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आंतरिक सुरक्षा

वामपंथी उग्रवाद (LWE)

  • 22 Jul 2022
  • 11 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान गृह मंत्रालय ने भारत में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित आँकड़े उपलब्ध कराए हैं।

प्रमुख डेटा तथ्य:

  • वर्ष 2009 और 2021 के बीच देश में नक्सली हिंसा की घटनाओं में 77 प्रतिशत की कमी आई है जबकि छत्तीसगढ़ में पिछले तीन वर्षों में माओवादी हिंसा के कारण दोगुने से अधिक सुरक्षा बल के जवान मारे गए।
  • इसी तरह परिणामी मौतें (नागरिक + सुरक्षा बल) वर्ष 2010 के 1,005 के सर्वकालिक उच्च स्तर से 85% घटकर वर्ष 2021 में 147 हो गई हैं।
  • वर्ष 2021 में देश में कुल सुरक्षा कर्मियों की मौत के मामले में 90 प्रतिशत (50 में से 45) मौतें छत्तीसगढ़ में हुई थीं। झारखंड एकमात्र राज्य है जिसने वर्ष 2021 में छत्तीसगढ़ के अलावा सुरक्षा कर्मियों की मौत (5) दर्ज की।
  • हिंसा के भौगोलिक प्रसार में कमी आई है क्योंकि केवल 46 ज़िलों ने वर्ष 2021 में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की सूचना दी, जबकि वर्ष 2010 में 96 ज़िलों में हिंसा हुई थी।
    • इसके कारण सुरक्षा संबंधी व्यय (SRE) योजना के अंतर्गत आने वाले ज़िलों की संख्या वर्ष 2018 में 126 से घटकर 90 और वर्ष 2021 में 70 हो गई।
    • इसी तरह LWE हिंसा में लगभग 90 प्रतिशत योगदान वाले ज़िलों की संख्या, जिसे सबसे अधिक LWE प्रभावित ज़िलों' के रूप में वर्गीकृत किया गया है, वर्ष 2018 में 35 से घटकर 30 और वर्ष 2021 में 25 हो गई।

LWE

वामपंथी उग्रवाद:

  • परिचय:
    • वामपंथी उग्रवादी संगठन वे समूह हैं जो हिंसक क्रांति के माध्यम से परिवर्तन लाने का प्रयास करते हैं। वे लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ हैं और ज़मीनी स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को नष्ट करने के लिये हिंसा का इस्तेमाल करते हैं।
    • ये समूह देश के सबसे कम विकसित क्षेत्रों में विकास प्रक्रियाओं को रोकते हैं और लोगों को वर्तमान घटनाओं से अनभिज्ञ रखकर उन्हें गुमराह करने का प्रयास करते हैं।
  • कारण:
    • जनजातीय असंतोष:
      • वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 आदिवासियों, जो अपने जीवन यापन के लिये वनोपज पर निर्भर हैं, को पेड़ की शाखा काटने से भी वंचित करते हैं।
      • विकास परियोजनाओं, खनन कार्यों और अन्य कारणों से नक्सल प्रभावित राज्यों में जनजातीय आबादी का भारी विस्थापन।
    • माओवादियों के लिये आसान लक्ष्य: ऐसे लोग जिनके पास जीवन यापन करने का कोई स्रोत नहीं है, उन्हें माओवादी, नक्सलवादी गतिविधियों में शामिल करते हैं
      • माओवादी ऐसे लोगों को हथियार, गोला-बारूद और पैसा मुहैया कराते हैं।
    • देश की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था में अंतराल।
      • सरकार अपनी सफलता को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में किये गए विकास के बजाय हिंसक हमलों की संख्या के आधार पर माप रही है।
      • नक्सलियों से लड़ने के लिये मज़बूत तकनीकी खुफिया जानकारी का अभाव।
      • उदाहरण के लिये ढांँचागत समस्याएँ, कुछ गाँव अभी तक किसी भी संचार नेटवर्क से ठीक तरह से नहीं जुड़े हैं।
    • प्रशासन की ओर से कोई अनुवर्ती कार्रवाई नहीं: यह देखा जाता है कि पुलिस द्वारा किसी क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के बाद भी, प्रशासन उस क्षेत्र के लोगों को आवश्यक सेवाएंँ प्रदान करने में विफल रहता है।
    • नक्सलवाद से एक सामाजिक मुद्दे के रूप में या एक सुरक्षा खतरे के रूप में निपटने पर भ्रम।
    • राज्य सरकारें नक्सलवाद को केंद्र सरकार का मुद्दा मान रही हैं और इस तरह इससे लड़ने के लिये कोई पहल नहीं कर रही हैं।

वामपंथी उग्रवाद को नियंत्रित करने के लिये सरकार की पहल:

  • समाधान (SAMADHAN) सिद्धांत: यह वामपंथी उग्रवाद की समस्या का एकमात्र समाधान है। इसमें विभिन्न स्तरों पर तैयार की गई अल्पकालिक नीति से लेकर दीर्घकालिक नीति तक सरकार की पूरी रणनीति शामिल है। समाधान का अर्थ है-
    • S- स्मार्ट लीडरशिप।
    • A- आक्रामक रणनीति।
    • M- प्रेरणा और प्रशिक्षण।
    • A- एक्शनेबल इंटेलिजेंस।
    • D- डैशबोर्ड आधारित मुख्य प्रदर्शन संकेतक (KPIs) और मुख्य परिणाम क्षेत्र (KRAs)
    • H- हार्नेसिंग टेक्नोलॉजी।
    • A- प्रत्येक थिएटर/नाटकशाला हेतु कार्ययोजना।
    • N- वित्तपोषण तक पहुंँच नहीं।
  • वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला करने के लिये एक बहुआयामी दृष्टिकोण के रूप में वर्ष 2015 में राष्ट्रीय रणनीति बनाई गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य अन्य बातों के साथ-साथ स्थानीय आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना था।
  • एलडब्ल्यूई संगठनों के खतरे को रोकने के लिये सरकार द्वारा खुफिया साझाकरण और एक अलग 66वीं भारतीय आरक्षित बटालियन (IRB) का गठन किया गया था।
  • 2015 में राष्ट्रीय नीति और कार्ययोजना: इसमें सुरक्षा उपायों, विकास पहलों और स्थानीय समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित करने वाले बहु-आयामी दृष्टिकोण शामिल हैं।
    • गृह मंत्रालय (MHA) केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के बटालियनों की तैनाती, हेलीकॉप्टरों और यूएवी तथा भारतीय रिज़र्व बटालियनों (IRBs)/विशेष भारत रिज़र्व बटालियनों (SIRBs) की मंज़ूरी के माध्यम से राज्य सरकारों को व्यापक समर्थन प्रदान कर रहा है।
    • राज्य पुलिस के आधुनिकीकरण और प्रशिक्षण हेतु पुलिस बल के आधुनिकीकरण (Modernization of Police Force-MPF), सुरक्षा संबंधी व्यय (Security Related Expenditure-SRE) व विशेष बुनियादी ढांँचा योजनाओं (Special Infrastructure Scheme-SIS) के तहत धन उपलब्ध कराया जाता है।
    • सड़कों के निर्माण, मोबाइल टावरों की स्थापना, कौशल विकास, बैंकों और डाकघरों के नेटवर्क में सुधार, स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाओं के लिये कई विकास पहलें लागू की गई हैं।
    • विशेष केंद्रीय सहायता (SCA) योजना के तहत अधिकांश वामपंथी उग्रवाद प्रभावित (LWE) ज़िलों को विकास के लिये धन भी प्रदान किया जाता है।
  • ग्रेहाउंड्स: इसे वर्ष 1989 में विशिष्ट नक्सल विरोधी बल के रूप में स्थापित किया गया था।
  • ऑपरेशन ग्रीन हंट: इसे वर्ष 2009-10 में शुरू किया गया था और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई थी।

आगे की राह:

  • नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के घने जंगलों में सशस्त्र समूहों का पता लगाने के लिये सरकार को नवीन उपकरणों की आवश्यकता है।
  • स्थानीय पुलिस को क्षेत्र की भाषा का ज्ञान और स्थलाकृतिक सरंचना की जानकारी होती है, अतः वे सशस्त्र बलों की अपेक्षा बेहतर ढंग से नक्सलवाद से लड़ सकते हैं।
    • आंध्र पुलिस ने राज्य में नक्सलवाद से निपटने के लिये 'ग्रेहाउंड' विशेष बल तैनात किये हैं।
  • सरकार को दो प्रमुख बातें सुनिश्चित करने की ज़रूरत है; शांतिप्रिय लोगों की सुरक्षा और नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों का विकास।
  • राज्य सरकारों को यह समझने की ज़रूरत है कि नक्सलवाद उनकी भी समस्या है और केवल वे ही इससे प्रभावी ढंग से निपट सकती हैं। ज़रूरत पड़ने पर उन्हें केंद्र सरकार से मदद मिल सकती है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न:

Q. पिछड़े क्षेत्रों में बड़े उद्योगों का विकास करने के सरकार के लगातार अभियानों का परिणाम जनजातीय जनता और किसानों, जिनको अनेक विस्थापनों का सामना करना पड़ता है, का विलगन (अलग करना) है। मल्कानगिरि और नक्सलबाड़ी पर ध्यान केंद्रित करते हुए वामपंथी उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक संवृद्धि की मुख्यधारा में फिर से लाने की सुधारक रणनीतियों पर चर्चा कीजिये। (2015, मुख्य परीक्षा)

Q. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 244 अनुसूचित क्षेत्रों और आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है। वामपंथी उग्रवाद के विकास पर पाँचवीं अनुसूची के प्रावधानों के गैर-कार्यान्वयन के प्रभाव का विश्लेषण कीजिये। (2018, मुख्य परीक्षा)

Q. भारत के पूर्वी हिस्से में वामपंथी उग्रवाद के निर्धारक क्या हैं? प्रभावित क्षेत्रों में खतरे का मुकाबला करने के लिये भारत सरकार, नागरिक प्रशासन और सुरक्षा बलों को क्या रणनीति अपनानी चाहिये? (2020, मुख्य परीक्षा)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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