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स्टेट पी.सी.एस.

  • 21 Feb 2025
  • 1 min read
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उत्तर प्रदेश Switch to English

ब्रह्मोस मिसाइल

चर्चा में क्यों?

लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल के विनिर्माण का कार्य इस वर्ष मई-जून में शुरू हो जाएगा, जो भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिये एक महतत्त्वपूर्ण कदम साबित होगा।

मुख्य बिंदु :

  • विनिर्माण के बारे में: 
  • रक्षा मंत्री के अनुसार लखनऊ में रक्षा उपकरणों के साथ ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण किया जाएगा। 
  • मिसाइल को विनिर्माण इकाई तक ले जाने के लिए रेलवे ट्रैक भी बनाया जाएगा।
  •  इस परियोजना में रूसी वैज्ञानिक भी भारत के साथ काम करेंगे। यह उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे का एक हिस्सा है।
  • ज्ञातव्य है कि भारत के दो राज्यों उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारा के जरिये रक्षा विनिर्माण केंद्र स्थापित किये जा रहें हैं।

    ब्रह्मोस मिसाइल के बारें में 

    • ब्रह्मोस मिसाइल जिसकी रेंज 290 किमी. है, भारत-रूस का एक संयुक्त उद्यम है और यह मैक 2.8 (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना) की शीर्ष गति के साथ दुनिया की सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइल है।
      • ब्रह्मोस का नाम ब्रह्मपुत्र (भारत) और मोस्कवा (रूस) नदियों के नाम पर रखा गया है।
    • यह दो चरणों वाली मिसाइल (पहले चरण में ठोस प्रणोदक इंजन और दूसरे चरण में तरल रैमजेट) है।
    • यह एक मल्टीप्लेटफॉर्म मिसाइल है यानी इसे ज़मीन, हवा और समुद्र से लॉन्च किया जा सकता है तथा सटीकता के साथ बहु-क्षमता वाली मिसाइल है जो मौसम की स्थिति के बावजूद दिन और रात दोनों समय काम करती है
    • यह "फायर एंड फॉरगेट्स" सिद्धांत पर काम करती है यानी लॉन्च के बाद इसे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं है।
    • वियतनाम, संयुक्त अरब अमीरात और इंडोनेशिया ब्रह्मोस मिसाइल के अन्य संभावित ग्राहकों में से हैं।


    हरियाणा Switch to English

    हरियाणा के नए मुख्य सचिव

    चर्चा में क्यों?

    हरियाणा सरकार ने 1990 बैच के आईएएस अधिकारी अनुराग रस्तोगी को राज्य का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया।

    मुख्य बिंदु 

    • नई नियुक्तियाँ:
      • प्रमुख शासन सचिव:
        • सरकारी आदेश के अनुसार अनुराग रस्तोगी को हरियाणा का मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है।
        • वह वित्त आयुक्त, राजस्व तथा अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त एवं योजना) का कार्यभार संभालते रहेंगे।
    • निर्वाचन आयोग:
      • ज्ञानेश कुमार को अगला मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया।
      • विवेक जोशी को भारत निर्वाचन आयोग में चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है।

    राज्य के मुख्य सचिव

    • नियुक्ति:
      • मुख्य सचिव का चयन मुख्यमंत्री द्वारा किया जाता है। चूंकि मुख्य सचिव की नियुक्ति मुख्यमंत्री की कार्यकारी कार्रवाई है, इसलिये यह राज्य के राज्यपाल के नाम पर की जाती है।
    • पद:
      • मुख्य सचिव का पद भारत के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सिविल सेवाओं में सबसे वरिष्ठ पद है।
      • यह पद भारतीय प्रशासनिक सेवा का कैडर पद है।
      • मुख्य सचिव मंत्रिमंडल के सभी मामलों में मुख्यमंत्री का मुख्य सलाहकार होता है।
    • कार्यकाल:
      • मुख्य सचिव के कार्यालय को कार्यकाल प्रणाली के संचालन से बाहर रखा गया है। इस पद के लिये कोई निश्चित कार्यकाल नहीं है।



    हरियाणा Switch to English

    भावांतर भरपाई योजना

    चर्चा में क्यों?

    हरियाणा के मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि राज्य अब आलू उत्पादकों को भावांतर भरपाई योजना का लाभ देगा। यह निर्णय किसानों को मूल्य में उतार-चढ़ाव से बचाएगा और आवश्यक वित्तीय सहायता सुनिश्चित करेगा।

    मुख्य बिंदु 

    • वित्तीय सहायता का वितरण:
      • सरकार ने इस योजना के तहत वित्त वर्ष 2023-24 के लिये किसानों को 46.34 करोड़ रुपए की राशि सफलतापूर्वक वितरित की है।
    • भावांतर भरपाई योजना के बारे में:
      • हरियाणा सरकार ने बाज़ार मूल्य में गिरावट के कारण किसानों को होने वाले वित्तीय नुकसान से बचाने के लिये यह योजना शुरू की।
      • इस योजना में 21 बागवानी फसलें शामिल हैं:
        • 5 फल फसलें
        • 14 सब्ज़ी फसलें
        • 2 मसाला फसलें
    • वर्तमान पंजीकरण और सहायता:
      • इस योजना के तहत 3,15,614 किसानों ने 7,02,220 एकड़ भूमि पंजीकृत कराई है।
      • सरकार ने 24,385 किसानों को 110 करोड़ रुपए से अधिक की वित्तीय सहायता प्रदान की है।
    • आलू किसानों के लिये सलाह:
      • किसानों को सलाह दी गई है कि यदि बाज़ार में आलू की कीमतें गिरती हैं तो वे अपनी उपज और आय की सुरक्षा के लिये अपनी आलू की फसल को कोल्ड स्टोरेज में रखें।
    • प्रक्रिया:
      • किसानों को अपनी फसल का पंजीकरण "मेरी फसल मेरा ब्योरा" पोर्टल पर अवश्य कराना होगा।
      • बागवानी विभाग लाभ ज़ारी करने से पहले विवरणों का सत्यापन करता है।
      • इस योजना में भूस्वामियों, पट्टेदारों और किरायेदारों को शामिल किया गया है, जिससे किसानों को व्यापक समर्थन सुनिश्चित हुआ है।



    हरियाणा Switch to English

    दिल्ली-अंबाला कॉरिडोर के लिये रेलवे का उन्नयन

    चर्चा में क्यों?

    दिल्ली-अंबाला रेल कॉरिडोर पर बढ़ते भार को देखते हुए रेल मंत्रालय ने मौजूदा दो-ट्रैक प्रणाली को चार-लाइन कॉरिडोर में अपग्रेड करने की योजना बनाई है। 

    • रेलवे अधिकारियों ने परियोजना के विवरण पर चर्चा करने के लिये उपायुक्तों की अध्यक्षता में पानीपत और सोनीपत में ज़िला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक की।

    मुख्य बिंदु 

    • विस्तार की आवश्यकता:
      • सोनीपत के उपायुक्त ने बढ़ते रेल भार के कारण दिल्ली-अंबाला रेल कॉरिडोर के विस्तार की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
      • वर्तमान दो-ट्रैक प्रणाली अपर्याप्त है, जिसके कारण रेल मंत्रालय को दिल्ली से अंबाला तक 193.6 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर के विस्तार की योजना बनानी पड़ी है।
    • परियोजना का दायरा और लागत:
      • इस विस्तार में मार्ग के 32 रेलवे स्टेशनों पर विकास कार्य शामिल होगा।
      • इस परियोजना की अनुमानित लागत 7,074 करोड़ रुपए है तथा इसे चार वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य है।
    • भूमि अधिग्रहण विवरण:
      • विस्तार के लिये 15 गाँवों की 11 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है:
      • समालखा खंड में 8 गाँव
      • पानीपत में 7 गाँव
      • प्रशासन भूस्वामियों को उचित मुआवज़ा सुनिश्चित करेगा।
    • रेलवे का भूमि प्रस्ताव:
      • परियोजना के लिये 85 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है, जिसमें शामिल हैं:
      • 80 हेक्टेयर निजी भूमि
      • 5 हेक्टेयर सरकारी भूमि
      • पूरा होने पर उन्नत कॉरिडोर जनता के लिये काफी बेहतर सुविधाएँ प्रदान करेगा।

    भारतीय रेल

    • भारतीय रेलवे की स्थापना 1853 में हुई थी और यह दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में से एक है।
    • भारतीय उपमहाद्वीप पर पहला रेलमार्ग बम्बई से थाणे तक 21 मील की दूरी तक फैला था। 
    • अनुमान है कि 2050 तक कुल वैश्विक रेल गतिविधि में भारत की हिस्सेदारी 40% होगी।
    • भारतीय रेलवे ने आधुनिक रेलवे प्रणाली विकसित करने के लिये भारत के लिये राष्ट्रीय रेल योजना (NRP)-2030 तैयार की है।


    बिहार Switch to English

    बिहार में नए एयरपोर्ट को मिली मंजूरी

    चर्चा में क्यों?

    हाल ही में बिहार के पटना के बिहटा में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) द्वारा नए एयरपोर्ट के निर्माण की मंजूरी प्रदान की गई है।

    मुख्य बिंदु 

    • बिहटा एयरपोर्ट के बारे में:
      • इस एयरपोर्ट का निर्माण भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण (AAI) द्वारा लगभग 459 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा।
      • एयरपोर्ट के निर्माण का कार्य रूस की एक कंपनी को सौंपा गया है।
      • इस एयरपोर्ट को वर्ष 2026 तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
      • एयरपोर्ट के निर्माण के हेतु बिहार सरकार ने लगभग 108 एकड़ ज़मीन आवंटित की है। 
      • इसके साथ ही लगभग 2000 करोड़ रुपए की लागत से दानापुर-बिहटा एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है, जों वर्ष 2026 तक पूर्ण होने की संभावना है।
    • बिहटा एयरपोर्ट के लाभ:
      • यह एयरपोर्ट न केवल पटना शहर से जुड़ा रहेगा, बल्कि पूरे बिहार और आसपास के क्षेत्रों के लिये एक नया हवाई यातायात केंद्र बनेगा।
      • इससे प्रमुख शहरों की हवाई कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा।
      • व्यापार और पर्यटन के क्षेत्र में वृद्धि होगी।
      • एयरपोर्ट के निर्माण से स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
      • यात्री सुविधाओं में सुधार होगा और यात्रा की लागत में कमी आएगी।

    भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI)

    • AAI एक वैधानिक निकाय है, जिसका गठन संसद के एक अधिनियम द्वारा 1 अप्रैल, 1995 को किया गया था।
    • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
    • यह प्राधिकरण ग्राउंड (Ground) और एयरस्पेस (Airspace) दोनों में नागरिक उड्डयन अवसंरचना के निर्माण, उन्नयन,रखरखाव और प्रबंधन का कार्य करता है।
    • वर्तमान में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) 137 विमानपत्तनों का प्रबंधन करता है, जिसमें 23 अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन, 10 सीमा शुल्क विमानपत्तन, 81 घरेलू विमानपत्तन तथा रक्षा वायु क्षेत्रों में 23 घरेलू सिविल एन्क्लेव शामिल हैं।
    • AAI हवाई नेविगेशन सेवाएँ भी प्रदान करता है साथ ही विमानन पेशेवरों के लिये एक प्रशिक्षण संस्थान संचालित करता है।



    मध्य प्रदेश Switch to English

    कूनो नेशनल पार्क में चीता मित्र सम्मेलन

    चर्चा में क्यों?

    18 फरवरी 2025 को कूनो नेशनल पार्क श्योपुर में चीता मित्र सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें 100 चीता मित्र शामिल हुए।

    मुख्य बिंदु 

    • सम्मलेन के बारे में:
      • यह सम्मेलन कूनो नेशनल पार्क में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते के पुनर्वास के दो सफल वर्षों की पूर्णता पर आयोजित किया गया। 
      • चीता मित्रों द्वारा परियोजना से जुड़े अपने अनुभव और सुझाव साझा किये गए, जो इस परियोजना को भविष्य में बेहतर बनाने में सहायक हो सकते हैं।
      • चीता परियोजना की विस्तृत जानकारी दी गई और परियोजना के तहत किए गए कार्यों का प्रत्यक्ष अनुभव साझा किया गया।
    • उद्देश्य:
      • इस सम्मेलन का उद्देश्य परियोजना के तहत किए गए कार्यों का विश्लेषण करना था। 
      • इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया गया कि सभी पहलुओं पर विचार किया जाए और चीता परियोजना की सफलता में योगदान दिया जाए।

    कूनो राष्ट्रीय उद्यान (NP)

    • कूनो राष्ट्रीय उद्यान (NP) (श्योपुर, मध्य प्रदेश) को वर्ष 1981 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था और वर्ष 2018 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
    • वनस्पति: प्राथमिक वृक्ष प्रजातियाँ करधई, खैर और सलाई हैं।


    बिहार Switch to English

    बोधगया में बौद्ध महोत्सव 2025

    चर्चा में क्यों?

    हाल ही में बिहार के गया ज़िले के बोधगया स्थित कालचक्र मैदान में तीन दिवसीय बौद्ध महोत्सव 2025 का आयोजन किया गया।  

    मुख्य बिंदु 

    • उत्सव के बारे में:
      • इस बौद्ध महोत्सव में आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन गतिविधियों की झलक दिखाई दी। 
      • इसमें स्थानीय कलाकारों के अलावा इंडोनेशिया, लाओस, जापान सहित 6 देशों के कलाकारों ने भाग लिया। 
      • बौद्ध महोत्सव में पहली बार बुद्धिस्ट फिल्म फेस्टिवल का भी आयोजन हुआ। इसके लिये कई देशों के बड़े फिल्मकारों, लेखकों आदि को आमंत्रित किया गया।  
      • इस फिल्म फेस्टिवल और आर्ट्स फेस्टिवल का आयोजन महाबोधि कन्वेंशन सेंटर में किया गया।  

    बौद्ध महोत्सव  

    • बौद्ध महोत्सव एक वार्षिक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आयोजन है, जिसे मुख्य रूप से बिहार के बोधगया में मनाया जाता है।  
    • यह महोत्सव भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षाओं, बौद्ध धर्म और उसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उत्सव है। 
    • बौद्ध महोत्सव का पहला आयोजन वर्ष 1998 में किया गया था। 
    • बोधगया वह स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध को ज्ञान (बोधि) की प्राप्ति हुई थी, इसलिये यह स्थल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिये अत्यंत पवित्र है। 
    • यह महोत्सव बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों जैसे- अहिंसा, करुणा, शांति और ध्यान को बढ़ावा देता है। 
    • भारत के साथ-साथ श्रीलंका, नेपाल, भूटान, जापान, चीन, थाईलैंड, म्याँमार और अन्य देशों से हज़ारों श्रद्धालु तथा पर्यटक इसमें भाग लेते हैं।



    उत्तराखंड Switch to English

    उत्तराखंड बजट 2025-26

    चर्चा में क्यों?

    उत्तराखंड सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिये 1,01,175.33 करोड़ रुपए का बजट पेश किया है, जिसका उद्देश्य आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करते हुए बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना है।

    मुख्य बिंदु 

    • बजट प्रस्तुति और विज़न:
      • राज्य वित्त मंत्री ने देहरादून स्थित राज्य विधानसभा में 1,01,175.33 करोड़ रुपए का बजट पेश किया।
      • बजट में राज्य के आर्थिक और बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये एक व्यापक रोडमैप की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है।
    • क्षेत्रीय फोकस क्षेत्र:
      • सरकार ने कृषि, उद्योग, ऊर्जा, बुनियादी ढाँचा, कनेक्टिविटी, पर्यटन और आयुष को प्राथमिकता दी है।
      • विकास को बढ़ावा देने के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढाँचे और ग्रामीण विकास पर अतिरिक्त ज़ोर दिया गया है।
    • राजस्व एवं प्राप्तियाँ अवलोकन:
    • समावेशी विकास के लिये 'ज्ञान' मॉडल:
      • यह बजट 'ज्ञान' मॉडल पर आधारित है, जिसमें निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित किया गया है:
        • गरीब (Poor)
        • युवा 
        • अन्नदाता(Farmers)
        • नारी (woman)
    • उद्योग और स्टार्टअप को बढ़ावा:
      • औद्योगिक विकास और उद्यमिता को समर्थन देने के लिये बजट में निम्नलिखित शामिल हैं:
      • एमएसएमई उद्योगों के लिये 50 करोड़ रुपए।
      • मेगा उद्योग नीति के लिये 35 करोड़ रुपए।
      • स्टार्टअप प्रोत्साहन के लिये 30 करोड़ रुपए।
      • आर्थिक विस्तार को बढ़ावा देने के लिये मेगा परियोजना योजना के अंतर्गत 500 करोड़ रुपए।
    • क्षेत्रवार प्रमुख आवंटन:
    • जल संसाधन और सिंचाई:
    • सड़क, परिवहन और बुनियादी ढाँचा:
      • 220 किलोमीटर नई सड़कें बनाई जाएंगी।
      • 1,000 किमी सड़कों का पुनर्निर्माण तथा 1,550 किमी सड़कों का नवीनीकरण किया जाएगा।
      • सड़क सुरक्षा पहल के लिये 1,200 करोड़ रुपए। 
      • 37 नए पुल बनाए जायेंगे।
      • PMGSY योजना के अंतर्गत 1,065 करोड़ रुपए आवंटित।
      • नागरिक उड्डयन विभाग के लिये 36.88 करोड़ रुपए। 
    • पर्यटन और सांस्कृतिक विकास:
      • टिहरी झील विकास के लिये 100 करोड़ रुपए। 
      • मानसखण्ड योजना के लिये 25 करोड़ रुपए। 
      • वाइब्रेंट विलेज योजना के लिये 20 करोड़ रुपए। 
      • नये पर्यटन स्थलों के लिये 10 करोड़ रुपए। 
      • चारधाम सड़क नेटवर्क सुधार के लिये 10 करोड़ रुपए। 
    • पर्यावरण और सतत विकास:
      • कैम्पा योजना के लिये 395 करोड़ रुपए आवंटित।
      • जलवायु परिवर्तन शमन के लिये 60 करोड़ रुपए। 
      • स्प्रिंग एवं रिवर रिजुवेनेशन अथॉरिटी के लिये 125 करोड़ रुपए। 
      • सार्वजनिक वनरोपण परियोजनाओं के लिये 10 करोड़ रुपए। 
    • सामाजिक सुरक्षा और कल्याण:
      • सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिये 1,811.66 करोड़ रुपए आवंटित।
      • विभिन्न कल्याणकारी सब्सिडी के लिये 918.92 करोड़ रुपए अलग रखे गए।
      • खाद्य सुरक्षा योजना के लिये 600 करोड़ रुपए। 
      • प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिये 207.18 करोड़ रुपए। 
      • प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लिए 54.12 करोड़ रुपए।
      • EWS आवास अनुदान के लिये 25 करोड़ रुपए। 
      • निम्न आय वाले परिवारों के लिये रसोई गैस सब्सिडी हेतु 55 करोड़ रुपए। 
      • पर्यावरण मित्र बीमा योजना के लिये 2 करोड़ रुपए। 
      • राज्य परिवहन बसों में मुफ्त यात्रा उपलब्ध कराने के लिये 40 करोड़ रुपए। 
      • राज्य खाद्यान्न योजना के लिये 10 करोड़ रुपए। 
      • अंत्योदय राशन कार्ड धारकों को नमक पर सब्सिडी देने के लिये 34.36 करोड़ रुपए। 
    • विकास पर रणनीतिक ध्यान:
      • यह बजट समग्र विकास और सतत् विकास के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
      • बुनियादी ढाँचे, सामाजिक कल्याण, पर्यावरण और आर्थिक विस्तार पर ज़ोर देकर सरकार का लक्ष्य उत्तराखंड निवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।

    प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना

    • यह एक केन्द्र सरकार की योजना है, जिसे वर्ष 2000 में असंबद्ध ग्रामीण बस्तियों को बारहमासी सड़क संपर्क प्रदान करने के लिये शुरू किया गया था।
      • यह योजना मूलतः 100% केन्द्र प्रायोजित पहल थी, लेकिन वित्तीय वर्ष 2015-16 से इसका वित्तपोषण केंद्र और राज्य सरकारों के बीच 60:40 के अनुपात में साझा किया जाने लगा।
      • इस योजना के विभिन्न चरणों के अंतर्गत लगभग 800,000 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनाई गई हैं और 180,000 बस्तियों को जोड़ा गया है।

    जीवंत गाँव कार्यक्रम

    • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसकी घोषणा केंद्रीय बजट 2022-23 (2025-26 तक) में उत्तरी सीमा पर स्थित गाँवों के विकास के लिये की गई है, जिससे चिन्हित सीमावर्ती गाँवों में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।
    • यह हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों को कवर करेगा।
    • इसमें 2,963 गाँव शामिल होंगे, जिनमें से 663 को पहले चरण में शामिल किया जाएगा।
    • ज़िला प्रशासन द्वारा ग्राम पंचायतों की सहायता से जीवंत ग्राम कार्य योजनाएँ बनाई जाएंगी।
    • सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के साथ कोई सामंजस्य नहीं होगा।





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