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हरियाणा

बाजरे की उपज ‘भावांतर भरपाई योजना’ में शामिल

  • 29 Sep 2021
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

28 सितंबर, 2021 को हरियाणा सरकार ने इस खरीफ सीजन से बाजरे की उपज को भी ‘भावांतर भरपाई योजना’ में शामिल करने का निर्णय लिया है। इससे पहले, हरियाणा में बागवानी फसलों के लिये भी ‘भावांतर भरपाई योजना’ लागू की जा चुकी है।

प्रमुख बिंदु

  • यह योजना लागू करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य है। इस योजना में 21 बागवानी फसलों को शामिल किया गया है। 
  • मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि बाजरे की खरीद के बारे में निम्नलिखित निर्णय लिये गए हैं-
    • बाजरे के औसत बाजार भाव व एम.एस.पी. के अंतर को भावांतर मानते हुए ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकृत किसानों की फसल के सत्यापन उपरांत सही पाए गए किसानों को औसतन उपज पर 600 रुपए प्रति क्विंटल भावांतर दिया जाएगा।
    • बाजरे के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, जबकि पड़ोसी राज्यों- राजस्थान और पंजाब में इस बार भी बाजरे का कोई एम.एस.पी. घोषित नहीं किया गया है और लगता है कि वे पहले की तरह इस बार भी बाजरे की खरीद नहीं करेंगे।
    • ये हरियाणा प्रदेश के उन किसानों का ही बाजरा खरीदने के लिये भावांतर पर भरपाई करने का निर्णय लिया गया है, जिन्होंने ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकरण करवाया है। उपज भाव को मेनटेन करने के लिये बाज़ार भाव पर 25 प्रतिशत उपज सरकारी एजेंसी खरीदेगी।
    • खरीफ सीजन 2021 में बाजरे के लिये 2 लाख 71 हज़ार किसानों ने ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकरण करवाया है। इसमें से लगभग 8 लाख 65 हज़ार एकड़ भूमि का सत्यापन हुआ है। खरीद शुरू होते ही किसानों के खातों में डीबीटी के माध्यम से 600 रुपए प्रति क्विंटल भावांतर औसत उपज के अनुसार भुगतान कर दिया जाएगा। 
    • इस सीजन में सरकार पाँच फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करेगी। खरीफ फसलों में बाजरे के अतिरिक्त मूँग, मक्का और धान की खरीद 1 अक्टूबर से तथा मूंगफली की खरीद 1 नवंबर से शुरू होगी।
    • इसके अलावा, राज्य सरकार पहली बार अरहर, उड़द और तिल की खरीद भी करने जा रही है, जो 1 दिसंबर से शुरू होगी। 
    • किसानों को बाजरे के स्थान पर तिलहन और दलहन, जैसे- मूंग, अरहर, अरंडी, मूंगफली जैसी फसलें उगाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। बाजरे के स्थान पर वैकल्पिक फसलों की बिजाई करने और कुल बाजरे का उत्पादन कम करने वाले किसानों को ही 4,000 रुपए प्रति एकड़ अनुदान दिया जाएगा।
    • प्रदेश में बाजरे की खरीद के लिये 86, मूंग की खरीद के लिये 38, मक्का के लिये 19 तथा मूंगफली की खरीद के लिये 7 खरीद केंद्र बनाए गए हैं। धान की खरीद के लिये भी 199 खरीद केंद्र बनाए गए हैं।
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