नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

स्टेट पी.सी.एस.

  • 02 Dec 2024
  • 1 min read
  • Switch Date:  
बिहार Switch to English

बिहार में क्रेडिट आउटरीच कार्यक्रम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री ने बिहार के मधुबनी ज़िले में क्रेडिट आउटरीच कार्यक्रम के दौरान 50,294 लाभार्थियों को 1,121 करोड़ रुपए का ऋण वितरित किया।

मुख्य बिंदु

ड्रोन दीदी पहल 

  • इसे प्रधानमंत्री द्वारा 30 नवंबर, 2023 को विकसित भारत संकल्प यात्रा की महिला लाभार्थियों के साथ चर्चा करने के पश्चात लॉन्च किया गया था।
  • इसका लक्ष्य अगले दो वर्षों में 15,000 महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) को ड्रोन उपलब्ध कराना है, जिन्हें कृषि उद्देश्यों के लिये किसानों को किराये पर दिया जाएगा।
  • केंद्र सरकार प्रत्येक पहचाने गए स्वयं सहायता समूह को ड्रोन की लागत का 80% या अधिकतम 8 लाख रुपए तक सब्सिडी देगी। इससे उन्हें प्रति व्यक्ति लगभग 1 लाख रुपए की अतिरिक्त आय होने की आशा है।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना

  • परिचय:
    • PMMY को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया था।
    • PMMY छोटे व्यवसाय उद्यमों के लिये 10 लाख रुपए तक का ज़मानत-मुक्त संस्थागत ऋण प्रदान करता है।
  • वित्तपोषण प्रावधान:
  • प्रकार:
    • ऋण का उपयोग विनिर्माण, व्यापार, सेवा क्षेत्र और कृषि में आय-सृजन गतिविधियों के लिये किया जा सकता है।
    • PMMY के अंतर्गत तीन ऋण उत्पाद हैं:
    • शिशु (50,000 रुपए तक का ऋण)
    • किशोर (50,000 रुपए से 5 लाख रुपए के बीच ऋण)
    • तरुण (5 लाख रुपए से 10 लाख रुपए के बीच ऋण)

प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम

  • भारत सरकार ने ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से रोज़गार के अवसर सृजित करने के लिये वर्ष 2008 में प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) नामक ऋण-संबद्ध सब्सिडी कार्यक्रम की शुरूआत को मंज़ूरी दी थी।
  • यह उद्यमियों को कारखाने या इकाइयाँ स्थापित करने की अनुमति देता है।
  • यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MoMSME) द्वारा प्रशासित एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
  • राष्ट्रीय स्तर पर कार्यान्वयन एजेंसी खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) है- जो MSME मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक वैधानिक संगठन है।

किसान क्रेडिट कार्ड

  • परिचय:
    • यह योजना वर्ष 1998 में किसानों को उनकी खेती तथा अन्य आवश्यकताओं जैसे कि बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि कृषि इनपुट की खरीद तथा उनकी उत्पादन आवश्यकताओं के लिये नकदी प्राप्त करने के लिये एकल खिड़की के अंतर्गत अनुकूल और सरलीकृत प्रक्रिया के साथ बैंकिंग प्रणाली से पर्याप्त और समय पर ऋण सहायता प्रदान करने के लिये शुरू की गई थी।
    • वर्ष 2004 में इस योजना को किसानों की निवेश ऋण आवश्यकता अर्थात् संबद्ध और गैर-कृषि गतिविधियों के लिये आगे बढ़ाया गया।
    • बजट 2018-19 में सरकार ने मत्स्यपालन और पशुपालन करने वाले किसानों को उनकी कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं को पूर्ण करने में सहायता के लिये KCC की सुविधा का विस्तार करने की घोषणा की।
  • कार्यान्वयन एजेंसियाँ:
    • वाणिज्यिक बैंक
    • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB)
  • लघु वित्त बैंक
  • सहकारिता

स्टैंड-अप इंडिया योजना

  • परिचय:
    • स्टैंड अप इंडिया योजना वित्त मंत्रालय द्वारा अप्रैल 2016 में आर्थिक सशक्तीकरण और रोज़गार सृजन पर ध्यान केंद्रित करते हुए ज़मीनी स्तर पर उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिये शुरू की गई थी।
    • इस योजना को वर्ष 2025 तक बढ़ा दिया गया है।
  • उद्देश्य:
    • महिलाओं, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देना।
    • विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र तथा कृषि से संबद्ध गतिविधियों में ग्रीनफील्ड उद्यमों के लिये ऋण उपलब्ध कराना।
    • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की प्रत्येक शाखा से कम से कम एक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उधारकर्त्ता तथा कम से कम एक महिला उधारकर्त्ता को 10 लाख रुपए से 100 लाख रुपए के बीच बैंक ऋण की सुविधा प्रदान करना।

पीएम-स्वनिधि

  • यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जो आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा पूर्णतः वित्तपोषित है तथा इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
    • कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा प्रदान करना;
    • नियमित पुनर्भुगतान को प्रोत्साहित करना तथा
    • डिजिटल लेन-देन को पुरस्कृत करना
  • क्रमशः 10,000 रुपए और 20,000 रुपए के प्रथम और द्वितीय ऋण के अतिरिक्त 50,000 रुपए तक के तीसरे ऋण की शुरूआत।
  • ये ऋण बिना किसी संपार्श्विक के होंगे।

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना 

  • उद्देश्य: पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों की गुणवत्ता और बाज़ार पहुँच को बढ़ाकर उनका उत्थान करना तथा उन्हें घरेलू और वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में एकीकृत करना। 
  • विशेषताएँ: 
    • योजना के लिये बजटीय आवंटन– 5 वित्तीय वर्षों (2023-24 से 2027-28) के लिये 13,000 करोड़ रुपए। 
    • पीएम विश्वकर्मा प्रमाण-पत्र और ID कार्ड के माध्यम से लाभार्थियों को मान्यता प्रदान की जाती है। 
    • कौशल प्रशिक्षण के लिये प्रतिदिन 500 रुपए का वजीफा तथा आधुनिक उपकरणों की खरीद के लिये 15,000 रुपए का अनुदान।  
  • श्रेणी: केंद्रीय क्षेत्र योजना 
  • नोडल मंत्रालय: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MoMSME)


छत्तीसगढ़ Switch to English

केंद्र ने PMGAY के तहत आवास उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी

चर्चा में क्यों?

छत्तीसगढ़ सरकार ने घोषणा की है कि केंद्र ने प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत 15,000 आवास उपलब्ध कराने के उसके प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है। कल्याणकारी पहल के तहत ये घर आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों और नक्सल हिंसा से प्रभावित व्यक्तियों को आवंटित किये जाएँगे।

  • इस बात पर ज़ोर दिया गया कि इस योजना का उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011 और आवास प्लस 2018 सूचियों से बाहर रह गए परिवारों को शामिल करना है।

मुख्य बिंदु

प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G)

  • परिचय: 
    • वर्ष 2016 में शुरू की गई PMAY-G का उद्देश्य समाज के   सबसे गरीब तबके को आवास उपलब्ध कराना है।
    • लाभार्थियों के चयन में तीन चरणों की गहन सत्यापन प्रक्रिया शामिल है, जिसमें सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011, ग्राम सभा अनुमोदन और जियो-टैगिंग शामिल है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सहायता सबसे योग्य व्यक्तियों तक पहुँचे।  

PMAY-G के अंतर्गत लाभार्थियों को मिलेगा: 

नक्सलवाद 

  • इसकी शुरुआत स्थानीय जमींदारों के विरुद्ध विद्रोह के रूप में हुई, जिन्होंने भूमि विवाद को लेकर एक किसान की पिटाई की थी।
    • यह विद्रोह 1967 में शुरू हुआ था, जिसका उद्देश्य कानू सान्याल और जगन संथाल के नेतृत्व में मेहनतकश किसानों के बीच भूमि का उचित पुनर्वितरण करना था।
  • पश्चिम बंगाल से शुरू हुआ यह आंदोलन पूर्वी भारत के अन्य कम विकसित क्षेत्रों जैसे छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश तक फैल चुका है।
  • ऐसा माना जाता है कि नक्सली माओवादी राजनीतिक भावनाओं और विचारधारा का समर्थन करते हैं।
    • माओवाद माओ त्से तुंग द्वारा विकसित साम्यवाद का एक रूप है।
    • यह सशस्त्र विद्रोह, जन-आंदोलन और रणनीतिक गठबंधनों के संयोजन के माध्यम से राज्य की सत्ता पर कब्ज़ा करने का सिद्धांत है।

Left Wing Extremism


मध्य प्रदेश Switch to English

भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल

चर्चा में क्यों?

भोपाल गैस त्रासदी के चार दशक बाद भी, सरकारी अधिकारी, अनेक अदालती आदेशों और चेतावनियों के बावजूद, यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) के परिसर में मौजूद सैकड़ों टन ज़हरीले अपशिष्ट का सुरक्षित निपटान करने में विफल रहे हैं।

मुख्य बिंदु

  • ऐतिहासिक संदर्भ और निपटान चुनौतियाँ:
    • भोपाल गैस त्रासदी इतिहास की सबसे भयंकर औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक थी, जो 2-3 दिसंबर 1984 की रात को मध्य प्रदेश के भोपाल में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) के कीटनाशक संयंत्र में घटित हुई थी।
      • इससे लोगों और जानवरों को अत्यधिक जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) के संपर्क में लाया गया, जिससे तत्काल और दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और मौतें हुईं।
    • वर्ष 1969 और 1984 के बीच कीटनाशक उत्पादन के दौरान उत्पन्न विषाक्त अपशिष्ट को साइट पर ही फेंक दिया गया, जिससे खतरनाक प्रथाओं और नियामक लापरवाही के कारण संदूषण और भी खराब हो गया।
    • वर्ष 2005 में मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपशिष्ट एकत्र किया, जिसका एक भाग जला दिया गया तथा 337 मीट्रिक टन अपशिष्ट को एक शेड में संग्रहित किया गया। 
  • सरकारी वित्तपोषण और विषाक्त अपशिष्ट निपटान:
    • केंद्र सरकार ने 2005 से यूनियन कार्बाइड परिसर में संग्रहीत 337 मीट्रिक टन विषाक्त अपशिष्ट के निपटान के लिये मध्य प्रदेश सरकार को 126 करोड़ रुपए जारी किये।
    • 2010 के एक अध्ययन से पता चला कि इस स्थल पर 11 लाख टन दूषित मृदा, एक टन पारा और लगभग 150 टन भूमिगत अपशिष्ट मौजूद है तथा इस अपशिष्ट के निपटान की अभी तक कोई योजना नहीं बनाई गई है।
      • रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2005 में अपशिष्ट का संग्रहण अधूरा था तथा सुधार के लिये दफनाए गए विषाक्त अपशिष्ट की खुदाई की अनुशंसा की गई।
    • प्रशासनिक बाधाओं के कारण 337 मीट्रिक टन अपशिष्ट का निपटान अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
  • भूजल प्रदूषण:
    • अध्ययनों से पता चला है कि फैक्ट्री के निकट के रिहायशी इलाकों में भूजल भारी धातुओं और जहरीले पदार्थों से दूषित है, जिससे कैंसर और स्वास्थ्य जोखिम बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञ बरसात के मौसम में और अधिक प्रदूषण की चेतावनी देते हैं।
      • सरकार ने हैंडपंप और ट्यूबवेल को सील कर दिया है और फैक्ट्री के आस-पास के 42 इलाकों में सुरक्षित पेयजल का वितरण बढ़ा दिया है। हालाँकि, निवासी गैर-पीने के उद्देश्यों के लिये दूषित पानी का उपयोग करना जारी रखते हैं।
    • इन उपायों के बावजूद, भूजल प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, जिससे गैस त्रासदी के 40 वर्ष बाद भी नए पीड़ित सामने आ रहे हैं। 
      • स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों में विषाक्त पदार्थों के लंबे समय तक संपर्क के कारण होने वाली गंभीर बीमारियाँ शामिल हैं।
  • न्यायिक और नियामक निरीक्षण:
    • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने सरकार की निष्क्रियता की आलोचना की तथा जल निकायों को प्रदूषित करने में रिसाव की भूमिका पर जोर दिया। 
      • मार्च 2022 में छह महीने के भीतर अपशिष्ट निपटान का आदेश दिया गया था, लेकिन निर्देश अभी तक लागू नहीं हुआ है।
    • भूजल प्रदूषण की शिकायतों के बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य को सुरक्षित जल तक पहुँच बढ़ाने और प्रदूषण की समस्या से निपटने का निर्देश दिया।

Bhopal Gas Tragedy


उत्तर प्रदेश Switch to English

संभल मस्जिद पर ASI की प्रतिक्रिया

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने संभल में मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के नियंत्रण और प्रबंधन के लिये संभल की सिविल कोर्ट से अनुरोध किया है, जिसमें मस्जिद को संरक्षित विरासत स्थल का दर्जा दिया गया है। यह अनुरोध मस्जिद के सर्वेक्षण के लिये कोर्ट की मंज़ूरी के बाद किया गया है।

मुख्य बिंदु

  • संभल मस्जिद को लेकर विवाद:
    • 19 जनवरी, 2018 को मस्जिद की प्रबंधन समिति के विरुद्ध उचित प्राधिकरण प्राप्त किये बिना मस्जिद की सीढ़ियों पर स्टील की रेलिंग लगाने के आरोप में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की गई थी।
    • ASI ने कहा कि शाही जामा मस्जिद, जिसे प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत 1920 में संरक्षित स्मारक के रूप में अधिसूचित किया गया था, उसके अधिकार क्षेत्र में आती है।
    • ASI ने तर्क दिया कि मस्जिद की प्रबंधन समिति ने अनधिकृत संरचनात्मक संशोधन किये हैं, जो गैरकानूनी हैं और इन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिये।
  • पहुँच और विनियमन:
    • ASI ने कहा कि मस्जिद तक जनता की पहुँच स्वीकार्य है, लेकिन केवल तभी जब वह ASI नियमों का पालन करे।
    • ASI ने मस्जिद पर पूर्ण नियंत्रण और प्रबंधन की मांग की है, तथा स्मारक के रखरखाव और इसकी संरचना में किसी भी परिवर्तन को विनियमित करने की अपनी जिम्मेदारी पर बल दिया है।
  • न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वेक्षण के दौरान हिंसा:
    • 24 नवंबर 2024 को शाही जामा मस्जिद के न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वेक्षण के दौरान संभल में हिंसा भड़क उठी।
    • झड़पों के दौरान चार लोग मारे गए तथा कई अन्य घायल हो गए।
  • न्यायिक आयोग:
    • हिंसा की जांच के लिये 28 नवंबर, 2024 को तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया गया।
    • आयोग यह निर्धारित करेगा कि हिंसा स्वतःस्फूर्त थी या पूर्वनियोजित साजिश का हिस्सा थी।
    • जांच में हिंसा के कारणों का विश्लेषण किया जाएगा तथा भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये उपाय सुझाए जाएँगे।
    • इसे दो महीने के भीतर अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करने होंगे तथा किसी भी विस्तार के लिये सरकार की मंज़ूरी लेनी होगी।
  • सर्वेक्षण और मंदिर याचिका:
    • अदालत द्वारा आदेशित सर्वेक्षण एक याचिका से जुड़ा था जिसमें दावा किया गया था कि संभल में जामा मस्जिद मूल रूप से मोहल्ला कोट पूर्वी में स्थित एक हरि हर मंदिर था और इसे 1529 में मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया था।
  • ऐतिहासिक संदर्भ:
    • संभल की जामा मस्जिद बाबर के शासनकाल (1526-1530) के दौरान बनाई गई तीन मस्जिदों में से एक है। अन्य मस्जिदों में पानीपत की मस्जिद और अब ध्वस्त हो चुकी बाबरी मस्जिद शामिल हैं।
    • इतिहासकार हॉवर्ड क्रेन ने अपनी कृति, द पैट्रोनेज ऑफ बाबर एंड द ऑरिजिंस ऑफ मुगल आर्किटेक्चर में मस्जिद की स्थापत्य कला की विशेषताओं का वर्णन किया है।
    • क्रेन ने एक फ़ारसी शिलालेख का उल्लेख किया जिसमें कहा गया है कि बाबर ने अपने सूबेदार जहाँगीर कुली खान के माध्यम से दिसंबर 1526 में मस्जिद के निर्माण का आदेश दिया था।

प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904

  • परिचय:
    • यह अधिनियम 1904 में ब्रिटिश भारत में लॉर्ड कर्जन के कार्यकाल के दौरान पारित किया गया था।
    • इसका उद्देश्य ऐतिहासिक, पुरातात्विक और कलात्मक महत्त्व के प्राचीन स्मारकों और वस्तुओं को संरक्षित करना था।
  • प्रमुख प्रावधान:
    • इसने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को प्राचीन भारतीय स्मारकों के संरक्षण और पुनरुद्धार का अधिकार दिया।
    • अवैध तस्करी को रोकने के लिये पुरावशेषों की आवाजाही और व्यापार को विनियमित किया गया।
    • निर्दिष्ट क्षेत्रों में पुरातात्विक उत्खनन पर नियंत्रण का प्रावधान किया गया।
    • कुछ मामलों में संरक्षण के लिये प्राचीन स्मारकों के अधिग्रहण को सुगम बनाया गया।
  • महत्त्व:
    • एक संरचित कानूनी ढाँचे के तहत भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने में एक आधारभूत भूमिका निभाई।
    • स्मारक संरक्षण में ASI की ज़िम्मेदारियों को बढ़ाया गया।


उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश ने महाकुंभ क्षेत्र को नया ज़िला घोषित किया

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रयागराज में महाकुंभ क्षेत्र को नया ज़िला घोषित किया है।  

  • इसे जनवरी 2025 में होने वाले आगामी कुंभ मेले के प्रबंधन और प्रशासन को सुव्यवस्थित करने के लिये बनाया गया था।

मुख्य बिंदु

  • यह अधिसूचना उत्तर प्रदेश प्रयागराज मेला प्राधिकरण, प्रयागराज अधिनियम, 2017 की धारा 2 (th) के अंतर्गत जारी की गई।
    • यह महाकुंभ 2025 के आयोजन के लिये आधिकारिक तौर पर महाकुंभ मेला ज़िले की घोषणा करता है।
    • मेला अधिकारी को नये ज़िले का प्रशासनिक अधिकारी बनाया गया।
  • मेला अधिकारी की शक्तियाँ एवं जिम्मेदारियाँ:
    • मेलाधिकारी, कुंभ मेला, प्रयागराज, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा-14 ​​(1) और संबंधित धाराओं के तहत कार्यपालक मजिस्ट्रेट, ज़िला मजिस्ट्रेट और अतिरिक्त ज़िला मजिस्ट्रेट की शक्तियाँ  धारण करेंगे।
    • मेलाधिकारी को सभी मामलों को निपटाने के लिये उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 (2016 में संशोधित) के तहत ज़िला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर की सभी शक्तियाँ भी प्राप्त होंगी।
    • मेला अधिकारी को ज़िले के लिये अतिरिक्त कलेक्टर नियुक्त करने का अधिकार है।

महाकुंभ

  • कुंभ मेला संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची के अंतर्गत आता है।
  • यह पृथ्वी पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसके दौरान प्रतिभागी पवित्र नदी में स्नान करते हैं या डुबकी लगाते हैं।
  • चूँकि यह भारत के चार अलग-अलग शहरों में आयोजित किया जाता है, इसमें विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं, जिससे यह सांस्कृतिक रूप से विविध त्योहार बन जाता है।
  • एक महीने से अधिक समय तक चलने वाले इस मेले में एक विशाल तम्बूनुमा बस्ती का निर्माण किया जाता है, जिसमें झोपड़ियाँ, मंच, नागरिक सुविधाएँ, प्रशासनिक और सुरक्षा उपाय शामिल होते हैं।
    • इसका आयोजन सरकार, स्थानीय प्राधिकारियों और पुलिस द्वारा अत्यंत सावधानी से किया जाता है।
  • यह मेला विशेष रूप से वनों, पहाड़ों और गुफाओं के सुदूर स्थानों से आये धार्मिक तपस्वियों की असाधारण उपस्थिति के लिये प्रसिद्ध है।


 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow