बजटीय उपाय:
  • खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक 2023: एंटीमनी, बेरिलियम, लिथियम और अन्य सहित 30 बहुमूल्य एवं महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये अन्वेषण लाइसेंस देने की अनुमति प्रदान करता है।
  • बजटीय सहायता:
  • केंद्रीय बजट 2024-2025 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India- GSI), भारतीय खान ब्यूरो (Indian Bureau of Mines- IBM) और राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (NMET) के लिये आवंटन में वृद्धि का प्रस्ताव किया गया।
    • भूविज्ञान डेटा और रणनीतिक योजना में सुधार के लिये GSI हेतु 1,300 करोड़ रुपए।
    • विनियामक दक्षता और पर्यावरण संरक्षण बढ़ाने के लिये IBM हेतु 135 करोड़ रुपए।
    • खनिज अन्वेषण में तेज़ी लाने और इस क्षेत्र में स्टार्टअप को समर्थन देने के लिये NMET हेतु 400 करोड़ रुपए का प्रावधान।
  • सीमा शुल्क में छूट: केंद्रीय बजट 2024-2025 में 25 महत्त्वपूर्ण खनिजों पर सीमा शुल्क को समाप्त करने और दो अन्य पर कटौती का प्रस्ताव किया गया है।
    • इस कदम का उद्देश्य इन खनिजों पर निर्भर उद्योगों की लागत को कम करना, प्रसंस्करण एवं शोधन में निवेश आकर्षित करना तथा डाउनस्ट्रीम उद्योगों के विकास को प्रोत्साहित करना है।
    • ब्लिस्टर कॉपर- जो इलेक्ट्रॉनिक्स एवं निर्माण उद्योगों के लिये महत्त्वपूर्ण है, पर शून्य आयात शुल्क से कॉपर रिफाइनरों के लिये आपूर्ति शृंखला स्थिर हो जाएगी।

अपतटीय खनिज नीलामी, किस प्रकार प्रस्तावित राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन के अनुरूप है?

  • क्षमता विस्तार: अपतटीय खनिज संसाधनों के दोहन से स्वच्छ ऊर्जा एवं इस्पात निर्माण जैसे क्षेत्रों में भारत की क्षमताओं में वृद्धि होगी।
  • आपूर्ति शृंखला दृष्टिकोण: प्रस्तावित NCCM द्वारा घरेलू उत्पादन से लेकर पुनर्चक्रण तक महत्त्वपूर्ण खनिजों की संपूर्ण आपूर्ति शृंखला का विनियमन होगा।
    • इससे देश वैश्विक भू-राजनीतिक अशांति के आलोक में आयात निर्भरता तथा आपूर्ति जोखिमों से भी सुरक्षित हो पाएगा।
  • अनुसंधान एवं विकास पर फोकस: इस मिशन के तहत महत्त्वपूर्ण खनिजों की मूल्य शृंखला में व्यापार एवं बाज़ार पहुँच, वैज्ञानिक अनुसंधान तथा प्रौद्योगिकी विकास पर ध्यान दिया जाएगा।
  • पुनर्चक्रण पहल को प्रोत्साहित करना: इस पहल का उद्देश्य भारतीय उद्योग क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण खनिजों की पुनर्चक्रण क्षमता को प्रोत्साहित करना है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत के औद्योगिक एवं तकनीकी क्षेत्रों पर राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन (NCCM) के संभावित प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये

 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रश्न. हाल में तत्त्वों के एक वर्ग, जिसे ‘दुलर्भ मृदा धातु’ कहते है की कम आपूर्ति पर चिंता जताई गई। क्यों? (2012)

  1. चीन, जो इन तत्त्वों का सबसे बड़ा उत्पादक है द्वारा इनके निर्यात पर कुछ प्रतिबंध लगा दिया गया है।
  2. चीन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और चिली को छोड़कर अन्य किसी भी देश में ये तत्त्व नहीं पाए जाते हैं।
  3. दुर्लभ मृदा धातु विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॅानिक सामानों के निर्माण में आवश्यक हैं इसलिये इन तत्त्वों की माँग बढ़ती जा रही है।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. गोंडवानालैंड के देशों में से एक होने के बावजूद भारत के खनन उद्योग अपने सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में बहुत कम प्रतिशत का योगदान देते हैं। विवेचना कीजिये। (2021)

प्रश्न. प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद कोयला खनन विकास के लिये अभी भी अपरिहार्य है"। विवेचना कीजिये। (2017)


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