प्रारंभिक परीक्षा
पेटेंट (संशोधन) नियम, 2024
- 27 Mar 2024
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स्रोत: लेक्सोलॉजी
हाल ही में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने भारतीय पेटेंट अभ्यास और प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण बदलाव करते हुए पेटेंट संशोधन नियम, 2024 को अधिसूचित किया है।
पेटेंट (संशोधन) नियम, 2024 के तहत पेश किये गए प्रमुख परिवर्तन क्या हैं?
- परीक्षा के लिये अनुरोध (RFE) दाखिल करने हेतु कम समयसीमा: RFE दाखिल करने की समयसीमा अब प्राथमिकता तिथि से 48 से घटाकर 31 महीने कर दी गई है।
- परीक्षा के लिये अनुरोध (Request for Examination- RFE) दाखिल करने की समयसीमा कम होने से पेटेंट परीक्षा प्रक्रिया में तेज़ी आएगी।
- फॉर्म 3 का सरलीकृत प्रस्तुतिकरण: आवेदक पहली परीक्षा रिपोर्ट (First Examination Report- FER) प्राप्त करने के बाद केवल एक अद्यतन फॉर्म 3 दाखिल कर सकते हैं।
- पेटेंट कार्यालय आवेदक को एक परीक्षा रिपोर्ट जारी करता है, जिसे आमतौर पर FER के रूप में जाना जाता है।
- 'सर्टिफिकेट ऑफ इन्वेंटरशिप' का परिचय: पेटेंट किये गए आविष्कारों में आविष्कारकों के योगदान को पहचानना।
- चूँकि भारतीय पेटेंट प्रमाणपत्र आविष्कारकों की पहचान नहीं करता है, इसलिये यह प्रावधान आविष्कारकों को उनके आविष्कारों हेतु पहचानने की अनुमति देगा।
- विवरण दाखिल करने की आवृत्ति: कार्यशील पेटेंट दाखिल करने की आवृत्ति एक वित्तीय वर्ष में एक बार से घटाकर प्रत्येक तीन वित्तीय वर्षों में एक बार कर दी गई है।
- अनुदान-पूर्व और अनुदान-उपरांत विपक्ष प्रक्रियाओं में संशोधन: एक विपक्षी बोर्ड द्वारा सिफारिशें प्रस्तुत करने की समय सीमा और आवेदकों के लिये प्रतिक्रिया समय को समायोजित किया गया है।
- एक डिविज़नल आवेदन अनंतिम या पूर्ण आवेदन या आगे डिविज़नल एप्लीकेशन में प्रकट किये गए आविष्कार के संबंध में दायर किया जा सकता है।
- यह संशोधन सिंजेंटा लिमिटेड बनाम पेटेंट एवं डिज़ाइन नियंत्रक मामले, 2023 में दिल्ली उच्च न्यायालय के हालिया निर्णय के अनुरूप है।
- इसमें न्यायालय ने स्पष्ट किया कि डिविज़नल आवेदन मूल आवेदनों के संबंध में दायर किये जा सकते हैं, जहाँ मूल आवेदन के पूर्ण या अनंतिम विनिर्देश (और ज़रूरी नहीं कि दावे) आविष्कारों की बहुलता को उजागर करते हों।
पेटेंट क्या है?
- परिचय:
- पेटेंट किसी आविष्कार के लिये एक वैधानिक अधिकार है जो सरकार द्वारा पेटेंटधारक को उसके आविष्कार के पूर्ण प्रकटीकरण के बदले में एक सीमित अवधि के लिये दिया जाता है, जो दूसरों को पेटेंटधारक की अनुमति के बिना उन उपयोगों के लिये उत्पादन की पेटेंट उत्पाद/विधि के निर्माण, उपयोग, आयात या बिक्री से नियंत्रित करती है।
- भारत में पेटेंट प्रणाली पेटेंट अधिनियम, 1970 द्वारा शासित होती है जिसे वर्ष 2003 और वर्ष 2005 में संशोधित किया गया था।
- वर्तमान परिवेश के अनुरूप पेटेंट नियमों में नियमित रूप से संशोधन किया जाता है, सबसे हालिया पेटेंट (संशोधन) नियम, 2024 है।
- पेटेंट की अवधि:
- दिये गए प्रत्येक पेटेंट की अवधि आवेदन दाखिल करने की तिथि से अगले 20 वर्ष तक की होती है।
- हालाँकि, पेटेंट सहयोग संधि (PCT) के तहत राष्ट्रीय चरण के अंतर्गत दायर आवेदनों के लिये पेटेंट की अवधि PCT के तहत दी गई अंतर्राष्ट्रीय फाइलिंग तिथि से 20 वर्ष होगी।
- PCT एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है, जिसमें 150 से अधिक देश शामिल हैं। यह प्रत्येक अनुबंधित देश में आविष्कारों की रक्षा के लिये पेटेंट आवेदनों को दाखिल करने हेतु एक एकीकृत प्रक्रिया प्रदान करती है।
- ऐसा आवेदन किसी भी व्यक्ति द्वारा दायर किया जा सकता है जो PCT अनुबंधित राज्य या राष्ट्र का निवासी है और आमतौर पर अनुबंधित राज्य के राष्ट्रीय पेटेंट कार्यालय या आवेदक के विकल्प पर जिनेवा में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) के अंतर्राष्ट्रीय ब्यूरो के साथ दायर किया जा सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. 'राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति (नेशनल इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स पॉलिसी)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण (NBA) भारतीय कृषि की सुरक्षा में कैसे मदद करता है? (2012)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (A) केवल 1 उत्तर: (C) मेन्स:प्रश्न: वैश्वीकृत संसार में, बौद्धिक संपदा अधिकारों का महत्त्व हो जाता है और वे मुकद्दमेबाज़ी का एक स्रोत हो जाते हैं। कॉपीराइट, पेटेंट और व्यापार गुप्तियों के बीच मोटे तौर पर विभेदन कीजिये। (2014) |