शासन व्यवस्था
LPG के मूल्य में वृद्धि का सामाजिक-पारिस्थितिक प्रभाव
- 11 May 2024
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY), तरलीकृत पेट्रोलियम गैस, बायोगैस, नवीकरणीय ऊर्जा, PAHAL योजना, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना मेन्स के लिये:काष्ठ ईंधन पर निर्भरता के सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव, LPG के प्रयोग को बढ़ावा देने हेतु पहल। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा मे क्यों?
हाल ही में किये गए एक अध्ययन में पाया गया है कि तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (Liquefied Petroleum Gas - LPG) के प्रयोग को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों के बावज़ूद पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में बड़ी संख्या में परिवार ईंधन के रूप में लकड़ी के प्रयोग पर निर्भर हैं।
- यह LPG की अत्यधिक कीमतों और काष्ठ ईंधन पर निर्भरता के पर्यावरणीय प्रभाव को उजागर करता है, सतत् विकास लक्ष्यों की पूर्ति संबंधी चिंताजनक प्रगति पर पुनर्विचार करने के लिये बाध्य करता है, साथ ही, सुलभ विकल्पों की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर भी ज़ोर देता है।
अध्ययन के प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- काष्ठ ईंधन के लिये वनों पर निर्भरता: जलपाईगुड़ी में स्थानीय समुदाय खाना पकाने के वैकल्पिक ईंधन तक सीमित पहुँच के कारण काष्ठ ईंधन के लिये जंगलों पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
- आर्थिक बाधाएँ: 1500 रुपए से अधिक कीमत वाले LPG सिलेंडर की कीमत कई परिवारों के लिये काफी अधिक है, खासकर गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के लिये।
- सरकारी पहल: प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) जैसी सरकारी योजनाओं ने प्रारंभिक समय में काष्ठ ईंधन से प्रयोग को LPG में स्थानांतरित करने की सुविधा प्रदान की, किंतु इसके बाद LPG की कीमतों में वृद्धि ने एक बड़ी चुनौती उत्पन्न की।
- ग्रामीण क्षेत्रों में LPG की पहुँच और वितरण बढ़ाने के प्रयासों के बावज़ूद, कई परिवार इसकी उच्च कीमत के कारण अपने सिलेंडर को नियमित रूप से रिफिल नहीं करा पाते हैं।
- पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव: काष्ठ ईंधन पर निर्भरता के कारण वनों के क्षरण में वृद्धि होती है, साथ ही यह मानव-वन्यजीव संघर्ष, विशेषकर हाथियों के साथ मुठभेड़ का जोखिम भी बढ़ाती है।
- काष्ठ ईंधन का प्रयोग में लाया जाना वन पारितंत्र, वन्यजीव आवास और स्थानीय आजीविका को जोखिम में डालता है।
- संधारणीय विकल्प: पश्चिम बंगाल वन विभाग और संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के साथ सहयोगात्मक प्रयासों का उद्देश्य सतत् वन प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देना है।
- इन पहलों में गाँवों में ईंधन के लिये वृक्षारोपण करना, खाना पकाने के लिये उर्जादक्ष स्टोव के उपयोग को बढ़ावा देना, चाय बागानों में छायादार वृक्षों के घनत्व को बढ़ाना तथा प्रशासन के लिये बहु-हितधारक योजनाओं को बढ़ावा देना शामिल है।
- स्थानीय रूप से स्वीकार्य समाधान: वनों, वन्य जीवन तथा आजीविका को सुरक्षित करने के लिये, काष्ठ ईंधन के लिये स्थानीय रूप से स्वीकार्य और स्थायी विकल्प विकसित करना अनिवार्य है।
- खाना पकाने के लिये वैकल्पिक ईंधन तथा वन संरक्षण प्रयासों की सफलता के लिये सामुदायिक भागीदारी तथा हितधारकों के साथ जुड़ाव महत्त्वपूर्ण है।
क्या सरकार ने LPG के उपयोग पर ज़ोर दिया है?
- भारत सरकार ने ग्रामीण परिवारों में LPG का प्रयोग बढ़ाने के प्रयास किये हैं:
- दूरदराज़ के क्षेत्रों में LPG वितरण का विस्तार करने के लिये भारत सरकार ने वर्ष 2009 में राजीव गांधी ग्रामीण LPG वितरक योजना शुरू की।
- वर्ष 2015 में 'पहल' योजना के तहत LPG के लिये प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की शुरुआत की गई।
- वर्ष 2016 में सीधे होम-रिफिल डिलीवरी और 'गिव इट अप' कार्यक्रम लागू किया गया।
- गरीबी रेखा से नीचे रह रहे 80 मिलियन परिवारों में LPG कनेक्शन स्थापित करने के लिये वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) की शुरुआत की गई।
- यह योजना प्रत्येक 14.2 किलोग्राम सिलेंडर के लिये 200 रुपए की सब्सिडी भी प्रदान करती है, जो अक्तूबर 2023 में बढ़कर 300 रुपए हो गई।
- हालाँकि, इन प्रयासों के बावज़ूद भारत में LPG की कीमतें कथित तौर पर 2022 में 54 देशों में सबसे अधिक, लगभग ₹300/लीटर थीं।
नोट:
- भारत में LPG, पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें विश्व में सर्वाधिक हैं। इसके मँहगे होने में बाह्य कारक और वैश्विक स्तर पर ऊँची कीमतें शामिल हैं, परंतु क्रय शक्ति तथा सामर्थ्य में अंतर के कारण भारत में वास्तविक प्रभाव अधिक है।
- क्रय शक्ति समता (PPP) डॉलर का उपयोग करते हुए, भारत वैश्विक स्तर पर पेट्रोल की कीमतों के मामले में सूडान और लाओस के बाद तीसरे स्थान पर है।
- भारत में LPG की कीमतें विश्व में सबसे ज़्यादा हैं। भारत में डीज़ल की कीमतें वैश्विक स्तर पर 8वीं सर्वाधिक कीमतें हैं।
- ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद द्वारा आयोजित वर्ष 2014-2015 ACCESS सर्वेक्षण के डेटा में पाया गया कि LPG की लागत ग्रामीण गरीब परिवारों में इसे अपनाने तथा इसके निरंतर उपयोग में सबसे बड़ी बाधा है।
- इस प्रकार, 750 मिलियन भारतीय हर दिन खाना पकाने के लिये ईंधन (लकड़ी, गोबर, कृषि अवशेष, कोयला और लकड़ी का कोयला) का उपयोग करते हैं।
- इस प्रकार के खाना पकाने वाले ईंधन असंख्य स्वास्थ्य खतरों एवं सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभावों से जुड़े हैं।
भारत में LPG की ऊँची कीमतें किस कारण से बढ़ रही हैं?
- आयात पर निर्भरता:
- भारत LPG के लिये आयात पर अत्यधिक निर्भर है, इसकी 60% से अधिक ज़रूरतें आयात से पूर्ण होती हैं।
- यह आयात निर्भरता देश में LPG की मूल्य निर्धारण गतिशीलता में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है।
- भारत में LPG की कीमतें प्रोपेन और ब्यूटेन के औसत सऊदी अनुबंध मूल्य (CP) द्वारा प्रभावित होती हैं।
- LPG गैसों का मिश्रण है, जिसमें ब्यूटेन और प्रोपेन मुख्य होते हैं, इसमें ब्यूटेन का प्रतिशत सीमित होता है।
- CP, LPG व्यापार के लिये सऊदी अरामको(Aramco) द्वारा निर्धारित अंतर्राष्ट्रीय मूल्य है।
- औसत सऊदी CP वित्त वर्ष 20 में USD 454 प्रतिटन से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में USD 710 हो गया, जिससे LPG की कीमतों में बढ़ोतरी हुई।
- विश्लेषकों का कहना है कि इस वृद्धि का कारण एशियाई बाज़ारों, विशेषकर पेट्रोकेमिकल, जहाँ प्रोपेन एक महत्त्वपूर्ण फीडस्टॉक के रूप में कार्य करता है, की बेहतर माँग है।
- आयात गतिकी:
- अप्रैल-सितंबर 2022 में भारत की कुल खपत 13.8 मिलियन टन में से 8.7 मिलियन टन LPG का आयात आयातित LPG पर उसकी निर्भरता को रेखांकित करता है।
- भारत में LPG का मूल्य निर्धारण फॉर्मूला वैश्विक बाज़ार के रुझान पर निर्भर है, खासकर मध्य पूर्व में, जो भारत का सबसे बड़ा LPG आपूर्तिकर्त्ता है।
- उपभोक्ताओं पर प्रभाव:
- मार्च 2023 में प्रति सिलेंडर 50 रुपए की हालिया बढ़ोतरी से दिल्ली में 14.2 किलोग्राम भार वाले घरेलू LPG सिलेंडर की कीमत में 4.75% की वृद्धि हुई है।
- करों और डीलर कमीशन का सिलेंडर की खुदरा कीमत में केवल 11% ही योगदान होता है, जिसमें लगभग 90% LPG की लागत के लिये ज़िम्मेदार होता है, इसका मुख्य कारण पेट्रोल व डीज़ल की कीमतें न होकर, करों में बढ़ोतरी है।
काष्ठ ईंधन पर निर्भरता कम करने के संभावित समाधान क्या हैं?
- नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना: सौर, पवन और जल विद्युत जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने को प्रोत्साहित करने से काष्ठ ईंधन पर निर्भरता कम करने में सहायता मिल सकती है।
- कई देशों ने नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये फीड-इन टैरिफ, टैक्स क्रेडिट और सब्सिडी जैसी नीतियाँ एवं प्रोत्साहन लागू किये हैं।
- उन्नत कुकस्टोव: पारंपरिक स्टोवों के प्रयोग से अत्यधिक ऊर्जा हानि होती है। काष्ठ ईंधन को अधिक कुशलता से जलाने वाले उन्नत कुकस्टोव (ICS) वितरित करने से इनकी खपत में काफी कमी आ सकती है।
- उदाहरण के लिये, नेपाल में परियोजनाओं से पता चला है कि ICS का उपयोग काष्ठ ईंधन की ज़रूरतों को 50% तक कम कर सकता है।
- ग्लोबल अलायंस फॉर क्लीन कुकस्टोव नामक एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी ने वर्ष 2010 में अपनी स्थापना के बाद से विकासशील देशों में 80 मिलियन से अधिक बेहतर और कुशल कुकस्टोव वितरित करने के लिये कार्य किया है।
- वैकल्पिक ईंधन: कृषि अपशिष्ट से बने बायोगैस, पेलेट या ब्रिकेट जैसे वैकल्पिक ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने से काष्ठ ईंधन की मांग कम हो सकती है और अधिक सतत् ऊर्जा स्रोतों का उपयोग किया जा सकता है।
- सतत् वन प्रबंधन प्रथाएँ: सतत् वन प्रबंधन प्रथाएँ सुनिश्चित करने से काष्ठ ईंधन की निकासी और वन पुनर्जनन के बीच संतुलन बनाए रखने में सहायता मिल सकती है, जिससे काष्ठ ईंधन की खपत के पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सकता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. काष्ठ ईंधन पर निर्भरता के पर्यावरणीय और सामाजिक परिणाम भारत में LPG की उच्च कीमतें बढ़ाने वाले कारकों के साथ कैसे मेल खाते हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत की जैव-ईंधन की राष्ट्रीय नीति के अनुसार, जैव-ईंधन के उत्पादन के लिये निम्नलिखित में से किनका उपयोग कच्चे माल के रूप में हो सकता है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये- (a) केवल 1, 2, 5 और 6 उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. “वहनीय (एफोर्डेबल), विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच संधारणीय (सस्टेनेबल) विकास लक्ष्यों (एस.डी.जी.) को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य हैं।” भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018) |