उत्तर प्रदेश
‘सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना’राष्ट्र को समर्पित
- 13 Dec 2021
- 4 min read
चर्चा में क्यों?
11 दिसंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के जनपद बलरामपुर में 9800 करोड़ रुपए की लागत की ‘सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना’को राष्ट्र को समर्पित किया।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का काम चार दशक पहले वर्ष 1978 में इंदिरा गांधी के कार्यकाल में बहराइच ज़िले में शुरू हुआ था, तब इस परियोजना की लागत 100 करोड़ रुपए से भी कम थी। वर्ष 1982 में बलरामपुर सहित 9 ज़िलों को इस परियोजना से जोड़ा गया।
- इस परियोजना की लंबाई 318 किमी. है, जबकि 6623 किमी. लंबी नहर प्रणालियों का निर्माण किया गया है, जो इस परियोजना से लिंक हैं। वर्ष 2012 में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था।
- इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के जनपद बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, गोरखपुर तथा महराजगंज के 6,227 ग्रामों के 30 लाख से अधिक किसान लाभान्वित होंगे तथा इन 9 जनपदों की लगभग 15 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सपने ‘नदी जोड़ो परियोजना’को पूरा करती है। यह परियोजना घाघरा नदी को सरयू नदी से, सरयू नदी को राप्ती नदी से, राप्ती नदी को बाणगंगा नदी से एवं बाणगंगा नदी को रोहिन नदी से क्रमश: जोड़ती है।
- इस परियोजना से इस क्षेत्र के किसान सब्जी एवं बागवानी जैसे अन्य कृषिगत कार्य कर पाएंगे। कृषि उत्पादन में वृद्धि के कारण किसानों की आमदनी में इजाफा होगा।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना में घाघरा एवं सरयू नदी जहाँ मिलती हैं, वहां पर पहला बैराज बनाया गया है। यह बैराज नेपाल की सीमा से मात्र 7 किलो मीटर की दूरी पर है। इस परियोजना से यह क्षेत्र प्राकृतिक संपदा से भरपूर होगा। यहाँ पर पर्यटन की अनेक संभावनाएँ विकसित होंगी। किसानों की आमदनी बढ़ेगी, नौजवानों को रोज़गार के साधन उपलब्ध होंगे, जिससे यहाँ का नौजवान सक्षम एवं सामर्थ्यवान बनेगा।
- उल्लेखनीय है कि किसानों की आय को वर्ष 2022 तक दोगुना करने के लिये देश में लगभग 100 सिंचाई परियोजनाओं को लक्षित किया गया और इन सिंचाई परियोजनाओं को समयबद्ध ढंग से आगे बढ़ाने का कार्य प्रारंभ हुआ। इस योजना में प्रदेश की जिन 18 परियोजनाओं का चयन किया गया था, उनमें से 17 परियोजनाएँ पूरी हो गई हैं। इन 17 सिंचाई परियोजनाओं के पूरा होने से प्रदेश की 22 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा प्राप्त हो रही है।