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आंतरिक सुरक्षा

अंतर-प्रचलित आपराधिक न्याय प्रणाली परियोजना

  • 19 Feb 2022
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर-प्रचलित आपराधिक न्याय प्रणाली परियोजना, क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग एंड नेटवर्क सिस्टम, ई-कोर्ट, कोर्ट के लिये ई-फोरेंसिक, ई-प्रोसिक्यूशन, ई-जेल, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो, नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर।

मेन्स के लिये:

साइबर सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों की भूमिका।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने गृह मंत्रालय द्वारा ‘अंतर-प्रचलित आपराधिक न्याय प्रणाली परियोजना’ (ICJS) के दूसरे चरण के कार्यान्वयन को मंज़ूरी प्रदान की है।

  • इसे वर्ष 2022-23 से 2025-26 की अवधि के दौरान कुल 3,375 करोड़ रुपए की लागत के साथ स्वीकृत किया गया है।
  • इससे पहले वर्ष 2018 में सर्वोच्च न्यायालय के एक पैनल ने तेलंगाना के वारंगल ज़िले में आपराधिक न्याय वितरण प्रणाली के दो महत्त्वपूर्ण स्तंभों- अदालतों और पुलिस स्टेशनों को एकीकृत करने के लिये एक पायलट परियोजना शुरू की थी।

ICJS क्या है?

  • ICJS देश में आपराधिक न्याय के वितरण के लिये उपयोग की जाने वाली मुख्य आईटी प्रणाली के एकीकरण को सक्षम बनाने के लिये एक राष्ट्रीय मंच है।
  • यह प्रणाली के पाँच स्तंभों जैसे- पुलिस (अपराध तथा आपराधिक ट्रैकिंग एवं नेटवर्क सिस्टम के माध्यम से), फोरेंसिक लैब के लिये ई-फोरेंसिक, न्यायालयों के लिये ई-कोर्ट, लोक अभियोजकों के लिये ई-अभियोजन तथा जेलों के लिये ई-जेल को एकीकृत करने का प्रयास करती है।
  • ICJS प्रणाली को हाई स्पीड कनेक्टिविटी के साथ एक समर्पित और सुरक्षित क्लाउड-आधारित बुनियादी ढांँचे के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा।
  • राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के सहयोग से परियोजना के कार्यान्वयन हेतु राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ज़िम्मेदार होगा।
    • इस परियोजना को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सहयोग से लागू किया जाएगा।

ICJS के विभिन्न चरण:

  • परियोजना के पहले चरण में व्यक्तिगत आईटी प्रणालियों को लागू करने और उन्हें स्थायी रूप से स्थापित करना है।
  • चरण- II के तहत सिस्टम 'एक डेटा एक प्रविष्टि' (One Data One Entry) के सिद्धांत पर बनाया जा रहा है, जिसके तहत डेटा केवल एक बार एक स्तंभ में दर्ज किया जाता है और फिर वही अन्य सभी स्तंभों में उपलब्ध होता है, प्रत्येक स्तंभ में डेटा को फिर से दर्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो:

  • NCRB की स्थापना केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत वर्ष 1986 में इस उद्देश्य से की गई थी कि भारतीय पुलिस में कानून व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये पुलिस तंत्र को सूचना प्रौद्योगिकी समाधान और आपराधिक गुप्त सूचनाएँ प्रदान करके समर्थ बनाया जा सके।
  • यह राष्ट्रीय पुलिस आयोग (1977-1981) और गृह मंत्रालय के कार्य बल (1985) की सिफारिशों के आधार पर स्थापित किया गया था।
  • NCRB देश भर में अपराध के वार्षिक व्यापक आँकड़े ('भारत में अपराध' रिपोर्ट) एकत्रित करता है।
    • वर्ष 1953 से प्रकाशित होने के बाद यह रिपोर्ट देश भर में कानून और व्यवस्था की स्थिति को समझने में एक महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करती है।
  • NCRB के दूसरे सीसीटीएनएस हैकथॉन और साइबर चैलेंज 2020-21 का उद्घाटन समारोह नई दिल्ली में आयोजित किया गया।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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