भारतीय अर्थव्यवस्था
वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक: IMF
- 13 Oct 2022
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक, IMF, ग्लोबल फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट, वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक। मेन्स के लिये:महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, भारत के हितों, विकास और संवृद्धि पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव, विश्व आर्थिक आउटलुक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक, 2022 का नवीनतम संस्करण जारी किया।
वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक की मुख्य विशेषताएँ:
- भारतीय परिदृश्य:
- इसने वर्ष 2022 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि को अप्रैल 2022 में शुरू हुए वित्तीय वर्ष के अनुमानित 7.4% के पूर्वानुमान से घटाकर 6.8% कर दिया है।
- इसके वर्ष 2023 में भारत की संवृद्धि दर का 6.1% रहने का अनुमान लगाया गया है।।
- वैश्विक परिदृश्य:
- वैश्विक संवृद्धि में वर्ष 2021 के 6% से वर्ष 2022 में 3.2% और वर्ष 2023 में 2.7% तक कमी होने का अनुमान है। वैश्विक वित्तीय संकट और कोविड-19 महामारी की चरम अवस्था को छोड़कर यह 2001 के बाद से सबसे कम संवृद्धि दर है।
- वर्ष 2023 में वैश्विक संवृद्धि और धीमी होने की संभावना है। इसके अनुसार सबसे अभी और खराब स्थिति आ सकती है तथा कई लोगों के लिये वर्ष 2023 मंदी का होगा।
- वर्ष 2023 में यूरो क्षेत्र में मंदी के और भी गहराने की आशंका है तथा चीन में कोरोनावायरस प्रकोप की शुरुआत के साथ दशकों के बाद सबसे कम संवृद्धि दर रहने का अनुमान है।
- मुद्रास्फीति:
- वैश्विक मुद्रास्फीति वर्ष 2021 के 4.7% से बढ़कर वर्ष 2022 में 8.8% होने का अनुमान है लेकिन इसके वर्ष 2023 में 6.5% और वर्ष 2024 तक घटकर 4.1% होने का अनुमान है।
- वैश्विक आर्थिक गतिविधि में मंदी, अधिक व्यापक और अपेक्षा से अधिक तीव्र है एवं मुद्रास्फीति भी दशकों के अनुभव से अधिक है। आर्थिक परिदृश्य मौद्रिक तथा राजकोषीय नीतियों के सफल समन्वय, यूक्रेन में युद्ध की स्थिति और चीन में विकास की संभावनाओं पर निर्भर है।
IMF के सुझाव:
- मुद्रास्फीति को सीमित करना:
- मुद्रास्फीति से निपटने, केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट को संतुलित बनाने और वास्तविक नीति दरों को उनके तटस्थ स्तर से तेज़ी से ऊपर उठाने को प्राथमिकता देने के साथ दीर्घकाल में मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखना चाहिये।
- मौद्रिक और राजकोषीय नीति समन्वय:
- अर्थव्यवस्थाओं में मांग को बढ़ाने के साथ अतिरिक्त सकल मांग सृजित करने और श्रम बाजारों को मजबूत करने में राजकोषीय नीति द्वारा मौद्रिक नीति का समर्थन करने की आवश्यकता है।
- मूल्य स्थिरता के बिना जीवन निर्वाह की लागत में वृद्धि से भविष्य में होने वाली संवृद्धि के निरर्थक होने का खतरा है।
- केंद्रीय बैंकों को अपने उद्देश्यों और उन्हें प्राप्त करने के प्रयासों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हुए दृढ़ता से इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है।
- समायोजन के दौरान कमज़ोर लोगों की रक्षा करना:
- जैसा कि जीवन यापन की लागत बढ़ती जा रही है, नीति निर्माताओं को उच्च कीमतों के प्रभाव से समाज के सबसे कमज़ोर सदस्यों की रक्षा करने की आवश्यकता होगी।
- जलवायु नीतियाँ:
- त्वरित उपचारात्मक कार्रवाई के बिना जलवायु परिवर्तन का अंततः दुनिया भर में स्वास्थ्य और आर्थिक परिणामों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा।
- वर्तमान वैश्विक लक्ष्य वैश्विक तापमान लक्ष्यों के अनुरूप नहीं हैं। इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिये दशक के अंत तक उत्सर्जन में कम-से-कम 25% की कटौती की आवश्यकता होगी।
- चल रहे ऊर्जा संकट ने ऊर्जा सुरक्षा लाभों को भी उज़ागर किया है, अतः देश अक्षय और कम कार्बन ऊर्जा स्रोतों के साथ जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को धीरे-धीरे स्वच्छ और विश्वसनीय ऊर्जा स्रोतों में स्थानांतरित कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष:
- परिचय:
- द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद युद्ध में तबाह देशों के पुनर्निर्माण में सहायता के लिये विश्व बैंक के साथ अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना की गई।
- अमेरिका के ब्रेटन वुड्स में आयोजित एक सम्मेलन के दौरान इन दोनों संगठनों की स्थापना पर सहमति बनी। इसलिये इन्हें ब्रेटन वुड्स के जुड़वाँ संतानों यानी ब्रेटन वुड्स ट्विन्स के रूप में भी जाना जाता है।
- IMF की स्थापना 1945 में हुई थी, यह उन 189 देशों द्वारा शासित और उनके प्रति जवाबदेह है जो इसके वैश्विक सदस्य हैं। भारत ने 27 दिसंबर, 1945 को IMF की सदस्यता ग्रहण की।
- IMF का प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करना है, यह विनिमय दरों और अंतर्राष्ट्रीय भुगतान की प्रणाली है जो देशों (और उनके नागरिकों) को एक-दूसरे के साथ लेन-देन करने में सक्षम बनाती है।
- वर्ष 2012 में एक कोष के जनादेश के अंतर्गत वैश्विक स्थिरता से संबंधित सभी व्यापक आर्थिक और वित्तीय क्षेत्र के मुद्दों को शामिल करने के लिये इसको अद्यतित किया गया।
- द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद युद्ध में तबाह देशों के पुनर्निर्माण में सहायता के लिये विश्व बैंक के साथ अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना की गई।
- IMF की रिपोर्ट:
- वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक
- यह IMF का एक सर्वेक्षण है जिसे आमतौर पर वर्ष में दो बार- अप्रैल और अक्तूबर के महीनों में प्रकाशित किया जाता है।
- यह निकट और मध्यम अवधि के दौरान वैश्विक आर्थिक विकास का विश्लेषण तथा भविष्यवाणी करता है।
- पूर्वानुमान के अपडेट्स की बढ़ती मांग को देखते हुए वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अपडेट जनवरी और जुलाई में प्रकाशित किया जाता है, जो आमतौर पर अप्रैल व अक्तूबर में प्रकाशित होने वाली मुख्य WEO रिपोर्ट्स के बीच का समय है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न: ‘‘त्वरित वित्तीयन प्रपत्र” (Rapid Financing Instrument) और ‘‘त्वरित ऋण सुविधा” (Rapid Credit Facility), निम्नलिखित में किस एक के द्वारा उधार दिये जाने के उपबंधों से संबंधित हैं? (a) एशियाई विकास बैंक उत्तर: (b) व्याख्या:
Q. “स्वर्ण ट्रान्श” (रिज़र्व ट्रान्श) निर्दिष्ट करता है: (2020) (a) विश्व बैंक की एक ऋण व्यवस्था उत्तर: (d) Q. 'वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट' (2016) किसके द्वारा तैयार की जाती है? (a) यूरोपीय केंद्रीय बैंक उत्तर: (b) प्रश्न: विश्व बैंक और IMF, जिन्हें सामूहिक रूप से ब्रेटन वुड्स को जुडवाँ संस्था के रूप में जाना जाता है, विश्व की आर्थिक एवं वित्तीय व्यवस्था की संरचना का समर्थन करने वाले दो अंतर-सरकारी स्तंभ हैं। विश्व बैंक और IMF कई सामान्य विशेषताओं को प्रदर्शित करते हैं, फिर भी उनकी भूमिका, कार्य और अधिदेश स्पष्ट रूप से भिन्न हैं। व्याख्या कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2013) |