छत्तीसगढ़ Switch to English
अचानकमार टाइगर रिज़र्व में ब्लैक पैंथर
चर्चा में क्यों
हाल ही में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले के अचानकमार बाघ अभयारण्य (ATR) में एक दुर्लभ ब्लैक पैंथर देखा गया।
मुख्य बिंदु
वर्ष 2022 में बाघों की गणना के दौरान ATR में ब्लैक पैंथर की मौजूदगी की पुष्टि हुई थी।
ATR में बाघों की गणना के लिये सर्वेक्षण के चौथे चरण में रिज़र्व वन में दस बाघों की उपस्थिति दर्ज की गई थी, जिनमें से सात मादा और तीन नर थे।
ब्लैक पैंथर
- परिचय:
- तेंदुए (Panthera Pardus) का रंग हल्का होता है (हल्के पीले से अत्यंत सुनहरे या पीले रंग के) और इसके शरीर पर काले रंग के गुच्छे में फर/बाल पाए जाते हैं।
- मेलानिस्टिक तेंदुए का रंग या तो पूरी तरह से काला होता है या फिर यह अत्यंत गहरे रंग का होता है जो ब्लैक पैंथर के रूप में जाने जाता है। यह धब्बेदार भारतीय तेंदुओं की रंग आधारित किस्म है, जो दक्षिण भारत के घने वनों में पाया जाता है।
- तेंदुओं के काले रंग के आवरण का कारण अप्रभावी एलील ( Recessive Alleles) और जगुआर के एक प्रभावी एलील की उपस्थिति का होना है। प्रत्येक प्रजाति में एलील्स का एक निश्चित संयोजन जंतु के फर और त्वचा में बड़ी मात्रा में काले वर्णक मेलेनिन (मेलानिज़्म) के उत्पादन को उद्दीपित करता है।
- काले आवरण की उपस्थिति अन्य कारकों से प्रभावित हो सकती है, जैसे कि आपतित प्रकाश का कोण और जंतु के जीवन की अवस्था।
- पर्यावास:
- ये मुख्य रूप से दक्षिण-पश्चिमी चीन, बर्मा, नेपाल, दक्षिणी भारत, इंडोनेशिया और मलेशिया के दक्षिणी भाग में पाए जाते हैं।
- भारत में यह कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र आदि राज्यों में पाया जाता है।
- संबंधित खतरे:
- प्राकृतिक वास का नुकसान।
- वाहनों से टक्कर।
- रोग।
- मानव अतिक्रमण।
- अवैध शिकार।
- संरक्षण स्थिति :
- IUCN रेड लिस्ट: सुभेद्य (Vulnerable)
- CITES: परिशिष्ट I
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची I
अचानकमार टाइगर रिज़र्व
- यह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले में स्थित है। इसकी स्थापना 1975 में की गई और 2009 में इसे बाघ अभयारण्य घोषित किया गया।
- यह बृहद अचानकमार-अमरकंटक बायोस्फीयर रिज़र्व का हिस्सा है।
- इसमें कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व को जोड़ने वाला एक गलियारा मौजूद है और यह इन रिज़र्वों के बीच बाघों के आवागमन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- नदी:
- इस रिज़र्व के ठीक बीच से मनियारी नदी बहती है, जो इस वन की जीवन रेखा है।
- जनजाति:
- यहाँ बैगा जनजाति की बहुलता है, जो वन में वास करने वाला जनजाति समुदाय है जिसे "विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG)" के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- रिज़र्व के प्रमुख क्षेत्र के 626 हेक्टेयर में 25 गाँव हैं, जिनमें से लगभग 75% जनसंख्या बैगा जनजाति की है।
- वृक्ष:
- इसके अधिकांश क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वृक्ष विस्तृत हैं।
- वनस्पतिजात:
- साल, बीजा, साजा, हल्दू, सागौन, तिनसा, धावरा, लेंडिया, खमर, बाँस सहित औषधीय पौधों की 600 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- प्राणिजात:
- इसमें बाघ, तेंदुआ, बाइसन, उड़न गिलहरी, इंडियन जायंट स्क्विरेल, चिंकारा, वन्य कुत्ता, लकड़बग्घा, सांभर, चीतल और पक्षियों की 150 से अधिक प्रजातियाँ शामिल हैं।
उत्तराखंड Switch to English
केदारनाथ में भीषण आपदा
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केदारनाथ में बादल फटने से व्यापक क्षति हुई, जिससे सोनप्रयाग में मंदाकिनी नदी का जलस्तर तेज़ी से बढ़ गया।
- ऐसी परिस्थिति में आपातकालीन सेवाओं को हाई अलर्ट जारी किया गया है क्योंकि अधिकारियों को केदारनाथ में 150 से 200 तीर्थयात्री फँसे होने की आशंका है।
मुख्य बिंदु
- बादल फटने से केदारनाथ पैदल मार्ग भूस्खलित हुआ, जिससे मार्ग का लगभग 30 मीटर हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया, जिसके कारण लोगों की सुरक्षा के चलते इसे अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया।
- हरिद्वार में भीषण वर्षा के कारण क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई। भूपतवाला, हरिद्वार, नया हरिद्वार, कनखल और ज्वालापुर जैसे इलाके इससे गंभीर रूप से प्रभावित हुए।
- क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने उत्तराखंड के सात ज़िलों में अत्यधिक भीषण वर्षा के लिये रेड अलर्ट जारी किया।
मंदाकिनी नदी
- यह उत्तराखंड में अलकनंदा नदी की एक सहायक नदी है।
- यह नदी रुद्रप्रयाग और सोनप्रयाग क्षेत्रों में लगभग 81 किलोमीटर तक विस्तृत है तथा चोराबाड़ी हिमनद से निकलती है।
- मंदाकिनी सोनप्रयाग में सोनगंगा नदी में मिल जाती है और उखीमठ में मध्यमहेश्वर मंदिर के पास से बहती है।
- अपने मार्ग के अंत में यह अलकनंदा में गिरती है, जो गंगा में मिल जाती है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश विधानसभा ने पारित किया 'लव जिहाद' विधेयक
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश विधानसभा ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया, जिसके तहत विशिष्ट परिस्थितियों में दोषी सिद्ध किये गए अपराधियों के लिये अधिकतम आजीवन कारावास की सज़ा का प्रावधान किया गया है।
मुख्य बिंदु
- इस विधेयक में धोखाधड़ी या जबरन धर्म परिवर्तन के संबंध में कड़े प्रावधान निहित हैं।
- यदि यह पाया जाता है कि धर्म परिवर्तन धमकी, विवाह का वचन या साजिश के तहत कराया गया है तो 20 वर्ष का कारावास अथवा आजीवन कारावास की सज़ा का प्रावधान किया गया है। विधेयक के तहत इसे सबसे गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
- इस विधेयक के अनुसार न केवल पीड़ित और उसके माता-पिता अथवा भाई-बहन अपितु किसी भी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन से संबंधित मामलों में प्रथम इत्तिला रिपोर्ट (FIR) दर्ज कराने की अनुमति है।
- इन मामलों की सुनवाई सत्र न्यायालय से अवर किसी न्यायालय में नहीं होगी। विधेयक में इस अपराध को अज़मानतीय भी बनाया गया है।
- जो कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से विवाह के उद्देश्य से धर्म परिवर्तन करना चाहता है, उसे दो माह पहले संबंधित ज़िला मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करना होगा।
राज्य स्तरीय धर्मांतरण विरोधी कानून:
- ओडिशा (1967): ओडिशा, धार्मिक रूपांतरण को प्रतिबंधित करने, बलपूर्वक धर्मांतरण और धोखाधड़ी के तरीकों पर रोक लगाने वाला कानून अधिनियमित करने वाला पहला राज्य है।
- मध्य प्रदेश (1968): राज्य में मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम क्रियान्वित किया गया, जिसमें कानून के तहत किसी भी धर्मांतरण गतिविधि के लिये ज़िला मजिस्ट्रेट को अधिसूचना देना आवश्यक कर दिया गया।
- अरुणाचल प्रदेश (1978), गुजरात (2003), छत्तीसगढ़ (2000 और 2006), राजस्थान (2006 तथा 2008), हिमाचल प्रदेश (2006 एवं 2019), तमिलनाडु (2002-2004), झारखंड (2017), उत्तराखंड (2018), उत्तर प्रदेश (2021) व हरियाणा (2022)।
- इन राज्यों ने विभिन्न प्रकार के धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिये कानून बनाए हैं, जिनमें अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण के लिये दंड को बढ़ाया गया है।
- केंद्र का मत: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सर्वोच्च न्यायालय को दिये एक शपथ-पत्र में कहा कि धर्म के अधिकार में दूसरों को, विशेष रूप से धोखाधड़ी या बलपूर्वक माध्यम से धर्मांतरित करने का अधिकार शामिल नहीं है।
- उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 25 की व्याख्या का उल्लेख करते हुए बल दिया कि धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन व्यक्ति की अंतःकरण की स्वतंत्रता को प्रभावित करता है और लोक व्यवस्था को बाधित कर सकता है।
- केंद्र ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्या वह याचिका में किये गए अनुरोध के अनुसार धार्मिक धर्मांतरण पर कोई विशेष कानून पेश करेगा।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश में होगी लॉजिस्टिक्स क्लस्टर्स की स्थापना
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने 30 ज़िलों में एक्सप्रेसवे के किनारे 33 इंटीग्रेटेड मैनुफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक्स क्लस्टर (IMLC) की स्थापना की प्रक्रिया शुरू की।
मुख्य बिंदु
- पाँच प्रमुख एक्सप्रेसवे के किनारे IMLC स्थापित किये जाएंगे जिनमें गंगा, बुंदेलखंड, आगरा-लखनऊ, गोरखपुर लिंक और पूर्वांचल शामिल है
- आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के किनारे आगरा और अलीगढ़ में डिफेंस कॉरिडोर के निर्माण के लिये अतिरिक्त भूमि आवंटित की जाएगी। फिरोज़ाबाद, इटावा एवं कन्नौज में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को IMLC के रूप में विकसित किया जाएगा
- सभी अनुसूचित परियोजनाओं के लिये पर्यावरण और वन मंजूरी आवश्यक है, उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज़ औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) ने एक परामर्श अभिकरण का चयन करने के लिये प्रस्ताव के लिये अनुरोध (RFP) प्रक्रिया शुरू की है।
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज़ औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA)
- यह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में एक्सप्रेसवे परियोजनाओं के विकास के लिये वर्ष 2007 में स्थापित एक प्राधिकरण है।
- UPEIDA का मुख्यालय लखनऊ के गोमती नगर स्थित पर्यटन भवन में अवस्थित है।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान के स्कूलों में अनुच्छेद 370 के निरसन का उत्सव
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा विभाग ने चालू शैक्षणिक वर्ष में वीर सावरकर जयंती और अनुच्छेद 370 के निरसन का उत्सव मनाने की घोषणा की।
मुख्य बिंदु
- 28 मई को स्कूलों में वीर सावरकर जयंती का उत्सव मनाया जाएगा और 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 निरसित किये जाने के उपलक्ष्य में स्वर्ण मुकुट मस्तक दिवस मनाया जाएगा
- अन्य उल्लेखनीय दिवसों में 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस दिवस, जिसे देश प्रेम दिवस भी कहा जाता है, 14 फरवरी को मातृ पितृ दिवस और 4 फरवरी को सूर्य नमस्कार दिवस शामिल हैं।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370
- परिचय: 17 अक्तूबर, 1949 को अनुच्छेद 370 को एक ‘अस्थायी उपबंध’ (Temporary Provision) के रूप में भारतीय संविधान में जोड़ा गया था, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष छूट प्रदान की थी, इसे अपने स्वयं के संविधान का मसौदा तैयार करने की अनुमति प्राप्त हुई थी और राज्य में भारतीय संसद की विधायी शक्तियों को नियंत्रित रखा गया था।
- इसे एन. गोपालस्वामी अयंगर द्वारा संविधान के मसौदे में अनुच्छेद 306A के रूप में पेश किया गया था।
- अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य की संविधान सभा को यह अनुशंसा करने का अधिकार दिया गया था कि भारतीय संविधान के कौन-से अनुच्छेद राज्य पर लागू होंगे।
- राज्य के संविधान का मसौदा तैयार करने के बाद जम्मू-कश्मीर संविधान सभा को भंग कर दिया गया था। अनुच्छेद 370 के खंड 3 द्वारा भारत के राष्ट्रपति को इसके उपबंधों और दायरे में संशोधन कर सकने की शक्ति प्रदान की गई थी।
- अनुच्छेद 35A अनुच्छेद 370 से व्युत्पन्न हुआ था जिसे इसे जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की अनुशंसा पर वर्ष 1954 में राष्ट्रपति के एक आदेश (Presidential Order) के माध्यम से पेश किया गया था।
- अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य के स्थायी निवासियों और उनके विशेष अधिकारों तथा विशेषाधिकारों (special rights and privileges) को परिभाषित करने का अधिकार देता था।
- 5 अगस्त, 2019 को भारत के राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए ‘संविधान (जम्मू-कश्मीर पर लागू) आदेश, 2019’ जारी किया। इसके माध्यम से भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 में संशोधन किया (उल्लेखनीय है कि इसका प्रतिसंहरण नहीं किया)।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश में क्षमता निर्माण कार्यशाला
चर्चा में क्यों
हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों (CISO) के लिये भोपाल में राज्य क्षमता निर्माण कार्यशाला आयोजित की गई।
मुख्य बिंदु
- यह कार्यक्रम राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (NeGD), इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा मध्य प्रदेश (MP) सरकार के गृह विभाग तथा मध्य प्रदेश सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग व MP-CERT के सहयोग से आयोजित किया गया था।
- इस कार्यशाला का उद्देश्य जन जागरूकता बढ़ाना, क्षमताओं का निर्माण करना तथा साइबर अनुकूल इकोसिस्टम का सृजन करने के लिये कदम उठाने में सरकारी विभागों को सक्षम बनाना था।
- यह साइबर सुरक्षा के बारे में समग्र सूचना और ज्ञान प्रदान करता है जिससे कि सरकारी विभाग अपनी साइबर स्वास्थ्यकारिता, सुरक्षा तथा संरक्षा की देखभाल कर सकें जिससे डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को सुगमता मिलती है।
राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (NeGD)
- इसे वर्ष 2009 में इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के कार्यान्वयन का समर्थन करने तथा केंद्रीय एवं राज्य मंत्रालयों/विभागों को तकनीकी एवं व्यवसायिक सहायता प्रदान करने के लिये स्थापित किया गया था।
- NeGD ने कई राष्ट्रीय सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित किये हैं और उनका प्रबंधन कर रहा है, जैसे डिजीलॉकर, उमंग, रैपिड असेसमेंट सिस्टम, ओपनफोर्ज, API सेतु, पोषण ट्रैकर, अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, राष्ट्रीय शैक्षणिक डिपॉजिटरी, राष्ट्रीय AI पोर्टल, माईस्कीम, इंडिया स्टैक ग्लोबल, मेरी पहचान आदि।
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