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OTT प्लेटफॉर्म्स

  • 30 Aug 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

OTT प्लेटफॉर्म, सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया नैतिकता संहिता) नियम 2021

मेन्स के लिये:

OTT प्लेटफॉर्म्स का बढ़ता महत्त्व और इसके निहितार्थ।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में SBI रिसर्च द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें कहा गया कि ओवर द टॉप (Over The Top- OTT) बाज़ार वर्ष 2023 तक 12,000 करोड़ रुपए का उद्योग बनने के लिये तैयार है, जो वर्ष 2018 में 2,590 करोड़ रुपए था।

प्रमुख बिंदु

  • संबंधित आँकड़े:
    • OTT बाज़ार वर्ष 2018 में 2,590 करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2023 तक 36% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि के साथ 11,944 करोड़ रुपए तक पहुँचने की उम्मीद है।
    • OTT ने पहले ही मनोरंजन उद्योग की हिस्सेदारी और राजस्व का 7-9% हिस्सा रखता है, और लगातार 40 से अधिक अभिकर्त्ताओं के साथ लगातार बढ़ रहा है और सभी भाषाओं में मूल मीडिया सामग्री प्रस्तुत कर रहा है।
    • देश में आज 45 करोड़ से अधिक OTT ग्राहक हैं और इसके वर्ष 2023 के अंत तक 50 करोड़ तक पहुँचने की उम्मीद है।
    • पे-पर-व्यू सेगमेंट (टेलीविजन देखने की प्रणाली जिसमें लोग अपने द्वारा देखे जाने वाले विशेष कार्यक्रमों के लिये भुगतान करते हैं) वर्ष 2018 में 3.5 करोड़ रुपए था और वर्ष 2022 में 8.9 करोड़ रुपए और 2027 में 11.7 करोड़ रुपए तक छूने की राह पर है।
      • इस अवधि के दौरान वीडियो डाउनलोड क्रमशः 4.2 करोड़ और 7.7 करोड़, 8.6 करोड़, जबकि वीडियो स्ट्रीमिंग क्रमशः 1.9 करोड़, 6.8 करोड़ और 10.8 करोड़ होने की उम्मीद है।
  • वृद्धि के कारण:
    • यह मज़बूत वृद्धि सस्ती हाई-स्पीड मोबाइल इंटरनेट, इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं के दोगुने होने, डिजिटल भुगतानों को अपनाने में वृद्धि और वैश्विक अभिकर्त्ताओं द्वारा दी जाने वाली रियायती कीमतों के कारण है।
    • कोविड के कारण लॉकडाउन जिसने सिनेमाघरों को पूरी तरह से बंद कर दिया।
  • निहितार्थ:
    • इससे वीडियो कैसेट रिकॉर्डर/ वीडियो कैसेट प्लेयर्स/ डिजिटल वीडियो डिस्क (VCR/VCP/DVD) उद्योगों के अप्रचलित होने की पुनरावृत्ति हो सकती है, जो 1980 के दशक में मेट्रो/शहरी क्षेत्रों में तथा 2000 के दशक की शुरुआत से मल्टीप्लेक्स/सिनेमाघरों की संख्या बढ़ने के साथ तेज़ी से बढ़ा।
      • 1980 के दशक में VCR/VCP के प्रचलन में वृद्धि देखी गई, जिसने पहली बार फिल्म देखने के पारंपरिक तरीकों को चुनौती दी।
    • OTT के बढ़ने से सिनेमाघरों के लाभ पर प्रभाव पड़ने की आशंका है क्योंकि 50% से ज़्यादा लोग महीने में 5 घंटे से ज्यादा OTT का इस्तेमाल करते हैं।
    • यह उम्मीद की जाती है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और फिटनेस में OTT प्लेटफॉर्म के विस्तार से इसके भविष्य को भी मज़बूती मिलेगी।
    • इसने सामग्री निर्माताओं के लिये नए मार्ग खोल दिये हैं, और दर्शकों के लिये यह केवल मनोरंजन ही नहीं बल्कि सामाजिक मुद्दों पर जागरूक होने का माध्यम भी बन गया है।

ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म:

  • प्रायः ओटीटी (OTT) या ओवर-द-टॉप प्लेटफॉर्म का प्रयोग ऑडियो और वीडियो होस्टिंग तथा स्ट्रीमिंग सेवा प्रदाता के रूप में किया जाता है, जिनकी शुरुआत तो असल में कंटेंट होस्टिंग प्लेटफॉर्म के रूप में हुई थी, किंतु वर्तमान में ये स्वयं ही शॉर्ट फिल्म, फीचर फिल्म, वृत्तचित्रों और वेब-फिल्म का निर्माण कर रहे हैं।
  • ये प्लेटफॉर्म उपयोगकर्त्ताओं को व्यापक कंटेंट प्रदान करने साथ-साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का इस्तेमाल करते हुए उन्हें कंटेंट के संबंध में सुझाव भी प्रदान करते हैं।
  • अधिकांश OTT प्लेटफॉर्म आम तौर पर कुछ सामग्री निःशुल्क उपलब्ध कराते हैं और प्रीमियम सामग्री के लिये मासिक सदस्यता शुल्क लेते हैं जो आमतौर पर कहीं और उपलब्ध नहीं होता है।
  • प्रीमियम सामग्री का आमतौर पर OTT प्लेटफॉर्म द्वारा स्वयं निर्माण और विपणन किया जाता है, प्रोडक्शन हाउस के सहयोग से इन्होंने कई फीचर फिल्मों का निर्माण किया है।
  • उदाहरण: नेटफ्लिक्स, डिज़नी+, हुलु, अमेज़ॅन प्राइम वीडियो, हुलु, पीकॉक, क्यूरियोसिटी स्ट्रीम, प्लूटो टीवी आदि।

OTT प्लेटफार्मों को विनियमित करने वाले कानून: 

  • सरकार ने OTT प्लेटफार्मों को विनियमित करने के लिये फरवरी 2022 में सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया नैतिकता संहिता) नियम वर्ष 2021 को अधिसूचित किया था।
  • यह नियम OTT प्लेटफॉर्म के लिये आचार संहिता और त्रि-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र के साथ एक सॉफ्ट-टच स्व-नियामक आर्किटेक्चर स्थापित करते हैं।
    • प्रत्येक प्रकाशक को 15 दिनों के भीतर शिकायतें प्राप्त करने और उनके निवारण के लिये भारत में स्थित एक शिकायत अधिकारी नियुक्त करना चाहिये
    • साथ ही, प्रत्येक प्रकाशक को एक स्व-नियामक निकाय का सदस्य बनने की आवश्यकता है। ऐसे निकाय को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में पंजीकरण कराना होगा और उन शिकायतों का समाधान करना होगा जिनका समाधान प्रकाशक द्वारा 15 दिनों के भीतर नहीं किया गया है।
    • सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा गठित अंतर-विभागीय समिति त्रि-स्तरीय निगरानी तंत्र का गठन करती है।
  • यह कानून केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की भागीदारी के बिना सामग्री के स्व-वर्गीकरण का प्रावधान करते हैं।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)

प्रश्न. COVID-19 महामारी ने पूरे विश्व में अभूतपूर्व तबाही मचाई है। हालाँकि, संकट से उभरने के लिये  तकनीकी प्रगति का लाभ उठाया जा रहा है। महामारी के प्रबंधन में सहायता के लिये प्रौद्योगिकी की क्या ज़रुरत पड़ी, इसका विवरण दीजिये। (2020)

स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स

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