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भारतीय राजव्यवस्था

प्रधानमंत्री एवं PMO

  • 26 Mar 2025
  • 18 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत का संविधान, प्रधानमंत्री, सरकार का संसदीय स्वरूप, निर्वाचन आयोग, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, संघ लोक सेवा आयोग,  लोकसभा, उच्च न्यायालय 

मेन्स के लिये:

प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तथा प्रधानमंत्री की प्रभावी कार्यप्रणाली को सुनिश्चित करने में इसकी भूमिका

प्रधानमंत्री के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: 
    • संविधान द्वारा उल्लिखित संसदीय शासन प्रणाली में राष्ट्रपति, प्रतीकात्मक कार्यकारी प्राधिकारी होता है जबकि प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यकारी प्राधिकारी होता है। 
  • नियुक्ति: 
    • संविधान में प्रधानमंत्री के चयन और नियुक्ति के लिये कोई प्रक्रिया निर्दिष्ट नहीं की गई है, इसमें केवल यह कहा गया है कि प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी (अनुच्छेद 75)।
    • राष्ट्रपति किसी को भी प्रधानमंत्री नियुक्त नहीं कर सकते हैं। संसदीय प्रणाली की परंपराओं के अनुसार, राष्ट्रपति को लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करना होता है।
    • यदि लोकसभा में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के चयन में अपने विवेक का प्रयोग कर सकते हैं और वह आमतौर पर सबसे बड़े दल या गठबंधन के नेता की नियुक्ति करते हैं।
    • ऐसे मामलों में जहाँ प्रधानमंत्री का पद अप्रत्याशित रूप से रिक्त हो जाता है तो राष्ट्रपति को नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति में अपने विवेक का प्रयोग करना पड़ सकता है।
    • हालाँकि, यदि प्रधानमंत्री की मृत्यु हो जाती है और सत्तारूढ़ दल द्वारा एक नया नेता चुन लिया जाता है तो राष्ट्रपति को बिना किसी विवेक का प्रयोग किये नए नेता को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करना होता है। 
  • संबंधित निर्णय: 
    • वर्ष 1980 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने माना कि संविधान में यह अनिवार्य नहीं है कि किसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त किये जाने से पहले उसे लोकसभा में अपना बहुमत सिद्ध करना होगा। राष्ट्रपति पहले उसे प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकते हैं और फिर निर्धारित अवधि के अंदर लोकसभा में उसे अपना बहुमत सिद्ध करने के लिये कह सकते हैं। 
    • वर्ष 1997 में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जो व्यक्ति संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं है, उसे छह माह के लिये प्रधानमंत्री नियुक्त किया जा सकता है। इस अवधि के अंदर उसे संसद के किसी भी सदन का सदस्य बन जाना चाहिये; अन्यथा, वह प्रधानमंत्री नहीं रहेगा। 
    • संवैधानिक रूप से प्रधानमंत्री संसद के दोनों सदनों में से किसी का भी सदस्य हो सकता है। दूसरी ओर, ब्रिटेन में प्रधानमंत्री को निश्चित रूप से निम्न सदन (हाउस ऑफ कॉमन्स) का सदस्य होना चाहिए।   
  • पद की शपथ: प्रधानमंत्री के पदभार ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं। अपने पद की शपथ में प्रधानमंत्री निम्नलिखित शपथ लेते हैं: 
    • भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखना।
    • भारत की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखना।
    • अपने पद के कर्त्तव्यों का निष्ठापूर्वक एवं कर्त्तव्यनिष्ठा से निर्वहन करना।
    • संविधान और विधि के अनुसार सभी प्रकार के लोगों के साथ बिना किसी भय या पक्षपात, स्नेह या द्वेष के उचित व्यवहार करना। 
  • गोपनीयता की शपथ: अपनी गोपनीयता की शपथ में प्रधानमंत्री यह शपथ लेता है कि वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी व्यक्ति को कोई भी महत्त्वपूर्ण जानकारी नहीं देगा, जो उसके विचाराधीन हो या जो उसे केंद्रीय मंत्री के रूप में ज्ञात हो, सिवाय इसके कि ऐसा मंत्री के रूप में उसके कर्त्तव्यों के समुचित निर्वहन के लिये आवश्यक हो। 
  • अवधि:   
    • प्रधानमंत्री राष्ट्रपति की इच्छापर्यन्त पद पर बने रहते हैं लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को कभी भी बर्खास्त कर सकते हैं। जब तक प्रधानमंत्री को लोकसभा में बहुमत प्राप्त है तब तक उन्हें बर्खास्त नहीं किया जा सकता है।
    • यदि प्रधानमंत्री लोकसभा में विश्वास खो देते हैं तो उन्हें इस्तीफा देना होता है या राष्ट्रपति को उन्हें बर्खास्त करने का अधिकार होता है। 
  • वेतन: 
    • प्रधानमंत्री के वेतन और भत्ते समय-समय पर संसद द्वारा निर्धारित किये जाते हैं।
    • उन्हें संसद सदस्य के समान वेतन और भत्ते मिलते हैं।
    • इसके अतिरिक्त उन्हें निःशुल्क आवास, यात्रा भत्ता, चिकित्सा सुविधाएँ आदि भी मिलती हैं। 

संबंधित अनुच्छेद:

अनुच्छेद

विषय - वस्तु

राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री संबंध

74

सहायता और सलाह

राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह से बाध्य होता है, पुनर्विचार का विकल्प भी उनके पास होता है; अंतिम सलाह ही मान्य होगी।

75(a)

नियुक्ति

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है; मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर करता है।

75(b)

कार्यकाल

मंत्री, राष्ट्रपति की इच्छा तक पद पर बने रहते हैं (जो प्रभावी रूप से प्रधानमंत्री के समर्थन को दर्शाता है)।

75(c)

सामूहिक उत्तरदायित्व

मंत्रिपरिषद (COM), सदन के प्रति जवाबदेह है

78

सूचना संबंधी कर्त्तव्य

प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को निर्णयों से अवगत कराते हैं, मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराते हैं तथा राष्ट्रपति की अपेक्षा के अनुसार मामलों को परिषद की समीक्षा हेतु प्रस्तुत करते हैं।

 प्रधानमंत्री की शक्तियाँ और कार्य क्या हैं? 

  • केंद्रीय मंत्रिपरिषद के प्रमुख के रूप में:
    • प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति द्वारा मंत्री (जो केवल प्रधानमंत्री द्वारा अनुशंसित व्यक्तियों को ही नियुक्त कर सकता है) के रूप में नियुक्त किये जाने वाले व्यक्तियों की सिफारिश करता है। प्रधानमंत्री किसी मंत्री को इस्तीफा देने के लिये भी कह सकता है या मतभेद की स्थिति में राष्ट्रपति को उन्हें बर्खास्त करने की सलाह दे सकता है।
    • प्रधानमंत्री आवश्यकतानुसार मंत्रियों के बीच विभिन्न विभागों का आवंटन एवं फेरबदल करते हैं।
    • प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करने के साथ सभी मंत्रियों की गतिविधियों का मार्गदर्शन, निर्देशन, नियंत्रण और समन्वय करते हैं और उनके निर्णयों को प्रभावित करते हैं।
    • प्रधानमंत्री के इस्तीफे या मृत्यु के परिणामस्वरूप संपूर्ण मंत्रिपरिषद भंग हो जाती है क्योंकि कोई भी अन्य मंत्री प्रधानमंत्री के बिना कार्य नहीं कर सकता है। इसके विपरीत, किसी अन्य मंत्री के इस्तीफे या मृत्यु से केवल एक रिक्ति होती है, जिसे प्रधानमंत्री भरने या खाली छोड़ने का फैसला कर सकता है। 
  • राष्ट्रपति के संबंध में शक्तियाँ:
    • वह राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद के बीच संचार का मुख्य माध्यम है। प्रधानमंत्री का यह कर्त्तव्य है:
      • संघ के प्रशासन से संबंधित मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों तथा विधान के प्रस्तावों को राष्ट्रपति को संप्रेषित करे।
      • संघ के मामलों के प्रशासन और विधान के प्रस्तावों से संबंधित ऐसी जानकारी प्रस्तुत करना, जिसे राष्ट्रपति मांगे।
      • यदि राष्ट्रपति ऐसी अपेक्षा करें तो किसी ऐसे विषय को मंत्रिपरिषद के विचारार्थ प्रस्तुत करना जिस पर मंत्री द्वारा निर्णय लिया जा चुका है, किंतु मंत्रिपरिषद द्वारा उस पर विचार नहीं किया गया है।
    • वह भारत के महान्यायवादी, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, निर्वाचन आयुक्तों, वित्त आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों आदि जैसे प्रमुख अधिकारियों की नियुक्ति के बारे में राष्ट्रपति को सलाह देता है।
  • संसद के संबंध में:
    • प्रधानमंत्री निम्न सदन का नेता होता है।
    • वह संसद के सत्र बुलाने और स्थगित करने के बारे में राष्ट्रपति को सलाह देता है।
    • वह किसी भी समय राष्ट्रपति से लोकसभा को भंग करने की सिफारिश कर सकता है।
    • वह सदन में सरकारी नीतियों की घोषणा करता है। 
  • अन्य शक्तियाँ एवं कार्य: 
    • वह नीति आयोग, राष्ट्रीय एकता परिषद, अंतर्राज्यीय परिषद और कुछ अन्य निकायों का अध्यक्ष होता है।
    • वह देश की विदेश नीति को आकार देने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
    • वह केंद्र सरकार का मुख्य प्रवक्ता होता है।
    • आपातकाल के दौरान वह राजनीतिक स्तर पर मुख्य संकट प्रबंधक होता है।
    • वह केंद्र सरकार की कार्यकारी शाखा का प्रमुख होता है। इस प्रकार, प्रधानमंत्री देश की राजनीतिक-प्रशासनिक प्रणाली में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। 
    • वह देश के अंदर और बाहर राष्ट्र की आधिकारिक आवाज़ होता है। रक्षा, वित्त और विदेशी मामलों से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं को सरकार के अंतिम निर्णय के रूप में माना जाता है।

प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं? 

  • परिचय: 
    • प्रधानमंत्री को उनके आधिकारिक कार्यों में प्रत्यक्ष सहायता देने हेतु सचिवीय एजेंसियों या विचार प्रकोष्ठों के रूप में  संस्थागत व्यवस्थाएँ पिछले कुछ वर्षों में विकसित हुई हैं।
    • स्वतंत्रता के बाद से राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्र में निर्णय लेने में प्रधानमंत्री की सहायता करने वाली मुख्य संस्थाएँ कैबिनेट समितियाँ, कैबिनेट सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) रही हैं। 
      • PMO एक स्टाफिंग एजेंसी है जिसके द्वारा प्रधानमंत्री को उनकी भूमिका, कार्यों एवं ज़िम्मेदारियों के कुशल निर्वहन में सहायता की जाती  है। 
  • संगठन: 
    • PMO का राजनीतिक नेतृत्व प्रधानमंत्री द्वारा तथा प्रशासनिक नेतृत्व प्रधान सचिव द्वारा किया जाता है।
    • प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्य सचिव, अपर सचिव, संयुक्त सचिव, उप सचिव और अन्य स्टाफ सदस्यों के बीच विभाजित होता है तथा कार्य को सुविधा एवं स्टाफ के अनुभव के आधार पर आवंटित किया जाता है।
    • इन व्यक्तियों की पृष्ठभूमि एवं अनुभव को औपचारिक रूप से नहीं बताया जाता है। सचिव सिविल सेवा से हो भी सकता है और नहीं भी, जबकि अन्य कार्मिक आमतौर पर सिविल सेवाओं से संबंधित होते हैं। 
  • कार्य: 
    • प्रधानमंत्री कार्यालय के कई कार्य होते हैं, जिनमें प्रधानमंत्री को उनकी समग्र ज़िम्मेदारियों में सहायता करना, केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के साथ संपर्क बनाए रखना तथा राज्य सरकारों के साथ समन्वय करना शामिल है।
    • यह कार्यालय प्रधानमंत्री को विभिन्न निकायों के अध्यक्ष के रूप में उनकी ज़िम्मेदारियों में मदद करता है। यह कार्यालय जनसंपर्क का भी प्रबंधन करता है, जिसमें प्रेस और आम जनता के साथ समन्वय शामिल है।
    • PMO उन सभी मामलों का प्रबंधन करता है जिन्हें प्रधानमंत्री को नियमों के अनुसार देखना होता है। यह उनके पास लाए गए मामलों की समीक्षा करने में मदद करता है। यह राष्ट्रपति, राज्यपालों और विदेशी राजनयिकों के संपर्क में रहने के साथ प्रधानमंत्री के सलाहकार समूह के रूप में कार्य करता है।
    • हालाँकि, यह मंत्रिमंडल के प्रमुख के रूप में प्रधानमंत्री की भूमिका से संबंधित कार्यों को नहीं देखता है, सिवाय मंत्रियों के साथ व्यक्तिगत पत्राचार या दल की नीतियों या घरेलू मुद्दों से संबंधित मामलों को छोड़कर। 
  • विकास: 
    • प्रधानमंत्री कार्यालय की यात्रा विभिन्न प्रधानमंत्रियों के अधीन विकसित हुई है, जिसमें एक मज़बूत एक-दलीय सरकार से लेकर अस्थिर गठबंधन सरकारें शामिल हैं। इसकी शक्ति और प्रभाव वर्तमान प्रधानमंत्री की स्थिति, शक्तियों और धारणा को प्रतिबिंबित करती है।
    • प्रधानमंत्री कार्यालय की आंतरिक प्रणाली की यह विशेषता है कि इसके द्वारा कुशलतापूर्वक तथा समयबद्ध तरीके से सेवाएँ प्रदान की जाती हैं लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय के पास अपनी कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं होती है।
    • शुरुआत में PMO को एक साधारण सहायता प्रणाली के रूप में शुरू किया गया, जो सचिवीय सहायता, पत्राचार तथा फाइलों में मदद प्रदान करता था। समय के साथ, यह एक शक्तिशाली कार्यालय के रूप में विकसित हुआ है। 
    • वर्तमान में PMO सूचना प्रदाता, मीडिया प्रबंधक, नीति सलाहकार, मंत्रालयों के समन्वयक, चल रही परियोजनाओं की मॉनिटरिंग और घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पीएम के लिये सुविधाकर्त्ता के रूप में कार्य करता है।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

  प्र. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

1- भारत के संविधान के 44वें संशोधन द्वारा लाए गए एक अनुच्छेद ने प्रधानमंत्री के चुनाव को न्यायिक पुनरावलोकन से परे कर दिया।
2- भारत के संविधान के 99 वें संशोधन को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने विखंडित कर दिया क्योंकि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता का अतिक्रमण करता था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2  
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: B


मेन्स:

Q. आपके विचार से संसद भारत में कार्यपालिका की जवाबदेहिता सुनिश्चित करने में किस सीमा तक सक्षम है? (2021)

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