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आंतरिक सुरक्षा

छत्तीसगढ़ में वामपंथी उग्रवाद

  • 28 Apr 2023
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वामपंथी उग्रवाद (LWE), सामरिक जवाबी आक्रामक अभियान (TCOCs), समाधान सिद्धांत, विशेष अवसंरचना योजना (SIS), ग्रेहाउंड्स, ऑपरेशन ग्रीन हंट

मेन्स के लिये:

वामपंथी उग्रवाद (LWE), कारण, संबंधित चुनौतियाँ और इससे निपटने के लिये सरकार की पहल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में छत्तीसगढ़ राज्य के दंतेवाड़ा ज़िले में माओवादियों द्वारा IED (इम्प्रोवाइज़्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) से हमला किया गया जिसमें पुलिस के ज़िला रिज़र्व गार्ड (DRG) के दस कर्मियों और उनके असैनिक वाहन चालक के मारे जाने की सूचना मिली।

  • अप्रैल 2021 में माओवादियों द्वारा सुरक्षा बलों के 22 जवानों को मारे जाने की घटना के दो वर्ष से अधिक समय बाद इस प्रकार की घटना हुई है।

वामपंथी उग्रवाद:

  • परिचय:
    • वामपंथी उग्रवाद (Left-wing Extremism- LWE) एक राजनीतिक विचारधारा है जो कट्टरपंथी समाजवादी, साम्यवादी अथवा अराजकतावादी विचारों पर चलती है और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के साधन के रूप में हिंसा एवं आतंकवाद का सहारा लेना इनकी विशेषता है।
    • ये अक्सर पूंजीवाद, साम्राज्यवाद और स्थापित राजनीतिक एवं सामाजिक व्यवस्था का विरोध करते हुए पाए जाते हैं और एक क्रांतिकारी समाजवादी या साम्यवादी राज्य की स्थापना करना चाहते हैं।
  • लक्ष्य:
    • LWE (वामपंथी उग्रवाद) समूह अपनी कार्य प्रणाली (एजेंडे) को आगे बढ़ाने हेतु सरकारी संस्थानों, विधि प्रवर्तन एजेंसियों अथवा निजी संपत्तियों को निशाना बना सकते हैं।
      • वामपंथी उग्रवाद का अक्सर सरकारों एवं कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा विरोध किया जाता है जो इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिये खतरे के रूप में देखते हैं।

छत्तीसगढ़ में वामपंथी उग्रवाद की स्थिति:

  • छत्तीसगढ़, भारत का एकमात्र राज्य है जहाँ माओवादियों की उपस्थिति महत्त्वपूर्ण बनी हुई है वर्तमान में इसकी बड़े हमलों को अंजाम देने की क्षमता बरकरार है।
    • विगत 5 वर्षों (2018-22) के दौरान समस्त माओवादी हिंसा का एक-तिहाई से अधिक और इसके कारण होने वाली सभी मौतों का 70% से 90% छत्तीसगढ़ में देखा गया है।
  • छत्तीसगढ़ में अब भी यह समस्या बनी हुई है। आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड में राज्य पुलिस की सक्रिय भागीदारी ने माओवादी समस्याओं को समाप्त करने में मदद करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • हालाँकि वामपंथी उग्रवाद के उन्मूलन की यह प्रक्रिया छत्तीसगढ़ में देरी से शुरू हुई है, तब तक पड़ोसी राज्यों की पुलिस पहले ही माओवादियों को उनके राज्यों से छत्तीसगढ़ में खदेड़ चुकी थी, जिससे यह क्षेत्र माओवादी प्रभाव का एक केंद्र बन गया था।
  • बस्तर में सड़कों, कनेक्टिविटी और बुनियादी ढाँचे की अनुपस्थिति तथा प्रशासन की न्यूनतम उपस्थिति के कारण माओवादियों का प्रभाव इस क्षेत्र में बना हुआ है, साथ ही भय एवं सद्भावना जैसे मेल-जोल की वजह से उन्हें स्थानीय समर्थन का लाभ मिला है।

देश में वामपंथी उग्रवाद की वर्तमान स्थिति:

  • सरकार के अनुसार, वर्ष 2010 के बाद से देश में माओवादी हिंसा में 77% की कमी आई है।
    • गृह मंत्रालय (MHA) के अनुसार, परिणामी मौतों (सुरक्षा बलों + नागरिकों) की संख्या वर्ष 2010 में 1,005 के सर्वकालिक उच्च स्तर से 90% कम होकर वर्ष 2022 में 98 हो गई है।
  • कई कारकों के कारण देश में माओवादियों और उनसे जुड़ी हिंसा का प्रभाव लगातार कम हो रहा है:
    • माओवादियों के गढ़ में सुरक्षा बलों की ओर से प्रभावी प्रयास।
    • सड़कें एवं नागरिक सुविधाएँ पहले की तुलना में सुलभ हैं।
    • युवाओं में माओवादी विचारधारा के प्रति एक आम मोहभंग, जिसने विद्रोही आंदोलन को नए नेतृत्त्व से वंचित कर दिया है।

वामपंथी उग्रवाद को नियंत्रित करने हेतु सरकार की पहल:

  • समाधान (SAMADHAN) सिद्धांत वामपंथी उग्रवाद की समस्या का एकमात्र समाधान है। इसमें विभिन्न स्तरों पर तैयार की गई अल्पकालिक नीति से लेकर दीर्घकालिक नीति तक सरकार की संपूर्ण रणनीति शामिल है। समाधान (SAMADHAN) का पूर्ण रूप है:
    • S- स्मार्ट लीडरशिप
    • A- एग्रेसिव स्ट्रेटेजी
    • M- मोटिवेशन एंड ट्रेनिंग
    • A- एक्शनेबल इंटेलिजेंस
    • D- डैशबोर्ड बेस्ड KPI (की परफॉरमेंस इंडिकेटर) एंड KRA (की रिज़ल्ट एरिया)
    • H- हांर्नेस्सिंग टेक्नोलॉजी
    • A- एक्शन प्लान फॉर इच थिएटर
    • N- नो एक्सेस टू फाइनेंसिंग
  • 2015 में राष्ट्रीय नीति और कार्ययोजना: इसमें बहु-आयामी दृष्टिकोण शामिल है जिसमें सुरक्षा उपाय, विकास पहल और स्थानीय समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित करना शामिल है।
    • गृह मंत्रालय केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) बटालियनों की तैनाती, हेलीकाप्टरों एवं UAV के प्रावधान और भारतीय आरक्षित वाहिनी (IRB) आदि की मंज़ूरी के माध्यम से बड़े पैमाने पर राज्य सरकारों का समर्थन कर रहा है।
    • राज्य पुलिस के आधुनिकीकरण और प्रशिक्षण के लिये पुलिस बलों का आधुनिकीकरण (MPF), सुरक्षा संबंधी व्यय (SRE) योजना और विशेष अवसंरचनात्मक ढाँचा योजना (SIS) के तहत निधियन किया जाता है।
    • विशेष केंद्रीय सहायता (SCA) योजना के तहत अधिकांश वामपंथी उग्रवाद प्रभावित (LWE) ज़िलों को विकास के लिये धन भी प्रदान किया जाता है।
  • आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम: वर्ष 2018 में लॉन्च किये गए आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम का उद्देश्य उन ज़िलों में तेज़ी से बदलाव लाना है जिन्होंने प्रमुख सामाजिक क्षेत्रों में अपेक्षाकृत कम प्रगति दिखाई है।
  • ग्रेहाउंड्स: ग्रेहाउंड्स को वर्ष 1989 में विशिष्ट नक्सल विरोधी बल के रूप में स्थापित किया गया था।
  • ऑपरेशन ग्रीन हंट: इसे वर्ष 2009-10 में शुरू किया गया था और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई थी।
  • बस्तरिया बटालियन: छत्तीसगढ़ में CRPF ने एक बस्तरिया बटालियन की स्थापना की, जिसके लिये स्थानीय आबादी से सिपाही लिये गए, जो भाषा और इलाके को जानते थे, तथा खुफिया जानकारी प्राप्त कर सकते थे।
    • इस इकाई में अब 400 सिपाही (Recruits) हैं और इसका नियमित रूप से छत्तीसगढ़ में संचालन किया जाता है।

वामपंथी उग्रवाद से निपटने में चुनौतियाँ:

  • व्यापक भौगोलिक फैलाव: वामपंथी उग्रवादी समूह दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में काम करते हैं, घने जंगल, पहाड़ी इलाके और जहाँ उचित बुनियादी ढाँचे की कमी होती है, जिससे सुरक्षा बलों के लिये उन्हें ट्रैक करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
  • स्थानीय समुदायों का समर्थन: LWE समूहों को अकसर स्थानीय समुदायों का समर्थन प्राप्त होता है जो सरकार द्वारा उपेक्षित और हाशिये पर महसूस करते हैं।
  • विकास की कमी: वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्र आमतौर पर अविकसित होते हैं। बुनियादी सुविधाओं तक अपर्याप्त पहुँच के कारण यह चरमपंथी विचारधाराओं के लिये उपजाऊ ज़मीन की तरह होती है।
  • राजनीतिक समर्थन: LWE समूहों को अकसर कुछ राजनीतिक दलों और नेताओं का समर्थन प्राप्त होता है जो उन्हें अपने हितों के लिये इस्तेमाल करते हैं। जिस कारण सरकार के लिये राजनीतिक प्रतिक्रिया का जोखिम उठाए बिना उनके विरुद्ध कड़ा रुख अपनाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

आगे की राह

  • सामाजिक-आर्थिक विकास: सरकार को वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार पर ध्यान देने की आवश्यकता है जैसे कि बुनियादी ढाँचे में निवेश, रोज़गार के अवसर पैदा करना और शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा तक बेहतर पहुँच प्रदान करना।
  • लक्षित सुरक्षा संचालन: सुरक्षा बलों को खुफिया-आधारित दृष्टिकोणों का उपयोग करते हुए और संपार्श्विक क्षति से बचने के लिये वामपंथी उग्रवाद समूहों के विरुद्ध लक्षित संचालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
  • पुनर्वास और पुनः एकीकरण: सरकार को पूर्व चरमपंथियों को शिक्षा, प्रशिक्षण, रोज़गार के साथ-साथ मनोसामाजिक समर्थन प्रदान करके पुनर्वास और पुनःएकीकरण सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. पिछड़े क्षेत्रों में बड़े उद्योगों का विकास करने के सरकार के लगातार अभियानों का परिणाम जनजातीय जनता और किसानों, जिनको अनेक विस्थापनों का सामना करना पड़ता है, का विलगन (अलग करना) है। मल्कानगिरि एवं नक्सलबाड़ी पर ध्यान केंद्रित करते हुए वामपंथी उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित नागरिकों को सामाजिक तथा आर्थिक संवृद्धि की मुख्यधारा में फिर से लाने की सुधारक रणनीतियों पर चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2015)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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