डेली न्यूज़ (16 Jan, 2024)



भारत-नेपाल विद्युत समझौता

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-नेपाल शक्ति समझौता, 1950 की भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि, सूर्य किरण, महाकाली संधि, कालापानी-लिम्पियाधुरा-लिपुलेख ट्राइजंक्शन।

मेन्स के लिये:

भारत और नेपाल के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र, भारत-नेपाल संबंधों के लिये प्रमुख चुनौतियाँ।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

भारत और नेपाल ने हाल ही में विद्युत निर्यात के लिये एक दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। नेपाल-भारत संयुक्त आयोग की 7वीं बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच मज़बूत होते संबंधों पर प्रकाश डालते हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।

नेपाल-भारत संयुक्त आयोग की 7वीं बैठक की मुख्य बातें क्या हैं?

  • विद्युत निर्यात समझौता: भारत और नेपाल ने अगले 10 वर्षों में 10,000 मेगावाट विद्युत के निर्यात के लिये द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये।
  • सीमा पार ट्रांसमिशन लाइनों का उद्घाटन: तीन क्रॉस-बॉर्डर ट्रांसमिशन लाइनों का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया गया, जिसमें 132 केवी रक्सौल-परवानीपुर, 132 केवी कुशहा-कटैया और न्यू नौतनवा-मैनहिया लाइनें शामिल हैं।
  • नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग: नवीकरणीय ऊर्जा में सहयोग के लिये नेपाल विद्युत प्राधिकरण और भारत के नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच एक समझौता ज्ञापन (Memorandum of Understanding - MoU) पर हस्ताक्षर किये गए।
  • उपग्रह सेवा हेतु समझौता: नेपाल एकेडमी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के बीच नेपाल एकेडमी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा विकसित मुनाल सैटेलाइट के लिये सेवा समझौता लॉन्च किया गया।
    • नेपाली छात्रों द्वारा विकसित यह उपग्रह भारतीय प्रक्षेपण रॉकेट पर निःशुल्क प्रक्षेपित किया जाएगा।

भारत और नेपाल के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र कौन-से हैं ?

  • परिचय: 
    • करीबी पड़ोसियों के रूप में भारत और नेपाल मित्रता एवं सहयोग के अनूठे संबंधों को साझा करते हैं, जिसकी विशेषता एक खुली सीमा, दोनों देशों के लोगों के बीच रिश्तेदारी तथा मज़बूत सांस्कृतिक संबंध है।
    • नेपाल पाँच भारतीय राज्यों- सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ 1850 किमी. से अधिक की सीमा साझा करता है।
      • वर्ष 1950 की शांति और मित्रता की भारत-नेपाल संधि भारत एवं नेपाल के बीच मौजूद विशेष संबंधों का आधार है। सीमा पार लोगों की मुक्त आवाजाही की लंबी परंपरा रही है।
  • आर्थिक सहयोग: भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार तथा विदेशी निवेश का सबसे बड़ा स्रोत है, इसके अतिरिक्त भारत नेपाल के तीसरे देश के साथ व्यापार के लिये पारगमन सुविधा प्रदान करता है।
    • नेपाल के व्यापारिक व्यापार में लगभग दो-तिहाई तथा सेवाओं के व्यापार में लगभग एक-तिहाई योगदान भारत का है।
      • हाल ही में भारत और नेपाल पारगमन संधि (Treaty of Transit) तथा व्यापार संधि की समीक्षा करने, मौजूदा समझौतों में प्रस्तावित संशोधन, निवेश बढ़ाने की रणनीतियों, मानकों के सामंजस्य एवं व्यापार हेतु बुनियादी ढाँचे के समकालिक विकास पर सहमत हुए।
  • रक्षा सहयोग: भारत रक्षा संबंधी उपकरण आपूर्ति तथा प्रशिक्षण प्रावधानों के माध्यम से नेपाल सेना के आधुनिकीकरण प्रयासों में सहायता कर रहा है।
    • बटालियन स्तर पर संयुक्त सैन्य अभ्यास, 'सूर्य किरण', भारत तथा नेपाल दोनों देशों में क्रमिक आधार आयोजित किया जाता है। वर्ष 2023 में यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में आयोजित किया गया था।
  • सांस्कृतिक सहयोग:
    • नेपाल में स्थित भारतीय दूतावास ने लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट तथा लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय के सहयोग से दिसंबर 2023 में लुंबिनी में प्रथम भारत-नेपाल सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन किया।
      • इस महोत्सव में बौद्ध धर्म पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत तथा नेपाल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं परंपराओं का प्रदर्शन किया गया।
  • जल बँटवारा: कोशी समझौता (1954, वर्ष 1966 में संशोधित) तथा गंडक समझौता (1959, वर्ष 1964 में संशोधित) जल संसाधन क्षेत्र में भारत-नेपाल सहयोग को बढ़ावा देने वाले प्रारंभिक महत्त्वपूर्ण समझौते थे। 
    • एक अन्य महत्त्वपूर्ण समझौता, महाकाली संधि (1996) था जिसके तहत दोनों देशों के लिये महाकाली नदी के जल का उचित उपयोग सुनिश्चित किया गया।
  • कनेक्टिविटी: भारत तराई क्षेत्र में 10 सड़कों को उन्नत करके, जोगबनी-विराटनगर तथा जयनगर-बर्दीबास में सीमा पार रेल संपर्क स्थापित करके एवं बीरगंज, विराटनगर, भैरहवा व नेपालगंज जैसे प्रमुख स्थानों पर एकीकृत चेक पोस्ट स्थापित करके नेपाल की मुख्य रूप से सहायता की।
    • इसके अतिरिक्त भारत ने वर्ष 2021 में नेपाल को लगभग 2200 MU विद्युत का निर्यात किया।

भारत-नेपाल संबंधों के लिये प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • सीमा विवाद: सीमा विवाद के परिणामस्वरूप वर्तमान में भारत-नेपाल संबंधों में तनाव बढ़ गया है जिसमें विशेष रूप से पश्चिमी नेपाल में कालापानी-लिंपियाधुरा-लिपुलेख ट्राइजंक्शन क्षेत्र और दक्षिणी नेपाल में सुस्ता क्षेत्र शामिल हैं।
  • चीन का विस्तारित क्षेत्र: बुनियादी ढाँचे, औद्योगीकरण, मानव संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं जल संसाधन के क्षेत्र में चीन ने नेपाल को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की है। चीन और नेपाल के बीच बढ़ते सहयोग से चीन तथा भारत के बीच एक बफर राज्य के रूप में नेपाल की स्थिति खतरे में पड़ सकती है।
    • परंपरागत रूप से भारतीय सेना में शामिल गोरखा भारत की नई अग्निवीर योजना पर चिंताओं के कारण चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) में शामिल हो सकते हैं।

आगे की राह

  • तात्कालिक चिंताओं को संबोधित करना: विश्वास एवं सद्भावना का निर्माण करने के लिये अग्निवीर योजना से संबंधित तत्काल चिंताओं को दूर करने को प्राथमिकता देना।
    • साझा विकास की भावना को बढ़ावा देते हुए, सीमावर्ती क्षेत्रों के लाभ के लिये संयुक्त परियोजनाएँ विकसित करना।
  • कूटनीतिक संवाद: सीमा विवाद तथा अन्य विवादास्पद मुद्दों के समाधान के लिये निरंतर और खुली कूटनीतिक चर्चा में शामिल होना।
  • ट्रैक-II कूटनीति: भारत-नेपाल सहयोग को एक नया आकार प्रदान करने के लिये गैर-सरकारी संस्थाओं, शिक्षाविदों एवं नागरिक समाज को शामिल करते हुए ट्रैक-II कूटनीति को प्रोत्साहित करना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2016)

समाचारों में कभी-कभी उल्लिखित समुदाय : 

1- कुर्द : बांग्लादेश
2- मधेसी : नेपाल
3- रोहिंग्या : म्याँमार

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (c)


हरित हाइड्रोजन: भारत में अपनाने हेतु सक्षम उपाय संबंधी रोडमैप

प्रिलिम्स के लिये:

2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन, ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26), ग्रे हाइड्रोजन, जीवाश्म ईंधन, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन

मेन्स के लिये:

हरित हाइड्रोजन: भारत में अपनाने के लिये सक्षम उपाय संबंधी रोडमैप, हरित हाइड्रोजन के लिये सरकारी नीतियाँ और पहल।

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व आर्थिक मंच ने बेन एंड कंपनी के साथ मिलकर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसका शीर्षक है- हरित हाइड्रोजन:भारत में अपनाने के लिये सक्षम उपाय संबंधी रोडमैप, इस बात पर प्रकाश डालता है कि हरित हाइड्रोजन उत्पादन लागत को 2 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम से कम या उसके बराबर करने की आवश्यकता है।

रिपोर्ट की मुख्य बातें क्या हैं?

  • भारत में बढ़ने ऊर्जा की मांग:
    • भारत वर्तमान में ऊर्जा ज़रूरतों के मामले में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और देश की ऊर्जा की मांग वर्ष 2030 तक 35% बढ़ने का अनुमान है।
  • हरित हाइड्रोजन की गंभीरता:
    • हरित हाइड्रोजन भारत की ऊर्जा सुरक्षा ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करने के लिये महत्त्वपूर्ण है, साथ ही शुद्ध शून्य की राह पर कठिन क्षेत्रों में उत्सर्जन को कम करने में भी मदद करता है।
    • इसके संदर्भ में, भारत सरकार ने वर्ष 2022 में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन शुरू किया।
      • इसका उद्देश्य वर्ष 2022 और वर्ष 2030 के बीच वितरित की जाने वाली प्रोत्साहन निधि में लगभग 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के माध्यम से हरित हाइड्रोजन उत्पादन तथा खपत को बढ़ावा देना है।
  • भारत में हाइड्रोजन उत्पादन की वर्तमान स्थिति:
    • वर्तमान में, भारत मुख्य रूप से कच्चे तेल रिफाइनरियों और उर्वरक उत्पादन में उपयोग के लिये 6.5 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MMTPA) हाइड्रोजन का उत्पादन करता है।
    • भारत की अधिकांश वर्तमान हाइड्रोजन आपूर्ति ग्रे हाइड्रोजन है, जो कार्बन डाई ऑक्साइड गैस उत्सर्जन पैदा करने वाली प्रक्रिया में जीवाश्म ईंधन का उपयोग करके उत्पादित की जाती है।
    •   हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिये इलेक्ट्रोलिसिस/विद्युत अपघटन  प्रक्रिया हेतु नवीकरणीय ऊर्जा की पर्याप्त आपूर्ति की आवश्यकता होती है।
      • भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हरित हाइड्रोजन विकास के लिये इसके लक्ष्यों का समर्थन कर सकती है, लेकिन तेज़ी से क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है– हरित हाइड्रोजन उत्पन्न करने के साथ-साथ देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अतिरिक्त क्षमता की आवश्यकता है।
    • देश में हरित हाइड्रोजन के लिये ज़मीनी स्तर पर संभावनाएँ सीमित हैं; अधिकांश "वेट एंड वाॅच (wait-and-watch)" चरण में हैं। कई लोगों को उम्मीद है कि वर्ष 2027 और उसके बाद हरित हाइड्रोजन का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हो जाएगा।
  • हरित हाइड्रोजन में बाधाएँ:
    • भारत में हरित हाइड्रोजन के विस्तार के लिये गंभीर बाधाओं में आपूर्ति पक्ष, उत्पादन और वितरण की लागत, मांग पक्ष पर, पारंपरिक औद्योगिक प्रक्रियाओं में हरित हाइड्रोजन का उपभोग करने के लिये भारतीय उद्यमियों की तत्परता शामिल है।

भारत में हरित हाइड्रोजन के विकास के लिये रिपोर्ट द्वारा प्रस्तावित ब्लूप्रिंट क्या है?

  • हरित हाइड्रोजन के उत्पादन की लागत कम करना:
    • आज भारत में हरित हाइड्रोजन के उत्पादन की लागत लगभग 4-5 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम है, जो ग्रे हाइड्रोजन की उत्पादन लागत से लगभग दोगुनी है।
      • हरित हाइड्रोजन (50-70%) की अधिकांश उत्पादन लागत चौबीसों घंटे (RTC) नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यकता से उत्प्रेरित है।
    • भारत में हरित ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिये हरित हाइड्रोजन को 2 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम के बेंचमार्क लक्ष्य तक लाने की आवश्यकता है। जैसे:
      • प्रारंभिक चरण में अडॉप्टर्स (अपनाने वालों) के लिये प्रत्यक्ष सब्सिडी बढ़ाना - उदाहरण के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका ने मुद्रास्फीति कटौती अधिनियम (IRA) के तहत, हाइड्रोजन पर 3 अमेरिकी डॉलर/किलोग्राम तक कर क्रेडिट की घोषणा की है।
      • नीतियों और प्रोत्साहनों पर दीर्घकालिक स्पष्टता के साथ प्रौद्योगिकियों के लिये लंबे पूंजी निवेश चक्रों का समर्थन करना
      • स्वदेशी इलेक्ट्रोलाइज़र प्रौद्योगिकी के विकास और परीक्षण को प्रोत्साहित करना
  • हरित हाइड्रोजन रूपांतरण, भंडारण और परिवहन से संबंधित लागत कम करना:
    • कम उत्पादन लागत के बावजूद, बुनियादी ढाँचे के खर्च (रूपांतरण सुविधाएँ, भंडारण और परिवहन) हरित हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव की समग्र लागत को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
    • इस बुनियादी ढाँचे की स्थापना की लागत को कम करने से वितरण लागत कम होगी और कुल व्यापार में वृद्धि होगी।
      • इसे प्राप्त करने के लिये आवश्यक हस्तक्षेप हैं-
        • अल्प से मध्यम अवधि में, हरित हाइड्रोजन उत्पादन समूहों का विकास करना जहाँ उत्पादन और कुल व्यापार के लिये एक सहयोगी वातावरण निकटता में होता है।
        • पूरे देश में हरित हाइड्रोजन के परिवहन के लिये पाइपलाइनों सहित दीर्घकालिक बुनियादी ढाँचे के निर्माण में निवेश करना।
          • उदाहरण के लिये यूरोपीय संघ के यूरोपीय हाइड्रोजन बैकबोन कार्यक्रम का लक्ष्य यूरोपीय संघ में एक पाइपलाइन नेटवर्क विकसित करना है।

  • उन उद्योगों का समर्थन करें जो हरित हाइड्रोजन को अपनाने की सबसे अधिक संभावना रखते हैं:
    • हरित हाइड्रोजन खपत को अपनाने के लिये कुछ उद्योग दूसरों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं।
      • हरित हाइड्रोजन के लिये भारत की घरेलू मांग को बढ़ाने हेतु प्रोत्साहन, सब्सिडी और अन्य सहायता तंत्रों को संभावित अपनाने वालों को लक्षित करना चाहिये।
    • इनमें से प्रमुख मौजूदा ग्रे हाइड्रोजन उपयोगकर्त्ता हैं। हितधारक प्रत्यक्ष सब्सिडी बढ़ाकर ग्रे हाइड्रोजन के उपयोगकर्त्ताओं के बीच घरेलू हरित ऊर्जा मांग का समर्थन कर सकते हैं।
      • इससे अल्पावधि में हरित हाइड्रोजन की लागत कम हो जाएगी और नए ऊर्जा स्रोत की दीर्घकालिक मांग को बढ़ावा मिलेगा।
  • भारत की निर्यात क्षमता का लाभ उठाएं:
    • अपेक्षाकृत कम लागत वाली नवीकरणीय ऊर्जा, कुशल कार्यबल और नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार के लिये भूमि की प्रचुरता को देखते हुए भारत में हरित हाइड्रोजन व्युत्पन्न निर्यात का केंद्र बनने की क्षमता है।
    • हितधारक बंदरगाहों पर निर्यात बुनियादी ढाँचे में सुधार करके भारत की निर्यात क्षमता का लाभ उठा सकते हैं।
    • हरित हाइड्रोजन डेरिवेटिव को निर्यात करने से पहले उत्पादन स्थल या बंदरगाहों पर परिवर्तित करने की आवश्यकता होती है।
      • निर्यात के लिये बंदरगाह टर्मिनलों पर भंडारण और शिपिंग सुविधाओं की भी आवश्यकता होती है।
  • कार्बन-सघन ऊर्जा स्रोतों को हतोत्साहित करना:
    • हरित हाइड्रोजन अपनाने को प्रोत्साहित करने के अलावा भारत को कार्बन-सघन ऊर्जा स्रोतों को भी हतोत्साहित करना चाहिये।
    • भारत सब्सिडी को उच्च-उत्सर्जन स्रोतों से हटा सकता है और धन को हरित ऊर्जा संक्रमण की ओर पुनर्निर्देशित कर सकता है।
      • एक व्यापक कार्बन-टैक्स व्यवस्था भारत को आबादी के लिये ऊर्जा सामर्थ्य से समझौता किये बिना बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने में मदद कर सकती है।

हरित हाइड्रोजन क्या है?

  • परिचय:
    • हाइड्रोजन प्रमुख औद्योगिक ईंधन है जिसके अमोनिया (प्रमुख उर्वरक), स्टील, रिफाइनरियों और विद्युत उत्पादन सहित विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोग हैं।
    • हालाँकि इस प्रकार निर्मित सभी हाइड्रोजन को तथाकथित 'ब्लैक या ब्राउन' हाइड्रोजन कहा जाता है क्योंकि वे कोयले से उत्पन्न होते हैं।
    • हाइड्रोजन ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है लेकिन शुद्ध हाइड्रोजन की मात्रा अत्यंत ही कम है। 
      • यह लगभग हमेशा ऑक्सीजन के साथ H2O, अन्य यौगिकों में मौजूद होता है।
    • लेकिन जब विद्युत धारा जल से गुज़रती है, तो यह इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से इसे मूल ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में खंडित करती है।
      • यदि इस प्रक्रिया के लिये उपयोग की जाने वाली विद्युत का स्रोत पवन अथवा सौर जैसे नवीकरणीय स्रोत है तो इस प्रकार उत्पादित हाइड्रोजन को हरित हाइड्रोजन कहा जाता है।

 

  • हाइड्रोजन के साथ दर्शाए गए रंग हाइड्रोजन अणु को प्राप्त करने के लिये उपयोग की जाने वाली विद्युत स्रोत को संदर्भित करते हैं।
    • उदाहरणार्थ यदि कोयले का उपयोग किया जाता है तो इसे ब्राउन हाइड्रोजन कहा जाता है।

  • हरित हाइड्रोजन के उत्पादन की आवश्यकता:
    • प्रति इकाई भार में उच्च ऊर्जा सामग्री के कारण हाइड्रोजन ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत है, यही कारण है कि इसका उपयोग रॉकेट ईंधन के रूप में किया जाता है।
    • विशेष रूप से हरित हाइड्रोजन लगभग शून्य उत्सर्जन के साथ ऊर्जा के सबसे स्वच्छ स्रोतों में से एक है।
      • इसका उपयोग कारों के लिये फ्यूल सेल अथवा उर्वरक एवं इस्पात विनिर्माण जैसे ऊर्जा खपत वाले उद्योगों में किया जा सकता है।
    • विश्व भर के देश हरित हाइड्रोजन क्षमता के विकास हेतु कार्य कर रहे हैं क्योंकि यह ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है तथा कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भी मदद कर सकता है।
    • हरित हाइड्रोजन वैश्विक चर्चा का विषय बन गया है, विशेष रूप से जब विश्व अपने सबसे बड़े ऊर्जा संकट का सामना कर रही है एवं जलवायु परिवर्तन का खतरा वास्तविकता में बदल रहा है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित भारी उद्योगों पर विचार कीजिये: (2023)

  1. उर्वरक संयंत्र 
  2. तेलशोधक कारखाने
  3. इस्पात संयंत्र

उपर्युक्त में से कितने उद्योगों के विकार्बनन में हरित हाइड्रोजन की महत्त्वपूर्ण भूमिका होने की अपेक्षा है?

(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: C


प्रश्न. हरित हाइड्रोजन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)

  1. इसे आंतरिक दहन के लिये ईंधन के रूप में सीधे इस्तेमाल किया जा सकता है।  
  2. इसे प्राकृतिक गैस के साथ मिलाकर ताप या शक्ति जनन के लिये ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। 
  3. इसे वाहन चालन के लिये हाइड्रोजन ईंधन प्रकोष्ठ में इस्तेमाल किया जा सकता है।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?

(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: (c)


प्रश्न. हाइड्रोजन ईंधन सेल वाहन "निकास" के रूप में निम्नलिखित में से एक का उत्पादन करते हैं (2010)

(a) NH3
(b) CH4
(c) H2O
(d) H2O2

उत्तर: (c)


हिमालयन वुल्फ का IUCN आकलन

प्रीलिम्स के लिए:

हिमालयन वुल्फ, अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) रेड लिस्ट, लद्दाख और स्पीति घाटी,  सतत् विकास लक्ष्य, आइची लक्ष्य

मेन्स के लिये:

हिमालयी भेड़ियों की जनसंख्या में गिरावट के कारण, हिमालयी भेड़ियों की सुरक्षा के उपाय, संरक्षण।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

हिमालय भर में पाए जाने वाले एक प्रमुख ल्यूपिन शिकारी हिमालयन वुल्फ (कैनिस ल्यूपस चांको) का मूल्यांकन पहली बार अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में किया गया है।

हिमालयन वुल्फ के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय:
    • हिमालयन वुल्फ एक रहस्यमय ल्यूपिन शिकारी है जो हिमालय की उच्च तुंगता वाले क्षेत्रों में निवास करता है।
    • विशिष्ट आनुवंशिक मार्करों द्वारा विशेषता, इसका माइटोकॉन्ड्रियल DNA होलारक्टिक ग्रे वुल्फ से पहले के आनुवंशिक आधार का सुझाव देता है।
  • प्राकृतिक वास:
    • यह चीन, नेपाल, भारत और भूटान के कुछ हिस्सों में पाया जाता है तथा आमतौर पर 10,000 से 18,000 फीट की ऊँचाई पर अल्पाइन घास के मैदानों एवं घास के मैदानों में रहता है। 
      • वे आमतौर पर छोटे झुंडों में यात्रा करते हैं और जंगली भेड़ तथा बकरियों का शिकार करते हैं, कभी-कभी मर्मोट, खरगोश एवं पक्षियों का भी शिकार करते हैं।
  • जनसंख्या स्थिति:
    • 2,275-3,792 वयस्क व्यक्तियों (Mature Person) की जनसंख्या का अनुमान है, ये सभी नेपाल, भारत और तिब्बती पठार की हिमालय शृंखला में एक उप-जनसंख्या के भीतर हैं।
    • भारतीय खंड में मुख्य रूप से लद्दाख और स्पीति घाटी में 227-378 परिपक्व व्यक्ति हैं।
  •   संरक्षण की स्थिति:
    • IUCN स्थिति: सुभेद्य 
    • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची- I

IUCN रेड लिस्ट क्या है?

  • IUCN रेड लिस्ट जीव-जंतुओं, कवक और पादप प्रजातियों में उनके विलुप्ती के संकट का आकलन करने के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण वैश्विक संसाधन है।
  • सभी के लिये सुलभ, यह वैश्विक जैवविविधता स्वास्थ्य के एक महत्त्वपूर्ण संकेतक के रूप में कार्य करता है, यह किसी भी प्रजातियों की विशेषताओं, खतरों और उनके संरक्षण उपायों में व्यापक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है तथा सूचित संरक्षण निर्णयों व नीतियों को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • IUCN रेड लिस्ट श्रेणियाँ मूल्यांकन की गई प्रजातियों के विलुप्त होने के संकट को परिभाषित करती हैं। नौ श्रेणियाँ NE (मूल्यांकित नहीं) से EX (विलुप्त) तक सूचीबद्ध हैं। गंभीर रूप से संकटग्रस्त (CR), संकटग्रस्त (EN) और सुभेद्य (VU) प्रजातियों को विलुप्त होने का खतरा माना जाता है।
  • IUCN रेड लिस्ट में प्रजातियों की IUCN ग्रीन स्टेटस शामिल है, जो प्रजातियों की जीवसंख्या की पुनर्प्राप्ति का आकलन करती है और उनके संरक्षण की सफलता का आकलन करती है।
    • आठ ग्रीन स्टेटस श्रेणियाँ: वन में विलुप्त, गंभीर रूप से विलुप्त, बड़े पैमाने पर विलुप्त, मध्यम रूप से विलुप्त, किंचित् विलुप्त, पूर्णतया पुनर्प्राप्त, गैर-क्षीण और अनिश्चित।
    • ग्रीन स्टेटस मूल्यांकन यह जाँच करता है कि संरक्षण कार्यों ने वर्तमान रेड लिस्ट स्थिति को किस प्रकार प्रभावित किया है।

हिमालयन वुल्फ की संख्या निरंतर क्यों घट रही है?

  • पर्यावास का ह्रास: IUCN रेड लिस्ट आकलन के अनुसार हिमालयी भेड़ियों के पर्यावास के क्षेत्र, विस्तार तथा गुणवत्ता में निरंतर गिरावट जारी है।
  • हत्या संघर्ष: भेड़ियों के पर्यावास में अमूमन पशुओं के चरने के लिये ग्रीष्मकालीन चारागाह शामिल होते हैं, मौसमी अथवा स्थायी उच्च पशुधन बहुतायत के कारण उनके बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है जो भेड़ियों के संरक्षण में चिंता का विषय है।
    • इन संघर्षों के परिणामस्वरूप भेड़िया संरक्षण के प्रति नकारात्मक अवधारणा विकसित होती है और भेड़ियों के बढ़ते हमले को देखते हुए अपने पशुधन के संरक्षण हेतु उनकी हत्या का प्रयास किया जाता है। 
  • कुत्तों के साथ संकरण: उक्त रिपोर्ट में बताया गया कि लद्दाख तथा स्पीति में हिमालयी भेड़ियों के लिये एक बढ़ती समस्या घरेलू कुत्तों के साथ संकरण है। इसकी स्थिति और अधिक चुनौतीपूर्ण होती जा रही है क्योंकि इन क्षेत्रों में जंगली कुत्ते की संख्या अधिक है।
    • संकरण के परिणामस्वरूप भेड़ियों तथा भेड़िया-कुत्ते संकरों के बीच क्षेत्र एवं शिकार जैसे संसाधनों के लिये प्रतिस्पर्द्धा बढ़ सकती है।
  • अवैध शिकार: भेड़िये का उसके फर तथा शरीर के अंगों जैसे पंजे, जीभ, सिर एवं अन्य हिस्सों के व्यापार के लिये भी अवैध रूप से शिकार किया जाता है। हालाँकि इन भेड़ियों का शिकार सभी श्रेणी के राज्यों में विधिक नहीं है।

हिमालयन वुल्फ की सुरक्षा के लिये क्या उपाय किये जाने चाहिये?

  • सुरक्षा एवं पुनर्स्थापना: स्वस्थ वन्य शिकार आबादी तथा परिदृश्यों को सुरक्षित एवं पुनर्स्थापित करना और वन्यजीव आवास आश्रयों को पृथक करना।
  • सुरक्षा के तरीकों में सुधार करना: बेहतर पशुधन सुरक्षा उपाय, जैसे कि शिकारी-प्रूफ कोरल पेन और टिकाऊ पशुधन चरवाहा गतिविधियों का उपयोग, जैसे कम पशुधन भार, अनुकूलित चरवाहा तथा रचनात्मक लेकिन परंपरा-आधारित समग्र प्रबंधन रणनीतियों का विकास, भेड़ियों के संरक्षण में मदद करेगा।
  • जंगली कुत्तों की आबादी का प्रबंधन: संयुक्त रूप से रहने वाले कुत्तों की आबादी का प्रबंधन करके, भेड़ियों के आवासों में पारिस्थितिक संतुलन को संरक्षित किया जा सकता है।
  • सीमापारीय प्रयास: यह सीमा पार कनेक्टिविटी भेड़ियों की आबादी की निर्बाध गतिशीलता और उनके प्राकृतिक व्यवहार के संरक्षण के लिये महत्त्वपूर्ण है, जो समन्वित अनुसंधान तथा निगरानी कार्यक्रमों के माध्यम से पूरा किया जाता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

प्रश्न. ‘संक्रामक (इन्वेसिव) जीव-जाति (स्पीशीज़) विशेषज्ञ समूह’ (जो वैश्विक संक्रामक जीव-जाति डेटाबेस विकसित करता है) निम्नलिखित में से किस एक संगठन से संबंधित है? (2023)

(a) अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (इंटरनैशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर)
(b) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूनाइटेड नेशंस एन्वाइरनमेंट प्रोग्राम)
(c) संयुक्त राष्ट्र का पर्यावरण एवं विकास पर विश्व आयोग (यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड कमीशन फॉर एन्वाइरनमेंट ऐंड डेवेलप्मेंट)
(d) प्रकृति के लिये विश्वव्यापी निधि (वर्ल्डवाइड फंड फॉर नेचर) 

उत्तर: (a)


मेन्स: 

प्रश्न. भारत में जैवविविधता किस प्रकार भिन्न है? जैवविविधता अधिनियम, 2002 वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण में किस प्रकार सहायक है?  (वर्ष 2018)


बहुआयामी गरीबी सूचकांक: नीति आयोग

प्रिलिम्स के लिये:

नीति आयोग, बहुआयामी गरीबी, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS), सतत् विकास लक्ष्य, पोषण अभियान, एनीमिया मुक्त भारत

मेन्स के लिये:

बहुआयामी गरीबी सूचकांक: नीति आयोग, सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुआयामी गरीबी उन्मूलन का महत्त्व।

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीति आयोग ने 'वर्ष 2005-06 से भारत में बहुआयामी गरीबी' शीर्षक से एक चर्चा पत्र जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि पिछले नौ वर्षों में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से उबर गए हैं।

राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक क्या है?

  • राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन समान रूप से भारित आयामों में एक साथ अभाव का आकलन करती है जो 12 सतत् विकास लक्ष्य-संरेखित संकेतकों द्वारा दर्शाए जाते हैं।
  • इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, भोजन पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, ऊर्जा, आवास, संपत्ति तथा बैंक खाते शामिल हैं।
  • MPI की वैश्विक कार्यप्रणाली मज़बूत अलकाईर और फोस्टर (Alkire and Foster- AF)) पद्धति पर आधारित है जो विकट गरीबी का आकलन करने के लिये डिज़ाइन किये गए सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत मैट्रिक्स के आधार पर लोगों को गरीब के रूप में पहचान करती है, जो पारंपरिक मौद्रिक गरीबी उपायों के लिये एक पूरक परिप्रेक्ष्य प्रदान करती है।
    • हालाँकि, राष्ट्रीय MPI में 12 संकेतक शामिल हैं जबकि वैश्विक MPI में 10 संकेतक शामिल हैं।

वैश्विक MPI संकेतक

राष्ट्रीय MPI संकेतक

वर्ष 2005-2006 के बाद से भारत में बहुआयामी निर्धनता सूचकांक की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • बहुआयामी निर्धनता में समग्र गिरावट: 
    • भारत में बहुआयामी निर्धनता में उल्लेखनीय कमी आई है जो वर्ष 2013-14 में 29.17% से घटकर वर्ष 2022-23 में 11.28% हो गई है जो 17.89% अंक की कमी दर्शाता है।
    • विगत नौ वर्षों (वर्ष 2013-14 से वर्ष 2022-23) में लगभग 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी निर्धनता की स्थिति से बाहर आए हैं। इस सकारात्मक बदलाव का श्रेय सरकार की विभिन्न पहलों को दिया जाता है।

  • राज्यवार गिरावट:
    • उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में MPI के आधार पर निर्धन के रूप में वर्गीकृत लोगों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है।
      • उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक गिरावट देखी गई, जहाँ 5.94 करोड़ लोग बहुआयामी निर्धनता से बाहर आए, इसके बाद बिहार में 3.77 करोड़, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में लोग उक्त निर्धनता पर काबू कर पाए।

  • सभी संकेतकों में सुधार:
    • MPI के सभी 12 संकेतकों ने महत्त्वपूर्ण सुधार देखा गया जो स्वास्थ्य, शिक्षा एवं जीवन स्तर के आयामों में प्रगति को दर्शाता है।
  • अभाव की गंभीरता:
    • वर्ष 2005-06 तथा वर्ष 2013-14 की तुलना में वर्ष 2015-16 एवं वर्ष 2019-21 के बीच अभाव की गंभीरता (Severity of Deprivation- SoD) में थोड़ी कम दर से गिरावट आई है।
      • SoD उन अभावों को मापता है जिनसे औसत बहुआयामी निर्धन व्यक्ति पीड़ित होता है।
    • इसके अतिरिक्त अल्प वर्षों की अवधि के कारण विगत दशक की तुलना में कुल जनसंख्या में MPI निर्धन व्यक्तियों की हिस्सेदारी में कमी के मामले में वर्ष 2015-16 के बाद अभाव में कमी तेज़ी से हुई
      • वर्ष 2005-06 में भारत की कुल जनसंख्या में MPI निर्धन व्यक्तियों की हिस्सेदारी 55.34% थी।
  • SDG लक्ष्य उपलब्धि:
    • भारत द्वारा सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals- SDG) लक्ष्य 1.2 प्राप्त करने की संभावना है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 से पहले "राष्ट्रीय परिभाषाओं के अनुसार सभी आयामों में निर्धनता में जीवन-यापन करने वाले सभी आयु के पुरुषों, महिलाओं एवं बच्चों के अनुपात को उनकी कुल संख्या से कम-से-कम से आधा" कम करना है। .
    • जीवन स्तर के आयाम से संबंधित संकेतकों में महत्त्वपूर्ण सुधार सामने आए, जैसे कि भोजन पकाने हेतु ईंधन, स्वच्छता सुविधाओं एवं बैंक खातों तक पहुँच में सुविधा विस्तारित हुई।
  • MPI में गिरावट में संचालकों की मदद:

नीति आयोग क्या है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

प्रश्न. अटल नवप्रवर्तन (इनोवेशन) मिशन किसके अधीन स्थापित किया गया है? (2019) 

(a) विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
(b) श्रम और रोज़गार मंत्रालय
(c) नीति आयोग
(d) कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय

उत्तर: (c) 


प्रश्न. भारत सरकार ने नीति (NITI) आयोग की स्थापना निम्नलिखित में से किसका स्थान लेने के लिये की है?    (2015) 

(a) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
(b) वित्त आयोग
(c) विधि आयोग
(d) योजना आयोग

उत्तर: (d) 


मेन्स:

प्रश्न. भारत के नीति आयोग द्वारा अनुसरण किये जा रहे सिद्धांत इससे पूर्व के योजना आयोग द्वारा अनुसरित सिद्धांतों से किस प्रकार भिन्न हैं? (2018)