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राजस्थान

जबरन धर्मांतरण के लिये कानून

  • 19 Jun 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राजस्थान सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि वह अपना स्वयं का कानून लाने की प्रक्रिया में है, क्योंकि उसके पास धर्मांतरण के संबंध में कोई विशिष्ट कानून नहीं है।

  • राज्य ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वह इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय, विभिन्न उच्च न्यायालयों और केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करता है।

मुख्य बिंदु:

  • एक वकील द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) के अनुसार, केंद्र और राज्य धोखे से धर्म परिवर्तन की समस्या को नियंत्रित करने में विफल रहे हैं, हालाँकि संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 25 के तहत यह उनका कर्त्तव्य है।
  • दंडात्मक कानून में धर्म परिवर्तन शामिल नहीं है, कई राज्य अवैध धर्म परिवर्तन के लिये विदेशी वित्त पोषित व्यक्तियों और गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के लिये  सुरक्षित स्थान बन गए हैं।
    • वर्ष 2022 में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र तथा अन्य को नोटिस जारी कर धोखाधड़ी से धर्मांतरण और धमकी, छल, धोखे एवं उपहार व मौद्रिक लाभ के माध्यम से किये गए धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिये निर्देश देने की याचिका पर जवाब मांगा था।

धर्मांतरण (Religious Conversion)  

  • धर्मांतरण एक विशेष धार्मिक संप्रदाय से जुड़ी मान्यताओं को अपनाना है, जिसमें अन्य संप्रदायों को शामिल नहीं किया जाता।
  • इस प्रकार "धर्मांतरण" का अर्थ एक संप्रदाय के प्रति आस्था को त्यागना और दूसरे संप्रदाय से जुड़ना है।
    • उदाहरण के लिये ईसाई बैपटिस्ट से मेथोडिस्ट या कैथोलिक में मुस्लिम शिया से सुन्नी में धर्मांतरण।
  • कुछ मामलों में धर्मांतरण "धार्मिक पहचान के परिवर्तन को दर्शाता है और विशेष अनुष्ठानों द्वारा इसका प्रतीक" होता है।

अनुच्छेद 14

  • अनुच्छेद 14 में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को भारत के क्षेत्र में कानून के समक्ष समानता या विधि के समान संरक्षण से वंचित नहीं किया जाएगा
  • यह अधिकार सभी व्यक्तियों को दिया गया है, चाहे वे नागरिक हों या विदेशी, वैधानिक निगम, कंपनियाँ, पंजीकृत सोसायटी या किसी अन्य प्रकार के वैधानिक व्यक्ति हों।

अनुच्छेद 21

  • यह घोषित करता है कि किसी भी व्यक्ति को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा। यह अधिकार नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों को उपलब्ध है।
  • जीवन का अधिकार केवल पशु अस्तित्त्व या जीवित रहने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मानवीय गरिमा के साथ जीने का अधिकार और जीवन के वे सभी पहलू भी शामिल हैं जो मनुष्य के जीवन को सार्थक, पूर्ण तथा जीने लायक बनाते हैं।

अनुच्छेद 25

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धर्म को मानने, प्रचार करने और उसका पालन करने की स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है तथा सभी धार्मिक वर्गों को सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता एवं स्वास्थ्य के अधीन धर्म के मामलों में अपने स्वयं के मामलों का प्रबंधन करने की अनुमति दी गई है।
  • हालाँकि कोई भी व्यक्ति अपने धार्मिक विश्वासों को ज़बरदस्ती नहीं थोपेगा और परिणामस्वरूप, किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध किसी भी धर्म का पालन करने के लिये मजबूर नहीं किया जाना चाहिये।
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