मध्य प्रदेश
पन्ना में हीरा खनन
- 16 Sep 2024
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के पन्ना ज़िले में, जोकि हीरा खनन के लिये प्रसिद्ध है, अपरिष्कृत हीरों की नीलामी की घोषणा की गई।
प्रमुख बिंदु:
- पन्ना का हीरा उद्योग:
- पन्ना सदियों से हीरा खनन केंद्र रहा है।
- अत्यधिक खनन के कारण ज़िले के हीरे के भंडार कम हो गए हैं , जिससे बड़ी खोजें दुर्लभ हो गई हैं।
- खनन मुख्यतः आदिवासी आबादी के लिये वैकल्पिक आय स्रोत के रूप में कार्य करता है, जिससे उन्हें 250-300 रुपए की नाममात्र की दैनिक आय प्राप्त होती है।
- कानूनी मुद्दे: शेष बचे अधिकांश हीरे के भंडार संरक्षित वन क्षेत्रों में स्थित हैं , जिससे खनन गतिविधियाँ प्रतिबंधित हैं। सरकार परिचालन का विस्तार करने के लिये कानूनी समाधान खोज रही है।
- खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 के अंतर्गत विनियमों तथा खान सुरक्षा महानिदेशालय (Directorate General of Mines Safety- DGMS) द्वारा निर्धारित नियमों का अनुपालन करना ।
- जब किसी को हीरा मिले तो स्थानीय प्राधिकारियों, जैसे ज़िला कलेक्टर या संबंधित खनन विभाग को हीरे के बारे में सूचित करना।
- खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957: MMDR अधिनियम, 1957 भारत में खनिज अन्वेषण एवं निष्कर्षण को नियंत्रित करता है। यह केंद्र सरकार को खनिज संसाधनों को नियंत्रित करने का अधिकार देता है।
- जब किसी को हीरा मिले तो स्थानीय प्राधिकारियों, जैसे ज़िला कलेक्टर या संबंधित खनन विभाग को हीरे के बारे में सूचित करना।
- खनिज रियायत नियम, 1960: ये नियम खनन पट्टे और लाइसेंस प्राप्त करने के लिये विस्तृत प्रक्रिया प्रदान करते हैं।
- सरकारी भूमि पर या लाइसेंस प्राप्त खनन क्षेत्रों में पाए जाने वाले हीरों पर खनिज रियायत नियम, 1960 के अधीन, अधिकार सरकार या खनन पट्टाधारक के पास हो सकते हैं।
- अंतर: भूमि स्वामित्व के बावजूद, खनिजों के निष्कर्षण के लिये सरकार से अलग परमिट की आवश्यकता होती है और खनिजों का स्वामित्व भूमि स्वामित्व से भिन्न हो सकता है।
- खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 के अंतर्गत विनियमों तथा खान सुरक्षा महानिदेशालय (Directorate General of Mines Safety- DGMS) द्वारा निर्धारित नियमों का अनुपालन करना ।
खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) (MMDR) अधिनियम, 1957
- खनिज संसाधनों का विनियमन:
- यह अधिनियम भारत में खनिज संसाधनों के अन्वेषण, निष्कर्षण और विनियमन को नियंत्रित करता है तथा केंद्र सरकार को इन गतिविधियों को नियंत्रित एवं प्रबंधित करने का अधिकार प्रदान करता है।
- लाइसेंसिंग और पट्टा:
- यह खनिज अन्वेषण और खनन के लिये लाइसेंस एवं पट्टे प्रदान करने की रूपरेखा स्थापित करता है, जिसमें खनन अधिकार प्राप्त करने की प्रक्रिया भी शामिल है।
- नियंत्रण और अनुपालन:
- अधिनियम में खनिज निष्कर्षण के लिये निर्धारित मानकों और विनियमों का पालन, पर्यावरण संरक्षण तथा संसाधनों का उचित प्रबंधन सुनिश्चित करना अनिवार्य किया गया है।
- केंद्रीय सरकार प्राधिकरण:
- केंद्र सरकार के पास खनिज संसाधनों के विकास और विनियमन से संबंधित निर्देश जारी करने तथा विनियमों को लागू करने की शक्ति है, जिसमें खनिज रॉयल्टी एवं शुल्क का संग्रह भी शामिल है।