आंतरिक सुरक्षा
वामपंथी उग्रवाद
- 27 Apr 2024
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प्रिलिम्स के लिये:LWE, माओवाद, समाधान पहल, आदिवासियों के मुद्दे। मेन्स के लिये:भारत में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित मुद्दे, भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौतियाँ, वामपंथी उग्रवाद, माओवाद, समाजवाद, भारत में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ और असम से नक्सली हमले की दो अलग-अलग घटनाएँ सामने आईं।
- छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों के सबसे बड़े ऑपरेशन में से एक में छत्तीसगढ़ के काँकेर इलाके में 29 नक्सली मारे गए।
- जबकि एक अन्य घटना में नक्सलियों ने पूर्वी असम के तिनसुकिया ज़िले में पैरामिलिट्री असम राइफल्स के तीन वाहनों पर घात लगाकर हमला किया गया।
नक्सलवाद क्या है?
- उत्पत्ति:
- नक्सलवाद शब्द का नाम पश्चिम बंगाल के गाँव नक्सलबाड़ी से लिया गया है।
- इसकी शुरुआत स्थानीय ज़मींदारों के खिलाफ विद्रोह के रूप में हुई, जिसने भूमि विवाद पर एक किसान की पिटाई की थी।
- यह आंदोलन जल्द ही पूर्वी भारत में छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों के कम विकसित क्षेत्रों में फैल गया।
- वामपंथी उग्रवादी (LWE) विश्व भर में माओवादियों और भारत में नक्सली के रूप में लोकप्रिय हैं।
- उद्देश्य:
- वे सशस्त्र क्रांति के माध्यम से भारत सरकार को उखाड़ फेंकने और माओवादी सिद्धांतों पर आधारित एक कम्युनिस्ट राज्य की स्थापना का समर्थन करते हैं।
- वे राज्य को दमनकारी, शोषक और सत्तारूढ़ अभिजात वर्ग के हितों की सेवा करने वाले के रूप में देखते हैं, वे सशस्त्र संघर्ष एवं जनयुद्ध (People's War) के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक शिकायतों का समाधान करना चाहते हैं।
- संचालित करने का तरीका:
- नक्सली समूह गुरिल्ला युद्ध, सुरक्षा बलों पर हमले, जबरन वसूली, धमकी और प्रचार सहित कई गतिविधियों में संलग्न हैं।
- वे सशस्त्र विद्रोह, जन लामबंदी और रणनीतिक गठबंधन के संयोजन के माध्यम से राज्य की सत्ता को अधिग्रहीत करने का प्रयास करते हैं।
- वे सरकारी संस्थानों, बुनियादी ढाँचे और आर्थिक हितों के साथ-साथ कथित सहयोगियों एवं मुखबिरों को निशाना बनाते हैं।
- नक्सली अपने नियंत्रण वाले कुछ क्षेत्रों में समानांतर शासन संरचनाएँ भी संचालित करते हैं, जिसमें बुनियादी सेवाएँ और न्याय प्रदान करना शामिल है।
- भारत में वामपंथी उग्रवाद की स्थिति:
- वर्ष 2022 में विगत चार दशकों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हिंसा और मौतों की सबसे कम घटनाएँ देखी गईं।
- नक्सलवाद प्रभावित राज्यों में हिंसक घटनाओं में वर्ष 2010 की तुलना में वर्ष 2022 में 77% की कमी आई है।
- इससे प्रभावित ज़िलों की संख्या 90 से घटकर 45 रह गई है।
- वामपंथी हिंसा में सुरक्षा बलों और नागरिकों की मौतों की संख्या भी वर्ष 2010 की तुलना में वर्ष 2022 में 90% कम हो गई है (2010 में 1005 से 2022 में 98)।
- वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्य:
- छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और केरल राज्यों को वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित माना जाता है।
- रेड कॉरिडोर भारत के मध्य, पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों का वह क्षेत्र है जो गंभीर नक्सलवाद-माओवादी विद्रोह का अनुभव करता है।
नक्सलवाद के कारण क्या हैं?
- सामाजिक-आर्थिक कारक:
- विकास का अभाव और गरीबी: नक्सलवाद उच्च गरीबी दर वाले अविकसित क्षेत्रों में पनपता है।
- आदिवासी (स्वदेशी) और दलित (निचली जाति) समुदायों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है और स्वास्थ्य देखभाल तथा शिक्षा जैसी बुनियादी आवश्यकताओं तक पहुँच की कमी होती है।
- इससे उनमें आक्रोश बढ़ता है और वे नक्सली विचारधारा के प्रति ग्रहणशील हो जाते हैं।
- भूमि अधिकार विवाद:
- खनन और विकास परियोजनाओं के कारण आदिवासियों को उनकी पारंपरिक भूमि से विस्थापित किया गया है, जिससे आक्रोश और अन्याय की भावना उत्पन्न हुई है।
- नक्सली इन विवादों का फायदा स्वयं को हाशिये पर पड़े लोगों के संरक्षक के रूप में पेश करने के लिये करते हैं।
- शक्तिशाली संस्थाओं द्वारा शोषण:
- जनजातीय समुदाय विशेष रूप से ज़मींदारों, साहूकारों और खनन कंपनियों द्वारा शोषण के प्रति संवेदनशील होते हैं।
- नक्सली इस प्रकार के शोषण के विरुद्ध स्वयं को संरक्षक के रूप में पेश करते हैं।
- जातिगत भेदभाव: सामाजिक और आर्थिक हाशिये पर रहने वाले दलितों को नक्सलवाद आकर्षक लग सकता है क्योंकि यह मौजूदा जाति पदानुक्रम को चुनौती देता है।
- विकास का अभाव और गरीबी: नक्सलवाद उच्च गरीबी दर वाले अविकसित क्षेत्रों में पनपता है।
- राजनीतिक कारक:
- कमज़ोर शासन और बुनियादी ढाँचे की कमी: कमज़ोर शासन की उपस्थिति और सुरक्षा से संबंधी बुनियादी ढाँचे के अभाव वाले क्षेत्रों में नक्सलवाद पनपता है।
- सड़क और संचार नेटवर्क जैसे खराब बुनियादी ढाँचा होने से नक्सली न्यनतम हस्तक्षेप के साथ अपने कार्यों को करने में सक्षम होते हैं।
- प्रशासन की ओर से कोई अनुवर्ती कार्रवाई नहीं: यह देखा गया है कि पुलिस द्वारा किसी क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लेने के बाद भी, प्रशासन उस क्षेत्र के लोगों को आवश्यक सेवाएँ प्रदान करने में विफल रहता है।
- केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय की कमी: राज्य सरकारें नक्सलवाद को केंद्र सरकार का मुद्दा मानती हैं और इसलिये इससे संघर्ष के लिये कोई पहल नहीं कर रही हैं।
- लोकतंत्र से मोहभंग: नक्सलियों को लगता है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था उनकी आवश्यकताओं एवं शिकायतों को दूर करने में विफल रही है।
- नक्सली परिवर्तन के विकल्प मार्ग प्रस्तुत करते हैं, यद्यपि यह हिंसक होता है।
- कमज़ोर शासन और बुनियादी ढाँचे की कमी: कमज़ोर शासन की उपस्थिति और सुरक्षा से संबंधी बुनियादी ढाँचे के अभाव वाले क्षेत्रों में नक्सलवाद पनपता है।
- अतिरिक्त कारक:
- वैश्वीकरण: वैश्वीकरण के प्रभाव के कारण असंतोष, विशेष रूप से निगमों के लिये भूमि अधिग्रहण के कारण विस्थापन आदि नक्सली समर्थन में योगदान कर सकता है।
- नक्सलवाद को एक सामाजिक मुद्दे अथवा सुरक्षा खतरे के रूप में निपटने पर भ्रम बना रहता है।
- व्यापक भौगोलिक प्रसार: वामपंथी उग्रवाद समूह सुदूर तथा दुर्गम क्षेत्रों में कार्य करते हैं; घने जंगल, पहाड़ी क्षेत्र एवं उचित बुनियादी ढाँचे की कमी के कारण सुरक्षा बलों के लिये उनका पता लगाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
नक्सलवाद के विरुद्ध सरकार की पहल क्या हैं?
- वामपंथी उग्रवाद को संबोधित करने के लिये राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना, 2015
- समाधान
- आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम
- सुरक्षा संबंधी व्यय (SRE) योजना: सुरक्षा संबंधी व्यय के लिये 10 वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में लागू की गई योजना।
- यह सुरक्षा बलों के प्रशिक्षण एवं परिचालन आवश्यकताओं, वामपंथी उग्रवाद हिंसा में मारे गए अथवा घायल हुए नागरिकों या सुरक्षा बलों के परिवार को अनुग्रह भुगतान, आत्मसमर्पण करने वाले वामपंथी उग्रवादी कैडरों के पुनर्वास, सामुदायिक पुलिसिंग, ग्राम रक्षा समितियों तथा प्रचार सामग्री से संबंधित है।
- अधिकांश वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों के लिये विशेष केंद्रीय सहायता (SCA): इसका उद्देश्य सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे एवं सेवाओं में महत्त्वपूर्ण अंतराल को भरना है, जो आकस्मिक प्रकृति के होते हैं।
- पुलिस स्टेशनों सुदृढ़ीकरण की योजना: योजना के तहत वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में 604 सुदृढ़ीकृत पुलिस स्टेशनों का निर्माण किया गया है।
- वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिये सड़क संपर्क परियोजना (RCPLWE): इसका उद्देश्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में सड़क संपर्क में सुधार लाना है।
आगे की राह
- लक्षित सुरक्षा संचालन: सुरक्षा बलों को खुफिया-आधारित दृष्टिकोण का उपयोग करके और संपार्श्विक क्षति से बचने के लिये वामपंथी समूहों के विरुद्ध लक्षित अभियान चलाने की आवश्यकता है।
- पुनर्वास एवं पुनर्एकीकरण: सरकार को उन पूर्व चरमपंथियों को पुनर्वास और पुनर्एकीकरण सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है, जिन्होंने हिंसा छोड़ दी है उन्हें शिक्षा, प्रशिक्षण, रोज़गार के साथ-साथ मनोसामाजिक सहायता प्रदान की जाए।
- वामपंथी उग्रवाद में फँसे निर्दोष लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिये राज्यों को अपनी आत्मसमर्पण नीति को तर्कसंगत बनाना चाहिये।
- स्थानीय शांति राजदूतों को सशक्त बनाना: समुदायों के भीतर प्रभावशाली व्यक्तियों की पहचान करना और उन्हें सशक्त बनाना जो शांति को बढ़ावा देने के साथ ही चरमपंथिओं का मुकाबला करने के लिये प्रतिबद्ध हैं।
- सरकार, सुरक्षा बलों एवं इससे प्रभावित समुदायों के बीच संचार माध्यमों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- इसके अलावा सामुदायिक नेताओं, गैर सरकारी संगठनों और धार्मिक संस्थानों को संघर्षों में मध्यस्थता करने तथा स्थानीय मुद्दों को संबोधित करने में भूमिका निभाने के लिये प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
- सामाजिक-आर्थिक विकास: सरकार को वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे में निवेश, रोज़गार के अवसर उत्पन्न करने तथा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक बेहतर पहुँच प्रदान करने जैसी सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
- पारिस्थितिक एवं सतत विकास पहल: उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में सतत विकास और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने वाली परियोजनाएँ शुरू करना।
- पर्यावरण संरक्षण प्रयासों में स्थानीय समुदायों को शामिल करके, स्वामित्व और ज़िम्मेदारी की भावना को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिससे उग्रवाद पर नियंत्रण किया जा सकता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: उग्रवाद विरोधी अभियानों के दौरान सैन्य टुकड़ियों की नियमित क्षति भारत की आंतरिक सुरक्षा क्षमता के साथ-साथ वामपंथी उग्रवाद (left-wing extremism) द्वारा उत्पन्न मौजूदा चुनौती के लिये कई असफलताओं को रेखांकित करती है। चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. पिछड़े क्षेत्रों में बड़े उद्योगों का विकास करने के सरकार के लगातार अभियानों का परिणाम जनजातीय जनता और किसानों, जिनको अनेक विस्थापनों का सामना करना पड़ता है, का विलगन (अलग करना) है। मल्कानगिरि और नक्सलबाड़ी पर ध्यान केंद्रित करते हुए वामपंथी उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक संवृद्धि की मुख्यधारा में फिर से लाने की सुधारक रणनीतियों पर चर्चा कीजिये। (2015) प्रश्न. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 244 अनुसूचित क्षेत्रों और आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है। वामपंथी उग्रवाद के विकास पर पाँचवीं अनुसूची के प्रावधानों के गैर-कार्यान्वयन के प्रभाव का विश्लेषण कीजिये। (2018) प्रश्न. भारत के पूर्वी हिस्से में वामपंथी उग्रवाद के निर्धारक क्या हैं? प्रभावित क्षेत्रों में खतरे का मुकाबला करने के लिये भारत सरकार, नागरिक प्रशासन और सुरक्षा बलों को क्या रणनीति अपनानी चाहिये? (2020) |