भारतीय राजनीति
सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 19 के दायरे का विस्तार किया
- 06 Jan 2023
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प्रिलिम्स के लिये:अनुच्छेद 19 का दायरा, सर्वोच्च न्यायालय, मौलिक अधिकार मेन्स के लिये:महत्त्वपूर्ण निर्णय, मौलिक अधिकार |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया है कि अनुच्छेद 19/21 के अंतर्गत एक मौलिक अधिकार को राज्य या उसके साधनों के अलावा अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भी लागू किया जा सकता है।
- न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अनुच्छेद 19(1)(A) के तहत गारंटीकृत भाषण और अभिव्यक्ति के अधिकार को अनुच्छेद 19(2) में पहले से निर्धारित किये गए आधारों के अलावा किसी भी अतिरिक्त आधार पर प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है।
अनुच्छेद 19:
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 में वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रावधान है और आमतौर पर राज्य के खिलाफ लागू होता है।
- भारतीय संविधान, 1949 का अनुच्छेद 19 सभी नागरिकों को स्वतंत्रता के अधिकारों की गारंटी प्रदान करता है, जो इस प्रकार हैं:
- वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार।
- शांतिपूर्वक सम्मेलन में भाग लेने की स्वतंत्रता का अधिकार।
- संगम या संघ बनाने का अधिकार।
- भारत के संपूर्ण क्षेत्र में अबाध संचरण की स्वतंत्रता का अधिकार।
- भारत के किसी भी क्षेत्र में निवास का अधिकार।
- विलोपित
- व्यवसाय आदि की स्वतंत्रता का अधिकार।
- भारतीय संविधान, 1949 का अनुच्छेद 19(2):
- खंड (1) का उपखंड (a) किसी भी मौजूदा कानून के संचालन को प्रभावित नहीं करेगा या राज्य को कोई भी कानून बनाने से नहीं रोकेगा, हालाँकि उक्त उपखंड प्रदत्त अधिकार के प्रयोग पर भारत की संप्रभुता और अखंडता के संदर्भ में उचित प्रतिबंध लगाता है जैसे- राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता, या न्यायालय की अवमानना, मानहानि या हिंसा के लिये उकसाने के संबंध में।
- भारतीय संविधान, 1949 का अनुच्छेद 19 सभी नागरिकों को स्वतंत्रता के अधिकारों की गारंटी प्रदान करता है, जो इस प्रकार हैं:
- कुछ मौलिक अधिकार जैसे- अस्पृश्यता, तस्करी और बंधुआ मज़दूरी पर रोक लगाने वाले अधिकार स्पष्ट रूप से राज्य और अन्य व्यक्तियों दोनों के खिलाफ हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का संदर्भ:
- निजी संस्थाओं के खिलाफ अधिकार:
- यह व्याख्या राज्य पर यह सुनिश्चित करने का दायित्त्व डालती है कि निजी संस्थाएँ भी संवैधानिक मानदंडों का पालन करती हैं।
- यह कई संवैधानिक कानूनी संभावनाएँ प्रदान करता है, जैसे कि निजी डॉक्टर के खिलाफ गोपनीयता के अधिकार को लागू करना या निजी सोशल मीडिया फर्म के खिलाफ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करना।
- न्यायालय के पूर्व फैसलों का संदर्भ:
- न्यायालय ने पुट्टास्वामी मामले में वर्ष 2017 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें नौ न्यायाधीशों की बेंच ने सर्वसम्मति से निजता को मौलिक अधिकार के रूप में बरकरार रखा था।
- सरकार ने तर्क दिया कि निजता एक ऐसा अधिकार है जिसे अन्य नागरिकों के खिलाफ लागू किया जा सकता है, इसलिये इसे राज्य के खिलाफ मौलिक अधिकार का दर्जा नहीं दिया जा सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण:
- न्यायालय ने अन्य देशों की कानूनी प्रणालियों को देखते हुए यूरोपीय न्यायालयों के साथ अमेरिकी दृष्टिकोण की तुलना की।
- अमेरिकी कानून में "ऊर्ध्वाधर दृष्टिकोण" से "क्षैतिज दृष्टिकोण" में बदलाव का एक उदाहरण न्यूयॉर्क टाइम्स बनाम सुलिवन मामले में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय है, जिसमें पाया गया कि न्यूयॉर्क टाइम्स के खिलाफ मानहानि कानून संबंधी राज्य का आवेदन भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की संविधान की गारंटी के साथ असंगत था।
- जब अधिकारों को ऊर्ध्वाधर (Vertically) रूप से लागू किया जाता है, तो उनका उपयोग केवल सरकार के विरुद्ध ही किया जा सकता है; क्षैतिज (Horizontally) रूप से लागू होने पर उनका उपयोग अन्य नागरिकों के विरुद्ध भी किया जा सकता है।
- उदाहरण के लिये एक नागरिक किसी निजी कंपनी के खिलाफ जीवन के अधिकार के क्षैतिज (Horizontally) आवेदन के तहत प्रदूषण उत्पन्न करने के लिये मुकदमा दायर कर सकता है, जो कि स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार का उल्लंघन होगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स:प्रश्न. भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के तहत 'निजता का अधिकार' संरक्षित है? (2021) (a) अनुच्छेद 15 उत्तर: (c) प्रश्न. निजता के अधिकार को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के आंतरिक भाग के रूप में संरक्षित किया गया है। भारत के संविधान में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा उपर्युक्त वाक्य को सही एवं उचित रूप से लागू करता है? (2018) (a) अनुच्छेद 14 और संविधान के 42वें संशोधन के तहत प्रावधान। उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. निजता के अधिकार पर सर्वोच्च न्यायालय के नवीनतम निर्णय के आलोक में मौलिक अधिकारों के दायरे की जाँच कीजिये। (2017) |