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जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक

  • 23 Nov 2022
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

भारत जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (Climate Change Performance Index -CCPI) 2023 में 8वें स्थान पर है।

  • वर्ष 2022 के CCPI में भारत का रैंक 10वाँ था।

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक:

  • परिचय:
    • प्रकाशन:
      • यह जर्मनवॉच, न्यू क्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क द्वारा वर्ष 2005 से वार्षिक आधार पर प्रकाशित किया जाता है।
    • विस्तार क्षेत्र:
      • यह 57 देशों और यूरोपीय संघ के जलवायु संरक्षण संबंधी उपायों के प्रदर्शन पर नज़र रखने के लिये एक स्वतंत्र निगरानी उपकरण के तौर पर कार्य करता है।
        • इसके तहत शामिल सभी देश संयुक्त तौर पर 92 प्रतिशत से अधिक ग्रीन हाउस गैस (GHG) का उत्सर्जन करते हैं।
    • लक्ष्य:
      • इसका लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय जलवायु राजनीति में पारदर्शिता को बढ़ावा देना और अलग-अलग देशों द्वारा जलवायु संरक्षण की दिशा में किये गए प्रयासों एवं प्रगति के बीच तुलना करने में सक्षम बनाना है।
    • मानदंड:
      • यह सूचकांक चार श्रेणियों के अंतर्गत 14 संकेतकों पर देशों के समग्र प्रदर्शन के आधार पर जारी किया जाता है। GHG उत्सर्जन (समग्र स्कोर का 40%), नवीकरणीय ऊर्जा (20%), ऊर्जा उपयोग (20%), और जलवायु नीति (20%)।
  • जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2023:
    • कुल प्रदर्शन (देशों के संदर्भ में):
      • किसी भी देश द्वारा बेहतर प्रदर्शन नहीं करने के कारण किसी भी देश को समग्र उच्च रेटिंग प्राप्त नहीं हुई।
        • इसीलिये शीर्ष तीन स्थान (समग्र प्रदर्शन वाले) खाली रहते हैं
      • डेनमार्क, स्वीडन, चिली और मोरक्को केवल चार छोटे देश थे जो क्रमशः भारत से ऊपर चौथे, पाँचवें, छठे और सातवें स्थान पर थे।
      • G-20 देशों में भारत शीर्ष 10 में स्थान बनाने वाला एकमात्र देश है।
      • यूनाइटेड किंगडम CCPI 2023 में 11वें स्थान पर रहा।
      • चीन CCPI 2023 में 51वें स्थान पर रहा है और बहुत कम रेटिंग मिली है।
      • संयुक्त राज्य अमेरिका (US) तीन पायदान चढ़कर 52वें स्थान पर पहुँच गया है जो अभी भी कुल मिलाकर बहुत कम रेटिंग है।
      • इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान 63वें स्थान पर है, अतः CCPI 2023 में अंतिम स्थान पर रखा गया है।
    • भारत की स्थिति:
      • प्रदर्शन:
        • भारत को विश्व के शीर्ष 5 देशों में एवं जी-20 देशों में सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है।
        • सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत की रैंकिंग सबसे अच्छी है।
        • जलवायु नीति और नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से भारत ने GHG उत्सर्जन एवं ऊर्जा उपयोग श्रेणियों में उच्च रेटिंग अर्जित की है।
        • भारत अपने 2030 उत्सर्जन लक्ष्यों (2 डिग्री सेल्सियस से नीचे के परिदृश्य के साथ तारतम्य रखते हुए) को पूरा करने के लिये सही राह पर है।
          • हालाँकि नवीकरणीय ऊर्जा कीदिशा 2030 लक्ष्य के लिये ट्रैक पर नहीं है।
      • चिंताएँ:
        • पिछले CCI के बाद से भारत ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) को अपडेट किया है और वर्ष 2070 के लिये शुद्ध शून्य लक्ष्य की घोषणा की है। हालाँकि लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये रोडमैप और ठोस कार्य योजनाएँ नहीं हैं।
        • भारत उन नौ देशों में से एक है जो वैश्विक कोयला उत्पादन के 90% के लिये ज़िम्मेदार है। यह 2030 तक अपने गैस और तेल उत्पादन को 5% से अधिक बढ़ाने की भी योजना बना रहा है।
        • यह 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य के साथ असंगत है।
      • सुझाव:
        • विशेषज्ञों ने एक न्यायोचित और समावेशी ऊर्जा परिवर्तन के साथ-साथ विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा और रूफटॉप फोटोवोल्टिक के लिये क्षमताओं की आवश्यकता पर ज़ोर देने का सुझाव दिया।
        • एक कार्बन मूल्य निर्धारण तंत्र, उप-राष्ट्रीय स्तर पर अधिक क्षमताओं की आवश्यकता और लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये ठोस कार्य योजनाएँ प्रमुख मांगें हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

 प्रश्न: 'अभीष्ट राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान' शब्द को कभी-कभी समाचारों में किस संदर्भ में देखा जाता है? (2016)

(a) युद्ध-प्रभावित मध्य-पूर्व के शरणार्थियों के पुनर्वास के लिये यूरोपीय देशों द्वारा दिये गए वचन
(b) जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्य-योजना
(c) एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक की स्थापना करने को सदस्य राष्ट्रों द्वारा किया गया पूंजी योगदान
(d) धारणीय विकास लक्ष्यों के बारे में विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्य-योजना

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • ‘'अभीष्ट राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान', UNFCCC के तहत पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले सभी देशों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने के लिये व्यक्त की गई प्रतिबद्धता को बताता है।
  • CoP-21 में दुनिया भर के देशों ने सार्वजनिक रूप से उन कार्रवाइयों की रूपरेखा तैयार की, जिन्हें वे अंतर्राष्ट्रीय समझौते के अंतर्गत क्रियान्वित करना चाहते थे। राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान पेरिस समझौते के दीर्घकालिक लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है जो "वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिये तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयासों को बढ़ावा देता है और इस शताब्दी के उत्तरार्द्ध में नेट ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करता है।" अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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