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खुले में शौच करने वालों की संख्या में गिरावट : वॉश रिपोर्ट

  • 03 Jul 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये 

वाश (WASH) इंस्टीट्यूट, सतत् विकास लक्ष्य, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC)

मेन्स के लिये 

खुले में शौच पर वॉश रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य, सतत् विकास लक्ष्य (SDG) 6 की भूमिका और चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

वाश (WASH) इंस्टीट्यूट (एक वैश्विक गैर-लाभकारी संगठन) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2015 के बाद से (पूर्ण संख्या के संदर्भ में) खुले में शौच करने वालों की संख्या में सर्वाधिक गिरावट दर्ज की गई। 

वाॅश (WASH):

  • WASH पानी, साफ-सफाई और स्वच्छता (Water, Sanitation and Hygiene- WASH) का संक्षिप्त रूप है। ये क्षेत्र परस्पर संबंधित हैं। 
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वॉश रणनीति 2018-25 को सदस्य राज्य संकल्प (WHA 64.4) तथा सतत विकास के लिये 2030 एजेंडा (SDG 3: अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण, SDG 6: स्वच्छ जल व स्वच्छता) की अनुक्रिया के रूप में विकसित किया गया है।
  • यह WHO के 13वें जनरल प्रोग्राम ऑफ वर्क 2019-2023 का एक घटक है जिसका उद्देश्य बेहतर आपातकालीन तैयारियों और प्रतिक्रिया जैसे बहुक्षेत्रीय कार्रवाइयों के माध्यम से तीन बिलियन लोगों तथा यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज़ (UHC) के माध्यम से एक बिलियन लोगों की स्वास्थ्य सुविधा में योगदान करना है। 
  • यह जुलाई 2010 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाए गए सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता जैसे मानवाधिकारों की प्रगतिशीलता पर भी ज़ोर देता है।

प्रमुख बिंदु: 

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  • खुले में शौच से संबंधित:
    • भारत के भीतर खुले में शौच कम-से-कम वर्ष 2006 के बाद से क्षेत्रीय रूप से अत्यधिक परिवर्तनशील रहा परंतु वर्ष 2016 तक सभी राज्यों में खुले में शौच में कमी आई थी, जिसमें सबसे बड़ी गिरावट हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में देखी गई थी।
    • उप-सहारा अफ्रीका में खुले में शौच पर अंकुश लगाने की प्रगति धीमी थी।
  • SDG 6 से संबंधित:
    • वर्ष 2016 और 2020 के बीच घर पर सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल की पहुँच वाली वैश्विक आबादी 70% से बढ़कर 74% हो गई।
    • ऑन-सोर्स जल संसाधनों और ऑनसाइट स्वच्छता प्रणालियों में सुधार हुआ है।
      • ऑन-सोर्स जल संसाधनों में पाइप्ड वाटर, बोरहोल या ट्यूबवेल, संरक्षित खोदे गए कुएँ, संरक्षित झरने, वर्षा जल और पैकेज्ड या डिलीवर किया गया जल शामिल है।
      • ऑनसाइट स्वच्छता प्रणाली एक ऐसी प्रणाली है जिसमें मल और अपशिष्ट जल को उस भूखंड पर एकत्र, संग्रहीत और/या संसाधित किया जाता है जहाँ वे उत्पन्न होते हैं।
    • सुरक्षित रूप से प्रबंधित स्वच्छता सेवाओं में वर्ष 2016 और 2020 के बीच 47% - 54% की वृद्धि हुई है।

चुनौतियाँ:

  • केंद्रीकृत और विकेंद्रीकृत स्वच्छता दोनों की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये, उचित धन और निवेश की आवश्यकता थी।
  • रिपोर्ट में स्वच्छता [विशेष रूप से नोवल कोरोनावायरस रोग (कोविड -19) के संदर्भ में] के बारे में भी बात की गई है।
    • जून 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ने संयुक्त रूप से 'हैंड हाइजीन फॉर ऑल' पहल शुरू की, जिसका उद्देश्य हाथ धोने के बुनियादी ढाँचे तक पहुँच में सुधार करना और जहाँ संसाधन उपलब्ध हो वहाँ हाथ धोने की प्रथाओं में बदलाव को प्रोत्साहित करना है।
    • साबुन और पानी से हाथ धोने की सुविधाएँ 67 प्रतिशत से बढ़कर 71 प्रतिशत  हो गई।
  • हालाँकि जल संसाधनों की कमी के कारण कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया भर में 10 में से 3 लोग घर पर साबुन और पानी से हाथ नहीं धो सके।

खुले में शौच

  • यह उस प्रथा को संदर्भित करता है जहाँ लोग शौच के लिये शौचालय का उपयोग करने के बजाय खेतों, झाड़ियों, जंगलों, खुले जलाशयों या अन्य खुले स्थानों का प्रयोग करते हैं।
  • यह भारत में बच्चों के स्वास्थ्य के लिये एक गंभीर खतरा उत्पन्न करता है।
  • यह प्रथा महिलाओं को शारीरिक हमलों आदि के प्रति संवेदनशील बनाती है।
  • खराब स्वच्छता स्थिति सरकार को शिक्षा जैसे उत्पादक निवेश के बजाय लोगों की मेहनत की कमाई को स्वास्थ्य पर (जो कि लोगों की गरीबी का प्रमुख कारण है) खर्च करने के लिये मजबूर करती है, जो कि राष्ट्रीय विकास को भी बाधित करता है।

इस संबंध में सरकार द्वारा किये गए प्रयास

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वच्छता रणनीति:

  • जल शक्ति मंत्रालय के तहत पेयजल एवं स्वच्छता विभाग (DDWS) ने वर्ष 2019 से वर्ष 2029 तक 10 वर्षीय ‘राष्ट्रीय ग्रामीण स्वच्छता रणनीति’ शुरू की है।
  • यह नीति स्थानीय सरकारों, नीति-निर्माताओं, कार्यान्वयनकर्त्ताओं और अन्य संबंधित हितधारकों को खुले में शौच मुक्त (ODF) प्लस स्थिति के लिये योजना में उनके मार्गदर्शन करने हेतु एक रूपरेखा तैयार करता है, जिसके तहत प्रत्येक नागरिक शौचालय का उपयोग करने में सक्षम हो और प्रत्येक गाँव में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन की सुविधा उपलब्ध हो।

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण चरण-II:

  • यह चरण-I के तहत उपलब्धियों की स्थिरता सुनिश्चित करने और ग्रामीण भारत में ठोस/तरल एवं प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (SLWM) हेतु पर्याप्त सुविधाएँ प्रदान करने पर ज़ोर देता है।
  • स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) चरण-I के तहत मिशन के शुभारंभ के बाद से 10 करोड़ से अधिक व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण किया गया है; परिणामस्वरूप सभी राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों ने 2 अक्तूबर, 2019 को स्वयं को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया है।

ODF, ODF+, ODF++ (शहरों और कस्बों के लिये)

  • ODF: किसी क्षेत्र को ODF के रूप में अधिसूचित या घोषित किया जा सकता है यदि दिन के किसी भी समय, एक भी व्यक्ति खुले में शौच नहीं करता है।
  • ODF+: एक शहर को ODF+ घोषित किया जा सकता है, यदि किसी दिन किसी भी व्यक्ति को खुले में शौच और/या पेशाब करते हुए नहीं पाया जाता है और सभी सामुदायिक तथा सार्वजनिक शौचालय कार्यात्मक अवस्था में एवं सुव्यवस्थित हैं।
  • ODF++: एक शहर को ODF++ घोषित किया जा सकता है, यदि वह पहले से ही ODF+ स्थिति में है और वहाँ मल कीचड़/सेप्टेज (Faecal sludge/Septage) और नालियों का सुरक्षित रूप से प्रबंधन तथा उपचार किया जाता है एवं किसी प्रकार के अनुपचारित कीचड़/सेप्टेज (Sludge/Septage) और नालियों की निकासी जल निकायों या खुले क्षेत्रों के नालों में नहीं होती है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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