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गाँठदार त्वचा रोग

  • 15 Jun 2022
  • 3 min read

हाल ही में गुजरात राज्य के पांँच ज़िलों में लगभग 1,229 मवेशी ‘गाँठदार त्वचा रोग (Lumpy Skin Disease- LSD) से संक्रमित हुए हैं। 

LSD

‘गाँठदार त्वचा रोग के बारे में: 

  • ‘गाँठदार त्वचा रोग का कारण:  
    • LSD मवेशियों या भैंस के पॉक्सवायरस लम्पी स्किन डिज़ीज़ वायरस (LSDV) के संक्रमण के कारण होता है। 
    • खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) के अनुसार, LSD की मृत्यु दर 10% से कम है। 
    • ‘गाँठदार त्वचा रोग’ को पहली बार वर्ष 1929 में जाम्बिया में एक महामारी के रूप में देखा गया था। प्रारंभ में यह या तो ज़हर या कीड़े के काटने का अतिसंवेदनशील परिणाम माना जाता था। 
  • संक्रमण: 
    • गाँठदार त्वचा रोग मुख्य रूप से मच्छरों और मक्खियों के काटने, कीड़ों (वैक्टर) के काटने से जानवरों में फैलता है। 
  • लक्षण: 
    • इसमें मुख्य रूप से बुखार, आंँखों और नाक से तरल पदार्थ का निकलना, मुंँह से लार का टपकना  शरीर पर छाले होते हैं। 
    • इस रोग से पीड़ित पशु खाना बंद कर देता है और चबाने या खाने के दौरान समस्याओं का सामना करता है, जिसके परिणामस्वरूप दूध का उत्पादन कम हो जाता है। 
  • रोकथाम और उपचार: 
    • इन बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण भारत के पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत किया जाता है। 
    • ‘गाँठदार त्वचाा रोग के उपचार के लिये कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवाएंँ उपलब्ध नहीं हैं। उपलब्ध एकमात्र उपचार मवेशियों की सहायक देखभाल है। इसमें घाव देखभाल, स्प्रे का उपयोग करके त्वचा के घावों का उपचार और द्वितीयक त्वचा संक्रमण तथा निमोनिया को रोकने के लिये एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग शामिल हो सकता है। 
    • प्रभावित जानवरों की भूख को बनाए रखने के लिये एंटी-इंफ्लेमेटरी (Anti-Inflammatories) दर्द निवारक दवाओं का उपयोग किया जा सकता है। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

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