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शासन व्यवस्था

संसद टीवी विशेष: SDG रिपोर्ट 2023-24

  • 06 Aug 2024
  • 26 min read

प्रिलिम्स के लिये:

SDG इंडिया इंडेक्स 2023-24, सतत् विकास लक्ष्य (SDG), नीति आयोग, गरीबी और असमानता, विश्व असमानता रिपोर्ट 2022, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5, ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग, जेंडर गैप रिपोर्ट 2024, जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI) 2024, आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24, खाद्य सुरक्षा, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन, उज्ज्वला योजना, जल जीवन मिशन, आयुष्मान भारत-PMJAY, आयुष्मान आरोग्य मंदिर, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, सौभाग्य योजना, नवीकरणीय ऊर्जा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT), कौशल भारत मिशन, मनरेगा, MSME, आयुष्मान भारत

मेन्स के लिये:

सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) एवं समावेशी विकास को प्राप्त करने में सरकारी नीतियों और हस्तक्षेपों का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीति आयोग द्वारा SDG इंडिया इंडेक्स 2023-24 जारी किया गया, जो राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) की दिशा में प्रगति पर नज़र रखने के लिये देश के प्राथमिक उपकरण का चौथा संस्करण है।

सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) पर क्या प्रगति हुई है?

  • परिचय: 
    • SDG इंडिया इंडेक्स नीति आयोग द्वारा वर्ष 2018 में विकसित एक उपकरण है, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत् विकास लक्ष्य के प्रति भारत की प्रगति को मापने और ट्रैक करने के लिये है। 
    • यह राज्यों को इन लक्ष्यों को अपनी विकास परियोजनाओं में एकीकृत करने के लिये प्रोत्साहित करता है तथा नीति निर्माताओं को वर्ष 2030 तक सतत् विकास प्राप्त करने की दिशा में कार्यों को प्राथमिकता देने के लिये एक बेंचमार्क के रूप में कार्य करता है।
    • सूचकांक राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ संरेखित 113 संकेतकों का उपयोग करके 16 SDG में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UT) के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है।
  • समग्र प्रगति:
    • भारत का समग्र SDG स्कोर वर्ष 2023-24 में 71 हो गया, जो वर्ष 2020-21 में 66 और वर्ष 2018 में 57 था।
    • सभी राज्यों ने समग्र स्कोर में सुधार दिखाया है। प्रगति मुख्य रूप से गरीबी उन्मूलन, आर्थिक विकास और जलवायु कार्रवाई में लक्षित सरकारी हस्तक्षेपों से प्रेरित है।
    • लक्ष्य 1 (गरीबी उन्मूलन), 8 (उत्कृष्ट कार्य और आर्थिक विकास) और 13 (जलवायु परिवर्तन) में उल्लेखनीय सुधार देखे गए। 
    • इनमें से लक्ष्य 13 (जलवायु परिवर्तन) में सबसे उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जिसका स्कोर 54 से बढ़कर 67 हो गया है और लक्ष्य 1 (गरीबी उन्मूलन) में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जिसका स्कोर 60 से बढ़कर 72 हो गया है। 
    • ये प्रगति नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने में केंद्र और राज्य सरकारों दोनों द्वारा लक्षित हस्तक्षेपों तथा पहलों के प्रभाव को उजागर करती है।
  • शीर्ष प्रदर्शक:
    • केरल और उत्तराखंड सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य रहे, जिनमें से प्रत्येक को 79 अंक मिले।
  • खराब प्रदर्शक:
    • बिहार 57 अंक के साथ सबसे पीछे रहा, जबकि झारखंड 62 अंक के साथ दूसरे स्थान पर रहा।
  • अग्रणी राज्य:
    • 32 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश (UT) अग्रणी श्रेणी में हैं, जिनमें अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़ तथा उत्तर प्रदेश सहित 10 नए प्रवेशक शामिल हैं।

सतत् विकास लक्ष्य (SDG)

  मुख्य विशेषताएँ

लक्ष्य 1: गरीबी उन्मूलन

  • वर्ष 2020-21 से 2023-24 तक स्कोर में 12 अंकों का सुधार हुआ, जो परफॉर्मर से फ्रंट रनर तक पहुँच गया है। 
  • बहुआयामी गरीबी 24.8% से लगभग आधी होकर 14.96% (वर्ष 2015-16 से 2019-21) हो गई है। 
  • मनरेगा के अंर्तगत कार्य का अनुरोध करने वाले 99.7% व्यक्तियों को रोज़गार प्रदान किया गया। 95.4% परिवार पक्के/अर्ध-पक्के घरों में रहते हैं।
  • 41% परिवारों के पास स्वास्थ्य बीमा है (28.7% से ऊपर)।

लक्ष्य 2: शून्य  भुखमरी 

  • आकांक्षी से प्रदर्शनकर्त्ता श्रेणी के समग्र स्कोर में सुधार हुआ है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के अंतर्गत 99.01% लाभार्थी शामिल हैं।
  • चावल और गेहूँ की उत्पादकता में सुधार हुआ है।
  • कृषि में प्रति श्रमिक GVA 0.71 लाख रुपए से बढ़कर 0.86 लाख रुपए हो गया है।

लक्ष्य 3: उत्तम स्वास्थ्य एवं खुशहाली

  • वर्ष 2018 समग्र स्कोर में 52 से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 77 हो गया है।
  • प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर मातृ मृत्यु दर 97 है।
  • 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर घटकर 1000 जीवित जन्मों पर 32 हो गई है। 
  • 93.23% बच्चों का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है। 
  • 87.13% तपेदिक के मामलों की सूचना दी गई। 
  • 97.18% प्रसव स्वास्थ्य संस्थानों में हुए।

लक्ष्य 4: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

  • प्रारंभिक शिक्षा के लिये समायोजित शुद्ध नामांकन दर (ANER), 87.26% से बढ़कर 96.5% हो गई है।
  • छात्र-शिक्षक अनुपात 18 है।
  • 88.65% स्कूलों में विद्युत एवं पेयजल दोनों की सुविधा उपलब्ध है।
  • उच्च शिक्षा (18-23 वर्ष) में महिलाओं तथा पुरुषों के बीच 100% समानता।

लक्ष्य 5: लैंगिक समानता

  • वर्ष 2018 समग्र स्कोर में 36 से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 49 हो गया है।
  • जन्म के समय लिंगानुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 929 महिलाएँ है।
  • महिला एवं पुरुष आय अनुपात में सुधार हुआ है।
  • महिला एवं पुरुष श्रम बल भागीदारी दर में वृद्धि हुई है।
  • 74.1% विवाहित महिलाओं की परिवार नियोजन संबंधी ज़रूरतें पूरी हो गई हैं।
  • 53.90% महिलाओं के पास मोबाइल फोन है और वे उसका इस्तेमाल करती हैं।
  • 88.70% विवाहित महिलाएँ घरेलू निर्णयों में भाग लेती हैं।

लक्ष्य 6: स्वच्छ जल एवं स्वच्छता

  • वर्ष 2018 में स्कोर 63 से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 89 तक उल्लेखनीय सुधार हुआ है। 
  • स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (SBM(G)) के तहत सभी ज़िलों को खुले में शौच मुक्त (ODF) के रूप में सत्यापित किया गया। 
  • 99.29% ग्रामीण परिवारों ने पेयजल के अपने स्रोत में सुधार किया है।
  • 94.7% स्कूलों में लड़कियों के लिये कार्यात्मक शौचालय हैं। 
  • जल संसाधनों के अत्यधिक दोहन में कमी आई है।

लक्ष्य 7 – वहनीय और स्वच्छ ऊर्जा

  • सभी SDG में सर्वोच्च स्कोर, वर्ष 2018 में 51 से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 96 हो गया।
  • 100% घरों में विद्युत ऊर्जा की आपूर्ति की जा रही है।
  • स्वच्छ ईंधन (भोजन पकाने के ईंधन) कनेक्शन में 92.02% से 96.35% तक सुधार हुआ। 

लक्ष्य 8 – उत्कृष्ट कार्य और आर्थिक विकास

  • वर्ष 2022-23 में प्रति व्यक्ति GDP वार्षिक वृद्धि दर 5.88% है। 
  • बेरोज़गारी दर 6.2% से घटकर 3.40% हो गई है।
  • श्रम बल भागीदारी दर 53.6% से बढ़कर 61.60% हो गई है।
  • 95.70% घरों में बैंक या डाकघर खाते हैं।
  • 55.63% महिलाएँ PMJDY खाताधारी हैं।

लक्ष्य 9 – उद्योग, नवाचार और बुनियादी सुविधाएँ

  • वर्ष 2018 में स्कोर 41 से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 61 हो गया।
  • 99.70% लक्षित बस्तियाँ पक्की सड़कों से जुड़ी हुई हैं।
  • 93.3% घरों में कम से कम एक मोबाइल फोन है।
  • 95.08% गाँवों में 3G/4G मोबाइल इंटरनेट कवरेज है।

लक्ष्य 10 – असमानताओं में कमी

  • पंचायती राज संस्थाओं में 45.61% सीटें महिलाओं के पास हैं।
  • राज्य विधानसभाओं में SC/ST व्यक्तियों का 28.57% प्रतिनिधित्व।

लक्ष्य 11 – संवहनीय शहर और समुदाय

  • वर्ष 2018 में स्कोर 39 से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 83 हो गया है।
  • प्रतिशत के मापदंड में सीवेज उपचार क्षमता बढ़कर 51% हो गई है।
  • नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण बढ़कर 78.46% हो गया है।
  • 97% वार्डों में 100% डोर-टू-डोर अपशिष्ट संग्रहण।
  • 90% वार्डों में 100% स्रोत पृथक्करण सुविधा है।

लक्ष्य 12 – संवहनीय  उपभोग और उत्पादन

  • 91.5% बायोमेडिकल अपशिष्ट का उपचार किया जाता है।
  • 54.99% संकटजनक अपशिष्ट का पुनर्चक्रण/प्रयोग किया जाता है, जो 44.89% से अधिक है।

लक्ष्य 13 – जलवायु परिवर्तन कार्रवाई 

  • स्कोर 13 अंकों से बढ़कर 54 से 67 हो गया है, जिसने भारत को ‘प्रदर्शनकारी राष्ट्र’ से ‘अग्रणी राष्ट्र’ के रूप में स्थापित किया।
  • आपदा तैयारी स्कोर 19.20 है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा विद्युत ऊर्जा उत्पादन बढ़कर 43.28% हो गया।
  • 94.86% उद्योग पर्यावरण मानकों का अनुपालन करते हैं।

लक्ष्य 15 – भूमि पर जीवन (थलीय जीवन)

  • वर्ष 2020-21 में स्कोर 66 से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 75 हो गया है।
  • वन और वृक्ष आच्छादन के अंतर्गत 25% भौगोलिक क्षेत्र है।
  • वन आच्छादन में कार्बन स्टॉक में 1.11% की वृद्धि हुई है।

लक्ष्य 16 – शांति, न्याय एवं सशक्त संस्थाएँ

  • 95.5% आबादी का आधार पंजीयन किया गया है।
  • पाँच वर्ष से कम आयु के 89% बच्चों का जन्म पंजीकरण हो चुका है।
  • IPC अपराधों की चार्जशीट दर 71.3% है।

SDG लक्ष्यों को प्राप्त करने में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • गरीबी और असमानता: आर्थिक विकास के बावजूद, आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी गरीबी और असमानता से जूझ रहा है।
    • उदाहरण के लिये विश्व असमानता रिपोर्ट- 2022 के अनुसार, भारत विश्व के सबसे अधिक असमानता वाले देशों में से एक है, जहाँ शीर्ष 10% और शीर्ष 1% आबादी के पास कुल राष्ट्रीय आय का क्रमशः 57% और 22% हिस्सा है।
  • भूख की समस्या: कुपोषण और अप्रत्यक्ष/प्रच्छन्न भूख भारतीय आबादी के बीच एक गंभीर मुद्दा है।
  • स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच: सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज सुनिश्चित करना और स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढाँचे में सुधार करना अभी भी चुनौतियाँ हैं। 
    • उदाहरण के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल- 2021 के अनुसार, भारत में प्रति 1000 जनसंख्या पर केवल 0.6 बिस्तर (चिकित्सा सेवा हेतु) उपलब्ध हैं, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) प्रत्येक 1,000 लोगों के लिये पाँच बिस्तरों की अनुशंसा करता है।
  • शिक्षा की गुणवत्ता: हालाँकि नामांकन दरों में सुधार हुआ है, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता और प्रतिधारण दरों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। 
    • उदाहरण के लिये भारत की जनगणना- 2011 के अनुसार, औसत साक्षरता दर 73% थी, जबकि राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के सर्वेक्षण में वर्ष 2017-18 के लिये साक्षरता दर 77.7% बताई गई थी। ग्रामीण और शहरी परिदृश्य तथा लैंगिक आधार पर निरक्षरता अधिक स्पष्ट होती है।
  • लैंगिक असमानता: शिक्षा, रोज़गार और सामाजिक स्थिति में सुधार के प्रयासों में असमानताएँ, लैंगिक असमानता बनी हुई है।
    • यह इस तथ्य से परिलक्षित होता है कि जेंडर गैप रिपोर्ट- 2024 में 146 देशों के बीच भारत वर्ष 2023 में 127वें स्थान पर रहा और वैश्विक रैंकिंग में भारत दो पायदान नीचे खिसक गया है।
  • जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण क्षरण: विकास और पर्यावरणीय स्थिरता के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती है। 
  • शहरीकरण: तेज़ शहरी विकास शहरों में बुनियादी ढाँचे और सेवाओं पर दबाव डालता है। 
    • उदाहरण के लिये वर्ष 2036 तक, 600 मिलियन लोग (जनसंख्या का 40%) शहरी क्षेत्रों में रहेंगे, जो वर्ष 2011 में 31% के आँकड़े से अधिक है, लेकिन भारत के सभी शहरी केंद्रों में झुग्गियों का बढ़ना, खराब जल निकासी, प्रदूषण और अव्यवस्थित यातायात आम समस्याएँ हैं।
  • बेरोज़गारी: बढ़ते कार्यबल के लिये पर्याप्त गुणवत्तापूर्ण नौकरियों का सृजन एक सतत् मुद्दा है। 
    • आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, कोविड-19 महामारी के बाद से 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों की वार्षिक बेरोज़गारी दर में गिरावट आई है। 
    • इसमें कहा गया है कि युवा बेरोज़गारी दर वर्ष 2017-18 में 17.8% से घटकर वर्ष 2022-23 में 10% हो गई है।
  • कृषि उत्पादकता: खाद्य सुरक्षा के लिये स्थिरता सुनिश्चित करते हुए कृषि उपज में सुधार करना महत्त्वपूर्ण है।
    • उदाहरण के लिये अर्थव्यवस्था के कुल सकल मूल्य वर्द्धित (GVA) में कृषि का हिस्सा वर्ष 1990-91 में 35% से घटकर वर्ष 2022-23 में 15% हो गया है।
  • शासन और कार्यान्वयन:  विभिन्न सरकारी स्तरों के बीच प्रभावी नीति निष्पादन और समन्वय चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

सरकार का क्या हस्तक्षेप रहा है?

सतत् विकास लक्ष्य और समावेशी विकास को प्राप्त करने के लिये सरकार द्वारा किये गए कुछ हस्तक्षेप तथा उनसे हुई प्रगति इस प्रकार है:

  • प्रधानमंत्री आवास योजना: 4 करोड़ से अधिक घर बनाए गए हैं।
  • स्वच्छ भारत मिशन: 11 करोड़ शौचालय और 2.23 लाख सामुदायिक स्वच्छता परिसरों का निर्माण किया गया है।
  • उज्ज्वला योजना: 10 करोड़ LPG कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं।
  • जल जीवन मिशन: 14.9 करोड़ से अधिक घरों में नल जल कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं।
  • आयुष्मान भारत-PMJAY: 30 करोड़ से अधिक लाभार्थियों की पहचान की गई है और उन्हें योजना से जोड़ा गया है।
  • आयुष्मान आरोग्य मंदिर: 1,50,000 लाभार्थियों को पहुँच प्रदान की गई है, जो प्राथमिक चिकित्सा देखभाल और सस्ती जेनेरिक दवाएँ प्रदान करता है।
  • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना: इसके तहत 43 करोड़ ऋण स्वीकृत किये गए हैं।
  • सौभाग्य योजना: 100% घरों तक बिजली पहुँचा दी गई है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा: एक दशक में सौर ऊर्जा क्षमता 2.82 गीगावाट से बढ़कर 73.32 गीगावाट हो गई है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA): 80 करोड़ से अधिक लोगों को कवरेज।
  • प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT): PM-जन धन खातों के माध्यम से 34 लाख करोड़ रुपए का लाभ पहुँचाया गया है।
  • कौशल भारत मिशन: 1.4 करोड़ से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित और कौशल-उन्नत किया गया है तथा 54 लाख युवाओं को पुनः कौशल-उन्नत किया गया है।

सतत् विकास लक्ष्य (SDG)

  • सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals- SDG) 17 वैश्विक उद्देश्य हैं जिन्हें संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2015 में सतत् विकास के 2030 एजेंडे के भाग के रूप में स्थापित किया गया था।
  • सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों के आधार पर सतत् विकास लक्ष्य सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिये एक व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत करते हैं, जिसका लक्ष्य एक टिकाऊ भविष्य है।
  • ये गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य, लैंगिक समानता और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों को शामिल करते हैं, जिसके लिये एक समतापूर्ण तथा सतत् विश्व का निर्माण करने के लिये सभी क्षेत्रों में सामूहिक कार्रवाई व सहयोग की आवश्यकता होती है।

आगे की राह

  • गरीबी और असमानता:
    • मनरेगा और प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण जैसे लक्षित सामाजिक सुरक्षा तंत्र को लागू करना तथा रोज़गार क्षमता को बढ़ाने के लिये कौशल विकास कार्यक्रमों का विस्तार करना।
    • समान संसाधन वितरण के लिये सुधारों को लागू करते हुए MSME और ग्रामीण उद्यमिता के माध्यम से समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
  • स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच:
    • केंद्रों और आवश्यक दवाओं की संख्या बढ़ाकर प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाना तथा आयुष्मान भारत कवरेज का विस्तार करना।
    • ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी का उपयोग करना तथा बेहतर पहुँच और रोग प्रबंधन हेतु डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना।
  • शिक्षा की गुणवत्ता:
    • शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों और स्कूल के बुनियादी ढाँचे को उन्नत करना तथा प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा तक पहुँच का विस्तार करना।
    • कक्षाओं में डिजिटल उपकरणों को एकीकृत करना तथा हाशिए पर पड़े तथा विकलांग बच्चों के लिये समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करना।
  • लैंगिक असमानता:
    • शिक्षा, रोज़गार और नेतृत्व की भूमिकाओं के माध्यम से महिला सशक्तीकरण को आगे बढ़ाना तथा लिंग आधारित हिंसा के विरुद्ध कानूनी सुरक्षा को मज़बूत करना।
  • जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण क्षरण:
    • नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ाना तथा वनरोपण के माध्यम से वन क्षेत्र का विस्तार करना।
    • जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिये सख्त प्रदूषण नियंत्रण लागू करना और सतत् कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना।
  • कृषि उत्पादकता:
    • उत्पादकता बढ़ाने के लिये आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना और सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करना।
    • किसानों के लिये बाज़ार संपर्क को मज़बूत करना तथा उच्च उपज वाली, जलवायु-अनुकूल फसलों के लिये अनुसंधान में निवेश करना।
  • शासन और कार्यान्वयन:
    • विकेंद्रीकरण के माध्यम से स्थानीय सरकारों को सशक्त बनाना तथा लक्षित प्रशिक्षण के माध्यम से अधिकारियों की क्षमता बढ़ाना।
    • सेवा वितरण और शासन पारदर्शिता में सुधार के लिये मज़बूत निगरानी प्रणाली स्थापित करना तथा सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. धारणीय विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals)  पहली बार वर्ष 1972 में एक वैश्विक संरचना मंडल (थिंक टैंक) ने, जिसे ‘क्लब ऑफ रोम’ कहा जाता था, द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
  2. धारणीय विकास लक्ष्यों को वर्ष 2030 तक प्राप्त किया  जाना है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सतत् विकास लक्ष्य-4 (2030) के साथ अनुरूपता में है। उसका ध्येय भारत में शिक्षा प्रणाली का पुन: संरचना और पुन: स्थापना है। इस कथन का समालोचनात्मक निरीक्षण कीजिये।(2020)

प्रश्न. “वहनीय (एफोर्डेबल), विश्वसनीय, सतत् तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच संधारणीय (सस्टेनबल) विकास लक्ष्यों (एस.डी.जी.) को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है।” भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018)

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