लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

जैव विविधता और पर्यावरण

ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम

  • 01 Jul 2023
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम, केंद्रीय बजट 2023-24, कार्बन बाज़ार, CO2 उत्सर्जन, पुनर्योजी कृषि, ICFRE, ग्रीनवॉशिंग

मेन्स के लिये:

ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम, इसका महत्त्व और संबंधित चिंताएँ

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वर्ष 2023 के लिये 'ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (GCP)' कार्यान्वयन नियमों का मसौदा अधिसूचित किया है।

  • प्रतिस्पर्द्धी बाज़ार-आधारित दृष्टिकोण का लाभ उठाने और विभिन्न हितधारकों के स्वैच्छिक पर्यावरणीय कार्यों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पहली बार वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में इसकी घोषणा की गई। 

ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम: 

  • परिचय: 
    • 'ग्रीन क्रेडिट' का अर्थ है किसी निर्दिष्ट गतिविधि के लिये प्रदान की जाने वाली प्रोत्साहन की एकल इकाई, इसका पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
    • ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम एक ऐसे तंत्र के रूप में है जो घरेलू कार्बन बाज़ार के पूरक के रूप में कार्य करता है।
    • यद्यपि घरेलू कार्बन बाज़ार पूरी तरह से CO2 उत्सर्जन में कटौती पर केंद्रित है, ग्रीन क्रेडिट सिस्टम का लक्ष्य कंपनियों, व्यक्तियों और स्थानीय निकायों द्वारा स्थायी कार्यों को प्रोत्साहित करते हुए अन्य पर्यावरणीय दायित्वों को भी पूरा करना है।
    • ग्रीन क्रेडिट व्यापार योग्य होंगे और इसे अर्जित करने वाले इन क्रेडिट को प्रस्तावित घरेलू बाज़ार मंच पर बिक्री के लिये रख सकेंगे।
    • ग्रीन क्रेडिट विनिमेय होंगे और जो लोग उन्हें अर्जित करेंगे वे उन्हें एक प्रस्तावित घरेलू बाज़ार की सहायता से बेच भी सकेंगे
  • ग्रीन क्रेडिट संबंधी गतिविधियाँ: 
    • वृक्षारोपण-आधारित ग्रीन क्रेडिट: देश भर में हरित आवरण में वृद्धि करने के लिये संबद्ध गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये वृक्षारोपण आधारित गतिविधियाँ।
    • जल-आधारित ग्रीन क्रेडिट: अपशिष्ट जल के उपचार और पुन: उपयोग सहित जल संरक्षण, जल संचयन तथा जल उपयोग दक्षता/बचत को बढ़ावा देना। 
    • सतत् कृषि-आधारित ग्रीन क्रेडिट: उत्पादकता, मृदा स्वास्थ्य और उत्पादित भोजन के पोषण मूल्य में सुधार हेतु प्राकृतिक एवं पुनर्योजी कृषि प्रथाओं तथा भूमि बहाली को बढ़ावा देना।
    • अपशिष्ट प्रबंधन-आधारित ग्रीन क्रेडिट: संग्रहण, पृथक्करण और उपचार सहित अपशिष्ट प्रबंधन के लिये टिकाऊ तथा बेहतर प्रथाओं को बढ़ावा देना।
    • वायु प्रदूषण न्यूनीकरण-आधारित ग्रीन क्रेडिट: वायु प्रदूषण को कम करने तथा अन्य प्रदूषण उपशमन गतिविधियों के उपायों को बढ़ावा देना।
    • मैंग्रोव संरक्षण और पुनर्स्थापन-आधारित ग्रीन क्रेडिट: मैंग्रोव के संरक्षण और पुनर्स्थापन के उपायों को बढ़ावा देना।
    • इकोमार्क-आधारित ग्रीन क्रेडिट: निर्माताओं को अपने सामान एवं सेवाओं के लिये 'इकोमार्क' लेबल प्राप्त करने के लिये प्रोत्साहित करना। 
    • सतत् भवन और बुनियादी ढाँचे पर आधारित ग्रीन क्रेडिट: सतत् प्रौद्योगिकियों एवं सामग्रियों का उपयोग करके इमारतों और अन्य बुनियादी ढाँचे के निर्माण को प्रोत्साहित करना।
    • इन कार्यक्रमों के माध्यम से प्रत्येक ग्रीन क्रेडिट गतिविधि के लिये सीमाएँ और बेंचमार्क विकसित किये जाएंगे।
  • प्रशासन: 
  • महत्त्व: 
    • ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम निजी क्षेत्र के उद्योगों और कंपनियों के साथ-साथ अन्य संस्थाओं को भी अन्य कानूनी ढाँचे से उत्पन्न अपने मौजूदा दायित्वों को पूरा करने के लिये प्रोत्साहित करेगा जो कि ग्रीन क्रेडिट उत्पन्न करने या खरीदने के लिये प्रासंगिक गतिविधियों के साथ जुड़ने में सक्षम हैं।
    • दिशा-निर्देश पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की मात्रा निर्धारित करने और समर्थन करने के लिये तंत्र को एक साथ लाते हैं तथा  जैविक कृषि किसानों तथा FPO के लिये बहुत मददगार होंगे।
    • यह अपनी तरह का पहला उपकरण है जो हरित परियोजनाओं को केवल कार्बन से परे इष्टतम रिटर्न प्राप्त करने की अनुमति देने के लिये कई पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को महत्त्व देने और पुरस्कृत करने का प्रयास करता है।

ग्रीन क्रेडिट तंत्र के संबंध में चिंताएँ: 

  •  विशेषज्ञों को चिंता है कि ग्रीन क्रेडिट की बाज़ार-आधारित व्यवस्था से ग्रीनवॉशिंग की स्थिति बन  सकती है।
    • ग्रीनवॉशिंग से तात्पर्य सकारात्मक छवि बनाने के लिये पर्यावरणीय स्थिरता या उपलब्धियों के बारे में झूठे या अतिरंजित दावे करने की प्रथा से है, जबकि वास्तव में महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय लाभ नहीं मिलते हैं।  
  • डर यह है कि कंपनियाँ या संस्थाएँ पर्यावरणीय मुद्दों के समाधान के लिये पर्याप्त प्रयास किये बिना ग्रीन क्रेडिट उत्पन्न करने हेतु प्रतीकात्मक या सतही गतिविधियों में संलग्न हो सकती हैं।
  • तत्काल उत्सर्जन में कमी लाने और सरकार द्वारा निर्देशित अधिक परिवर्तनकारी प्रयासों के बजाय निगरानी एवं धोखाधड़ी की रोकथाम के लिये संसाधनों के आवंटन में इन तंत्रों की प्रभावशीलता को लेकर चिंताएँ भी हैं।

आगे की राह:

  • यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण होगा कि कार्यप्रणाली और मानक मज़बूत हों तथा अतिरिक्त रणनीतियाँ जो बाज़ार की व्यवहार्यता और हरित क्रेडिट की पर्याप्त मांग पैदा करेंगी।
  • ग्रीन क्रेडिट सिस्टम के सावधानीपूर्वक मूल्यांकन और कार्यान्वयन की आवश्यकता है, विशेष रूप से वृक्षारोपण और वनीकरण पर इसका ध्यान केंद्रित है।
  • यह महत्त्वपूर्ण है कि अनसुलझे वन स्वामित्व और शासन अधिकार, पारिस्थितिकी और जैव विविधता चुनौतियों तथा कार्बन क्रेडिट योजनाओं की वैश्विक आलोचना पर विचार किया जाए।
  • इन पहलुओं को संबोधित करने के लिये आंतरिक चर्चा और सार्वजनिक परामर्श महत्त्वपूर्ण हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

प्रश्न.  "कार्बन क्रेडिट" के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा सही नहीं है?  (वर्ष 2011)

(A) क्योटो प्रोटोकॉल के साथ कार्बन क्रेडिट सिस्टम की पुष्टि की गई थी।
(B) कार्बन क्रेडिट उन देशों या समूहों को दिया जाता है जिन्होंने ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन अपने उत्सर्जन कोटा से कम कर दिया है।
(C) कार्बन क्रेडिट सिस्टम का लक्ष्य कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की वृद्धि को सीमित करना है।
(D) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा समय-समय पर निर्धारित मूल्य पर कार्बन क्रेडिट का कारोबार किया जाता है।

उत्तर: (D)

व्याख्या:

  • उत्सर्जन व्यापार, जैसा कि क्योटो प्रोटोकॉल के अनुच्छेद 17 में निर्धारित किया गया है, उन देशों को इसके व्यापार करने की अनुमति देता है जिनके पास और अधिक उत्सर्जन का अधिकार है किंतु उन्होंने इसका उपयोग नहीं किया है। इस अतिरिक्त उत्सर्जन क्षमता को उन देशों को बेच सकते हैं जो अपने लक्ष्य से अधिक उत्सर्जन कर रहे हैं।
  • यदि कोई देश हाइड्रोकार्बन की लक्षित मात्रा से कम का उत्सर्जन करता है तो वह अपने अधिशेष क्रेडिट को उन देशों को बेच सकता है जो उत्सर्जन कटौती खरीद समझौते (ERPA) के माध्यम से अपने क्योटो स्तर के लक्ष्यों को प्राप्त नहीं करते हैं।
  • प्रमाणित उत्सर्जन कटौती (CER) सीडीएम परियोजनाओं द्वारा प्राप्त उत्सर्जन में कमी के लिये स्वच्छ विकास तंत्र (CDM) के कार्यकारी बोर्ड द्वारा जारी उत्सर्जन इकाइयों (या कार्बन क्रेडिट) का एक प्रकार है।
  • यह क्योटो प्रोटोकॉल के नियमों के तहत एक DOE (नामित परिचालन इकाई) द्वारा सत्यापित है।
  • उपयोग की सतत् प्रथाओं और पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग कार्बन-क्रेडिट उत्पन्न करते हैं जिनका व्यापार किया जा सकता है। इस प्रकार यह जीएचजी उत्सर्जन में कमी लाता है क्योंकि यह एक प्रतिस्पर्द्धी और लाभकारी बाज़ार विकसित करता है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) ने कार्बन क्रेडिट व्यवस्था को "बाज़ार उन्मुख तंत्र" के रूप में विकसित किया।

 अतः विकल्प (D) सही उत्तर है


मेन्स:

प्रश्न. क्या यू.एन.एफ.सी.सी.सी. के अधीन स्थापित कार्बन क्रेडिट और स्वच्छ विकास यांत्रिकत्वों का अनुसरण जारी रखा जाना चाहिये, यद्यपि कार्बन क्रेडिट के मूल्य में भारी गिरावट आई है? आर्थिक संवृद्धि के लिये भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं की दृष्टि से चर्चा कीजिये। (2014)

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2