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जैव विविधता और पर्यावरण

ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम

  • 17 Oct 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम, LiFE अभियान, कार्बन क्रेडिट, क्योटो प्रोटोकॉल, सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड, ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर

मेन्स के लिये:

ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम के तहत कवर की गई गतिविधियाँ, ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम से संबंधित चिंताएँ

स्रोत: द हिंदू-बिज़नेस लाइन

चर्चा में क्यों? 

सरकार ने हाल ही में एक नवीन और स्वैच्छिक ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम का शुभारंभ किया जो व्यक्तियों और संस्थाओं को उनके सकारात्मक पर्यावरणीय योगदान के लिये पुरस्कृत तथा प्रोत्साहित करने हेतु डिज़ाइन किया गया है।

  • इसके प्रतिभागी पर्यावरणीय धारणीयता को बढ़ावा देने वाली विभिन्न गतिविधियों के लिये ग्रीन क्रेडिट अर्जित कर सकते हैं।

ग्रीन क्रेडिट: 

  • परिचय: 
    • ग्रीन क्रेडिट, पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाली गतिविधियों में संलग्न व्यक्तियों और संस्थाओं को प्रदान की जाने वाली प्रोत्साहन की एक इकाई को संदर्भित करता है।
      • यह पर्यावरण संरक्षण और सतत् प्रथाओं में योगदान देने के लिये विभिन्न हितधारकों को प्रोत्साहित करने हेतु सरकार द्वारा शुरू किया गया एक स्वैच्छिक कार्यक्रम है।
    • यह कार्यक्रम व्यापक 'LiFE' अभियान (पर्यावरण के लिये जीवनशैली) का हिस्सा है और यह स्वैच्छिक पर्यावरण-अनुकूल कार्यों को प्रोत्साहित एवं पुरस्कृत करता है।
  • शामिल गतिविधियाँ: 
    • ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम में पर्यावरणीय धारणीयता को बढ़ाने के उद्देश्य से आठ प्रमुख प्रकार की गतिविधियाँ शामिल हैं:
      • वृक्षारोपण: हरित आवरण में वृद्धि करने और वनोन्मूलन की समस्या का निपटान करने के लिये पेड़ लगाना।
      • जल प्रबंधन: जल संसाधनों के कुशलतापूर्वक प्रबंधन और संरक्षण के लिये रणनीतियों को लागू करना।
      • सतत् कृषि: पर्यावरण-अनुकूल और धारणीय कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना।
      • अपशिष्ट प्रबंधन: पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिये प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली लागू करना।
      • वायु प्रदूषण में कमी लाना: इस पहल का उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना तथा वायु गुणवत्ता में सुधार करना है।
      • मैंग्रोव संरक्षण और पुनर्स्थापना: पारिस्थितिक संतुलन के लिये मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा और पुनर्स्थापना।
  • ग्रीन क्रेडिट अर्निंग और गणना:
    • ग्रीन क्रेडिट अर्जित करने के लिये प्रतिभागियों को एक समर्पित वेबसाइट के माध्यम से अपनी पर्यावरणीय गतिविधियों को पंजीकृत करना होगा। इसके बाद ये गतिविधियाँ एक नामित एजेंसी द्वारा सत्यापन के अधीन होंगी।
      • एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर प्रशासक आवेदक को ग्रीन क्रेडिट का प्रमाण पत्र प्रदान करेगा।
    • ग्रीन क्रेडिट की गणना वांछित पर्यावरणीय परिणामों को प्राप्त करने के लिये संसाधनों  की आवश्यकता, पैमाने, दायरे, आकार और अन्य प्रासंगिक मापदंडों जैसे कारकों द्वारा निर्धारित की जाती है।
  • ग्रीन क्रेडिट रजिस्ट्री और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म:
    • इस कार्यक्रम का एक महत्त्वपूर्ण घटक ग्रीन क्रेडिट रजिस्ट्री की स्थापना है, जो अर्जित क्रेडिट को ट्रैक और प्रबंधित करने में सहायता करेगा।
    • इसके अतिरिक्त प्रशासक घरेलू बाज़ार में ग्रीन क्रेडिट्स के व्यापार को सुनिश्चित करने के लिये एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का निर्माण करेगा और उसे बनाए रखेगा।
  • कार्बन क्रेडिट से स्वतंत्रता:
    • यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना, 2023 के तहत प्रदान किये गए कार्बन क्रेडिट से स्वतंत्र रूप से संचालित तथा वर्ष 2001 के ऊर्जा संरक्षण अधिनियम द्वारा शासित होता है।
    • ग्रीन क्रेडिट उत्पन्न करने वाली पर्यावरणीय गतिविधि से जलवायु संबंधी लाभ हो सकते हैं, जैसे- कार्बन उत्सर्जन को कम करना या हटाना, जिससे संभावित रूप से ग्रीन क्रेडिट के अलावा कार्बन क्रेडिट का अधिग्रहण हो सकता है।

नोट: कार्बन क्रेडिट विनिमय की एक इकाई है जिसका उपयोग ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की भरपाई के लिये किया जा सकता हैएक कार्बन क्रेडिट वायुमंडल से निकाले गए एक मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड या समकक्ष ग्रीनहाउस गैसों के बराबर है।

ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम के संबंध में चिंताएँ:

  • सत्यापन और वैधता की जटिलता: पर्यावरण-अनुकूल कार्यों को सत्यापित और मान्य करने की प्रक्रिया जटिल हो सकती है तथा इन प्रक्रियाओं में अधिक समय भी लग सकता है।
    • प्रतिभागियों और नियामक निकायों दोनों पर प्रशासनिक दबाव जैसी चिंताएँ बनी हुई हैं।
  • ग्रीनवॉशिंग का जोखिम: एक जोखिम यह है कि कुछ प्रतिभागी ग्रीनवॉशिंग में संलग्न हो सकते हैं, जहाँ वे पर्यावरण संरक्षण में वास्तविक योगदान दिये बिना ग्रीन क्रेडिट अर्जित करने के लिये पर्यावरण-अनुकूल गतिविधियों का झूठा दावा करते हैं।
  • कार्बन क्रेडिट के साथ संगतता: इस कार्यक्रम का उद्देश्य कार्बन क्रेडिट से स्वतंत्र होना है, जो दो प्रकार के पर्यावरणीय क्रेडिट के बीच संभावित ओवरलैप और मूल्यांकन की जटिलता के बारे में चिंता पैदा करता है।
  • क्षेत्रीय अंतर के लिये लेखांकन: कार्यक्रम को पर्यावरणीय प्रभाव के चलते क्षेत्रीय विविधताओं को ध्यान में रखने में कठिनाई हो सकती है, जिससे विविध भौगोलिक क्षेत्रों के लिये समान क्रेडिट मूल्य स्थापित करना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।

हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये अन्य सरकारी पहल:

निष्कर्ष:

  • ग्रीन क्रेडिट तंत्र को आगे बढ़ाने के लिये एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो दीर्घकालिक स्थिरता और सार्वजनिक जागरूकता को बढ़ावा देते हुए मानकीकरण, पारदर्शिता, क्षेत्रीय अनुकूलन तथा नियामक निरीक्षण पर ध्यान केंद्रित करता हो। ऐसा करने से कार्यक्रम SDG 12 (ज़िम्मेदार उपभोग और उत्पादन), SDG 13 (जलवायु कार्रवाई) तथा SDG 15 (भूमि पर जीवन) सहित संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में योगदान दे सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. कार्बन क्रेडिट की अवधारणा निम्नलिखित में से किससे उत्पन्न हुई है? (2009)

(a) पृथ्वी शिखर सम्मेलन, रियो डी जनेरियो
(b) क्योटो प्रोटोकॉल
(c) मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
(d) जी-8 शिखर सम्मेलन, हेलीजेंडम

उत्तर: (b)


प्रश्न. "कार्बन क्रेडिट" के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा सही नहीं है?  (2011)

(a) क्योटो प्रोटोकॉल के साथ कार्बन क्रेडिट सिस्टम की पुष्टि की गई थी।
(b) कार्बन क्रेडिट उन देशों या समूहों को दिया जाता है जिन्होंने ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन अपने उत्सर्जन कोटा से कम कर दिया है।
(c) कार्बन क्रेडिट सिस्टम का लक्ष्य कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की वृद्धि को सीमित करना है।
(d) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा समय-समय पर निर्धारित मूल्य पर कार्बन क्रेडिट का कारोबार किया जाता है।

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न. क्या कार्बन क्रेडिट के मूल्य में भारी गिरावट के बावजूद UNFCCC के तहत स्थापित कार्बन क्रेडिट और स्वच्छ विकास तंत्र की खोज को बनाए रखा जाना चाहिये? आर्थिक विकास के लिये भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं के संबंध में चर्चा कीजिये।  (2014)

प्रश्न. ग्लोबल वार्मिंग पर चर्चा कीजिये और वैश्विक जलवायु पर इसके प्रभावों का उल्लेख कीजिये। क्योटो प्रोटोकॉल, 1997 के आलोक में ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाली ग्रीनहाउस गैसों के स्तर को कम करने के लिये नियंत्रण उपायों की व्याख्या कीजिये। (2022)

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