प्रारंभिक परीक्षा
राज्यपाल की नियुक्ति
- 01 Aug 2024
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स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रपति ने छह नए राज्यपालों की नियुक्ति की है तथा तीन अन्य में फेरबदल किया है।
राज्यपाल की नियुक्ति प्रक्रिया क्या है?
- परिचय:
- राज्यपाल, राज्य का कार्यकारी प्रमुख होता है।
- राज्यपाल का कार्यालय कनाडाई मॉडल से अनुकूलित है।
- परंपरा के अनुसार, वह उस राज्य से संबंधित न हो जहाँ उसे नियुक्त किया गया है, ताकि वह स्थानीय राजनीति से मुक्त रह सके।
- इसके अलावा, जब राज्यपाल की नियुक्ति हो तब राष्ट्रपति के लिये आवश्यक हो कि वह राज्य के मामले में मुख्यमंत्री से परामर्श करे ताकि राज्य में संवैधानिक व्यवस्था सुनिश्चित हो।
- राज्यपाल न तो जनता द्वारा सीधे चुना जाता है और न ही अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति की तरह संवैधानिक प्रक्रिया के तहत उसका निर्वाचन होता है।
- उसकी नियुक्त राष्ट्रपति के मुहर लगे आज्ञापत्र के माध्यम से होती है।
- वह राष्ट्रपति की इच्छा पर पद धारण करता है और राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय हटाया जा सकता है।
- सूर्य नारायण बनाम भारत संघ मामले, 1982 में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि राष्ट्रपति की प्रसन्नता न्यायोचित नहीं है।
- वह केंद्र सरकार द्वारा नामित व्यक्ति हैं।
- हालाँकि हरगोविंद पंत बनाम रघुकुल तिलक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि किसी राज्य में राज्यपाल का कार्यालय केंद्र सरकार के अधीन रोज़गार नहीं है।
- यह एक स्वतंत्र संवैधानिक कार्यालय है।
- राज्यपाल कार्यालय की शर्तें:
- बिना किराये के उसे राजभवन (आधिकारिक निगम) उपलब्ध होगा।
- वह संसद द्वारा निर्धारित सभी प्रकार की उपलब्धियों, विशेषाधिकारों और भत्तों के लिये अधिकृत होगा।
- यदि वह व्यक्ति दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त होता है, तो ये उपलब्धियाँ और भत्ते राष्ट्रपति द्वारा तय मानकों के हिसाब से राज्य मिलकर प्रदान करेंगे।
- उसके कार्यकाल के दौरान उसकी आर्थिक उपलब्धियों व भत्तों को कम नहीं किया जा सकता।
- विशेषाधिकार:
- अनुच्छेद 361 के तहत, उसे अपने शासकीय कृत्यों के लिये विधिक दायित्व से निजी उन्मुक्ति प्राप्त होती हैं।
- अपने कार्यकाल के दौरान, उसे आपराधिक कार्यवाही (चाहे वह व्यक्तिगत क्रियाकलाप हो) की सुनवाई से उन्मुक्ति प्राप्त है।
- उसे गिरफ्तार कर कारावास में नहीं डाला जा सकता है।
- यद्यपि दो महीने के नोटिस देने पर व्यक्तिगत क्रियाकलापों पर उनके विरुद्ध नागरिक कानून संबंधी कार्यवाही प्रारंभ की जा सकती है।
- शपथ:
- कार्यभार ग्रहण करने से पहले राज्यपाल सत्यनिष्ठा की शपथ लेना है।
- अपनी शपथ में राज्यपाल प्रतिज्ञा करते हैं-
- निष्ठापूर्वक दायित्वों का निर्वहन करेगा।
- संविधान और विधि की रक्षा संरक्षण व प्रतिरक्षा करेगा।
- स्वयं को राज्य की जनता के हित व सेवा में समर्पित करेगा।
- राज्यपाल को शपथ, संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दिलवाते हैं। उनकी अनुपस्थिति में उपलब्ध वरिष्ठतम न्यायाधीश शपथ दिलवाते हैं।
राज्यपाल से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
- अनुच्छेद 153: प्रत्येक राज्य के लिये एक राज्यपाल होगा।
- अनुच्छेद 153: प्रत्येक राज्य के लिये एक राज्यपाल होगा।
- एक व्यक्ति को दो या दो से अधिक राज्यों (सरकारिया आयोग द्वारा अनुशंसित) का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है।
- राज्यपाल केंद्र सरकार का एक मनोनीत सदस्य होता है, जिसे राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- अनुच्छेद 157 और 158: राज्यपाल के पद के लिये पात्रता संबंधी आवश्यकताओं को निर्दिष्ट किया गया है।
- अनुच्छेद 163: राज्यपाल को उसके कार्यों के निर्वहन में सहायता और सलाह देने के लिये मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक मंत्रिपरिषद होती है, सिवाय कुछ स्थितियों के जहाँ विवेकाधिकार की अनुमति होती है।
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सी विवेकाधीन शक्तियाँ किसी राज्य के राज्यपाल को दी गई हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है? (2013) (a) भारत में एक ही व्यक्ति को एक ही समय में दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त नहीं किया जा सकता है। उत्तर: (c) |