हरियाणा Switch to English
राज्य स्तरीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार 2024
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत राष्ट्रीय प्रयासों के साथ जुड़कर ऊर्जा संरक्षण पर ज़ोर दे रही है।
इन पुरस्कारों का उद्देश्य विशेष रूप से बढ़ती पर्यावरणीय चिंताओं के आलोक में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने में विभिन्न क्षेत्रों में योगदान को मान्यता देना है।
मुख्य बिंदु
- पुरस्कार का उद्देश्य:
- ऊर्जा दक्षता प्रथाओं में उत्कृष्टता प्राप्त करने वाले उद्योगों, वाणिज्यिक भवनों, सरकारी संस्थानों, शैक्षिक संस्थानों, अस्पतालों और व्यक्तियों को मान्यता देकर ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देना।
- नियामक ढाँचा: ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 पर आधारित , जो मार्च 2002 में लागू हुआ, जिसमें ऊर्जा संसाधनों के कुशल उपयोग के लिये दिशानिर्देश निर्धारित किये गए।
- प्रशासनिक निकाय:
- हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (Haryana Renewable Energy Development Agency- HAREDA) हरियाणा के भीतर अधिनियम के प्रावधानों के समन्वय, विनियमन और प्रवर्तन के लिये ज़िम्मेदार राज्य नामित एजेंसी (State Designated Agency- SDA) के रूप में कार्य करती है। यह हरियाणा के अक्षय ऊर्जा विभाग के अधिकार क्षेत्र में है।
- पुरस्कार श्रेणियाँ:
- पात्र क्षेत्र: उद्योग, वाणिज्यिक भवन, सरकारी संस्थान, शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, नगर निकाय और व्यक्ति।
- मानदंड: मान्यता ऊर्जा संरक्षण के लिये अभिनव उपायों, नवीन प्रौद्योगिकियों के उपयोग और ऊर्जा उपयोग में दक्षता सुधार पर आधारित है। विशिष्ट क्षेत्रों में शामिल हैं:
- ऊर्जा संरक्षण में नवाचार
- ऊर्जा-कुशल प्रथाओं को अपनाना
- ऊर्जा में अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएँ
- पुरस्कार विवरण:
- पुरस्कार में 2 लाख रुपए तक की राशि शामिल है, जो पुरस्कार की विशिष्ट श्रेणी पर निर्भर करता है। पुरस्कार का उद्देश्य विजेताओं द्वारा ऊर्जा-बचत के प्रयासों को प्रोत्साहित करना और वित्तीय रूप से समर्थन देना है।
- ये पुरस्कार विद्युत् की खपत को कम करने और सतत् विकास को समर्थन देने के राज्य के व्यापक प्रयासों का हिस्सा हैं।
- हालिया घटनाक्रम:
- वर्ष 2024 संस्करण इन पहलों को जारी रखता है, संस्थानों और व्यक्तियों को ऊर्जा संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने वाले आवेदन प्रस्तुत करने के लिये प्रोत्साहित करता है। आवेदन प्रस्तुत करने की समय सीमा और दिशा-निर्देश हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (HAREDA) की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध कराए गए हैं।
ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001
- नियामक ढाँचा
- ऊर्जा दक्षता अधिनियम ऊर्जा दक्षता के लिये मानक और नीतियाँ स्थापित करता है, तथा केंद्र और राज्य सरकारों को ऊर्जा उपयोग को विनियमित करने का अधिकार देता है।
- ऊर्जा लेखापरीक्षा
- प्राधिकारी उन भवनों के ऊर्जा लेखापरीक्षा (Audits) का निर्देश दे सकते हैं जहाँ ऊर्जा-गहन उद्योग संचालित होते हैं।
- ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency- BEE)
- ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) का गठन EC अधिनियम के कार्यक्रमों की देखरेख और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिये किया गया था। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के कार्यों में प्रमाणन, जन जागरूकता अभियान और पायलट परियोजनाएँ शामिल हैं।
- कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग
- ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2022 सरकार को कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना शुरू करने की अनुमति देता है।
- ऊर्जा बचत प्रमाणपत्र
- सरकार उन उद्योगों को ऊर्जा बचत प्रमाणपत्र जारी कर सकती है जो अपनी आवंटित ऊर्जा से कम ऊर्जा खपत करते हैं। ये प्रमाणपत्र उन ग्राहकों को विक्रय किये जा सकते हैं जो अपनी आवंटित ऊर्जा से ज़्यादा खपत करते हैं।
उत्तर प्रदेश Switch to English
खाद्य सुरक्षा और संदूषण पर उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में खाद्य संदूषण और खाद्य उद्योग में असामाजिक गतिविधियों पर बढ़ती चिंताओं को दूर करने के लिये दो अध्यादेशों का प्रस्ताव किया है, जो मानव अपशिष्ट द्वारा संदूषण से संबंधित घटनाओं की एक शृंखला से प्रेरित हैं।
मुख्य बिंदु
- नये खाद्य अध्यादेश :
- छद्म और सद्भाव विरोधी गतिविधियों की रोकथाम और थूकना निषेध अध्यादेश 2024।
- उत्तर प्रदेश खाद्य संदूषण निवारण (उपभोक्ता को जानने का अधिकार) अध्यादेश 2024।
- ये अध्यादेश थूकने या मानव अपशिष्ट को खाद्य पदार्थ में मिलाने से होने वाले संदूषण को संज्ञेय एवं गैर-जमानती अपराध बनाने के लिये बनाए गए हैं।
- "असामाजिक तत्त्वों" और "अवैध नागरिकों" से निपटने के लिये अध्यादेश:
- अध्यादेशों में उन खाद्य प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के प्रावधान शामिल होंगे, जिनके "अवैध विदेशी नागरिक" होने की पुष्टि हो गई है।
- इस कदम का उद्देश्य ऐसे व्यक्तियों को बाहर निकालना है जो खाद्य पदार्थों को दूषित करने या अन्य असामाजिक गतिविधियों में संलग्न होने के लिये अपनी पहचान छिपाते हैं।
- खाद्य प्रतिष्ठानों पर नाम और पहचान प्रदर्शित करना अनिवार्य:
- पारदर्शिता को बढ़ावा देने हेतु सरकार ने सभी खाद्य प्रतिष्ठानों के लिये मालिकों और प्रबंधकों के नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया है।
- इसके अतिरिक्त, खाद्य प्रतिष्ठानों में कार्यरत सभी कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान पहचान-पत्र पहनना होगा।
- इस उपाय का उद्देश्य जवाबदेही सुनिश्चित करना और व्यक्तियों को अपनी पहचान छिपाने से रोकना है।
- CCTV कैमरे लगाना अनिवार्य :
- सभी भोजनालयों और खाद्य प्रतिष्ठानों को अपने रसोईघरों और भोजन क्षेत्रों में CCTV कैमरे लगाना अनिवार्य होगा।
- फुटेज़ को कम से कम एक महीने तक रखा जाना चाहिये तथा आवश्यकता पड़ने पर ज़िला प्राधिकारियों को उपलब्ध कराया जाना चाहिये।
- इससे संदूषण को रोकने के लिये भोजन की तैयारी और सेवा की निगरानी करने में सहायता मिलेगी।
- उपभोक्ताओं के लिये सूचना का अधिकार :
- प्रत्येक उपभोक्ता को अपने द्वारा उपभोग किये जाने वाले भोजन तथा उसे तैयार करने वाले प्रतिष्ठान के बारे में आवश्यक जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होगा।
- अध्यादेश यह सुनिश्चित करते हैं कि विक्रेता स्पष्ट साइनबोर्ड प्रदर्शित करें तथा गलत नाम या छद्मनाम का प्रयोग न करें तथा किसी भी उल्लंघन के लिये उन्हें उत्तरदायी ठहराया जाए।
- अध्यादेश के लिये कानूनी और संवैधानिक प्रक्रिया:
- विधायी उपकरण के रूप में अध्यादेश:
- अध्यादेश एक अस्थायी कानून है जिसे कार्यपालिका ( राज्य स्तर पर राज्यपाल) द्वारा तब लागू किया जाता है जब विधायिका सत्र में नहीं होती है।
- यह राज्यों के लिये भारतीय संविधान के अनुच्छेद 213 के तहत जारी किया जाता है , जो राज्यपाल को आपातकालीन स्थितियों में अध्यादेश जारी करने का अधिकार देता है।
- विधायी उपकरण के रूप में अध्यादेश:
- अनुमोदन और निरंतरता:
- एक बार अध्यादेश जारी हो जाने के बाद, उसे राज्य विधानमंडल के पुनः अधिवेशन में प्रस्तुत किया जाना चाहिये।
- यदि अगले सत्र के प्रारंभ से छह सप्ताह के भीतर राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा इसे अनुमोदित नहीं किया जाता है तो अध्यादेश का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
- संवैधानिक सुरक्षा उपाय:
- अध्यादेश को अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत तर्कसंगतता और सार्वजनिक हित के सिद्धांतों का पालन करना होगा ।
- यदि किसी अध्यादेश को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला या कार्यपालिका के संवैधानिक अधिकारों के दायरे से बाहर पाया जाता है, तो न्यायिक समीक्षा की प्रक्रिया उपलब्ध है।
हरियाणा Switch to English
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने एग्जिट पोल की आलोचना की
चर्चा में क्यों?
भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त (Chief Election Commissioner- CEC) ने एग्जिट पोल की विश्वसनीयता और मतगणना के रुझानों के समय से पहले प्रदर्शित होने पर चिंता जताई है। उन्होंने हाल के हरियाणा चुनावों का उदाहरण देते हुए कहा कि एग्जिट पोल ने अवास्तविक उम्मीदें उत्पन्न कीं और राजनीतिक चिंताओं को जन्म दिया।
मुख्य बिंदु
- एग्जिट पोल द्वारा विकृति:
- एक्जिट पोल प्रायः अवास्तविक उम्मीदें स्थापित करते हैं, जिसके कारण अनुमानित और वास्तविक चुनाव परिणामों के बीच काफी अंतर हो जाता है।
- हाल ही में हरियाणा विधानसभा चुनाव में अधिकांश एग्जिट पोल में कॉन्ग्रेस की बड़ी जीत की भविष्यवाणी की गई थी, जिसमें 50 से अधिक सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन वास्तविक नतीजे इन उम्मीदों से मेल नहीं खाते।
- इससे जनता और राजनीतिक दलों में निराशा उत्पन्न हो गई तथा कॉन्ग्रेस ने एग्जिट पोल की सटीकता पर चिंता जताई।
- प्रारंभिक गणना प्रवृत्तियों का समय से पहले प्रदर्शन:
- कुछ समाचार चैनलों ने आधिकारिक मतगणना शुरू होने से पहले शुरुआती रुझान प्रसारित किये, जिससे गलत सूचना और अटकलों को बढ़ावा मिला।
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने इस प्रथा की "बकवास" कहकर आलोचना की तथा कहा कि गणना से पहले दिखाए गए प्रारंभिक रुझान का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है तथा इससे जनता गुमराह हो सकती है।
- उन्होंने बताया कि वास्तविक मतगणना प्रक्रिया सुबह 8:30 बजे के बाद शुरू होती है तथा सत्यापित परिणाम सुबह 9:30 बजे के बाद निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर पोस्ट किये जाते हैं।
- स्व-नियमन का आह्वान:
- यद्यपि निर्वाचन आयोग सीधे तौर पर एग्जिट पोल को नियंत्रित नहीं करता है, फिर भी मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने आग्रह किया कि मीडिया और मतदान की निगरानी करने वाली नियामक संस्थाओं को एग्जिट पोल प्रथाओं में सुधार लाने के लिये कड़ा रुख अपनाना चाहिये।
- विश्वसनीयता बनाए रखने के लिये नमूना आकार, मतदान स्थान और डेटा संग्रह विधियों जैसे कारकों सहित एग्जिट पोल पद्धति में पारदर्शिता आवश्यक है।
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि मीडिया और मतदान एजेंसियों को नियंत्रित करने वाली संस्थाओं को चुनावों के दौरान गलत सूचना से बचने के लिये बेहतर कार्यप्रणाली लागू करनी चाहिये।
- एक्जिट पोल पद्धति के मुद्दे:
- एक्जिट पोल, मतदान केंद्र से बाहर निकलते समय मतदाताओं के साथ किये गए साक्षात्कारों पर आधारित होते हैं, लेकिन उनकी सटीकता एकत्रित आँकड़ों की गुणवत्ता और नमूने की प्रतिनिधिता पर निर्भर करती है।
- एग्जिट पोल के पीछे की कार्यप्रणाली, जिसमें नमूने का आकार और प्रतिनिधित्व (जाति, धर्म और भूगोल जैसे विभिन्न मतदाता प्रोफाइल को प्रतिबिंबित करना ) शामिल है, पोल की सटीकता निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- स्विंग मॉडल और भविष्यवाणी की चुनौतियाँ:
- एग्जिट पोल पिछले चुनाव के वोट शेयर अनुमानों के आधार पर सीट आवंटन की भविष्यवाणी करने के लिये स्विंग मॉडल का उपयोग करते हैं।
- हालाँकि, हरियाणा जैसे जटिल राजनीतिक माहौल में, जहाँ विभिन्न पार्टियाँ और गठबंधन शामिल हैं, ये स्विंग मॉडल अक्सर मतदाता व्यवहार में बदलाव अथवा गठबंधन में बदलाव को पकड़ने में विफल रहते हैं।
भारत निर्वाचन आयोग
- परिचय:
- भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India- ECI) एक स्वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में संघ और राज्य निर्वाचन प्रक्रियाओं के प्रशासन के लिये ज़िम्मेदार है।
- इसकी स्थापना संविधान के अनुसार 25 जनवरी 1950 को (राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है) की गई थी। आयोग का सचिवालय नई दिल्ली में है।
- यह निकाय भारत में लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानसभाओं तथा देश में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पदों के लिये होने वाले निर्वाचनों का संचालन करता है।
- इसका राज्यों में पंचायतों और नगरपालिकाओं के निर्वाचनों से कोई संबंध नहीं है। इसके लिये भारत के संविधान में अलग से राज्य निर्वाचन आयोग का प्रावधान है।
- संवैधानिक प्रावधान:
- भाग XV (अनुच्छेद 324-329): यह चुनावों से संबंधित है और इन मामलों के लिये एक आयोग की स्थापना करता है।
- अनुच्छेद 324: चुनावों का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण निर्वाचन आयोग में निहित होगा।
- अनुच्छेद 325: किसी भी व्यक्ति को धर्म, मूलवंश, जाति या लिंग के आधार पर किसी विशेष मतदाता सूची में शामिल होने के लिये अपात्र नहीं ठहराया जा सकता या शामिल होने का दावा नहीं किया जा सकता।
- अनुच्छेद 326: लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिये चुनाव वयस्क मताधिकार पर आधारित होंगे।
- अनुच्छेद 327: विधानमंडलों के चुनावों के संबंध में प्रावधान करने की संसद की शक्ति।
- अनुच्छेद 328: किसी राज्य के विधानमंडल की ऐसे विधानमंडल के लिये चुनावों के संबंध में प्रावधान करने की शक्ति।
- अनुच्छेद 329: चुनावी मामलों में न्यायालयों द्वारा हस्तक्षेप पर प्रतिबंध।
- निर्वाचन आयोग की संरचना:
- मूलतः निर्वाचन आयोग में केवल एक निर्वाचन आयुक्त होता था, लेकिन निर्वाचन आयुक्त संशोधन अधिनियम, 1989 के बाद इसे बहुसदस्यीय निकाय बना दिया गया।
- निर्वाचन आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त (Chief Election Commissioner- CEC) और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की संख्या (यदि कोई हो) शामिल होगी, जिन्हें राष्ट्रपति समय-समय पर निर्धारित करें।
- वर्तमान में, इसमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्त (EC) शामिल हैं।
- राज्य स्तर पर निर्वाचन आयोग को मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
- आयुक्तों की नियुक्ति एवं कार्यकाल:
- राष्ट्रपति, मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 के अनुसार करते हैं।
- उनका कार्यकाल निश्चित रूप से छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है।
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों का वेतन और सेवा शर्तें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समतुल्य होंगी।
- हटाना:
- वे किसी भी समय त्यागपत्र दे सकते हैं या कार्यकाल समाप्त होने से पहले भी हटाए जा सकते हैं।
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पद से केवल संसद द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया के समान ही हटाया जा सकता है, जबकि निर्वाचन आयुक्तों को केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सिफारिश पर ही हटाया जा सकता है।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश: भारत की खनन राजधानी के रूप में उभर रहा है
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश अपनी विशाल खनिज संपदा और बुनियादी ढाँचे का लाभ उठाते हुए भारतीय खनन क्षेत्र में अग्रणी के रूप में अपनी स्थिति बना रहा है ।
मुख्य बिंदु
- खनिज संपदा:
- मध्य प्रदेश हीरा उत्पादक एकमात्र राज्य है तथा मैंगनीज़, ताँबा, चूना पत्थर और कोयले के उत्पादन में अग्रणी है।
- पन्ना हीरा खदान से प्रतिवर्ष 1 लाख कैरेट हीरा उत्पादन होता है, जबकि बंदर ब्लॉक में 32.2 मिलियन कैरेट हीरा है।
- खनिज ब्लॉक नीलामी में मध्य प्रदेश देश में अग्रणी रहा, जहाँ वर्ष 2022-23 में 78 ब्लॉकों की नीलामी की गई और खनिज नीलामी के लिये शीर्ष पुरस्कार प्राप्त किये गए।
- राज्य में 5.1 लाख किमी. सड़कें, 7 हवाई अड्डे और 6 अंतर्देशीय डिपो हैं।
- जिला खनिज निधि ने स्थानीय विकास के लिये 7,500 से अधिक परियोजनाएँ पूरी की हैं।
- निवेश के अवसर:
- खनन प्रौद्योगिकी (AI/ML) और ऊर्जा पर चर्चा के लिये 17-18 अक्तूबर , 2024 को दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा ।
- मध्य प्रदेश कोलबेड मीथेन (CBM) और राष्ट्रीय गैस ग्रिड कनेक्शन पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।
भारत में हीरा उद्योग
- भारत दुनिया में हीरों की कटाई और पॉलिशिंग का सबसे बड़ा केंद्र है तथा वैश्विक स्तर पर पॉलिश किये गए हीरों के निर्माण में 90% से अधिक का योगदान यहीं पर है।
- भारतीय खनिज वर्ष पुस्तिका 2019 के अनुसार, भारत के हीरा क्षेत्रों को चार क्षेत्रों में बाँटा गया है:
- मध्य प्रदेश का मध्य भारतीय भूभाग, जिसमें पन्ना बेल्ट शामिल है।
- आंध्र प्रदेश का दक्षिण भारतीय क्षेत्र, जिसमें अनंतपुर, कडपा, गुंटूर, कृष्णा, महबूबनगर और कुरनूल ज़िले के कुछ हिस्से शामिल हैं।
- छत्तीसगढ़ के रायपुर ज़िले में बेहरादीन-कोडावली क्षेत्र और बस्तर ज़िले में तोकापाल, दुगापाल आदि क्षेत्र।
- पूर्वी भारतीय भूभाग, जो अधिकतर ओडिशा का है, महानदी और गोदावरी घाटियों के बीच स्थित है।
- वर्ष 2022 में, भारत कटे और पॉलिश किये गए हीरों के शीर्ष निर्यातकों में पहले स्थान पर है।
मध्य प्रदेश Switch to English
केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में मध्य प्रदेश की उत्कृष्टता
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश आवास, कृषि, स्वास्थ्य और बुनियादी ढाँचे जैसे क्षेत्रों में मजबूत प्रदर्शन प्रदर्शित करते हुए, केंद्र सरकार की योजनाओं को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है।
मुख्य बिंदु
- प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी एवं ग्रामीण): इसका उद्देश्य शहरी एवं ग्रामीण शाखाओं के माध्यम से सभी के लिये किफायती आवास उपलब्ध कराना है।
- शहरी: 8.2 लाख मकान बनाकर 97.58% लक्ष्य प्राप्त किया गया।
- ग्रामीण: 95.43% कार्य पूर्ण, 36.25 लाख मकान निर्मित।
- जल जीवन मिशन: वर्ष 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करना।
- 72.89 लाख नल कनेक्शन प्रदान करके अपने लक्ष्य का 87.53% प्राप्त किया गया।
- आयुष्मान भारत योजना: आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों को 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करती है।
- स्वास्थ्य बीमा कवरेज सुनिश्चित करने के लिये 4.02 करोड़ कार्ड (लक्ष्य का 85.83%) जारी किये गए।
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना: इसका उद्देश्य संपर्क रहित बस्तियों को ग्रामीण संपर्क प्रदान करना है।
- 72,965 किमी सड़क बनाकर ग्रामीण सड़क निर्माण लक्ष्य का 99.98% प्राप्त किया गया।
- पीएम किसान सम्मान निधि: किसानों को प्रति वर्ष 6,000 रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- 100% उपलब्धि, 83.83 लाख किसान लाभान्वित।
- प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना: 18-50 वर्ष की आयु के व्यक्तियों को जीवन बीमा कवरेज प्रदान करती है।
- 93 लाख लाभार्थियों को योजना का लाभ मिल रहा है (100% लक्ष्य प्राप्त)।
- पीएम स्वामित्व योजना: इसका उद्देश्य संपत्ति कार्ड के माध्यम से ग्रामीण भूमि स्वामित्व अधिकार प्रदान करना है।
- 43,130 गाँवों में 100% ड्रोन सर्वेक्षण के साथ 23.5 लाख स्वामित्व कार्ड जारी किये गए।
- भारत नेट परियोजना: ग्रामीण क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराने के लिये डिजिटल कनेक्टिविटी पहल।
- 20,422 ग्राम पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाकर 100% उपलब्धि प्राप्त की गई।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना: किसानों को उनकी भूमि की मृदा की गुणवत्ता के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
- 7.79 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये गये (77.96% उपलब्धि)।
- किसान क्रेडिट कार्ड योजना: किसानों के लिये समय पर ऋण की पहुँच सुनिश्चित करती है।
- 65.83 लाख क्रेडिट कार्ड जारी किये गये (100% उपलब्धि)।
- अटल पेंशन योजना: असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को पेंशन सुरक्षा प्रदान करने पर केंद्रित है।
- 100% लाभार्थियों को कवर किया गया, 26.15 लाख व्यक्तियों को पेंशन प्रदान की गई।
- पीएम स्वनिधि योजना: इसका उद्देश्य स्ट्रीट वेंडर्स को कार्यशील पूंजी ऋण उपलब्ध कराना है।
- 157.25% लक्ष्य प्राप्त हुआ, 11.74 लाख लाभार्थियों को लाभ मिला।
- अमृत सरोवर योजना: जल संरक्षण के लिये जलाशयों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करती है।
- 3,900 तालाबों के लक्ष्य से अधिक 5,839 तालाबों का निर्माण किया गया।
झारखंड Switch to English
झारखंड विधानसभा चुनाव, 2024
चर्चा में क्यों?
भारत निर्वाचन आयोग ने हाल ही में 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव के लिये मतदान कार्यक्रम की घोषणा की, जो नवंबर में दो चरणों में होगा और परिणाम 23 नवंबर को घोषित किये जाएंगे।
मुख्य बिंदु
- प्रथम चरण (13 नवंबर) में मतदान वाले निर्वाचन क्षेत्र:
- प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में कोडरमा, हज़ारीबाग, जमशेदपुर पूर्व, रांची, खूँटी (ST), और डाल्टनगंज शामिल हैं।
- 43 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान होगा, जिनमें ST और SC सीटों की संख्या काफी अधिक है।
- द्वितीय चरण (20 नवंबर) में मतदान वाले निर्वाचन क्षेत्र :
- इसमें राजमहल, दुमका (ST), देवघर (SC), धनबाद, बोकारो और रामगढ़ शामिल हैं।
- 38 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान होगा, जिसमें विविध क्षेत्र और सामाजिक संरचना शामिल होगी।
- चुनाव सभी 81 निर्वाचन क्षेत्रों को शामिल करेंगे, जिनमें 44 सामान्य, 9 SC और 28 ST सीटें शामिल हैं, जिससे वर्ष 2025 की शुरुआत तक नई सरकार के गठन का मंच तैयार हो जाएगा।
भारत निर्वाचन आयोग
- भारत का निर्वाचन आयोग (ECI) एक स्वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं के प्रशासन के लिये ज़िम्मेदार है।
- इसकी स्थापना संविधान के अनुसार 25 जनवरी 1950 को (राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है) की गई थी। आयोग का सचिवालय नई दिल्ली में है।
- यह निकाय भारत में लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानसभाओं तथा देश में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पदों के लिये होने वाले निर्वाचनों का संचालन करता है।
- इसका राज्यों में पंचायतों और नगरपालिकाओं के निर्वाचनों से कोई संबंध नहीं है। इसके लिये भारत के संविधान में अलग से राज्य निर्वाचन आयोग का प्रावधान है।
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