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कृषि

पीड़कनाशी विषाक्तता

  • 29 Dec 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सूखा, फसल की क्षति, पीड़कनाशी  विषाक्तता, कीटनाशी अधिनियम, 1968 एवं नियमावली, 1971

मेन्स के लिये:

कृषि उत्पादकता के संदर्भ में कीटनाशकों का महत्त्व एवं उनसे संबंधित स्वास्थ्य व पर्यावरणीय चिंता

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

महाराष्ट्र, जो सूखे तथा फसल की क्षति से ग्रस्त रहता है, में पीड़कनाशी  विषाक्तता से हाल के वर्षों में कई किसानों तथा कृषि श्रमिकों की मृत्यु हुई है।

पीडकनाशी क्या हैं?

  • परिचय:
    • पीड़कनाशी कोई भी रासायनिक अथवा जैविक पदार्थ है जिसका उद्देश्य कीटों से होने वाले क्षति को रोकना, नष्ट करना अथवा नियंत्रित करना है, जिसका कृषि एवं गैर-कृषि क्षेत्र दोनों में अनुप्रयोग होता है।
    • इनका प्रयोग मानव स्वास्थ्य तथा पर्यावरण के लिये भी गंभीर जोखिम उत्पन्न करता है, विशेषकर जब उनका दुरुपयोग किया जाता है अथवा अत्यधिक उपयोग किया जाता है तथा अवैध बिक्री की जाती है।
  • प्रकार: 
    • कीटनाशी: पौधों को कीटों तथा पीड़कों से बचाने के लिये जिन रसायनों का उपयोग किया जाता है उन्हें कीटनाशी कहा जाता है।
    • कवकनाशी: फसल सुरक्षा रसायनों के इस वर्ग का उपयोग पौधों में कवक रोगों के प्रसार को नियंत्रित करने के लिये किया जाता है।
    • शाकनाशी: शाकनाशी वे रसायन हैं जो कृषि क्षेत्र में खरपतवारों को नष्ट करते हैं अथवा उनकी वृद्धि को नियंत्रित करते हैं।
    • जैव-पीड़कनाशी: ये जैविक मूल के पीडकनाशी हैं अर्थात् ये जंतुओं, पौधों, जीवाणु आदि से उत्पन्न होते हैं।
    • अन्य: इसमें पादप वृद्धि नियामक, नेमाटीसाइड, कृंतकनाशक एवं फ्यूमिगेंट शामिल हैं।
  • पीड़कनाशी विषाक्तता: 
    • पीड़कनाशी विषाक्तता एक शब्द है जो मनुष्यों अथवा जानवरों पर कीटनाशों के संपर्क के प्रतिकूल प्रभावों को संदर्भित करता है।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पीड़कनाशी विषाक्तता विश्व भर में कृषि श्रमिकों की मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है।
    • पीड़कनाशी को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है, तीव्र (अल्पकालिक) एवं क्रोनिक(दीर्घकालिक)।
      • तीव्र विषाक्तता तब होती है जब कोई व्यक्ति कम समय तक किंतु अत्यधिक कीटनाशों के संपर्क में आता है या साँस लेता है।
      • दीर्घकालिक विषाक्तता तब होती है जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक किंतु पीड़कनाशी के कम संपर्क में रहता है, जिससे शरीर में विभिन्न अंगों तथा प्रणालियों को हानि हो सकती है।
  • हाल ही में प्रतिबंधित कीटनाशक:
    • सरकार द्वारा वर्ष 2023 में मोनोक्रोटोफॉस के अतिरिक्त तीन और कीटनाशकों: डिकोफोल, डिनोकैप एवं मेथोमाइल पर प्रतिबंध लगा दिया है।

भारत में पीड़कनाशी के उपयोग को कैसे नियंत्रित किया जाता है?

  • पीड़कनाशी के उपयोग को  कीटनाशी अधिनियम, 1968 एवं नियमावली, 1971 के तहत विनियमित किया जाता है।
  • कीटनाशी अधिनियम, 1968 भारत में पीड़कनाशी के पंजीकरण, निर्माण एवं बिक्री को कवर करता है।
  • यह अधिनियम कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रशासित किया जाता है।

नोट:  नाशकजीवमार प्रबंध विधेयक, 2020 को वर्ष 2020 में राज्यसभा में प्रस्तुत किया गया था। यह सुरक्षित पीड़कनाशी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ इसके उपयोग को कम करने के लिये पीड़कनाशों के निर्माण, आयात, बिक्री, भंडारण, वितरण, उपयोग तथा निपटान को विनियमित करता है। जो मनुष्यों, जानवरों और पर्यावरण के लिये जोखिमपूर्ण है। यह विधेयक कीटनाशी अधिनियम, 1968 को प्रतिस्थापित करने का प्रयास करता है।

पीड़कनाशी के उपयोग के संबंध में क्या चिंताएँ हैं?

  • किसानों पर हानिकारक प्रभाव:
    • विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक निम्न-स्तर के पीड़कनाशी का संपर्क तंत्रिका-तंत्र के लक्षणों की एक विस्तृत शृंखला से जुड़ा हुआ है, जैसे– सिरदर्द, थकान, चक्कर आना, तनाव, क्रोध, अवसाद के साथ लोप होती स्मृति, पर्किंसंस रोग तथा अल्ज़ाइमर रोग आदि।
  •  उपभोक्ताओं पर हानिकारक प्रभाव:
    • पीड़कनाशी का स्थानांतरण पर्यावरण के माध्यम से मृदा या जल प्रणालियों में अपना रास्ता बनाते हुए खाद्य शृंखला के उच्च स्तर तक होता है जिसके बाद ये जलीय जीवों या पादपों और अंततः मनुष्यों द्वारा ग्रहण कर लिये जाते हैं। इस प्रक्रिया को जैव-आवर्द्धन कहा जाता है।
  • कृषि पर हानिकारक प्रभाव:
    • दशकों से कीटनाशकों के निरंतर उपयोग ने भारतीय कृषि क्षेत्र के वर्तमान पारिस्थितिक, आर्थिक और अस्तित्व संबंधी संकट में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • विनियामक मुद्दे:
    • हालाँकि कृषि एक राज्य-सूची का विषय है, कीटनाशक अधिनियम, 1968 एक केंद्रीय अधिनियम है जो कीटनाशकों से संबंधित शिक्षा और अनुसंधान को नियंत्रित करता है। इसलिये इस अधिनियम के संशोधन में राज्य सरकारों की प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है।
      • यही कारण है कि अनुमानित 104 पीड़कनाशी जो अभी भी भारत में उत्पादित/प्रयोग किये जाते हैं, विश्व के दो या दो से अधिक देशों में प्रतिबंधित कर दिये गए हैं।
    • वर्ष 2021 में गैर-लाभकारी कीटनाशक एक्शन नेटवर्क (PAN) इंटरनेशनल ने अत्यधिक खतरनाक पीड़कनाशी की एक सूची जारी की, जिनमें से 100 से अधिक पीड़कनाशी वर्तमान में भारत में उपयोग के लिये स्वीकृत हैं।

आगे की राह  

  • विनियामक सुधार:
    • पीड़कनाशी की अवैध बिक्री और दुरुपयोग को रोकने के लिये नियमों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है।
    • पीड़कनाशी उपयोग दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वालों के लिये दंड लागू किया जाना चाहिये।
  • सरकारी सहायता:
    • किसानों को सुरक्षित और अधिक संधारणीय कृषि पद्धतियाँ अपनाने में मदद करने के लिये वित्तीय सहायता प्रदान किया जाना चाहिये।
    • इसमें जैविक कृषि, एकीकृत कीट प्रबंधन या सुरक्षित पीड़कनाशी की खरीद के लिये सब्सिडी भी शामिल हो सकती है।
  • सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम:
    • लोगों को पीड़कनाशी के उपयोग से जुड़े जोखिमों के बारे में शिक्षित करने के लिये समुदाय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिये।
    • दुरुपयोग या विषाक्तता के मामलों की निगरानी और रिपोर्टिंग में स्थानीय समुदायों को शामिल किया जाना चाहिये।
  • प्रतिपूर्ति तंत्र: 
    • पीड़कनाशी विषाक्तता के शिकार लोगों के लिये प्रतिपूर्ति तंत्र की स्थापना करना।
    • दावे (claims), चिकित्सा व्यय और आर्थिक नुकसान के लिये प्रतिपूर्ति प्रदान करने हेतु एक तीव्र तथा पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न1. शरीर में श्वास अथवा खाने से पहुँचा सीसा (लेड) स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है। पेट्रोल में सीसे का योग प्रतिबंधित होने के बाद से अब सीसे की विषाक्तता उत्पन्न करने वाले स्रोत कौन-कौन से हैं? (2012)

1. प्रगलन इकाइयाँ
2. पेन (कलम) और पेंसिलें
3. पेन्द
4. केश तेल एवं प्रसाधन सामग्रियाँ

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये:

(A) केवल 1, 2 और 3
(B) केवल 1 और 3
(C) केवल 2 और 4
(D) 1, 2 , 3 और 4

उत्तर: B


प्रश्न 2. भारत में कार्बोफ्यूरेन, मेथिल पैराथियॉन, फोरेट और ट्राइऐज़ोफॉस के इस्तेमाल को आशंका से देखा जाता है। ये रसायन किस रूप में इस्तेमाल किये जाते हैं? (2019)

(A) कृषि में पीड़कनाशी
(B) संसाधित खाद्यों में परिरक्षक
(C) फल-पक्वन कारक
(D) प्रसाधन सामग्री में नमी बनाए रखने वाले कारक

उत्तर: A

व्याख्या: कार्बोफ्यूरेन, फोरेट और ट्राइऐज़ोफॉस कृषि में इस्तेमाल होने वाले पीड़कनाशी हैं। केरल में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये, राज्य के कृषि विभाग ने कीटनाशकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। केरल कृषि विश्वविद्यालय को प्रतिबंधित पीड़कनाशी, जिसमें कार्बोफ्यूरेन, फोरेट, मिथाइल पैराथियाॅन, मोनोक्रोटोफॉस, मिथाइल डेमेथॉन आदि शामिल हैं, के विकल्प प्रदान करने के लिये कहा गया था। विश्वविद्यालय ने कम खतरनाक पीड़कनाशी का सुझाव दिया, जैसे– एसीफेट, कार्बेरिल, डाइमेथोएट और फ्लुबेंडियामाइड। अतः विकल्प A सही है।

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