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जैव विविधता और पर्यावरण

वनों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम

  • 15 May 2023
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सतत् विकास लक्ष्य (SDG), खाद्य और कृषि संगठन, संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद, वनों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम, लघु द्वीप विकासशील राज्य

मेन्स के लिये:

वनों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम

चर्चा में क्यों?  

8-12 मई, 2023 तक न्यूयॉर्क में आयोजित वनों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम के 18वें संस्करण (United Nations Forum on Forests- UNFF18) में सतत् वन प्रबंधन (Sustainable Forest Management- SFM), ऊर्जा और संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्दिष्ट सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDG) के बीच संबंधों पर चर्चा करने के लिये विश्व भर के प्रतिनिधि एकजुट हुए। 

UNFF18 के प्रमुख बिंदु: 

  • उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में सतत् वन प्रबंधन (SFM):
    • हालिया विकास पर विशेषज्ञों ने उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में SFM के अभ्यास के महत्त्व को रेखांकित किया है। वर्ष 2013 के बाद से बायो एनर्जी के उपयोग में बढ़ोतरी के कारण उष्णकटिबंधीय लकड़ी की सतत् उपलब्धता की मांग में वृद्धि हुई है, जिससे वनों पर दबाव बढ़ रहा है।
      • विश्व भर में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की बढ़ती आवश्यकता के कारण जैव ऊर्जा के बढ़ते उपयोग ने अप्रत्यक्ष रूप से उष्णकटिबंधीय वनों पर दबाव बढ़ा दिया है। ईंधन स्रोत के रूप में लकड़ी के चिप्स और पेल्लेट्स जैसे बायोमास पर बायो एनर्जी की निर्भरता के परिणामस्वरूप इमारती लकड़ी की आवश्यकता बढ़ गई है। इससे सामान्यतः इन क्षेत्रों की स्थिरता, जैवविविधता और वन पारिस्थितिकी प्रणालियों को संभावित नुकसान संबंधी चिंता बढ़ गई है।
    • सेलेक्टिव लॉगिंग अभ्यास और वनीकरण जैसी स्थायी प्रथाओं को लागू करके इन वनों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और जीवन शक्ति की रक्षा की जा सकती है। 
  • वन पारिस्थितिकी तंत्र और ऊर्जा: 
    • खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) के वानिकी निदेशक ने नवीकरणीय ऊर्जा आवश्यकताओं के लिये वन पारिस्थितिक तंत्र के महत्त्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला।
      • विश्व भर में पाँच अरब से अधिक लोग गैर-लकड़ी वन उत्पादों से लाभान्वित होते हैं, और वन विश्व की नवीकरणीय ऊर्जा की मांग के 55% को पूरा करते हैं।
  • वन और जलवायु परिवर्तन शमन: 
    • उत्सर्जन गैप रिपोर्ट के निष्कर्ष वनों की विशाल जलवायु शमन क्षमता को रेखांकित करते हैं। कार्बन पृथक्करण/सीक्वेस्ट्रेशन (Carbon Sequestration) जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से वन कार्बन सिंक के रूप में कार्य करते हैं, वातावरण से पर्याप्त मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित और संग्रहीत करते हैं।
      • वनों को संरक्षित और स्थायी रूप से प्रबंधित करके राष्ट्र इस प्राकृतिक क्षमता का लाभ उठाकर उत्सर्जन अंतर को पाटने तथा जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। 
    • वनों में 5 गीगाटन उत्सर्जन को कम करने की क्षमता है।
  • चुनौतियाँ और देशों का परिदृश्य:
    • भारत: भारत ने दीर्घकालिक SFM पर UNFF में देश के नेतृत्त्व वाली पहल का मामला पेश किया तथा वनाग्नि और वर्तमान वन प्रमाणन योजनाओं की सीमाओं के बारे में चिंता व्यक्त की।
    • सऊदी अरब: सऊदी अरब ने वनाग्नि और शहरी विस्तार के लिये वन क्षेत्रों पर अतिक्रमण रोकने के महत्त्व पर प्रकाश डाला। 
    • सूरीनाम: सबसे अधिक वनाच्छादित और कार्बन-नकारात्मक देश होने का दावा करने वाले सूरीनाम ने अपने हरित आवरण और पर्यावरण नीतियों को प्रभावित करने वाले आर्थिक दबावों के अपने अनुभव साझा किये।
      • देश वर्ष 2025 तक नवीकरणीय स्रोतों से अपनी शुद्ध ऊर्जा का 23% प्राप्त करने और वर्ष 2060 तक कार्बन तटस्थता प्राप्त करने के लिये प्रतिबद्ध है।
    • कांगो और डोमिनिकन गणराज्य: इन देशों ने वन संरक्षण उपायों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया और जलाऊ लकड़ी पर भारी निर्भरता को देखते हुए आजीविका में सुधार करते हुए प्राकृतिक वनों पर दबाव कम करने के लिये रणनीतियों का आह्वान किया। 
    • ऑस्ट्रेलिया: ऑस्ट्रेलिया ने उल्लेख किया कि कुछ प्रजातियाँ अंकुरण के लिये आग पर निर्भर करती हैं और उसने यांत्रिक ईंधन भार में कमी हेतु किये गए परीक्षणों पर जानकारी साझा की। देश ने लकड़ी के अवशेष बाज़ारों को वित्तीय रूप से व्यवहार्य बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
    • अन्य दृष्टिकोण:  झिमिन और सतकुरु जैसे देशों ने ब्रिकेट और छर्रों का उत्पादन करने हेतु कॉम्पैक्ट बाँस या चूरा के अवशेषों के साथ प्लास्टिक की छड़ियों को बदलने का सुझाव दिया, जो ऊर्जा उत्पादन के लिये स्थायी विकल्प प्रदान करता है

वनों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम:

  • परिचय:  
    • UNFF एक अंतर-सरकारी नीति मंच है, यह "सभी प्रकार के वनों के प्रबंधन, संरक्षण और सतत् विकास को बढ़ावा देता है तथा इसके लिये दीर्घकालिक राजनीतिक प्रतिबद्धता को मज़बूत करता है।
    • UNFF की स्थापना वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद द्वारा की गई थी। फोरम की सार्वभौमिक सदस्यता है और यह संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य राज्यों से बना है। 
  • प्रमुख संबंधित घटनाएँ:  
    • वर्ष 1992- पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन ने “वन सिद्धांतों के साथ एजेंडा 21 को  अपनाया”। 
    • वर्ष 1995/1997- वर्ष 1995 से 2000 तक वन सिद्धांतों को लागू करने के लिये वनों पर अंतर-सरकारी पैनल (1995) और वनों पर अंतर-सरकारी फोरम (1997) की स्थापना की गई।
    • वर्ष 2000- UNFF को संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद के एक कार्यात्मक आयोग के रूप में स्थापित किया गया।
    • वर्ष 2006- UNFF वनों पर चार वैश्विक उद्देश्यों पर सहमत हुआ।
      • वनों पर चार वैश्विक उद्देश्य:
        • स्थायी वन प्रबंधन (SFM) के माध्यम से विश्व भर में वन आवरण को हो रहे नुकसान को परिवर्तित करना।
        • वन आधारित आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय लाभों को बढ़ाना।
        • स्थायी रूप से प्रबंधित वन क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण वृद्धि।
        • SFM के लिये आधिकारिक विकास सहायता में गिरावट की स्थिति में बदलाव लाना।
        • SFM के कार्यान्वयन के लिये वित्तीय संसाधनों में वृद्धि।
    • वर्ष 2007- UNFF ने सभी प्रकार के वनों (वन साधन) पर संयुक्त राष्ट्र के गैर-कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन को अपनाया।
    • वर्ष 2009- UNFF ने स्थायी वन प्रबंधन के लिये वित्तपोषण पर निर्णय लिया, जो वन वित्तपोषण में 20 साल की गिरावट की स्थिति को बदलने में देशों की सहायता करने के लिये एक सुविधाजनक प्रक्रिया के निर्माण की मांग करता है।
    • सुविधा प्रक्रिया का प्रारंभिक ध्यान छोटे द्वीपीय विकासशील राज्यों (SIDS) और कम वन आवरण वाले देशों (LFCC) पर केंद्रित है।
    • वर्ष 2011- अंतर्राष्ट्रीय वन वर्ष, "लोगों के लिये वन"।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. FAO पारंपरिक कृषि प्रणालियों को 'वैश्विक रूप से महत्त्वपूर्ण कृषि विरासत प्रणाली (Globally Important Agricultural Heritage System- GIAHS) का दर्जा प्रदान करता है। इस पहल का संपूर्ण लक्ष्य क्या है? (2016) 

  1. अभिनिर्धारित GIAHS के स्थानीय समुदायों को आधुनिक प्रौद्योगिकी, आधुनिक कृषि प्रणाली का प्रशिक्षण एवं वित्तीय सहायता प्रदान करना जिससे उनकी कृषि उत्पादकता में अत्यधिक वृद्धि हो जाए।
  2. पारितंत्र-अनुकूली परंपरागत कृषि पद्धतियाँ और उनसे संबंधित परिदृश्य (लैंडस्केप), कृषि जैवविविधता एवं स्थानीय समुदायों के ज्ञानतंत्र का अभिनिर्धारण एवं संरक्षण करना।
  3. इस प्रकार अभिनिर्धारित GIAHS के सभी भिन्न-भिन्न कृषि उत्पादों को भौगोलिक सूचक (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) का दर्जा प्रदान करना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये कौन-सा मंत्रालय नोडल एजेंसी है?  (वर्ष 2021)

(a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
(b) पंचायती राज मंत्रालय
(c) ग्रामीण विकास मंत्रालय
(d) जनजातीय मामलों का मंत्रालय

उत्तर: (d)


प्रश्न. भारत के एक विशेष राज्य में निम्नलिखित विशेषताएँ हैं: (वर्ष 2012)

  1. यह उसी अक्षांश पर स्थित है जो उत्तरी राजस्थान से होकर गुज़रती है। इसका 80% से अधिक क्षेत्र वन आच्छादित है।   
  2. इस राज्य में 12% से अधिक वन क्षेत्र संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क का गठन करता है।

निम्नलिखित में से किस राज्य में उपर्युक्त सभी विशेषताएँ हैं? 

 (a) अरुणाचल प्रदेश
 (b) असम
 (c) हिमाचल प्रदेश
 (d) उत्तराखंड

 उत्तर: (a)


प्रश्न. भारत में आधुनिक कानून की सबसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पर्यावरणीय समस्याओं का संवैधानीकरण है। सुसंगत वाद विधियों की सहायता से इस कथन की विवेचना कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2022) 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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