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कृषि

पुनर्योजी कृषि

  • 03 Dec 2022
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पुनर्योजी कृषि, आईपीसीसी, एग्रोइकोसिस्टम, मृदा क्षरण।

मेन्स के लिये:

पुनर्योजी कृषि और इसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

"जलवायु परिवर्तन और भूमि" पर जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC) द्वारा जारी रिपोर्ट में पुनर्योजी कृषि के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया है।

पुनर्योजी कृषि:

  • पुनर्योजी कृषि एक समग्र कृषि प्रणाली है जो रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के उपयोग को कम करने, खेतों की जुताई में कमी, पशुधन को एकीकृत करने तथा कवर फसलों का उपयोग करने जैसे तरीकों के माध्यम से मिट्टी के स्वास्थ्य, भोजन की गुणवत्ता, जैव विविधता में सुधार तथा जल और वायु गुणवत्ता पर केंद्रित है।
  • यह निम्नलिखित सिद्धांतों का पालन करता है:
    • संरक्षण कृषि के माध्यम से मृदा क्षरण को कम से कम करना,
    • पोषक तत्त्वों को फिर से बेहतर करने और कीटों के जीवन चक्र को बाधित करने के लिये फसलों में विविधता लाना
    • कवर फसलों का उपयोग करके मिट्टी के आवरण को बनाए रखना
    • पशुधन को एकीकृत करना जो मृदा में उर्वरता को बढ़ाता है और कार्बन सिंक के स्रोत के रूप में कार्य करता है।

पुनर्योजी कृषि की आवश्यकता:

  • वर्तमान गहन कृषि प्रणाली ने मृदा क्षरण में योगदान दिया है। अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों के अनुसार, अगले 50 वर्षों में दुनिया के भरण पोषण के लिये यह वर्तमान मृदा उर्वरता पर्याप्त नहीं हो सकती है। दुनिया भर में मृदा की उर्वरता और जैव विविधता कम हो रही है।
    • पुनर्योजी कृषि मृदा के कार्बनिक पदार्थ और जैव विविधता को बढ़ाने वाली कार्यप्रणाली के माध्यम से मृदा स्वास्थ्य में सुधार करती है। इसका उद्देश्य जल-धारण क्षमता और कार्बन पृथक्करण को बढ़ाना भी है।
  • यह मिट्टी के एकत्रीकरण, जल रिसाव और पोषक तत्त्वों के चक्रण की सुविधा प्रदान करता है।
  • पुनर्योजी मृदा अपरदन को भी कम करती है और विभिन्न प्रजातियों के लिये आवास तथा भोजन प्रदान करती है और यह पारंपरिक खेती के तरीकों की तुलना में अधिक टिकाऊ है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा पिछले वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. 3. एकीकृत कृषि (Integrated Farming System- IFS) किस सीमा तक कृषि उत्पादन को संधारित करने में सहायक है? (2019)

प्रश्न. एकीकृत कृषि प्रणाली क्या है? यह भारत में छोटे और सीमांत किसानों के लिये कैसे उपयोगी है? (मुख्य परीक्षा, 2022)

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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