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भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना

  • 19 Sep 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये 

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना 

मेन्स के लिये 

योजना के क्रियान्वयन में चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों? 

केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana-PMGSY) के बारे में जानकारी दी।

प्रमुख बिंदु

योजना का परिचय

  • एकमुश्त विशेष हस्तक्षेप के रूप में PMGSY के पहले चरण की शुरुआत वर्ष 2000 में की गई। PMGSY का प्रमुख उद्देश्य निर्धारित जनसंख्या वाली असंबद्ध बस्तियों को ग्रामीण संपर्क नेटवर्क प्रदान कर ग्रामीण क्षेत्रों का सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण करना है। योजना के अंतर्गत जनसंख्या का आकार मैदानी क्षेत्रों में 500+ और उत्तर-पूर्वी राज्यों, हिमालयी राज्यों, मरुस्थलीय और जनजातीय क्षेत्रों में 250+ निर्धारित किया गया है। 
  • इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य निर्धारित मानकों को पूरा करने करने वाली असंबद्ध बस्तियों को सड़क नेटवर्क प्रदान करना है। प्रारंभ में राज्यों के लिये सड़कों की लंबाई/वित्तीय लक्ष्य/आवंटन के संदर्भ में कोई भौतिक लक्ष्य निर्धारित नहीं किये गए थे। स्वीकृत परियोजनाओं के मूल्यों के अनुरूप राज्यों को निधि का आवंटन बाद के वर्षों में किया गया है।
  • भारत सरकार द्वारा वर्ष 2013 में समग्र दक्षता में सुधार हेतु ग्रामीण सड़क नेटवर्क में 50,000 किमी. के उन्नयन के लिये PMGSY-II की शुरुआत की गई। 
  • ग्रामीण कृषि बाज़ार (GrAMs), उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों और अस्पतालों को प्रमुख ग्रामीण संपर्क मार्गों से जोड़ने हेतु वर्ष 2019 में 1,25,000 किमी. के समेकन के लिये  PMGSY-III को प्रारंभ किया गया।
  • PMGSY के तहत ग्रामीण सड़कों का निर्माण और विकास ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में प्रस्तावित ज्यामितीय डिज़ाइन और भारतीय सड़क कॉन्ग्रेस (Indian Road Congress-IRC) के मैनुअल और अन्य प्रासंगिक IRC कोड और मैनुअल के अनुसार किया जाता है। 
  • मंत्रालय द्वारा योजना के अंतर्गत कार्य संबंधित राज्य सरकारों द्वारा प्रस्तुत ‘विस्तृत परियोजना रिपोर्ट’ (Detailed Project Report-DPR) के आधार पर स्वीकृत किये जाते हैं।
  • राज्यों द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट जारी करते समय लागत को प्रभावित करने वाले भौतिक और पर्यावरणीय कारकों, जैसे- स्थलाकृति, मिट्टी के प्रकार, जलवायु, यातायात घनत्व, वर्षा और ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा निर्धारित तकनीकी विशिष्टताओं, जैसे- आवश्यक जल निकासी, नालियों और संरक्षण कार्यों की आवश्यकताओं पर विचार किया जाता है। 
  • सड़क निर्माण कार्यों के लिये लागत अनुमान तैयार करते समय भौगोलिक और संबंधित कारकों को ध्यान में रखा जाता हैं। PMGSY-I के अंतर्गत पात्र बस्तियों के आधार पर और PMGSY-II तथा III के मामले में सड़कों की लंबाई के आधार पर लक्ष्य आवंटित किये जाते हैं। 
  • योजना में विशेष वितरण के उपाय के रूप में केंद्र सरकार पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में परियोजना लागत का 90% वहन करती है, जबकि अन्य राज्यों में केंद्र सरकार लागत का 60% वहन करती है।

योजना के क्रियान्वयन में चुनौतियाँ

  • PMGSY के अंतर्गत निर्मित ग्रामीण सड़क नेटवर्क को वर्तमान में मरम्मत की तत्काल आवश्यकता है, लेकिन राज्य इन सड़कों के रखरखाव के लिये पर्याप्त मात्रा में व्यय नहीं कर रहे हैं। योजना क्रियान्वयन के नोडल मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय के लिये यह एक चिंता का विषय है।
  • मंत्रालय के एक अनुमान के अनुसार, योजना के अंतर्गत निर्मित सड़कों के रखरखाव के लिये वर्ष 2020-21 से प्रारंभ होकर अगले पाँच वर्षों की अवधि के दौरान 75,000-80,000 करोड़ रुपए खर्च करने की आवश्यकता होगी। राज्यों द्वारा चालू वित्त वर्ष में 11,500 करोड़ रुपए खर्च किये जाने की आवश्यकता है और वर्ष 2024-25 तक आवश्यक राशि बढ़कर 19,000 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। 
  • योजना के प्रारंभ होने के पश्चात् से अब तक लगभग 1.5 लाख बस्तियों को आपस में जोड़ने के लिये 6.2 लाख किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण किया जा चुका है। इन सड़कों में से लगभग 2.27 लाख किमी. से अधिक लंबाई की सड़कें 10 वर्ष से अधिक और लगभग 1.79 लाख किमी. लंबी सड़कें 5 से 10 वर्ष तक पुरानी है। इन सभी को मिलाकर लगभग 67% सड़कों के उचित रखरखाव की आवश्यकता है।
  • राज्य ग्रामीण सड़क विकास एजेंसियों में प्रशिक्षित और अनुभवी कर्मचारियों का बार-बार स्थानांतरण योजना निगरानी की प्रभावशीलता को बाधित करता है। कुछ राज्यों द्वारा ऑनलाइन निगरानी प्रबंधन और लेखा प्रणाली पर नियमित रूप से योजना की भौतिक और वित्तीय प्रगति को अद्यतन नहीं करना भी चिंता का विषय है। 
  • अपर्याप्त परियोजना निष्पादन और अनुबंध क्षमता, भूमि तथा वन मंज़ूरी में देरी होना, आदि भी योजना की भौतिक प्रगति में आने वाली कुछ प्रमुख बाधाएँ हैं। PMGSY के कैग ऑडिट में देखा गया कि बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और ओडिशा सहित नौ राज्य सड़कों के निर्माण में पिछड़े हुए थे।

आगे की राह 

  • योजना में भ्रष्ट और संदिग्ध ठेकेदारों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार किया जाना चाहिये, जिससे भविष्य में उन्हें टेंडर देने से बचा जा सके। 
  • वर्तमान में विद्यमान मुद्दों के समाधान के लिये खरीद प्रक्रिया को उन्नत करने के साथ ही मंत्रालय को ठेकेदारों को समय पर भुगतान भी सुनिश्चित करना चाहिये ताकि श्रमिकों को समय पर भुगतान किया जा सके।

स्रोत: पीआईबी

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