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भारतीय अर्थव्यवस्था

खादी ग्रामोद्योग विकास योजना जारी रखने की मंज़ूरी

  • 20 Feb 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने खादी ग्रामोद्योग विकास योजना को वित्त वर्ष 2019-20 तक जारी रखने की अनुमति दे दी।

प्रमुख बिंदु

  • MPDA, खादी अनुदान, ISEC और ग्रामोद्योग अनुदान की मौजूदा योजनाओं को जारी रखने के लिये इन्हें 'खादी और ग्रामोदय विकास योजना' के अंतर्गत रखा गया।
  • इस योजना पर 2017-18 से 2019-20 की अवधि में कुल 2,800 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
  • इस योजना के तहत एक नए आयाम ‘रोज़गार युक्त गाँव’ को जोड़ा गया है जिससे खादी क्षेत्र में उपक्रम आधारित परिचालन शुरू किया जा सकेगा। इससे हज़ारों नए बुनकरों को चालू और अगले वित्त वर्ष में रोज़गार के अवसर उपलब्ध होंगे।

‘रोज़गार युक्त गाँव’ का उद्देश्य तथा विशेषताएँ

  • रोज़गार युक्त गाँव (RYG) का उद्देश्य 3 हितधारकों- सहायता प्राप्त खादी संस्थानों, बुनकरों और व्यापार साझेदारों के बीच साझेदारी के माध्यम से 'सब्सिडी आधारित मॉडल' के स्थान पर 'एंटरप्राइज़ आधारित बिज़नेस मॉडल' की शुरुआत करना है।
  • इसके अंतर्गत खादी बुनकरों को 10,000 चरखे, 2000 करघे और 100 वार्पिंग (warping) इकाइयाँ प्रदान करके इसे 50 गाँवों में शुरू किया जाएगा। इससे प्रत्येक गाँव में 250 बुनकरों को प्रत्यक्ष रोज़गार प्राप्त होगा।
  • प्रति गाँव में कुल पूंजी निवेश सब्सिडी के रूप में 72 लाख रुपए होगा तथा बिज़नेस पार्टनर से प्राप्त वर्किंग कैपिटल के संदर्भ में 1.64 करोड़ रुपए होगा।
  • विलेज इंडस्ट्री वर्टिकल के तहत कृषि आधारित खाद्य प्रसंस्करण [हनी, पामगुर (palmgur) आदि], हस्तनिर्मित कागज़ और चमड़ा, मिट्टी के बर्तनों तथा सौंदर्य प्रसाधन के क्षेत्रों में उत्पाद नवाचार, डिज़ाइन विकास और उत्पाद विविधता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
  • इस पहल के लिये उन्नत कौशल विकास कार्यक्रमों का संचालन मौजूदा उत्कृष्टता केंद्रों, जैसे- CGCRI, CFTRI, IIFPT, CBRTI, KNHPI, IPRITI आदि के माध्यम से किया जाएगा।

‘उत्पादन सहायता’

  • अन्य प्रमुख घटक 'उत्पादन सहायता' (Production Assistance) को प्रतिस्पर्द्धी और प्रोत्साहन आधारित बनाना है।
  • प्रोत्साहन संरचना उत्पादकता, टर्नओवर और गुणवत्ता में सुधार पर केंद्रित है और इसे एक ऑब्जेक्टिव स्कोरकार्ड के आधार पर बढ़ाया जाएगा।
  • खादी संस्थानों को स्वचालित रूप से 30% की वित्तीय सहायता दी जाएगी, ताकि 30% अतिरिक्त प्रोत्साहन के लिये वे पात्र बन सकें।
  • इन संस्थानों को दक्षता, संसाधनों के इष्टतम उपयोग, कचरे में कमी तथा प्रभावी प्रबंधकीय प्रथाओं आदि के लिये बेहतर प्रयास करना होगा।

8 योजनाओं का 2 योजनाओं में विलय

  • युक्तिसंगत बनाने के लिये खादी और ग्रामोद्योग की 8 अलग-अलग योजनाओं को अब 2 अम्ब्रेला योजनाओं 'खादी विकास योजना' तथा 'ग्रामोद्योग विकास योजना' में विलय कर दिया गया है-
  1. खादी विकास योजना [मार्केट प्रमोशन एंड डेवलपमेंट असिस्टेंस (MPDA), इंटरेस्ट सब्सिडी पात्रता सर्टिफिकेट (ISEC), वर्कशेड, कमज़ोर बुनियादी विकास की मजबूती, आम आदमी बीमा योजना, खादी अनुदान तथा खादी एवं VI S & T]।
  2. ग्रामोद्योग विकास योजना [ग्रामोद्योग अनुदान]।

स्रोत : पी.आई.बी

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