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आंतरिक सुरक्षा

वामपंथी अतिवाद

  • 09 Apr 2021
  • 12 min read

यह एडिटोरियल 08/04/2021 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित लेख  “Lessons from Tekulguda” पर आधारित है। इसमें वामपंथी उग्रवाद (LWE) द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के बारे में  चर्चा की गई है।

हाल ही में छत्तीसगढ़ के बस्तर के टेकुलगुडा क्षेत्र में स्थानीय और केंद्रीय पुलिस बलों द्वारा संचालित तलाशी अभियान विफल हो गया जिसमें 22 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। 

यह दुखद घटना कई स्तरों पर भारत की आंतरिक सुरक्षा (IS) क्षमता के लिये एक बड़ा झटका है इस चुनौती को उजागर करती है कि  वामपंथी उग्रवाद (LWE) जारी है।

भारत दशकों से तीन प्रकार की आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों का सामना कर रहा है, जैसे:- कश्मीर में एक छद्म युद्ध और आतंकवाद, पूर्वोत्तर में उप-राष्ट्रीय अलगाववादी आंदोलनों और रेड कॉरिडोर में नक्सल-माओवादी विद्रोह (LWE)।

सरकार ने पहली दो चुनौतियों (कश्मीर में छद्म युद्ध और आतंकवाद और पूर्वोत्तर में उप-राष्ट्रीय अलगाववादी आंदोलन) को समाहित किया है, लेकिन टेकुलगुडा की घटनाएँ दर्शाती हैं कि अब LWE को खत्म करने के लिये  ठोस कदम उठाने चाहिये।

कॉम्बिंग ऑपरेशन या तलाशी अभियान 

  • कॉम्बिंग ऑपरेशन सहयोगी या विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों द्वारा किसी क्षेत्र की चुनौतियों को समाप्त करने के लिये किया जाने वाला संयुक्त अभियान है। जैसे-आर्मी और पैरामिलिट्री फोर्स एक विशेष क्षेत्र में कॉम्बिंग ऑपरेशन करते हैं।
  • यह अभियान छिपे हुए विद्रोहियों या उनके हथियार के ठिकानों को खोजने के लिये किया जा सकता है।
  • यह एक  योजनाबद्ध ऑपरेशन है और संबंधित बलों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इन ऑपरेशनों का अभ्यास किया जाता है।
  • हालाँकि इसमें बहुत जोखिम होता है क्योंकि इसमें कोई व्यक्ति कहीं से छिपकर आप पर हमला कर भागने की कोशिश कर सकता है।
  • विद्रोहियों का समर्थन करने वाले स्थानीय लोगों द्वारा सुरक्षा बलों के आंदोलनों को प्रभावित करके इस अभियान के परिचालन में बाधा उत्पन्न की जा सकती है जिससे यह अभियान और अधिक कठिन हो जाता है।

पृष्ठभूमि:

  • LWE की उत्पत्ति: LWE ऐसे कई कारणों का परिणाम है- (खराब शासन व्यवस्था, जनजातीय क्षेत्रों में विकास की कमी और राज्य और समाज के एक दमनकारी/शोषक पदानुक्रम) जिसने आदिवासी आबादी, भूमिहीन और सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को हाशिये पर धकेल दिया है।  
    • 1970 के दशक में नक्सलबाड़ी की शुरुआत पश्चिम बंगाल और वर्तमान तेलंगाना क्षेत्र से हुई। वर्तमान में यह आंदोलन कई राज्यों (बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओड़िशा) में फैल गया है।
    • LWE से प्रभावित क्षेत्र को लाल गलियारा ( Red corridor) कहा जाता है।
  • LWE से संबद्ध समूह: हाल के वर्षों में जिन समूहों की पहचान की गई इनमें सबसे प्रमुख पीपुल्स वार ग्रुप (PWG) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट सेंटर (MCC) है।

अत्यधिक गंभीर खतरा: नवंबर 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने LWE चुनौती को भारत के लिये सबसे गंभीर सुरक्षा खतरा बताया और इसके समाधान के लिये पेशेवरों को उचित प्रतिक्रियाएँ विकसित करने के लिये प्रेरित किया।

LWE के समाधान संबंधित मुद्दे

  • कुशल नेतृत्त्व की कमी: वर्तमान परिदृश्य में कुछ अपवादों को छोड़कर, कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों (IPS कैडर) जिनके पास बहुत कम या कोई अनुभव नहीं है उन्हें केंद्रीय पुलिस बलों में वरिष्ठ रैंक पर नियुक्त किया गया है।
    • प्रशिक्षण के दौरान पुलिस अधिकारी एक सक्षम अधीक्षक होने और कानून व्यवस्था बनाए रखने की अपेक्षा करता है।
    • इस प्रकार का कोई कौशल-मानक प्रासंगिक नहीं माना जा सकता है जब एक अधिकारी को "कमांड" करना और उग्रवाद संचालन में अपने लोगों का नेतृत्व करना हो।
    • इससे सुरक्षाकर्मियों के आत्मबल में कमी आई है। पिछले तीन दशकों में, लगभग 15000 से अधिक लोग LWE के कारण अपना जीवन खो चुके हैं।
  • जनजातीय युवाओं की भर्ती: LWE के संचालन में शामिल लोगों की विचारधारा  क्रांतिकारी उद्देश्य के लिये नहीं है बल्कि उन्हें जबरन गतिविधियों में शामिल किया जाता है। कई लोगों के लिये इन समूहों में शामिल होना ही जीवित रहने का एकमात्र तरीका है।
    • इसके अतिरिक्त ये संगठन में कमज़ोर लोगों को नियुक्त करते हैं जो कम साक्षर, बेरोज़गार या कम आय वाले होते है। विशेष रूप से आदिवासी समुदाय को अपने संगठन में शामिल करते हैं।
    • इस प्रकार के मुद्दे LWE में युवाओं की भर्ती के लिये एक सकारात्मक मार्ग प्रशस्त करते है।
  • लोकतंत्र को खतरा: वे गुरिल्ला रणनीति के माध्यम से हिंसा को बढ़ावा देते हैं और स्थानीय गांवों में अपनी सत्ता स्थापित करने का प्रयास करते हैं।
    • वे चुनाव के आयोजन से पूर्व स्थानीय लोगों को धमकी देते हैं और उन्हें मतदान करने से रोकते हैं। यह लोकतंत्र की सहभागिता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है।

आगे की राह

  • प्रगतिशील कार्य: जातीय और सामाजिक असमानताओं को कम करने के लिये उन क्षेत्रों में कुछ प्रभावी कदम(शैक्षिक और रोज़गार असमानता, सार्वजनिक शिकायत के निवारण तंत्र, पर्यावरणीय सुधार) उठाने चाहिये।
    • आर्थिक अभाव को कम करके और आवश्यक सेवाएँ प्रदान करके वामपंथी आंदोलन को संचालित करने वाले सार्वजनिक समर्थन के आधार को नष्ट किया जा सकता है ।
  • पैरा-मिलिट्री सुधार: कारगिल रिव्यू कमेटी (KRC) की रिपोर्ट में कहा गया है कि आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनज़र देश को कई चुनौतियों (विशेषकर कमान,नियंत्रण और नेतृत्व कार्यों के संदर्भ में ) का सामना करना पड़ता है जिसके लिये अर्द्धसैनिक बलों की भूमिका और कार्यों का पुनर्गठन किया जाना चाहिये।
  • सहकारी संघवाद: भारत की राष्ट्रीय-सुरक्षा प्रणाली में शामिल जटिलताओं को देखते हुए विभिन्न संघीय और राज्य सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय को मज़बूत करना आवश्यक है।
  • पुलिस बल का आधुनिकीकरण: कानून व्यवस्था बनाए रखने में राज्य महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं अतः स्थानीय पुलिस बलों के क्षमता निर्माण और आधुनिकीकरण पर ज़ोर दिया जाना चाहिये।LWE संगठनों को समाप्त करने में स्थानीय बल कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से सहायता कर सकते हैं।
  • LWE समूहों का सीमांकन:  यद्यपि हाल के वर्षों में वामपंथी उग्रवादी समूहों से जुड़ी हिंसा की घटनाओं में कमी आई है, परंतु ऐसे समूहों को खत्म करने के लिये निरंतर प्रयासों पर और ध्यान देने की आवश्यकता है।
    • राज्यों को अपनी आत्मसमर्पण नीति (Surrender Policy) को और अधिक तर्कसंगत बनाना चाहिये ताकि LWE में फँसे निर्दोष व्यक्तियों को मुख्यधारा में लाया जा सके।
    • सरकार को दो चीज़ें सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता  है; (i) शांतिप्रिय लोगों की सुरक्षा और (ii) नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का विकास।  

समाधान (SAMADHAN) नीति

वर्ष 2017 में भारत सरकार ने एक नए सिद्धांत की घोषणा की। इस सिद्धांत की घोषणा वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों की समीक्षा बैठक के दौरान की गई थी। SAMADHAN का पूर्ण रूप निम्न प्रकार से है:

  • S- कुशल नेतृत्व (Smart Leadership)
  • A- आक्रामक रणनीति (Aggressive Strategy)
  • M- प्रेरणा और प्रशिक्षण (Motivation and Training)
  • A-  क्रियाशील खुफियातंत्र (Actionable Intelligence)
  • D- डैशबोर्ड आधारित ‘मुख्य प्रदर्शन संकेतक’ और (Key Performance Indicators- KPI) मुख्य परिणाम क्षेत्र (Key Result Areas- KRAs) 
  • H- प्रौद्योगिकी का सदुपयोग (Harnessing Technology)
  • A- एक्शन प्लान फॉर इच थिएटर (Action plan for each Theatre)
  • N- वित्तीय पहुँच (उग्रवादी समूहों के संदर्भ में) को रोकना (No access to Financing)

निष्कर्ष : सरकार ने LWE से निपटने के लिये SAMADHAN नीति की परिकल्पना की है। यह नीति वामपंथी उग्रवाद की समस्या के लिये वन-स्टॉप समाधान है। इसके अंतर्गत LWE से निपटने हेतु सरकार द्वारा विभिन्न स्तरों पर तैयार की गई सभी अल्पकालिक व दीर्घकालिक रणनीतियाँ शामिल हैं।

प्रश्न: विद्रोही गतिविधियों से सुरक्षाकर्मियों की लगातार मृत्यु भारत की आंतरिक सुरक्षा (IS) क्षमता के लिये एक बड़ा झटका है तथा इस चुनौती को उजागर करती है कि  वामपंथी उग्रवाद (LWE) जारी है। चर्चा कीजिये।

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