प्रारंभिक परीक्षा
भारतीय बाइसन (गौर)
- 17 Oct 2022
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हाल ही में श्रीलंका ने भारत से 6 भारतीय बाइसन को स्थानांतरित करने का अनुरोध किया ताकि उन्हें उस द्वीप पर फिर से लाया जा सके, जहाँ वे 17 वीं शताब्दी के अंत तक गायब हो गए थे।
- अगर इस परियोजना को मंज़ूरी मिल जाती है तो यह भारत और श्रीलंका के बीच इस तरह का पहला समझौता होगा।
भारतीय बाइसन के बारे में महत्त्वपूर्ण तथ्य:
- विषय:
- भारतीय बाइसन या गौर (बोस गौरस) भारत में पाए जाने वाले जंगली मवेशियों की सबसे बड़ी प्रजाति है और यह सबसे बड़ा मौजूदा बोवाइन (गोजातीय) जीव है।
- दुनिया में गौर की संख्या लगभग 13,000 से 30,000 है, जिनमें से लगभग 85% भारत में मौजूद हैं।
- फरवरी 2020 में आयोजित प्रजातियों के लिये पहली बार जनसंख्या आकलन अभ्यास के परिणामों के अनुसार लगभग 2,000 भारतीय गौरों का नीलगिरी वन प्रभाग में होने का आकलन किया गया था।
- अवस्थिति:
- यह मूलतः दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है।
- भारत में वे पश्चिमी घाट में बहुत अधिक पाए जाते हैं।
- वे मुख्य रूप से नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान, बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, मासीनागुड़ी राष्ट्रीय उद्यान और बिलिगिरिरंगना हिल्स (बीआर हिल्स) में पाए जाते हैं।
- ये बर्मा और थाईलैंड में भी पाए जाते हैं।
- आवास:
- वे सदाबहार वन और आर्द्र पर्णपाती वन में रहते हैं।
- हालाँकि वे शुष्क पर्णपाती जंगलों में भी जीवित रह सकते हैं।
- वे 6,000 फीट से अधिक ऊँचाई वाले हिमालय में नहीं पाए जाते हैं।
- वे आम तौर पर केवल तलहटी में रहते हैं।
- वे सदाबहार वन और आर्द्र पर्णपाती वन में रहते हैं।
- खान-पान की आदतें:
- भारतीय बाइसन एक चरने वाला जानवर है और आम तौर पर सुबह जल्दी एवं देर शाम को भोजन करता है।
- संरक्षण की स्थिति:
- IUCN की रेड लिस्ट में संवेदनशील।
- वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में शामिल है।
- खतरे:
- भोजन की कमी: घास के मैदानों के विनाश, व्यावसायिक रूप से महत्त्वपूर्ण पौधों का वृक्षारोपण, आक्रामक पौधों की प्रजातियों और घरेलू पशुओं के अंधाधुंध चरने के कारण खाद्य संकट की स्थित उत्पन्न हो गई है।।
- अवैध शिकार: उनके व्यावसायिक मूल्य के साथ-साथ गौर मांस की उच्च मांग के कारण।
- पर्यावास हानि: वनों की कटाई और व्यावसायिक वृक्षारोपण के कारण।
- मानव-पशु संघर्ष: मानव बस्तियों के निकट रहने के कारण।