शासन व्यवस्था
सोलर रूफटॉप
- 26 Nov 2022
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य की प्राप्ति के लिये योजनाएँ और कार्यक्रम मेन्स के लिये:नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भारत की उपलब्धियाँ, भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य, चुनौतियाँ और इसे प्राप्त करने के लिये की गई पहल। |
चर्चा में क्यों?
मेरकॉम रिसर्च इंडिया के अनुसार, जुलाई से सितंबर 2022 की अवधि में भारत में रूफटॉप सौर क्षमता स्थापना 29% घटकर 320 मेगावाट हो गई।
रिसर्च के निष्कर्ष:
- संचयी स्थापना:
- 2022 की तीसरी तिमाही के अंत में संचयी रूफटॉप सोलर (Rooftop Solar- RTS) स्थापना (इंस्टॉलेशन) 3 GW तक पहुँच गई।
- उच्चतम रूफटॉप सौर प्रतिष्ठानों के साथ गुजरात अग्रणी राज्य बन गया, इसके बाद महाराष्ट्र और राजस्थान का स्थान रहा।
- संचयी रूफटॉप सौर प्रतिष्ठानों का लगभग 73% हिस्सा शीर्ष 10 राज्यों में है।
- इंस्टॉलेशन में गिरावट:
- वर्ष 2022 में जनवरी-सितंबर के दौरान 1,165 मेगावाट का इंस्टॉलेशन वर्ष 2021 के इन्ही नौ महीने की अवधि में 1,310 मेगावाट इंस्टॉलेशन की तुलना में 11% कम है।
- गिरावट का कारण:
- लागत में वृद्धि होने के कारण सौर इंस्टॉलेशन में कमी आ रही है।
- निर्माता और मॉड्यूल की स्वीकृत सूची (Approved List of Module and Manufacturers- ALMM) के कारण बाज़ार आपूर्ति की समस्या से जूझ रहा है, जिससे इंस्टॉलर के लिये आमतौर पर व्यवसाय करना मुश्किल हो रहा है।
रूफटॉप सोलर:
- परिचय:
- रूफटॉप सोलर एक फोटोवोल्टिक प्रणाली है जिसमें बिजली पैदा करने वाले सौर पैनल आवासीय या व्यावसायिक भवन या संरचना की छत पर लगे होते हैं।
- रूफटॉप माउंटेड सिस्टम मेगावाट रेंज क्षमता वाले ग्राउंड-माउंटेड फोटोवोल्टिक पावर स्टेशनों की तुलना में छोटे होते हैं।
- आवासीय भवनों पर रूफटॉप पीवी सिस्टम में आमतौर पर लगभग 5 से 20 किलोवाट (kW) की क्षमता होती है, जबकि वाणिज्यिक भवनों पर यह 100 किलोवाट या उससे अधिक होती हैैं।
- चुनौतियाँ:
- फ्लिप-फ्लॉपिंग नीतियाँ:
- हालाँकि कई कंपनियों ने सौर ऊर्जा का उपयोग करना शुरू कर दिया है, किंतु ‘फ्लिप-फ्लॉपिंग’ नीतियाँ (नीतियों में अचानक परिवर्तन) इस संबंध में एक बड़ी बाधा बनी हुई हैं, खासकर बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के संदर्भ में।
- उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि जब डिस्कॉम और राज्य सरकारों ने इस क्षेत्र के लिये नियमों को कड़ा करना शुरू किया तो RTS कई उपभोक्ता क्षेत्रों के लिये महत्त्वपूर्ण बन गया।
- भारत के वस्तु और सेवा कर (GST) परिषद ने हाल ही में सौर प्रणाली के कई घटकों के GST को 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया है।
- इससे RTS की पूंजीगत लागत 4-5% बढ़ जाएगी।
- नियामक ढाँचा:
- RTS खंड का विकास नियामक ढाँचे पर अत्यधिक निर्भर है।
- धीमी वृद्धि मुख्य रूप से RTS खंड हेतु राज्य-स्तरीय नीति समर्थन की अनुपस्थिति या वापसी के कारण हुई है, विशेष रूप से व्यापार और औद्योगिक खंड के लिये जो लक्षित उपभोक्ताओं का बड़ा हिस्सा है।
- नेट और ग्रॉस मीटरिंग पर असंगत नियम:
- नेट मीटरिंग नियम इस क्षेत्र की प्रमुख बाधाओं में से एक हैं।
- एक रिपोर्ट के अनुसार, बिजली मंत्रालय के नए नियम, जो 10 किलोवाट (kW) से ऊपर के रूफटॉप सोलर सिस्टम को नेट-मीटरिंग से बाहर रखते हैं, भारत में इस तरह के इंस्टॉलेशन देश के रूफटॉप सोलर टारगेट को प्रभावित करेंगे।
- नए नियमों में रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट्स के लिये 10 kW तक नेट-मीटरिंग और 10 kW से ऊपर के लोड वाले सिस्टम के लिये ग्रॉस मीटरिंग अनिवार्य है।
- नेट मीटरिंग आरटीएस सिस्टम द्वारा उत्पादित अधिशेष बिजली को ग्रिड में वापस फीड करने की अनुमति देता है।
- सकल मीटरिंग योजना के तहत राज्य बिजली वितरण कंपनियाँ (DISCOMS) उपभोक्ताओं द्वारा ग्रिड को आपूर्ति की जाने वाली सौर ऊर्जा के लिये एक निश्चित फीड-इन-टैरिफ के साथ उपभोक्ताओं को मुआवज़ा देती हैं।
- कम वित्तपोषण:
- वाणिज्यिक संस्थान और आवासीय क्षेत्र बैंक ऋण प्राप्त करके ग्रिड से जुड़े आरटीएस स्थापित करने के इच्छुक हैं।
- केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Union Ministry of New and Renewable Energy- MNRE) ने बैंकों को आरटीएस के लिये रियायती दरों पर ऋण देने की सलाह दी है। हालाँकि राष्ट्रीयकृत बैंक शायद ही RTS को ऋण देते हैं।
- इस प्रकार कई निजी संस्थान बाज़ार में आ गए हैं जो RTS के लिये 10-12% जैसी उच्च दरों पर ऋण प्रदान करते हैं।
- फ्लिप-फ्लॉपिंग नीतियाँ:
सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु योजनाएँ:
- रूफटॉप सोलर योजना: योजना का मुख्य उद्देश्य घरों की छत पर सोलर पैनल लगाकर सौर ऊर्जा उत्पन्न करना है। साथ ही नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने ग्रिड से जुड़ी रूफटॉप सोलर योजना के चरण 2 के कार्यान्वयन की घोषणा की है।
- इसका लक्ष्य वर्ष 2022 तक रूफटॉप सौर परियोजनाओं से 40,000 मेगावाट की संचयी क्षमता हासिल करना है।
- किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान: इस योजना में ग्रिड से जुड़े अक्षय ऊर्जा बिजली संयंत्र (0.5 - 2 मेगावाट) / सौर जल पंप / ग्रिड से जुड़े कृषि पंप शामिल हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA) : ISA, भारत की एक पहल है जिसे 30 नवंबर, 2015 को पेरिस, फ्रांँस में भारत के प्रधानमंत्री और फ्रांँस के राष्ट्रपति द्वारा पार्टियों के सम्मेलन (COP-21) में शुरू किया गया था। इस संगठन के सदस्य देशों में वे 121 सौर संसाधन संपन्न देश शामिल हैं जो पूर्ण या आंशिक रूप से कर्क और मकर रेखा के मध्य स्थित हैं।
- वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड (OSOWOG): यह वैश्विक सहयोग को सुविधाजनक बनाने हेतु एक रूपरेखा पर केंद्रित है, जो परस्पर नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों (मुख्य रूप से सौर ऊर्जा) के वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर उसे साझा करता है।
- राष्ट्रीय सौर मिशन (जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में राष्ट्रीय कार्ययोजना का एक हिस्सा)।
आगे की राह
- RTS को आसान वित्तपोषण, अप्रतिबंधित नेट मीटरिंग और एक आसान नियामक प्रक्रिया की आवश्यकता है। सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों व अन्य प्रमुख उधारदाताओं को खंड को उधार देने के लिये निर्धारित किया जा सकता है।
- भारतीय RTS खंड की चुनौतियों का सामना करने के लिये कुछ मौजूदा बैंक लाइन ऑफ क्रेडिट को अनुकूलित किया जा सकता है जिससे इस क्षेत्र को डेवलपर्स के लिये और अधिक आकर्षक बनाया जा सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न: भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) व्याख्या:
प्रश्न. 'नेट मीटरिंग' को कभी-कभी समाचारों में किसको बढ़ावा देने के संदर्भ में देखा जाता है? (2016) (a) परिवारों/उपभोक्ताओं द्वारा सौर ऊर्जा का उत्पादन और उपयोग उत्तर: (a) प्रश्न: भारत में सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएँ हैं, हालाँकि इसके विकास में क्षेत्रीय भिन्नताएँ हैं। व्याख्या कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2020) |