इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान में माओवादियों से मुठभेड़ | छत्तीसगढ़ | 17 Jan 2025
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले में इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान में मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों ने पाँच माओवादियों को मार गिराया।
मुख्य बिंदु
- इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान में परिचालन:
- माओवादी गतिविधि के बारे में खुफिया जानकारी मिलने के बाद कई सुरक्षा टीमें बांदेपारा-कोरंजेड क्षेत्र में पहुँचीं।
- सुरक्षा बलों ने उनकी वर्दी के आधार पर माओवादियों की पहचान पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) के सदस्यों के रूप में की।
- बरामद हथियार:
- बरामद वस्तुओं में एक सेल्फ-लोडिंग राइफल, एक बैरल ग्रेनेड लांचर, एक 12-बोर बंदूक, एक भारमार बंदूक, विस्फोटक और अन्य हथियार शामिल हैं।
इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान
- परिचय:
- यह छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले में स्थित है।
- इसकी स्थापना 1981 में हुई थी और इसे भारत के प्रोजेक्ट टाइगर के तहत 1983 में बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था।
- इसका नाम इंद्रावती नदी के नाम पर रखा गया है, जो पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है और महाराष्ट्र के साथ रिजर्व की उत्तरी सीमा बनाती है।
- वनस्पति प्रवर्द्धन:
- इसमें तीन प्रमुख वन प्रकार शामिल हैं:
- सागौन सहित नम मिश्रित पर्णपाती वन।
- सागौन रहित नम मिश्रित पर्णपाती वन।
- दक्षिणी शुष्क मिश्रित पर्णपाती वन.
- वनस्पति:
- सामान्य वृक्ष प्रजातियों में सागौन, अचार, कर्रा, कुल्लू, शीशम, सेमल, हल्दू, अर्जुन, बेल और जामुन शामिल हैं।
- जीव-जंतु:
- यहाँ दुर्लभ जंगली भैंसों की अंतिम आबादियों में से एक मौजूद है।
- अन्य प्रजातियों में नीलगाय, काला हिरण, सांभर, गौर, बाघ, तेंदुआ, चीतल, भालू आदि शामिल हैं।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पाया गया यूट्रीकुलेरिया | राजस्थान | 17 Jan 2025
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में एक दुर्लभ और अनोखा मांसाहारी पौधा 'यूट्रीकुलेरिया' खोजा गया है।
- सामान्यतः ब्लैडरवॉर्ट्स के नाम से जाना जाने वाला यह पौधा आमतौर पर मेघालय और दार्जिलिंग जैसे क्षेत्रों में पाया जाता है।
मुख्य बिंदु
- जैव विविधता में भूमिका:
- विशेषज्ञों का मानना है कि उद्यान में ब्लैडरवॉर्ट की उपस्थिति जैव विविधता को बढ़ाती है और केवलादेव के पारिस्थितिकी तंत्र में सकारात्मक योगदान देती है।
- यूट्रीकुलेरिया छोटे कीटों को पकड़कर पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- भारत में इसे आखिरी बार 36 वर्ष के अंतराल के बाद वर्ष 2021 में उत्तराखंड के चमोली की मंडल घाटी में खोजा गया था।
- फीडिंग मैकेनिज़्म:
- यह पौधा अपने मूत्राशय जैसे जाल में प्रोटोजोआ, कीट, लार्वा, मच्छर और टैडपोल जैसे जीवों को फँसा लेता है।
- एक बार फँस जाने पर, जीव मूत्राशय के अंदर ही मर जाता है।
- यूट्रीकुलेरिया की स्थलीय प्रजातियाँ पानी से भरी मिट्टी में पनपती हैं, जहां वे छोटे तैरने वाले जीवों को पकड़ती हैं।
- आदर्श विकास स्थितियाँ:
- यूट्रीकुलेरिया की वृद्धि पंचना बाँध से प्रचुर मात्रा में जल की आपूर्ति के कारण होती है, जो पौधे की वृद्धि के लिये आदर्श परिस्थितियाँ उत्पन्न करती है।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
- परिचय:
- यह राजस्थान के भरतपुर में स्थित एक आर्द्रभूमि और पक्षी अभयारण्य और UNESCO विश्व धरोहर स्थल है।
- यह अपनी समृद्ध पक्षी विविधता और जलपक्षियों की प्रचुरता के लिये जाना जाता है और यहाँ 365 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें साइबेरियाई सारस जैसी कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियाँ भी शामिल हैं।
- जीव-जंतु:
- इस क्षेत्र में सियार, सांभर, नीलगाय, जंगली बिल्ली, लकड़बग्घा, जंगली सूअर, साही और नेवला जैसे जानवर पाए जा सकते हैं।
- वनस्पति:
- प्रमुख वनस्पति प्रकार उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन हैं, जिनमें बबूल नीलोटिका का प्रभुत्व है तथा शुष्क घास के मैदान भी इसमें शामिल हैं।
- नदी:
- गंभीर और बाणगंगा दो नदियाँ हैं जो इस राष्ट्रीय उद्यान से होकर बहती हैं।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड | राजस्थान | 17 Jan 2025
चर्चा में क्यों?
शोधकर्त्ताओं ने राजस्थान के डेजर्ट नेशनल पार्क (DNP) में 12 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) देखे। इससे भारत की सबसे गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों में से एक को संरक्षित करने के प्रयासों को बढ़ावा मिला है।
मुख्य बिंदु
- GIB जनसंख्या स्थिति:
- GIB गंभीर रूप से संकटग्रस्त है तथा केवल 173 पक्षी ही बचे हैं।
- इनमें से 128 प्रजातियाँ वनों में निवास करती हैं, जबकि अन्य पक्षियों को कैद में रखा जाता है।
- राजस्थान के अलावा यह प्रजाति गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में भी पाई जाती है।
- संरक्षण प्रयास:
- शिकार, आवास की क्षति और विखंडन के कारण वर्ष 2011 में IUCN रेड लिस्ट में GIB को "गंभीर रूप से संकटग्रस्त" के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
- इसके जवाब में, राजस्थान ने इस प्रजाति के संरक्षण के लिये वर्ष 2013 में 12.90 करोड़ रुपए की परियोजना शुरू की, जिसका उद्देश्य इसके आवास की सुरक्षा और प्रजनन की स्थिति में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना था।
- इस परियोजना के तहत दो स्थानों, सम और रामदेवरा में 45 बस्टर्ड का सफल प्रजनन किया गया।
- आवास संरक्षण और प्रजनन:
- देखे गए पक्षी जंगल में पैदा हुए थे, जिनमें से अधिकांश मादाएँ तीन से चार वर्ष की थीं तथा कुछ नर एक वर्ष तक के थे।
- उनके आवास की सुरक्षा के प्रयासों में घास के मैदानों में सुधार करना और पक्षियों को रेगिस्तानी लोमड़ियों, बिल्लियों और नेवलों जैसे शिकारियों से बचाने के लिये बाड़ लगाना शामिल है।
- संरक्षण में मील का पत्थर:
- वर्ष 2018 में भारतीय वन्यजीव संस्थान ने राजस्थान सरकार और वन विभाग के साथ मिलकर जैसलमेर में राष्ट्रीय संरक्षण प्रजनन केंद्र की स्थापना की।
- अक्तूबर 2024 में, राजस्थान ने एक मील का पत्थर प्राप्त किया जब कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से एक ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का सफलतापूर्वक जन्म हुआ।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
- परिचय:
- राजस्थान का राज्य पक्षी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (अर्डियोटिस नाइग्रिसेप्स) भारत का सबसे संकटग्रस्त पक्षी माना जाता है।
- इसे प्रमुख घासभूमि प्रजाति माना जाता है, जो घासभूमि पारिस्थितिकी के स्वास्थ्य का प्रतिनिधित्व करती है।
- संरक्षण स्थिति:
मरुस्थल राष्ट्रीय उद्यान
विश्व का सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेन इंजन | हरियाणा | 17 Jan 2025
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय रेल मंत्री ने घोषणा की कि भारत ने विश्व का सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन इंजन विकसित करके हरित ऊर्जा नेतृत्व में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है।
हाइड्रोजन चालित रेल इंजन का पहला परीक्षण हरियाणा के जींद-सोनीपत मार्ग पर किया जाएगा।
मुख्य बिंदु
- भारत के हाइड्रोजन ट्रेन इंजन की मुख्य विशेषताएँ:
- पावर आउटपुट: 1,200 हॉर्सपावर, वैश्विक समकक्षों से अधिक।
- प्रौद्योगिकी: पूर्णतः स्वदेशी विशेषज्ञता का उपयोग करके विकसित की गई।
- ग्रीन माइलस्टोन: यह भारत में हाइड्रोजन-चालित परिवहन की ओर एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- वैश्विक नेतृत्व:
- वर्तमान में केवल चार देश- जर्मनी, फ्राँस, स्वीडन और चीन- हाइड्रोजन चालित रेलगाड़ियाँ चलाते हैं, जो 500-600 हॉर्सपावर की शक्ति प्रदान करती हैं।
- भारत का स्वदेशी रूप से विकसित हाइड्रोजन इंजन 1,200 अश्वशक्ति की शक्ति के साथ इनसे आगे है, जो अपनी श्रेणी में सर्वाधिक है।
- स्वदेशी विकास:
- यह इंजन पूर्णतः स्वदेशी विशेषज्ञता द्वारा विकसित किया गया है, जो स्वच्छ ऊर्जा समाधान में देश के नवाचार को प्रदर्शित करता है।
- यह उपलब्धि भारत को हरित ऊर्जा-संचालित विकास में प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का नेतृत्व करने की दिशा में एक कदम है।
हरित ऊर्जा
- हरित ऊर्जा को नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसे स्वच्छ, सतत् या नवीकरणीय ऊर्जा के रूप में भी जाना जाता है।
- हरित ऊर्जा उत्पादन से वायुमंडल में कोई खतरनाक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित नहीं होती, जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण पर बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
- सौर, पवन, भू-तापीय, बायोगैस, कम प्रभाव वाली जलविद्युत और कुछ योग्य बायोमास स्रोत सभी प्रमुख हरित ऊर्जा स्रोत हैं।
फाल्केटेड डक | हरियाणा | 17 Jan 2025
चर्चा में क्यों?
हाल ही में गुरुग्राम के सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान में पक्षी प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों ने एक दुर्लभ पक्षी प्रजाति, फाल्केटेड डक को देखा।
मुख्य बिंदु
- फाल्केटेड डक:
- फाल्केटेड टील (मारेका फाल्काटा), जिसे फाल्केटेड डक के नाम से भी जाना जाता है, एक डैबलिंग बतख है।
- वितरण/ डिस्ट्रीब्यूशन:
- पूर्वी साइबेरिया और मंगोलिया से लेकर उत्तरी जापान तक पाया जाता है।
- शीतकालीन प्रवास क्षेत्र दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्वी भारत में शामिल हैं।
- अमेरिका, पोलैंड और थाईलैंड में भी इसके दुर्लभ दृश्य दर्ज किये गये हैं।
- प्राकृतिक वास:
- यह वनों से घिरी स्वच्छ जल की झीलों, तालाबों, नदियों और दलदलों को पसंद करता है।
- प्रजनन:
- प्रजनन काल मई से जुलाई के प्रारंभ तक रहता है।
- घोंसले आमतौर पर पानी के पास जमीन पर, ऊँची घास या झाड़ियों में बनाए जाते हैं।
- आहार:
- मुख्यतः शाकाहारी, वनस्पति पदार्थ, बीज, चावल और जलीय पौधे खाते हैं।
- कभी-कभी छोटे अकशेरुकी और नरम खोल वाले मोलस्क का सेवन करता है।
- परिसंकट:
- उनके मांस और पंखों की मांग के कारण शिकार एक बड़ा संकट है।
- संरक्षण की स्थिति:
सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान
- परिचय:
- सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिये एक स्वर्ग है। यह प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के लिये प्रसिद्ध है।
- प्रवासी पक्षी सितंबर में उद्यान में आना शुरू हो जाते हैं। पक्षी मार्च-अप्रैल तक उद्यान को आरामगाह के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
- गर्मियों और मानसून के महीनों के दौरान उद्यान में कई स्थानीय पक्षी प्रजातियाँ निवास करती हैं।
- अप्रैल 1971 में, उद्यान के अंदर सुल्तानपुर झील (1.21 वर्ग किमी. का क्षेत्र) को पंजाब वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1959 की धारा 8 के तहत अभयारण्य का दर्जा दिया गया था।
- जुलाई 1991 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के अंतर्गत उद्यान का दर्जा बढ़ाकर राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया।
- स्थान:
- यह उद्यान हरियाणा के गुड़गाँव ज़िले में स्थित है। उद्यान की दूरी दिल्ली से लगभग 50 किलोमीटर और गुड़गाँव से 15 किलोमीटर है।
- उद्यान में महत्त्वपूर्ण जीव: