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भारतीय अर्थव्यवस्था

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की वित्तीय स्थिति में सुधार

  • 20 Apr 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

दीर्घकालिक रेपो परिचालन, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी, भारतीय रिज़र्व बैंक, नाबार्ड, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक

मेन्स के लिये:

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की वित्तीय स्थिति में सुधार हेतु किये गए प्रयास

चर्चा में क्यों:

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non-Banking Financial Companies-NBFCs) और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (Micro-Finance Institutions-MFIs) की वित्तीय स्थिति सुधारने हेतु कई उपायों की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु:

  • RBI लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन (Targeted Long Term Repo Operation- TLTRO 2.0) के तहत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non-Banking Financial Companies-NBFCs) और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (Micro-Finance Institutions-MFIs) को नकदी उपलब्ध कराएगा।
  • TLTRO 2.0 के तहत बैंकों को 50 हजार करोड़ रुपए दिये जाएंगे जिसमें 23 अप्रैल 2020 को TLTRO 2.0 के लिये 25 हजार करोड़ रुपए की पहली बोली लगाई जाएगी।
    • TLTRO 2.0 के तहत बैंक RBI से 4.4% की दर पर उधार लेंगे।
  • बैंक RBI से जितनी राशि उधार लेंगे, उसमें से कम-से-कम 50% राशि छोटे एवं मध्यम आकर की NBFC और MFI को देनी होगी। जो इस प्रकार है:
    • 10% राशि को MFI की प्रतिभूतियों या योजनाओं में निवेश करना होगा।
    • 15% राशि को 500 करोड़ रुपए या उससे कम परिसंपत्ति वाली NBFC की प्रतिभूतियों या योजनाओं में निवेश करना होगा।
    • 25% राशि को 500-5000 करोड़ रुपए परिसंपत्ति के आकार वाली NBFC में निवेश करना होगा।

Monetary antidsote

  • RBI के अनुसार TLTRO 2.0 के तहत बैंक जो पैसा उधार लेंगे उसे NBFC के ग्रेड बाॅन्ड (Grade Bonds), वाणिज्यिक पत्रों (Commercial Paper) और गैर-परिवर्तनीय ऋणपत्र  (Non-Convertible Debentures) में निवेश करना होगा।
  • RBI ने देश के तीन बड़े वित्तीय संस्थानों, मसलन- राष्ट्रीय आवास बैंक (National Housing Bank- NHB), नाबार्ड (National Bank for Agriculture and Rural Development- NABARD), भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (Small Industries Development Bank of India- SIDBI) के लिये 50 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त संसाधन जुटाने की भी व्यवस्था की है।
    • इसमें से 25 हजार करोड़ रुपए की राशि NABARD को उपलब्ध कराई जाएगी,  जो क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक व ग्रामीणों क्षेत्रो में फंड उपलब्ध कराने वाले दूसरे वित्तीय संस्थानों को ज्यादा कर्ज देगा।
    • 15 हजार करोड़ रुपए की राशि SIDBI को दी जाएगी, जो मझोले व छोटे उधमियों को कर्ज वितरित करेगा।
    • 10 हजार करोड़ रुपए की राशि NHB को दी जाएगी, जो आवासीय क्षेत्रों में कर्ज देगा।

अन्य बिंदु:

  • हाल ही में RBI ने तरलता समायोजन सुविधा के तहत अतिरिक्त तरलता से बैंकों को हतोत्साहित करने के लिये रिवर्स रेपो दर को 25 आधार अंकों से घटाकर 3.75% कर दिया।
  • 13 अप्रैल तक बैंकों द्वारा रिवर्स रेपो दर के तहत 6.9 ट्रिलियन रुपए जमा कराए गए थे।

दीर्घकालिक रेपो परिचालन

(Long Term Repo Operation- LTRO)

  • LTRO एक ऐसा उपकरण है जिसके तहत केंद्रीय बैंक प्रचलित रेपो दर पर बैंकों को 1-3 वर्ष की अवधि के लिये 1 लाख करोड़ रुपए तक का ऋण प्रदान करता है तथा कोलेटरल के रूप में सरकारी प्रतिभूतियों को लंबी अवधि के लिये स्वीकार करता है।
  • RBI तरलता समायोजन सुविधा (Liquidity Adjustment Facility- LAF) और सीमांत स्थायी सुविधा (Marginal Standing Facility- MSF) के माध्यम से बैंकों को उनकी तत्काल ज़रूरतों हेतु 1 से 28 दिनों के लिये ऋण मुहैया कराता है, जबकि LTRO के माध्यम से RBI द्वारा रेपो रेट पर ही उनको 1 से 3 वर्ष के लिये ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी

(Non-Banking Financial Companies-NBFCs):

  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी उस संस्था को कहते हैं जो कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत पंजीकृत होती है और जिसका प्रमुख कार्य उधार देना तथा विभिन्न प्रकार के शेयरों, प्रतिभूतियों, बीमा कारोबार तथा चिटफंड से संबंधित कार्यों में निवेश करना होता है।

स्रोत: द हिंदू

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