जैव विविधता और पर्यावरण
कार्बन बाज़ार
- 20 Dec 2022
- 16 min read
प्रिलिम्स के लिये:कार्बन क्रेडिट बाज़ार, NDC, GHG, क्योटो प्रोटोकॉल, नेट ज़ीरो, PLI योजना, ऊर्जा संरक्षण। मेन्स के लिये:भारत का विकसित होता कार्बन बाज़ार और इसका महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
संसद ने भारत में कार्बन बाज़ार स्थापित करने और कार्बन ट्रेडिंग योजना निर्दिष्ट करने के लिये ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया है।
- विधेयक ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 में संशोधन करता है।
ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022:
- परिचय:
- विधेयक केंद्र सरकार को कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना निर्दिष्ट करने का अधिकार देता है।
- विधेयक के तहत केंद्र सरकार या एक अधिकृत एजेंसी योजना के साथ पंजीकृत और अनुपालन करने वाली कंपनियों या यहाँ तक कि व्यक्तियों को कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र जारी करेगी।
- ये कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र प्रकृति में व्यापार योग्य होंगे। अन्य व्यक्ति स्वैच्छिक आधार पर कार्बन क्रेडिट प्रमाण पत्र खरीद सकेंगे।
- चिंताएँ:
- विधेयक कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्रों के व्यापार के लिये उपयोग किये जाने वाले तंत्र पर स्पष्टता प्रदान नहीं करता है कि क्या यह कैप-एंड-ट्रेड योजनाओं की तरह होगा या किसी अन्य विधि का उपयोग करेगा और कौन इस तरह के व्यापार को विनियमित करेगा।
- यह निर्दिष्ट नहीं किया गया है कि इस प्रकार की योजना लाने के लिये कौन-सा मंत्रालय सही है।
- जबकि यू.एस., यूनाइटेड किंगडम और स्विट्ज़रलैंड जैसे अन्य न्यायालयों में कार्बन बाज़ार योजनाओं को उनके पर्यावरण मंत्रालयों द्वारा तैयार किया गया है, भारतीय विधेयक को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के बजाय विद्युत् मंत्रालय द्वारा पेश किया गया था।
- विधेयक यह निर्दिष्ट नहीं करता है कि क्या पहले से मौजूद योजनाओं के तहत प्रमाणपत्र भी कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्रों के साथ विनिमेय होंगे और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये व्यापार योग्य होंगे।
- भारत में दो प्रकार के व्यापार योग्य प्रमाणपत्र पहले से ही जारी किये जाते हैं- अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्र (REC) और ऊर्जा बचत प्रमाणपत्र (ESC)।
- ये तब जारी किये जाते हैं जब कंपनियाँ नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करती हैं या ऊर्जा बचाती हैं, जो ऐसी गतिविधियाँ भी हैं जो कार्बन उत्सर्जन को कम करती हैं।
कार्बन बाज़ार:
- परिचय:
- कार्बन बाज़ार कार्बन उत्सर्जन पर कीमत लगाने का एक उपकरण है। यह उत्सर्जन को कम करने के समग्र उद्देश्य के साथ कार्बन क्रेडिट के व्यापार की अनुमति देता है।
- ये बाज़ार उत्सर्जन कम करने या ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिये प्रोत्साहन पैदा करते हैं।
- उदाहरण के लिये एक औद्योगिक इकाई जो उत्सर्जन मानकों से बेहतर प्रदर्शन करती है, क्रेडिट प्राप्त करने के लिये हकदार होती है।
- एक अन्य इकाई जो निर्धारित मानकों को प्राप्त करने के लिये संघर्ष कर रही है, वह इन क्रेडिट को खरीद सकती है और इन मानकों का अनुपालन कर सकती है। मानकों पर बेहतर प्रदर्शन करने वाली इकाई क्रेडिट बेचकर पैसा कमाती है, जबकि खरीदने वाली इकाई अपने परिचालन दायित्वों को पूरा करने में सक्षम होती है।
- यह व्यापार प्रणाली स्थापित करता है जहाँ कार्बन क्रेडिट या भत्ते खरीदे और बेचे जा सकते हैं।
- कार्बन क्रेडिट एक प्रकार का व्यापार योग्य परमिट है, जो संयुक्त राष्ट्र के मानकों के अनुसार, एक टन कार्बन डाइऑक्साइड को वायुमंडल से हटाने, कम करने या अलग करने के बराबर होता है।
- इस बीच कार्बन भत्ते या कैप, देशों या सरकारों द्वारा उनके उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों के अनुसार निर्धारित किये जाते हैं।
- पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 में देशों द्वारा अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contributions- NDC) को पूरा करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय कार्बन बाज़ारों के उपयोग का प्रावधान है।
- NDCs शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिये लक्ष्य निर्धारित करने वाले देशों द्वारा जलवायु प्रतिबद्धताएँ हैं।
- कार्बन मार्केट के प्रकार:
- अनुपालन बाजार:
- अनुपालन बाज़ार राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और/या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नीतियों द्वारा स्थापित किये जाते हैं और आधिकारिक तौर पर विनियमित होते हैं।
- आज, अनुपालन बाज़ार ज़्यादातर 'कैप-एंड-ट्रेड' नामक सिद्धांत के तहत काम करते हैं, जो यूरोपीय संघ ( European Union- EU) में सबसे लोकप्रिय है।
- वर्ष 2005 में शुरू किये गए यूरोपीय संघ के उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (ETS) के तहत, सदस्य देशों ने बिजली, तेल, विनिर्माण, कृषि और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उत्सर्जन के लिये एक सीमा तय है, यह सीमा देशों के जलवायु लक्ष्यों के अनुसार निर्धारित की जाती है तथा उत्सर्जन को कम करने के लिये क्रमिक रूप से कम की जाती है।
- इस क्षेत्र की संस्थाओं को उनके द्वारा उत्पन्न उत्सर्जन के बराबर वार्षिक भत्ते या परमिट जारी किये जाते हैं।
- यदि कंपनियाँ निर्धारित मात्रा से अधिक उत्सर्जन करती हैं, तो उन्हें अतिरिक्त परमिट खरीदने होंगे। यह कैप-एंड-ट्रेड का 'ट्रेड' हिस्सा निर्धारित करता है।
- कार्बन का बाज़ार मूल्य बाज़ार की ताकतों द्वारा निर्धारित किया जाता है जब खरीदार और विक्रेता उत्सर्जन भत्ते में व्यापार करते हैं।
- अनुपालन बाज़ार राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और/या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नीतियों द्वारा स्थापित किये जाते हैं और आधिकारिक तौर पर विनियमित होते हैं।
- स्वैच्छिक बाज़ार:
- स्वैच्छिक बाज़ार वे हैं जिनमें उत्सर्जक- निगम, निजी व्यक्ति और अन्य एक टन CO2 या समकक्ष ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को ऑफसेट करने के लिये कार्बन क्रेडिट खरीदते हैं।
- इस तरह के कार्बन क्रेडिट गतिविधियों द्वारा बनाए जाते हैं,जो हवा से CO2 को कम करते हैं, जैसे कि वनीकरण।
- इस बाज़ार में एक निगम अपने अपरिहार्य GHG उत्सर्जन की भरपाई करने के लिये उन परियोजनाओं में लगी एक इकाई से कार्बन क्रेडिट खरीदता है जो उत्सर्जन को कम करने, हटाने, अधिकृत करने में लगी हुई हैं।
- उदाहरण के लिये उड्डयन क्षेत्र में एयरलाइनें अपने द्वारा संचालित उड़ानों के कार्बन फुटप्रिंट्स को ऑफसेट करने हेतु कार्बन क्रेडिट खरीद सकती हैं। स्वैच्छिक बाज़ारों में क्रेडिट को निजी फर्मों द्वारा लोकप्रिय मानकों के अनुसार सत्यापित किया जाता है। ऐसे व्यापारी और ऑनलाइन रजिस्ट्रियाँ भी उपलब्ध हैं जहाँ जलवायु परियोजनाएँ सूचीबद्ध हैं और प्रमाणित क्रेडिट खरीदे जा सकते हैं।
- अनुपालन बाजार:
- वैश्विक कार्बन बाज़ारों की स्थिति:
- Refinitiv के एक विश्लेषण के अनुसार वर्ष 2021 में व्यापार योग्य कार्बन छूट या परमिट के लिये वैश्विक बाज़ारों का मूल्य 164% बढ़कर रिकॉर्ड 760 बिलियन यूरो (851 बिलियन अमेरिकी डॉलर) हो गया।
- यूरोपीय संघ के ETS ने इस वृद्धि में सबसे अधिक योगदान दिया, जो 683 बिलियन यूरो के साथ वैश्विक मूल्य का 90% है।
- जहाँ तक स्वैच्छिक कार्बन बाज़ारों का संबंध है उनका वर्तमान वैश्विक मूल्य तुलनात्मक रूप से 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से कम है।
- विश्व बैंक का अनुमान है कि कार्बन क्रेडिट में व्यापार वर्ष 2030 तक NDCs को लागू करने की लागत को आधे से अधिक (250 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक) कम कर सकता है।
कार्बन बाज़ार से संबंधित चुनौतियाँ:
- खराब बाज़ार पारदर्शिता:
- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme- UNDP) कार्बन बाज़ारों से संबंधित गंभीर चिंताओं की ओर संकेत करता है अर्थात् ग्रीनहाउस गैस में कमी की दोहरी गिनती और जलवायु परियोजनाओं की गुणवत्ता एवं प्रामाणिकता से लेकर जो खराब बाज़ार पारदर्शिता हेतु क्रेडिट उत्पन्न करते हैं।
- ग्रीनवाशिंग:
- कंपनियाँ क्रेडिट खरीद सकती हैं, अपने समग्र उत्सर्जन को कम करने या स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में निवेश करने के बजाय केवल कार्बन फुटप्रिंट्स को ऑफसेट कर सकती हैं।
- ETS के माध्यम से शुद्ध उत्सर्जन में वृद्धि:
- विनियमित या अनुपालन बाज़ारों के लिये उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (Emissions Trading System- ETS) स्वचालित रूप से जलवायु शमन उपकरणों को सुदृढ़ नहीं कर सकते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund- IMF) के अनुसार, व्यापारिक योजनाओं के तहत उच्च उत्सर्जन उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों को शामिल करने के लिये भत्ते उनके उत्सर्जन को ऑफसेट करने से शुद्ध उत्सर्जन में वृद्धि हो सकती है और ऑफसेटिंग क्षेत्र में लागत प्रभावी परियोजनाओं को प्राथमिकता देने के लिये कोई स्वचालित तंत्र प्रदान नहीं कर सकता है।
संबंधित भारतीय पहल:
- स्वच्छ विकास तंत्र:
- भारत में क्योटो प्रोटोकॉल के तहत स्वच्छ विकास तंत्र ने अभिकर्त्ताओं के लिये प्राथमिक कार्बन बाज़ार प्रदान किया।
- द्वितीयक कार्बन बाज़ार प्रदर्शन-प्राप्त-व्यापार योजना (जो ऊर्जा दक्षता श्रेणी के अंतर्गत आता है) और नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र द्वारा कवर किया गया है।
आगे की राह
- ग्लोबल वार्मिंग को 2°C के भीतर रखने के लिये जो आदर्श रूप से 1.5°C से अधिक नहीं हो, वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को इस दशक में 25 से 50% तक कम करने की आवश्यकता है। वर्ष 2015 के पेरिस समझौते के हिस्से के रूप में अब तक लगभग 170 देशों ने अपना राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) प्रस्तुत किया है, जिसे वे हर पाँच वर्ष में अपडेट करने पर सहमत हुए हैं।
- UNDP कार्बन बाज़ारों की सफलता के लिये उत्सर्जन में कमी और वास्तविक निष्कासन पर बल देता और इसका देश के NDC के साथ सामंजस्य होना चाहिये"।
- "कार्बन बाज़ार लेन-देन के लिये संस्थागत और वित्तीय बुनियादी ढाँचे में पारदर्शिता" होनी चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. कार्बन क्रेडिट की अवधारणा निम्नलिखित में से किससे उत्पन्न हुई है? (2009) (a) पृथ्वी शिखर सम्मेलन, रियो डी जनेरियो उत्तर: (b) प्रश्न. "कार्बन क्रेडिट" के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा सही नहीं है? (2011) (a) कार्बन क्रेडिट प्रणाली क्योटो प्रोटोकॉल के संयोजन में सम्पुष्ट की गई थी। उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. क्या कार्बन क्रेडिट के मूल्य में भारी गिरावट के बावजूद जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (UNFCCC) के तहत स्थापित कार्बन क्रेडिट और स्वच्छ विकास तंत्र को बनाए रखा जाना चाहिये? आर्थिक विकास के लिये भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं के संबंध में चर्चा कीजिये। (2014) प्रश्न. ग्लोबल वार्मिंग पर चर्चा कीजिये और वैश्विक जलवायु पर इसके प्रभावों का उल्लेख कीजिये। क्योटो प्रोटोकॉल, 1997 के आलोक में ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाली ग्रीनहाउस गैसों के स्तर को कम करने हेतु नियंत्रण उपायों की व्याख्या कीजिये। (2022) |