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शासन व्यवस्था

पीएम स्वनिधि योजना

  • 03 Jun 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पीएम स्वनिधि योजना, आत्मनिर्भर भारत अभियान, शहरी स्थानीय निकाय

मेन्स के लिये:

सूक्ष्म वित्त, इसका महत्त्व और संबंधित पहल

चर्चा में क्यों? 

प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (Prime Minister Street Vendor’s AtmaNirbhar Nidhi- PM-SVANidhi) योजना के अंतर्गत 1 जून, 2020 को आरंभ होने के बाद से तीन वर्षों में स्ट्रीट वेंडर्स को 46.54 लाख से अधिक सूक्ष्म कार्यशील पूंजी ऋण वितरित किये गए हैं। 

  • कुल 46,54,302 ऋण वितरित किये गए। इन ऋणों में से अब तक लगभग 40% (18,50,987) का भुगतान किया जा चुका है

पीएम स्वनिधि योजना:

  • परिचय: 
    • यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है अर्थात् यह आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा पूरी तरह से वित्तपोषित योजना है, इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
      • कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा उपलब्ध कराना
      • नियमित पुनर्भुगतान को प्रोत्साहित करना 
      • डिजिटल लेन-देन हेतु पुरस्कृत करना
    • क्रमशः 10,000 रुपए और 20,000 रुपए के पहले एवं दूसरे ऋण के अलावा 50,000 रुपए तक के तीसरे सावधि ऋण की शुरुआत की गई है।
    • यह ऋण संपार्श्विक या कोलेट्रल के बिना प्रदान किया जाएगा।
  • ऋण देने वाली एजेंसियाँ: 
  • पात्रता:
    • राज्य और केंद्रशासित प्रदेश:
      • यह योजना केवल उन्हीं राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लाभार्थियों के लिये उपलब्ध है, जिन्होंने स्ट्रीट वेंडर्स (आजीविका का संरक्षण और स्ट्रीट वेंडिंग का विनियमन) अधिनियम, 2014 के तहत नियम और योजना अधिसूचित की है।
      • हालाँकि मेघालय, जिसका अपना स्टेट स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट है, के लाभार्थी भाग ले सकते हैं।
    • स्ट्रीट वेंडर्स: 
      • यह योजना शहरी क्षेत्रों में वेंडिंग कार्य में लगे सभी स्ट्रीट वेंडर्स के लिये उपलब्ध है।
        • इससे पहले यह योजना 24 मार्च, 2020 को या उससे पहले वेंडिंग में लगे सभी स्ट्रीट वेंडर्स के लिये उपलब्ध थी।
  • जल्दी चुकौती के लाभ:
    • ब्याज सब्सिडी:
      • ऋण की समय पर/जल्दी चुकौती पर छह मासिक आधार पर प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से लाभार्थियों के बैंक खातों में 7% प्रतिवर्ष की ब्याज सब्सिडी जमा की जाएगी।
      • क्रेडिट सीमा विस्तार:
      • इस योजना में ऋणों के समय पर/जल्दी चुकौती पर ऋण सीमा में वृद्धि का प्रावधान है, अर्थात् यदि कोई स्ट्रीट वेंडर समय पर या उससे पहले किश्तों का भुगतान करता है, तो वह अपना क्रेडिट स्कोर विकसित कर सकता है जो उसे अधिक राशि के सावधि ऋण के लिये पात्र बनाता है।
    • जल्‍द चुकौती पर कोई पेनल्टी न होना:
      • समय से पहले ऋण चुकाने पर कोई पेनल्टी नहीं लगेगी।
      • जल्‍द चुकौती (या पुनर्स्थापन) निर्धारित समय से पहले ऋण या उधार की निकासी है।
      • कई बैंक और ऋणदाता समय से पहले ऋण चुकाने पर पेनल्टी वसूलते हैं।
    • डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा:   
      • यह योजना कैश बैक के माध्यम से स्ट्रीट वेंडर्स द्वारा किये जाने वाले मासिक डिजिटल हस्तांतरण को प्रोत्साहित करती है।
    • पारदर्शिता: 
      • प्रभावी वितरण एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के दृष्टिकोण के अनुरूप योजना को एंड-टू-एंड समाधान के साथ संचालित करने के लिये वेब पोर्टल/मोबाइल एप के साथ एक डिजिटल प्लेटफॉर्म हेतु विकसित किया जा रहा है।
        • यह प्लेटफॉर्म क्रेडिट प्रबंधन के लिये SIDBI के उद्यमी मित्र (UdyamiMitra) पोर्टल और MoHUA के पैसा (PAiSA) पोर्टल के साथ स्वचालित रूप से ब्याज सब्सिडी को प्रशासित करने के लिये वेब पोर्टल/मोबाइल एप को एकीकृत करेगा।
    •  वित्तीय समावेशन: 
      • यह विक्रेताओं को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में एकीकृत करने में मदद करेगा।
  • क्षमता निर्माण पर ध्यान:
    • MoHUA राज्य सरकारों के सहयोग से पूरे देश में सभी हितधारकों एवं सूचना, शिक्षा व संचार (IEC) गतिविधियों के लिये क्षमता निर्माण और वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम का शुभारंभ करेगा
  • शहरी स्थानीय निकायों (ULB) की भूमिका:
    • ULB लाभार्थी को लक्षित करना और कुशल तरीके से उन तक पहुँच सुनिश्चित करके योजना के कार्यान्वयन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

स्ट्रीट वेंडर/हॉकर: 

  • कोई भी व्यक्ति जो किसी सड़क, फुटपाथ आदि में अस्थायी, निर्मित संरचना से या एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर दैनिक उपयोग के सामान, वस्तु, खाद्य पदार्थ या माल बेचने तथा जनता को सेवाएँ देने में लगा हुआ है।
  • उनके द्वारा आपूर्ति की जाने वाली वस्तुओं में सब्जियाँ, फल, रेडी-टू-ईट स्ट्रीट फूड, चाय, पकौड़े, ब्रेड, अंडे, कपड़ा, वस्त्र, कारीगर उत्पाद, किताबें/स्टेशनरी आदि शामिल हैं और सेवाओं में नाई की दुकानें, मोची, पान की दुकानें, कपड़े धोने की सेवाएँ आदि शामिल हैं ।
  • भारत में लगभग 49.48 लाख स्ट्रीट वेंडर्स की पहचान की गई है।
    • उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 8.49 लाख स्ट्रीट वेंडर्स हैं, इसके बाद मध्य प्रदेश का स्थान है जहाँ स्ट्रीट वेंडर्स की संख्या 7.04 लाख है।
    • दिल्ली में स्ट्रीट वेंडर्स की संख्या केवल 72,457 है।
    • सिक्किम में कोई भी स्ट्रीट वेंडर नहीं है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

मेन्स:

प्रश्न. क्या लैंगिक असमानता, गरीबी और कुपोषण के दुश्चक्र को महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को सूक्ष्म वित्त (माइक्रोफाइनेंस) प्रदान करके तोड़ा जा सकता है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिये। (2021) 

प्रश्न. भारतीय अर्थव्यस्था में वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप औपचारिक क्षेत्र में रोज़गार कैसे कम हुए? क्या बढ़ती हुई अनौपचारिकता देश के विकास के लिये हानिकारक है? (2016) 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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