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शासन व्यवस्था

ग्रामोद्योग विकास योजना तथा ग्रामोद्योग

  • 08 Jul 2023
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रामोद्योग विकास योजना (GYY), खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC), खादी विकास योजना (KVY)

मेन्स के लिये:

ग्रामीण विकास को बढ़ावा, ग्रामीण उद्योगों के विकास के लिये पहल, भारतीय अर्थव्यवस्था में ग्रामोद्योग का महत्त्व

चर्चा में क्यों? 

दिल्ली के उपराज्यपाल ने 'ग्रामोद्योग विकास योजना' के तहत 130 लाभार्थियों को मधुमक्खी बक्से और टूलकिट वितरित किये। 

ग्रामोद्योग विकास योजना (GVY):

  • परिचय: 
  • उद्देश्य: 
    • GVY का लक्ष्य सामान्य सुविधाओं, प्रौद्योगिकी आधुनिकीकरण, प्रशिक्षण आदि के माध्यम से ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देना और विकसित करना है।
  • शामिल गतिविधियाँ: 
    • कृषि आधारित एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (ABFPI)
    • खनिज आधारित उद्योग (MBI)
    • कल्याण एवं सौंदर्य प्रसाधन उद्योग (WCI)
    • हस्तनिर्मित कागज, चमड़ा और प्लास्टिक उद्योग (HPLPI)
    • ग्रामीण इंजीनियरिंग और नई प्रौद्योगिकी उद्योग (RENTI)
    • सेवा उद्योग
  • घटक: 
    • अनुसंधान एवं विकास और उत्पाद नवाचार: अनुसंधान एवं विकास सहायता उन संस्थानों को दी जाती है जो उत्पाद विकास, नए नवाचार, डिज़ाइन विकास, उत्पाद विविधीकरण प्रक्रियाओं आदि को प्रोत्साहित करेगा।
    • क्षमता निर्माण: मौजूदा मास्टर डेवलपमेंट ट्रेनिंग सेंटर (MDTC) और उत्कृष्ट संस्थान मानव संसाधन विकास एवं कौशल प्रशिक्षण घटकों के हिस्से के रूप में कर्मचारियों तथा कारीगरों की क्षमता निर्माण को उजागर करते हैं।
    • विपणन और प्रचार: ग्राम संस्थान उत्पाद सूची, उद्योग निर्देशिका, बाज़ार अनुसंधान, नई विपणन तकनीक, खरीदार-विक्रेता बैठकें, प्रदर्शनियों की व्यवस्था आदि की तैयारी के माध्यम से बाज़ार समर्थन प्रदान करते हैं।

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC):

  • KVIC खादी और ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम, 1956 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
  • KVIC पर जहाँ भी आवश्यक हो, ग्रामीण विकास में लगी अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय में ग्रामीण क्षेत्रों में खादी और अन्य ग्राम उद्योगों के विकास हेतु कार्यक्रमों की योजना, प्रचार, संगठन तथा कार्यान्वयन की ज़िम्मेदारी है।
  • यह MSME मंत्रालय के तहत कार्य करता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में ग्रामोद्योग का महत्त्व 

  • रोज़गार सृजन: ग्रामोद्योग श्रम प्रधान होते हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के पर्याप्त अवसर प्रदान करते हैं। वे विशेषकर ग्रामीण आबादी के बीच बेरोज़गारी और अल्परोज़गार को कम करने में योगदान देते हैं। 
    • ये उद्योग कुशल, अर्द्ध-कुशल और अकुशल श्रमिकों सहित पर्याप्त कार्यबल को अवशोषित करते हैं
  • ग्रामीण विकास: ग्रामोद्योग,ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास में योगदान देते हैं। गाँवों में छोटे पैमाने के उद्यम स्थापित करके, वे स्थानीय आर्थिक गतिविधियों को बनाने, शहरी क्षेत्रों में प्रवासन को कम करने और शहरों में आबादी की सघनता को रोकने में मदद करते हैं।
  • गरीबी निर्मूलन: ग्रामोद्योग, ग्रामीण समुदायों के लिये आय उत्पन्न करके गरीबी उन्मूलन में योगदान करते हैं। वे उन लोगों के लिये आजीविका के विकल्प प्रदान करते हैं जिनकी औपचारिक रोज़गार के अवसरों तक सीमित पहुँच है, विशेष रूप से कृषि क्षेत्र  में।
    • उद्यमिता और स्व-रोज़गार को बढ़ावा देकर, ये उद्योग व्यक्तियों को उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार करने के लिये सशक्त बनाते हैं।
  • स्थानीय संसाधनों का उपयोग: ग्रामोद्योग आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध स्थानीय संसाधनों और कच्चे माल का उपयोग करते हैं। इससे सतत् विकास को बढ़ावा देने और बाह्य संसाधनों पर निर्भरता कम करने में मदद मिलती है।
    • यह स्थानीय रूप से उपलब्ध कौशल, पारंपरिक ज्ञान और प्राकृतिक सामग्रियों के उपयोग को प्रोत्साहित करता है, इस प्रकार स्थानीय विरासत तथा संस्कृति को संरक्षित करता है।
  • निर्यात क्षमता: कई ग्रामीण उद्योग पारंपरिक शिल्प, हथकरघा, हस्तशिल्प और अन्य अद्वितीय उत्पादों का उत्पादन करते हैं जिनकी घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में उच्च मांग है।
    • इन उत्पादों के निर्यात से विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है और देश की वैश्विक व्यापार प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ती है। 

ग्रामोद्योग के विकास हेतु अन्य पहल

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत में स्मार्ट नगर स्मार्ट गाँवों के बिना नहीं रह सकते हैं। ग्रामीण-नगरी एकीकरण की पृष्ठभूमि में इस कथन पर चर्चा कीजिये। (2015) 

स्रोत: पी.आई.बी.

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