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डेली न्यूज़

  • 20 Dec, 2023
  • 57 min read
शासन व्यवस्था

दूरसंचार विधेयक 2023

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885, दूरसंचार सेवाएँ, स्पेसएक्स का स्टारलिंक, ट्राई, यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड, डिजिटल भारत निधि, प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस, भारतनेट प्रोजेक्ट, प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना, भारत 6जी एलायंस

मेन्स के लिये:

दूरसंचार विधेयक 2023, भारत में दूरसंचार क्षेत्र की स्थिति।

स्रोत: बिज़नेस लाइन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने लोकसभा में दूरसंचार विधेयक 2023 (Telecommunications Bill 2023) पेश किया। यह भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम, 1933 और टेलीग्राफ तार (गैरकानूनी कब्ज़ा) अधिनियम, 1950 को निरस्त करने का प्रयास करता है। यह भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) अधिनियम, 1997 में भी संशोधन करता है।

दूरसंचार विधेयक 2023 के प्रमुख प्रावधान क्या हैं? 

  • दूरसंचार से संबंधित गतिविधियों के लिये प्राधिकरण: दूरसंचार सेवाएँ प्रदान करने, दूरसंचार नेटवर्क स्थापित करने, संचालित करने, बनाए रखने या विस्तार करने या रेडियो उपकरण रखने के लिये केंद्र सरकार से पूर्व प्राधिकरण की आवश्यकता होगी।  
    • मौजूदा लाइसेंस उनके अनुदान की अवधि के लिये या पाँच वर्ष हेतु वैध बने रहेंगे, जहाँ अवधि निर्दिष्ट नहीं है।
  • स्पेक्ट्रम का आवंटन: निर्दिष्ट उपयोगों को छोड़कर, स्पेक्ट्रम को नीलामी द्वारा आवंटित किया जाएगा, जहाँ इसे प्रशासनिक आधार पर आवंटित किया जाएगा। इनमें राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा, आपदा प्रबंधन, मौसम पूर्वानुमान, परिवहन, DTH तथा सैटेलाइट टेलीफोनी जैसी उपग्रह सेवाएँ एवं BSNL, MTNL व सार्वजनिक प्रसारण सेवाएँ जैसे उद्देश्य शामिल हैं।
    • केंद्र सरकार किसी भी आवृत्ति रेंज का पुन: प्रयोजन या पुन:निर्धारण कर सकती है। केंद्र सरकार स्पेक्ट्रम को साझा करने, व्यापार करने, पट्टे पर देने और सरेंडर करने की भी अनुमति दे सकती है।
  • सैटेलाइट इंटरनेट आवंटन: विधेयक वनवेब (भारती द्वारा समर्थित) जैसे सैटेलाइट इंटरनेट प्रदाताओं और स्पेसएक्स के स्टारलिंक जैसी अमेरिकी-आधारित कंपनियों को स्पेक्ट्रम आवंटित करने के प्रावधान पेश करता है।
    • वर्तमान में वनवेब और जियो को सक्रिय प्राधिकरण प्रदान किये गए हैं, जिससे सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट सेवाओं का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
  • अवरोधन और खोज की शक्तियाँ: दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच संदेशों या संदेशों के एक वर्ग को कुछ आधारों पर रोका, मॉनिटर किया जा सकता है या अवरुद्ध किया जा सकता है।
    • ऐसी कार्रवाइयाँ सार्वजनिक सुरक्षा या सार्वजनिक आपातकाल के हित में आवश्यक या समीचीन होनी चाहिये और निर्दिष्ट आधारों के हित में होनी चाहिये जिनमें राज्य की सुरक्षा, अपराधों को भड़काने की रोकथाम या सार्वजनिक व्यवस्था शामिल है।
    • इसी आधार पर दूरसंचार सेवाओं को निलंबित किया जा सकता है। सरकार किसी भी सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा की स्थिति में किसी भी दूरसंचार बुनियादी ढाँचे, नेटवर्क या सेवाओं पर अस्थायी कब्ज़ा कर सकती है।
      • सरकार द्वारा अधिकृत कोई अधिकारी अनधिकृत दूरसंचार नेटवर्क या उपकरण रखने के लिये परिसरों या वाहनों की तलाशी ले सकता है।
  •  मानक निर्दिष्ट करने की शक्तियाँ: केंद्र सरकार दूरसंचार उपकरण, बुनियादी ढाँचे, नेटवर्क और सेवाओं के लिये मानक तथा मूल्यांकन निर्धारित कर सकती है।
  • मार्ग का अधिकार: सुविधा प्रदाता दूरसंचार बुनियादी ढाँचे की स्थापना के लिये सार्वजनिक या निजी संपत्ति पर रास्ते/मार्ग का अधिकार मांग सकते हैं।
    • जहाँ तक संभव हो रास्ते का अधिकार गैर-भेदभावपूर्ण और गैर-विशिष्ट आधार पर प्रदान किया जाना चाहिये।
  • उपयोगकर्त्ताओं की सुरक्षा: केंद्र सरकार उपयोगकर्त्ताओं की सुरक्षा हेतु उपाय प्रदान कर सकती है जिसमें शामिल हैं: विज्ञापन संदेश यथा निर्दिष्ट संदेश प्राप्त करने के लिये पूर्व सहमति, डू नॉट डिस्टर्ब रजिस्टरों का निर्माण और उपयोगकर्त्ताओं को मैलवेयर या निर्दिष्ट संदेशों की रिपोर्ट करने की अनुमति देने के लिये एक तंत्र।
    • स्पैम कॉल और संदेशों से निपटने हेतु दूरसंचार ग्राहकों के लिये बायोमेट्रिक प्रामाणीकरण अनिवार्य है।
    • दूरसंचार सेवाएँ प्रदान करने वाली संस्थाओं को शिकायतों के पंजीकरण और निवारण के लिये एक ऑनलाइन तंत्र स्थापित करना होगा।
  • TRAI में नियुक्तियाँ: विधेयक TRAI अधिनियम में संशोधन करता है जिससे व्यक्तियों को अध्यक्ष/चेयरपर्सन के रूप में काम करने के लिये कम-से-कम 30 वर्षों का पेशेवर अनुभव और सदस्यों के रूप में काम करने के लिये कम-से-कम 25 वर्षों के पेशेवर अनुभव की अनुमति मिलती है।
  • डिजिटल भारत निधि: यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड की स्थापना वर्ष 1885 अधिनियम के तहत वंचित क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाएँ प्रदान करने के लिये की गई है।
    • विधेयक इस प्रावधान को बरकरार रखता है, फंड का नाम बदलकर डिजिटल भारत निधि रखा गया है और अनुसंधान एवं विकास के लिये इसके उपयोग की भी अनुमति देता है।
  • OTT ऐप्स का विनियमन: इसने व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे संचार सेवा प्रदाताओं को बड़ी राहत देते हुए, दूरसंचार सेवाओं की परिभाषा से ओवर-द-टॉप (OTT) सेवाओं और ऐप्स को हटा दिया है।
    • इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय संभावित डिजिटल इंडिया अधिनियम के तहत OTT ऐप्स के विनियमन को संभालेगा, जो दूरसंचार विधेयक में शामिल नहीं है।
  • अपराध और दंड: विधेयक विभिन्न आपराधिक और नागरिक अपराधों को निर्दिष्ट करता है। प्राधिकरण के बिना दूरसंचार सेवाएँ प्रदान करना या दूरसंचार नेटवर्क या डेटा तक अनधिकृत पहुँच प्राप्त करना, तीन वर्ष तक का कारावास, दो करोड़ रुपए तक का ज़ुर्माना या दोनों के साथ दंडनीय है।
    • प्राधिकरण के नियमों और शर्तों का उल्लंघन करने पर पाँच करोड़ रुपए तक का नागरिक ज़ुर्माना लगाया जा सकता है।
    • अनधिकृत उपकरण रखने या अनधिकृत नेटवर्क या सेवा का उपयोग करने पर दस लाख रुपए तक का ज़ुर्माना हो सकता है।
  • न्यायनिर्णयन प्रक्रिया: केंद्र सरकार विधेयक के तहत नागरिक अपराधों के खिलाफ जाँच करने और आदेश पारित करने के लिये एक न्यायनिर्णयन अधिकारी नियुक्त करेगी।
    • अधिकारी संयुक्त सचिव और उससे ऊपर के पद का होना चाहिये।
    • निर्णायक अधिकारी के आदेशों के खिलाफ 30 दिनों के भीतर नामित अपील समिति के समक्ष अपील की जा सकती है।
    • नियमों और शर्तों के उल्लंघन के संबंध में समिति के आदेशों के खिलाफ दूरसंचार विवाद निपटान तथा अपीलीय न्यायाधिकरण (TDSAT) में 30 दिनों के भीतर अपील दायर की जा सकती है।
  • विश्वसनीय स्रोत व्यवस्था: संभावित रूप से प्रतिकूल देशों से दूरसंचार उपकरणों के आयात को रोकने के लिये वर्ष 2020 में भारत-चीन सीमा संघर्ष के बाद प्रारंभ में स्थापित एक उपाय अब कानून में एकीकृत कर दिया गया है।

भारत में टेलीकॉम सेक्टर की स्थिति क्या है?

  • स्थिति: 
    • भारत में दूरसंचार उद्योग अगस्त 2023 तक 1.179 बिलियन (वायरलेस + वायरलाइन उपयोगकर्त्ता) के उपयोगकर्त्ता आधार के साथ विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है।
      • यह FDI अंतर्वाह के मामले में चौथा सबसे बड़ा क्षेत्र है, जो कुल FDI अंतर्वाह में 6% का योगदान देता है।
    • भारत में कुल टेली-घनत्व 84.69% है। टेली-घनत्व प्रति 100 जनसंख्या पर टेलीफोन की संख्या को दर्शाता है तथा दूरसंचार तक पहुँच का एक प्रमुख संकेतक है।
      • प्रति वायरलेस डेटा उपयोगकर्त्ता की औसत मासिक डेटा खपत भी मार्च 2014 में 61.66 MB से बढ़कर मार्च 2023 में 17.36 GB हो गई है।
  • संबंधित सरकारी पहल:

जैव विविधता और पर्यावरण

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की कोयला रिपोर्ट- 2023

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, कोयला, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, नवीकरणीय ऊर्जा

मेन्स के लिये:

कोयले की मांग में कमी में योगदान देने वाले कारक, नवीकरणीय ऊर्जा के साथ विकास को संतुलित करने में उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिये चुनौतियाँ और अवसर

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की वार्षिक कोयला बाज़ार रिपोर्ट वैश्विक कोयला मांग के प्रक्षेप पथ में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव का पूर्वानुमान करती है, जो वर्ष 2026 तक संरचनात्मक कमी का संकेत देती है।

रिपोर्ट के मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • वैश्विक स्तर पर कोयले की मांग:
    • वैश्विक ऊर्जा संकट के बीच, कोयले की मांग वर्ष 2022 में सालाना 4% बढ़कर 8.42 बिलियन टन (Bt) हो गई, जिसने एक रिकॉर्ड बनाया।
    • एशिया ऊर्जा और गैर-ऊर्जा दोनों क्षेत्रों में कोयले की मांग में वृद्धि का प्राथमिक परिचालक बना हुआ है।
      • चीन में कोयले की मांग में 4.6% या 200 मिलियन मीट्रिक टन (Mt) की वृद्धि हुई।
      • भारत में कोयले की मांग में 9% की वृद्धि देखी गई, जो 97 मिलियन टन तक पहुँच गई।
      • इंडोनेशिया में निकेल स्मेल्टरों के कारण मांग में 32% की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो लगभग 49 मिलियन टन तक पहुँच गई।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका को कोयले की मांग में लगभग 8% की कमी का सामना करना पड़ा, जो लगभग 37 मिलियन टन थी तथा प्रमुख वैश्विक बाज़ारों में हुई महत्त्वपूर्ण गिरावट थी।
    • यूरोप ने खपत में 4.3% की वृद्धि के बावजूद अनुमान से अधिक वृद्धि प्रदर्शित की।
      • कुछ यूरोपीय देशों में जलविद्युत और परमाणु विद्युत् ऊर्जा उत्पादन में कमी हुई।
      • यूरोप में कमज़ोर अर्थव्यवस्था और साधारण सर्दी ने प्राकृतिक गैस की कीमतों में वृद्धि के प्रभाव को नियंत्रित करने में मदद की।
  • भविष्य के अनुमान और अनिश्चितताएँ:
    • वर्ष 2023 में अधिकांश उन्नतवस्थाओं में कोयले की मांग में कमी होने का अनुमान है।
    • कुल मिलाकर वर्ष 2026 में वैश्विक कोयले की खपत 2023 की तुलना में 2.3% कम होने का अनुमान है।
      • अपेक्षित कमी के बावजूद, वैश्विक कोयले की खपत वर्ष 2026 तक 8 बिलियन टन से ऊपर रहने का अनुमान है, जो कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के एक महत्त्वपूर्ण स्रोत के रूप में इसकी निरंतर भूमिका को उजागर करता है।
    • वैश्विक स्तर पर तीन सबसे बड़े कोयला उत्पादक देशों चीन, भारत और इंडोनेशिया के वर्ष 2023 में उत्पादन रिकॉर्ड से आगे निकालने की उम्मीद है, जिससे वैश्विक उत्पादन वर्ष 2023 में एक नई ऊँचाई पर पहुँच जाएगा। ये तीन देश अब विश्व के कोयला उत्पादन के 70% से अधिक के लिये ज़िम्मेदार हैं।
      • चीन और भारत में, विशेष रूप से बढ़ती कोयले की खपत ऊर्जा की मांग में प्रबल वृद्धि और कमी जलविद्युत उत्पादन से प्रेरित है।
  • कोयला माँग में कमी को प्रभावित करने वाले कारक:
    • कोयले की मांग में कमी का श्रेय नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर वैश्विक बदलाव को दिया जाता है।
    • IEA, कोयले की मांग में अपेक्षित कमी को वैश्विक जलवायु में हुए परिवर्तन से जोड़ता है उसके अनुसार अल-नीनो की स्थिति ला-नीना में संक्रमित हो रही है, जिससे संभावित रूप से जलविद्युत उत्पादन में वृद्धि हो सकती है।
    • उक्त रिपोर्ट में कम लागत वाले सौर फोटोवोल्टिक परिनियोजन में एक महत्त्वपूर्ण वृद्धि की प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला गया है, जो नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के विकास में योगदान दे रहा है।
    • परमाणु ऊर्जा उत्पादन में, विशेष रूप से चीन, भारत एवं यूरोपीय संघ में मध्यम वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे कोयला आधारित उत्पादन और प्रभावित होगा।
  • कोयला बाज़ार में चीन का प्रभुत्व:
    • चीन की कोयले की खपत वर्ष 2024 में कम होने तथा वर्ष 2026 तक स्थिर रहने की उम्मीद है।
      • जलविद्युत उत्पादन में सुधार होने की उम्मीद है, जबकि चीन में सौर PV एवं पवन से विद्युत उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।
    • चीन में आर्थिक विकास की गति तथा उसके कोयले का उपयोग अनिश्चित है क्योंकि इसमें व्यापक संरचनात्मक परिवर्तन हो रहे हैं।
    • नवीकरणीय ऊर्जा का व्यापक उपयोग करने की प्रतिबद्धताओं के बावजूद, भारत, इंडोनेशिया तथा अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को आर्थिक विकास के लिये कोयले पर निर्भर रहने की उम्मीद है।
      • UNFCCC में पार्टियों के 28वें सम्मेलन (COP28) के अनुरूप 'अनअबेटेड' कोयले के उपयोग को कम करने के प्रयासों को अंतर्राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिये आवश्यक माना जाता है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2020-2050 के बीच वैश्विक कोयला उत्सर्जन में लगभग 95% की कमी लाना है।
  • कोयला उद्योग में परिवर्तन:
    • विगत दो वर्षों में कोयले की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जिससे उपभोक्ताओं तथा उद्योग की गतिशीलता दोनों पर प्रभाव पड़ा है।
    • बढ़ती लागत के बावजूद, कोयला खनन कंपनियों ने अपनी लाभप्रद स्थिति को बनाए रखा है। इसके कारण, विविध खनन कंपनियाँ ऊर्जा संक्रमण से जुड़ी मांग में अपेक्षित वृद्धि का लाभ उठाते हुए, कोयला उद्योग से अर्जित लाभ को अन्य क्षेत्रों में पुनर्निवेशित करने में सक्षम हुई हैं।

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी क्या है?

  • परिचय:
    • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency- IEA), जिसका मुख्यालय पेरिस, फ्राँस में है, को 1970 के दशक के मध्य में हुए तेल संकट का सामना करने हेतु आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के सदस्य देशों द्वारा वर्ष 1974 में एक स्वायत्त एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया था।
    • IEA का केंद्र मुख्य रूप से ऊर्जा संबंधी नीतियाँ हैं, जिसमें आर्थिक विकास, ऊर्जा सुरक्षा तथा पर्यावरण संरक्षण शामिल हैं।
    • IEA अंतर्राष्ट्रीय तेल बाज़ार से संबंधित जानकारी प्रदान करने तथा तेल की आपूर्ति में किसी भी भौतिक व्यवधान के विरुद्ध कार्रवाई करने में भी प्रमुख भूमिका निभाता है।
  • सदस्य:
    • IEA परिवार 31 सदस्य देशों (भारत सहित) 13 सहयोगी देशों और 4 परिग्रहण देशों से बना है।
      • IEA के लिये एक उम्मीदवार देश को OECD का सदस्य देश होना चाहिये।
  • प्रमुख रिपोर्टें:

  सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. भारत सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण इंदिरा गांधी के कार्यकाल में किया गया था।
  2. वर्तमान में कोयला खंडों का आवंटन लॉटरी के आधार पर किया जाता है।
  3. भारत हाल के समय तक घरेलू आपूर्ति की कमी को पूरा करने के लिये कोयले का आयात करता था, किंतु अब भारत कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारतीय कोयले का/के अभिलक्षण है/हैं? (2013

  1. उच्च भस्म अंश
  2. निम्न सल्फर अंश
  3. निम्न भस्म संगलन तापमान

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. ‘‘जलवायु समूह (दि क्लाइमेट ग्रुप)’’ एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है जो बड़े नेटवर्क बना कर जलवायु क्रिया को प्रेरित करता है और उन्हें संचालित करता है।
  2. अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने जलवायु समूह की भागीदारी में एक वैश्विक पहल "EP100" प्रारंभ की।
  3. EP100, ऊर्जा दक्षता में नवप्रवर्तन को प्रेरित करने एवं उत्सर्जन न्यूनीकरण लक्ष्यों को प्राप्त करते हुए प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध अग्रणी कंपनियों को साथ लाता है।
  4. कुछ भारतीय कंपनियाँ EP100 की सदस्य हैं।
  5. अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ‘‘अंडर 2 कोएलिशन’’ का सचिवालय है।

उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं?

(a) 1, 2, 4 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (B)


मेन्स:

प्रश्न. "प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद विकास के लिये कोयला खनन अभी भी अपरिहार्य है"। चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2017)


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अरब सागर में अपहृत जहाज़ की भारतीय नौसेना ने की मदद

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय नौसेना, अरब सागर, समुद्री डाकू, अदन की खाड़ी, लाल सागर, संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS)

मेन्स के लिये:

समुद्री डकैती और व्यापार पर इसका प्रभाव, समुद्री डकैती का मुकाबला करने के लिये भारत की पहल और सहयोग

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में एक समुद्री घटना में, माल्टाध्वज वाला जहाज़ एमवी रुएन अरब सागर में समुद्री लुटेरों का शिकार हो गया। रणनीतिक रूप से समुद्री डकैती की आशंका वाली अदन की खाड़ी में स्थित भारतीय नौसेना ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए अपहृत जहाज़ को रोक लिया और सोमाली तट की ओर उसके प्रक्षेप पथ की बारीकी से निगरानी की।

  • यूरोपीय संघ नौसेना बल (EUNAVFOR) ऑपरेशन अटलंटा, पश्चिमी हिंद महासागर में एक समुद्री सुरक्षा अभियान, समुद्री डकैती विरोधी प्रयास में शामिल हो गया।

समुद्री डकैती क्या है?

  • परिचय:
    • वर्ष 1982 के समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCLOS) के अनुच्छेद 101 में समुद्री डकैती के कृत्यों की रूपरेखा दी गई है।
      • इन कृत्यों में खुले समुद्र में या किसी राज्य के अधिकार क्षेत्र के बाहर निजी उद्देश्यों के लिये की गई हिंसा, हिरासत या लूटपाट शामिल है।
    • ये कृत्य व्यक्तिगत लाभ के इरादे से किये जाते हैं और इसमें किसी अन्य जहाज़, उसके माल को ज़ब्त करना या उसके यात्रियों या चालक दल का अपहरण शामिल हो सकता है।
    • यह एक गंभीर समुद्रीय अपराध माना जाता है जो अंतर्राष्ट्रीय विधि तथा सम्मेलनों के अधीन आता है।
  • अत्यधिक समुद्री डकैती वाले क्षेत्र:

ऐडन की खाड़ी के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • हिंद महासागर की एक शाखा- ऐडन की खाड़ी, अरब प्रायद्वीप के दक्षिणी तट पर यमन और अफ्रीका में सोमालिया के बीच स्थित है।
    • यह दक्षिण में सोमालिया और सोकोट्रा द्वीप समूह से, उत्तर में यमन से, पूर्व में अरब सागर से तथा पश्चिम में जिबूती से घिरा है।
  • खाड़ी - लगभग 900 किलोमीटर लंबी और 500 किलोमीटर चौड़ी, फारस की खाड़ी के तेल के परिवहन के लिये एक महत्त्वपूर्ण जलमार्ग है।
    • यह खाड़ी बाब अल मांडेब जलडमरूमध्य के माध्यम से लाल सागर को अरब सागर से जोड़ती है। यह यूरोप और सुदूर पूर्व के बीच एक आवश्यक तेल परिवहन मार्ग बनाता है।
  • इसका समुद्री जीवन मात्रा और विविधता से समृद्ध है। इसकी तटरेखा में बड़े पैमाने पर मछली पकड़ने की सुविधाओं का अभाव है, लेकिन यह कई मछली पकड़ने वाले शहरों के साथ-साथ प्रमुख बंदरगाहों अदन और जिबूती को भी सहारा देती है।
  • हाल के वर्षों में समुद्री डकैती, आतंकवाद और शरणार्थी तस्करी के कारण खाड़ी ने बहुत अधिक ध्यान आकर्षित किया है।

जैव विविधता और पर्यावरण

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2024

प्रिलिम्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक- 2024, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, नवीकरणीय ऊर्जा, G20, जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना, राष्ट्रीय सौर मिशन, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC), पंचामृत, जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय अनुकूलन कोष, जलवायु परिवर्तन के प्रदर्शन मेट्रिक्स कार्य सूचकांक।

मेन्स के लिये:

CCPI 2024 से प्रमुख तथ्य, भारत में जलवायु परिवर्तन से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ।

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में जारी जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI)- 2024 में भारत ने 7वाँ स्थान हासिल किया है जो जलवायु परिवर्तन को कम करने के उद्देश्य से चल रहे वैश्विक प्रयासों में इसकी उल्लेखनीय भूमिका और योगदान को रेखांकित करता है।

CCPI- 2024 से प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं? 

  • परिचय: 
    • वर्ष 2005 से प्रतिवर्ष प्रकाशित होने वाला CCPI, देशों के जलवायु संरक्षण प्रदर्शन पर नज़र रखने के लिये एक स्वतंत्र निगरानी उपकरण है। यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जलवायु नीति में पारदर्शिता बढ़ाता है और अलग-अलग देशों के जलवायु संरक्षण प्रयासों और प्रगति की तुलना करने में सक्षम बनाता है।
    • इसे जर्मनवॉच, न्यूक्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क इंटरनेशनल द्वारा प्रकाशित किया गया है।
    • यह 63 देशों और यूरोपीय संघ के जलवायु शमन प्रयासों को इंगित करता है, जो सामूहिक रूप से वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन का 90% से अधिक के लिये जिम्मेदार हैं।
  • प्रदर्शन मेट्रिक्स: CCPI चार प्रमुख श्रेणियों में देशों का मूल्यांकन करता है: ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन (40%), नवीकरणीय ऊर्जा (20%), ऊर्जा उपयोग (20%), और जलवायु नीति (20%)
  • CCPI 2024: किसी भी देश ने सभी सूचकांक श्रेणियों में इतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया कि समग्र रूप से बहुत ऊँची रेटिंग हासिल कर सके। इसलिये पहले तीन समग्र स्थान खाली रहते हैं।
    • डेनमार्क ने चौथा स्थान हासिल किया, एस्टोनिया पाँचवें स्थान पर रहा और फिलीपींस ने शीर्ष रैंक में छठा स्थान हासिल किया।

  • CCPI 2024 में भारत की रैंकिंग: भारत ने CCPI 2023 में 8वें स्थान से आगे बढ़ते हुए CCPI 2024 में 7वाँ स्थान हासिल किया। दिलचस्प बात यह है कि पहले तीन स्थानों में देशों की अनुपस्थिति के कारण, भारत प्रभावी रूप से वैश्विक जलवायु प्रदर्शन में चौथे स्थान पर है।
    • प्रमुख श्रेणियों में भारत का स्कोर और रैंकिंग:
      • GHG उत्सर्जन और ऊर्जा उपयोग: मूल्यांकन किये गए देशों के बीच भारत GHG उत्सर्जन में 9वें और ऊर्जा उपयोग में 10वें स्थान पर है, जिसका मुख्य कारण इसकी प्रति व्यक्ति न्यून ऊर्जा उपयोग है, जो इसकी जलवायु स्थिति को मज़बूत करने वाला एक कारक है।
        • इसके अलावा, प्रति व्यक्ति GHG श्रेणी में, देश 2°C से नीचे के बेंचमार्क को पूरा करने की राह पर है।
      • जलवायु नीति: भारत ने पिछले आकलन में अपने प्रदर्शन की तुलना में मध्यम प्रगति दिखाते हुए जलवायु नीति में 10वाँ स्थान हासिल किया।
      • नवीकरणीय ऊर्जा: भारत का प्रदर्शन अधिक मध्यम दर्जे का रहा, जो 37वें स्थान पर रहा और बमुश्किल 'उच्च' प्रदर्शन श्रेणी में रहा।
        • यह स्थिति CCPI 2023 में 24वें स्थान से गिरावट को दर्शाती है।
  • वैश्विक संदर्भ तथा तुलनात्मक विश्लेषण:
    • वैश्विक रुझान: CCPI रिपोर्ट ने एक चिंताजनक रुझानों पर प्रकाश डाला है जिसके अनुसार डीकार्बोनाइज़ेशन की तात्कालिकता के बावजूद वर्ष 2022 में GHG के वैश्विक उत्सर्जन में वृद्धि हुई है तथा वायुमंडल में CO2 का स्तर पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में 50% अधिक बढ़ गया है।
    • G20-प्रदर्शन: भारत (7वें), जर्मनी (14वें) तथा EU (16वें) स्थान के साथ, केवल तीन G20 देश/क्षेत्र ही CCPI 2024 में उच्च प्रदर्शन करने वालों में से हैं।
      • G20 सदस्य विश्व के 75% से अधिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिये ज़िम्मेदार हैं।
    • विकसित देश: विशेष रूप से यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, इटली इत्यादि सहित कई विकसित देशों ने CCPI 2023 की तुलना में खराब प्रदर्शन दिखाया जो जलवायु परिवर्तन का सामना करने में पर्याप्त प्रगति की कमी को दर्शाता है।

नोट: इस रिपोर्ट में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के प्रयासों के बावजूद, अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये तेल, गैस एवं कोयला पर भारत की निर्भरता पर भी ज़ोर दिया गया है। यह निर्भरता शहरों में GHG उत्सर्जन व गंभीर वायु प्रदूषण में प्रमुख योगदान देती है।

भारत में जलवायु परिवर्तन से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • जल की कमी: वर्षा के बदलते पैटर्न तथा पिघलते ग्लेशियरों से भारत की जल सुरक्षा को खतरा है। नीति आयोग के अनुसार, सबसे सटीक अनुमान से संकेत मिलता है कि वर्ष 2030 तक भारत की जल की मांग इसकी आपूर्ति से दो गुना अधिक हो जाएगी।
  • कृषि सुभेद्यता: जलवायु परिवर्तन फसल पैटर्न को प्रभावित करता है, जिससे पैदावार कम होती है तथा खाद्य सुरक्षा प्रभावित होती है। ताप में बढ़ोतरी तथा बाढ़ व सूखे जैसी खराब मौसम की घटनाओं से कृषि बाधित होती है।
    • वर्ष 2019 के एक अध्ययन के अनुसार खराब मौसम की घटनाओं के कारण भारत की वार्षिक फसल का नुकसान भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.25% है।
  • समुद्र का बढ़ता स्तर: मुंबई तथा कोलकाता जैसे प्रमुख शहरों सहित तटीय क्षेत्रों को समुद्र के बढ़ते स्तर के खतरे का सामना करना पड़ रहा है। यह बुनियादी ढाँचे, आवास एवं लाखों लोगों की आजीविका को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
    • ऐसा अनुमान है कि समुद्र के बढ़ते स्तर के परिणामस्वरुप होने वाले कटाव के कारण भारत में वर्ष 2050 तक लगभग 1,500 वर्ग किलोमीटर की भूमि का ह्रास हो सकता है।
  • वायु प्रदूषण: भारत, मुख्य रूप से वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक प्रदूषण तथा फसल अवशेष जलाने के कारण चिंताजनक वायु गुणवत्ता की समस्याओं का सामना कर रहा है तथा जलवायु में हो रहे परिवर्तन इस समस्या को और बढ़ा रहें है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव पड़ रहा है।
    • वर्ष 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की औसत PM2.5 सांद्रता 53.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (μg/m3) थी। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अनुशंसित वार्षिक दिशानिर्देश स्तर 5 μg/m3 से 10 गुना से अधिक है।
  • शहरी ताप द्वीप प्रभाव: इसके कारण शहरों में ताप बढ़ता है, जिससे लू की आवृत्ति तथा तीव्रता में वृद्धि होती है। इससे विशेषकर घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में रहने वाली सुभेद्य आबादी के बीच गर्मी से संबंधित व्याधियों एवं मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
    • वर्ष 2021 में, नई दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई शहर गर्मी के जोखिम के लिये शीर्ष 10 शहरों में थे।

जलवायु परिवर्तन शमन के लिये भारत सरकार की पहल क्या हैं?

आगे की राह

  • जलवायु-लचीला फसल किस्म: जलवायु पैटर्न में बदलाव के बावजूद खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए, चरम मौसम की स्थिति का सामना करने के लिये आनुवंशिक रूप से संशोधित या चुनिंदा रूप से नस्ल की गई जलवायु-लचीली फसल किस्मों के अनुसंधान और विकास में निवेश करना।
  • शहरी क्षेत्रों में ऊर्ध्वाधर वन: शहरी ताप द्वीप प्रभाव को कम करते हुए हरित आवरण और जैव विविधता को बढ़ाने के लिए शहरी स्थानों के भीतर ऊर्ध्वाधर वनों का निर्माण करना। इन संरचनाओं में इमारत के बाहरी हिस्से में कई स्तरों की वनस्पति शामिल है, जो पारिस्थितिक लाभ प्रदान करती है और वायु गुणवत्ता में सुधार करती है।
  • फ्लोटिंग सोलर फार्म: नवीकरणीय ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए झीलों और जलाशयों जैसे जल निकायों पर तैरते सौर फार्म बनाना। यह अभिनव दृष्टिकोण भूमि उपयोग को अनुकूलित करता है, पानी की सतहों से वाष्पीकरण को कम करता है और स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन करता है।
  • समुदाय-आधारित जलवायु बीमा:  समुदाय-संचालित जलवायु बीमा योजनाओं को लागू करना जिसमें स्थानीय समुदायों को जोखिम-साझाकरण और जलवायु अनुकूलन रणनीतियों में शामिल किया जाए। इससे कमजोर आबादी को जलवायु संबंधी आपदाओं से उबरने में मदद मिलती है।
  • कार्बन क्रेडिट के लिये ब्लॉकचेन: पारदर्शी और कुशल कार्बन क्रेडिट सिस्टम बनाने हेतु ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करना। यह कार्बन क्रेडिट की सटीक ट्रैकिंग और व्यापार को सक्षम करेगा, व्यवसायों और व्यक्तियों को उत्सर्जन कटौती परियोजनाओं में निवेश करने के लिये प्रोत्साहित करेगा।
  • कार्बन कैप्चर के लिये समुद्री शैवाल की खेती: कार्बन पृथक्करण की एक विधि के रूप में सीवीड की खेती को प्रोत्साहित करना।  समुद्री शैवाल वृद्धि के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करते हुए विभिन्न उद्देश्यों हेतु काटा जा सकता है।
  • जलवायु-स्मार्ट परिवहन को प्रोत्साहित करना: जलवायु-स्मार्ट परिवहन को बढ़ावा देने हेतु प्रोत्साहन-आधारित कार्यक्रमों को लागू करना, जैसे कि इलेक्ट्रिक वाहनों, साइकिलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर या कारपूलिंग पहल के लिये कर लाभ या सब्सिडी की पेशकश करना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न.जलवायु-अनुकूल कृषि (क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर) के लिये भारत की तैयारी के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-  (2021)

  1. भारत में ‘जलवायु-स्मार्ट ग्राम (क्लाइमेट-स्मार्ट विलेज)’ दृष्टिकोण, अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान कार्यक्रम-जलवायु परिवर्तन, कृषि एवं खाद्य सुरक्षा (सी.सी.ए.एफ.एस.) द्वारा संचालित परियोजना का एक भाग है।
  2.  सी.सी.ए.एफ.एस. परियोजना, अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान हेतु परामर्शदात्री समूह (सी.जी.आई.ए.आर.) के अधीन संचालित किया जाता है, जिसका मुख्यालय प्राँस में है।
  3.  भारत में स्थित अंतर्राष्ट्रीय अर्धशुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (आई.सी.आर.आई.एस.ए.टी.), सी.जी.आई.ए.आर. के अनुसंधान केंद्रों में से एक है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2            
(b)  केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत सरकार के 'हरित भारत मिशन' के उद्देश्य को सर्वोत्तम रूप से वर्णित करता है/हैं? (2016)

1- पर्यावरणीय लाभों एवं लागतों को केंद्र एवं राज्य के बजट में सम्मिलित करते हुए तद्द्वारा 'हरित लेखाकरण (ग्रीन अकाउंटिंग)' को अमल में लाना।
2- कृषि उत्पाद के संवर्धन हेतु द्वितीय हरित क्रांति आरंभ करना जिससे भविष्य में सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो।
3- वन आच्छादन की पुनप्राप्ति और संवर्धन करना तथा अनुकूलन एवं न्यनीकरण के संयुक्त उपायों से जलवायु परिवर्तन का प्रत्युतर देना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


प्रश्न.‘भूमंडलीय जलवायु परिवर्तन संधि (ग्लोबल क्लाइमेट, चेंज एलाएन्स)’ के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)

1- यह यूरोपीय संघ की पहल है।
2- यह लक्ष्याधीन विकासशील देशों को उनकी विकास नीतियों और बजटों में जलवायु परिवर्तन के एकीकरण हेतु तकनीकी एवं वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
3- इसका समन्वय विश्व संसाधन संस्थान (WRI) और धारणीय विकास हेतु विश्व व्यापार परिषद् (WBCSD) द्वारा किया जाता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


मेन्स 

Q.1 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के सी.ओ.पी. के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गईं वचनबद्धताएँ क्या हैं? (2021)

प्रश्न.2 'जलवायु परिवर्तन' एक वैश्विक समस्या है। जलवायु परिवर्तन से भारत किस प्रकार प्रभावित होगा? जलवायु परिवर्तन के द्वारा भारत के हिमालयी और समुद्रतटीय राज्य किस प्रकार प्रभावित होंगे? (2017)


जैव विविधता और पर्यावरण

ग्रीनवाॅशिंग

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रीनवॉशिंग, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), कार्बन क्रेडिट

मेन्स के लिये:

ग्रीनवॉशिंग और इसकी चुनौतियाँ, कार्बन बाज़ार पर ग्रीनवॉशिंग का प्रभाव

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

यूनाइटेड किंगडम के विज्ञापन मानक प्राधिकरण (ASA) द्वारा एयर फ्राँस, लुफ्थांसा तथा एतिहाद के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगा दिया है।

  • अमुक एयरलाइनों पर 'ग्रीनवाॅशिंग' करने का आरोप है क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर अपनी उड़ानों की संधारणीयता का झूठा दावा करके अपने हवाई यात्रा के पर्यावरणीय प्रभाव का कम आंकलन कर उपभोक्ताओं को भ्रमित किया है।

ग्रीनवॉशिंग क्या है?

  • परिचय:
    • ग्रीनवॉशिंग शब्द का प्रयोग पहली बार वर्ष 1986 में एक अमेरिकी पर्यावरणविद् तथा शोधकर्त्ता  जे वेस्टरवेल्ड द्वारा किया गया था।
    • ग्रीनवॉशिंग एक भ्रामक प्रयास है जिसमें कंपनियाँ अथवा सरकारें जलवायु परिवर्तन को कम करने पर अपने कार्यों तथा उनके प्रभाव को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करने हेतु अमूमन भ्रामक जानकारी प्रदान करती हैं अथवा अप्रमाणित दावे करती हैं।
      • यह पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों की बढ़ती मांग से लाभ अर्जित करने का एक प्रयास है।
    • यह अत्यधिक व्यापक है तथा संस्थाएँ अमूमन विभिन्न गतिविधियों को बिना सत्यापन योग्य साक्ष्य के जलवायु-अनुकूल के रूप में लेबल करती हैं जो जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध वास्तविक प्रयासों को कमज़ोर करती हैं।
  • ग्रीनवॉशिंग के उदाहरण:
    • वोक्सवैगन घटना में ग्रीनवॉशिंग हुई, जब यह पता चला कि जर्मन वाहन निर्माता ने अपनी कथित पर्यावरण के अनुकूल डीज़ल कारों के उत्सर्ज़न परीक्षणों में धोखाधड़ी की थी।
      • कोका-कोला तथा तेल दिग्गज़ बी.पी. और शेल जैसी कई अन्य वैश्विक कंपनियों पर भी ग्रीनवॉशिंग का आरोप लगाया गया है।
  •  चिंताएँ:
    • यह पर्यावरणीय पहलों के बारे में भ्रामक या अतिरंजित जानकारी प्रस्तुत करके जलवायु लक्ष्यों की प्रामाणिकता को कम करने का जोखिम उत्पन्न करता है।
    • ग्रीनवॉशिंग में संलग्न संस्थाओं को गैर-ज़िम्मेदाराना व्यवहार के लिये पुरस्कृत करते हुए अनुचित मान्यता या लाभ प्राप्त हो सकता है।
      • ग्रीनवॉशिंग एक असमान प्रतिस्पर्द्धा की स्थिति बनाकर बाज़ारों को विकृत कर सकता है, जहाँ भ्रामक प्रथाओं में संलग्न संस्थाएँ वास्तविक पर्यावरण मानकों का पालन करने वालों पर अनुचित लाभ प्राप्त करती हैं।
    • पर्यावरणीय दावों के लिये व्यापक नियमों और मानकों की अनुपस्थिति ग्रीनवॉशिंग को पर्याप्त जाँच के बिना जारी रखने की अनुमति देती है।
    • ग्रीनवॉशिंग की प्रथा कार्बन क्रेडिट प्रणालियों की अखंडता के लिये चुनौतियाँ पेश करती है, विशेष रूप से अनौपचारिक बाज़ारों में, जहाँ अनौपचारिक संस्थाओं द्वारा क्रेडिट स्रोतों और प्रमाणन का विस्तार पारदर्शिता एवं विश्वसनीयता के बारे में चिंताएँ उत्पन्न करता है।
      • एक कार्बन क्रेडिट वायुमंडल से निष्कासित किये गए 1 मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड या समकक्ष ग्रीनहाउस गैसों के तुल्य होता है।
      • क्योटो प्रोटोकॉल ने कार्बन क्रेडिट की अवधारणा पेश की। इसमें, जो देश या कंपनियाँ उत्सर्जन कटौती के अधिदेशों से आगे बढ़ जाती हैं, उन्हें कार्बन क्रेडिट से पुरस्कृत किया जाता है।
  • ग्रीनवॉशिंग से संबंधित वैश्विक पहल:
    • UNFCCC में पार्टियों के 27वें सम्मेलन (COP27) में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने ग्रीनवॉशिंग के प्रति शून्य सहिष्णुता की घोषणा की है और निजी निगमों से अपनी प्रथाओं में सुधार करने का आग्रह किया है।
    • यूरोपीय संघ ने अक्तूबर 2023 में ग्रीनवॉशिंग से निपटने के लिये विश्व के पहले ग्रीन बॉण्ड मानकों को मंज़ूरी दी।
      • "यूरोपीय ग्रीन बॉन्ड" लेबल पारदर्शिता को अनिवार्य करता है, 85% धनराशि को यूरोपीय संघ की स्थायी गतिविधियों के लिये निर्देशित करता है। इस कानून का उद्देश्य यूरोपीय संघ के जलवायु तटस्थता परिवर्तन का समर्थन करना है।
  • भारत में ग्रीनवॉशिंग से संबंधित कानून:
    • भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत ग्रीनवॉशिंग को एक अनुचित व्यापार अभ्यास के रूप में नामित किया गया है। अधिनियम ऐसे भ्रामक दावों पर रोक लगाता है और इन भ्रामक प्रथाओं से प्रतिकूल रूप से प्रभावित उपभोक्ताओं के लिये दंड एवं उपायों की रूपरेखा तैयार करता है।
    • फरवरी 2023 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने तथा ग्रीनवॉशिंग से बचने के लिये हरित ऋण प्रतिभूतियों के जारीकर्त्ताओं हेतु दिशा-निर्देश जारी किये।
      • दिशा-निर्देशों का उद्देश्य निवेशकों की सुरक्षा करना, प्रतिभूति बाज़ार के विकास को बढ़ावा देना और इसे विनियमित करना है।
    • भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) विज्ञापन प्रथाओं की निगरानी में एक नियामक भूमिका निभाती है और ग्रीनवॉशिंग के आरोपों पर कुछ अधिकार क्षेत्र रखती है।
      • ASCI, भारत में एक स्वैच्छिक स्व-नियामक संगठन, यह सुनिश्चित करता है कि विज्ञापन कानूनी, ईमानदार और निष्पक्ष हों, उपभोक्ता हितों की रक्षा करें तथा निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा दें।

आगे की राह

  • कंपनियों को उनके पर्यावरणीय कार्यों और निष्क्रियताओं के लिये जवाबदेह ठहराया जाए। उपभोक्ताओं को मांग करनी चाहिये कि कंपनियों को अपनी पर्यावरण नीतियों और प्रथाओं के साथ-साथ अपनी प्रगति एवं चुनौतियों का भी खुलासा करना चाहिये
  • उन हरित व्यवसायों और परियोजनाओं को प्रोत्साहित किया जाए, जिनके पास सामाजिक ज़िम्मेदारी और पर्यावरणीय प्रदर्शन का बेहतर ट्रैक रिकॉर्ड हो
  • पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये पर्यावरणीय दावों के लिये व्यापक नियम और मानक लागू किये जाए।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में कौन-सा एक ‘‘ग्रीनवाशिंग’’ शब्द का सर्वोत्तम वर्णन है? (2022)

(a) मिथ्या रूप से यह प्रभाव व्यक्त करना कि कंपनी के उत्पाद पारिस्थितिक-अनुकूली (ईको-फ्रेंडली) और पर्यावरणीय रूप से उपयुक्त हैं
(b) किसी देश के वार्षिक वित्तीय विवरणों में पारिस्थितिक/पर्यावरणीय लागतों को शामिल नहीं करना
(c) आधारिक संरचना विकसित करते समय अनर्थकारी पारिस्थितिक दुष्परिणामों की उपेक्षा करना
(d) किसी सरकारी परियोजना/कार्यक्रम में पर्यावरणीय लागतों के लिए अनिवार्य उपबंध करना

उत्तर: (a)


प्रश्न. "कार्बन क्रेडिट" के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है? (2011)

(a) कार्बन क्रेडिट प्रणाली क्योतो प्रोटोकोल के संयोजन में सम्पुष्ट की गई थी।
(b) कार्बन क्रेडिट उन देशों या समूहों को प्रदत्त की जाती है जो ग्रीन-हाउस गैसों का उत्सर्ज़न घटाकर उसे उत्सर्ज़न अभ्यंश के नीचे ला चुके होते हैं
(c) कार्बन क्रेडिट का लक्ष्य कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में हो रही वृद्धि पर अंकुश लगाना है
(d) कार्बन क्रेडिट का क्रय-विक्रय संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के द्वारा समय-समय पर नियत मूल्यों के आधार पर किया जाता है।

उत्तर: (d)


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