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सामाजिक न्याय

विश्व असमानता रिपोर्ट 2022

  • 08 Dec 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये 

विश्व असमानता रिपोर्ट

मेन्स के लिये 

भारत और विश्व में असमानता की स्थिति और इससे निपटने संबंधित उपाय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी ‘विश्व असमानता रिपोर्ट 2022’ के अनुसार, भारत अब दुनिया के सबसे असमान देशों में से एक है।

  • यह रिपोर्ट ‘वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब’ द्वारा जारी की गई है, जिसका उद्देश्य वैश्विक असमानता गतिशीलता पर अनुसंधान को बढ़ावा देना है।
  • यह रिपोर्ट वैश्विक असमानताओं को ट्रैक करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान प्रयासों का सबसे अपडेटेड संश्लेषण प्रस्तुत करती है।

Worrying-Divergence

प्रमुख बिंदु

  • प्रमुख निष्कर्ष
    • संपत्ति का वितरण
      • दुनिया की सबसे गरीब आधी आबादी के पास ‘मुश्किल से कोई संपत्ति है’ (कुल संपत्ति का मात्र 2%), जबकि दुनिया की सबसे अमीर 10% आबादी के पास कुल संपत्ति का 76% हिस्सा मौजूद है।
        • मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका (MENA) दुनिया के सबसे असमान क्षेत्र हैं, जबकि यूरोप में असमानता का स्तर सबसे कम है।
    • लैंगिक असमानता
      • श्रम/कार्य से होने वाली कुल आय (श्रम आय) में महिलाओं की हिस्सेदारी वर्ष 1990 में लगभग 30% थी, जो अब बढ़कर 35% तक पहुँच गई है।
      • रिपोर्ट के मुताबिक, विभिन्न देशों के भीतर मौजूद असमानता, विभिन्न देशों के बीच देशों के बीच मौजूद असमानता से अधिक हैं।
        • मौजूदा समय में देशों के भीतर शीर्ष 10% और निचले 50% व्यक्तियों की औसत आय के बीच का अंतर लगभग दोगुना हो गया है।
    • अमीर देश गरीब सरकारें:
      • पिछले 40 वर्षों में कई देश काफी अमीर हो गए हैं, लेकिन उनकी सरकारें काफी गरीब हो गई हैं।
      • वर्तमान में सरकारों की कम संपत्ति का भविष्य में असमानता से निपटने के लिये राज्य की क्षमताओं के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन जैसी 21वीं सदी की प्रमुख चुनौतियों के लिये महत्त्वपूर्ण निहितार्थ हैं।
    • असमानता पर कोविड संकट का प्रभाव:
      • कोविड-19 महामारी और उसके बाद आए आर्थिक संकट ने सभी वैश्विक स्तर पर सभी देशों को प्रभावित किया, लेकिन इसके कारण सभी देश अलग-अलग स्तर पर प्रभवित हुए हैं।
      • यूरोप, लैटिन अमेरिका और दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया ने वर्ष 2020 में राष्ट्रीय आय में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की (-6% और -7.6% के बीच) जबकि पूर्वी एशिया (जहाँ महामारी की शुरुआत हुई) वर्ष 2019 के स्तर पर अपनी वर्ष 2020 की आय को स्थिर करने में सफल रही।
  • भारत-विशिष्ट निष्कर्ष
    • संपत्ति का वितरण
      • भारत एक गरीब और अत्यधिक असमान देश है।
        • शीर्ष 1% आबादी के पास वर्ष 2021 में कुल राष्ट्रीय आय का पाँचवाँ मौजूद था और नीचे के आधे हिस्से के पास मात्र 13% हिस्सा था।
        • भारत द्वारा अपनाए गए आर्थिक सुधारों और उदारीकरण ने अधिकतर शीर्ष 1% को लाभान्वित किया है।
    • औसत घरेलू संपत्ति
      • भारत में औसत घरेलू संपत्ति 983,010 रुपए है। यह देखा गया है कि 1980 के दशक के मध्य से लागू की गई उदारीकरण नीतियों ने ‘दुनिया में देखी गई आय एवं धन असमानता में सबसे चरम वृद्धि में योगदान दिया है।
    • लैंगिक असमानता
      • महिला श्रम आय का हिस्सा 18% के बराबर है, जो एशिया में औसत [21%, चीन को छोड़कर] से काफी कम है और यह दुनिया में सबसे कम में से एक है।
    •  कार्बन इनिक्वेलिटी
      • भारत एक न्यून कार्बन उत्सर्जक है। ग्रीनहाउस गैस की प्रति व्यक्ति औसत खपत सिर्फ 2-CO2e के बराबर है। 
        • "कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य" या ''CO2e" एक सामान्य इकाई में विभिन्न ग्रीनहाउस गैसों का वर्णन करने के लिये एक शब्द है। 
      • ये स्तर आमतौर पर उप-सहारा अफ्रीकी देशों में कार्बन पदचिह्नों के तुलनीय हैं। 
      • भारत में आबादी के निचले 50% में मौजूद एक व्यक्ति, यूरोपीय संघ में निचले 50% में मौजूद व्यक्ति की तुलना में 5 गुना कम और अमेरिका में निचले 50% की तुलना में 10 गुना कम उत्सर्जन करता है।
    • निजी संपत्ति में वृद्धि:
      • चीन और भारत जैसे विकासशील देशों में निजी संपत्ति में वृद्धि हुई है। 
      • चीन में हाल के दशकों में निजी संपत्ति में सबसे अधिक वृद्धि हुई है। इस समय के दौरान भारत में देखी गई निजी संपत्ति में भी उल्लेखनीय वृद्धि (1980 के स्तर 290% से बढ़कर 2020 में 560%) हुई है।
  • सुझाव:
    • रिपोर्ट में करोड़पतियों पर मामूली प्रगतिशील संपत्ति कर लगाने का सुझाव दिया गया है। 
    • बड़ी मात्रा में धन संकेंद्रण के मद्देनज़र प्रगतिशील कर सरकारों के लिये महत्त्वपूर्ण राजस्व उत्पन्न कर सकते हैं। 
  • संबंधित रिपोर्ट:
    • इंडिया इनइक्क्वेलिटी रिपोर्ट 2021:
      • हाल ही में ऑक्सफैम इंडिया (Oxfam India) द्वारा जारी "इंडिया इनइक्क्वेलिटी रिपोर्ट 2021: इंडियाज़ अनइक्वल हेल्थकेयर स्टोरी" (India Inequality Report 2021: India’s Unequal Healthcare Story) शीर्षक वाली रिपोर्ट से पता चलता है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ व्याप्त हैं और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (Universal Health Coverage) की अनुपस्थिति के कारण हाशिये पर रहने वाले समुदायों के स्वास्थ्य परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
    • बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI): 
      • नीति आयोग द्वारा हाल ही में जारी बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) के अनुसार, भारत में प्रत्येक चार में से एक व्यक्ति बहुआयामी गरीब था।

“वर्ल्ड इनिक्वेलिटी लैब' (World Inequality Lab)

  • परिचय:
    • यह दुनिया भर में असमानता के अध्ययन पर केंद्रित एक शोध प्रयोगशाला है। वर्ल्ड इनिक्वेलिटी लैब (WIL) ‘विश्व असमानता रिपोर्ट’ (World Inequality Report) को जारी करता है, जो वैश्विक असमानता की गतिशीलता पर सबसे व्यापक सार्वजनिक डेटाबेस है।
    • यह साक्ष्य-आधारित शोध के माध्यम से दुनिया भर में असमानता की गतिशीलता को समझने में मदद करने हेतु प्रतिबद्ध सामाजिक वैज्ञानिकों को एक मंच प्रदान करता है।
  • मिशन: 
    • विश्व असमानता डेटाबेस का विस्तार
    • वर्किंग पेपर्स, रिपोर्ट्स और मेथडोलॉजिकल हैंडबुक्स का प्रकाशन
    • अकादमिक परिक्षेत्र और सार्वजनिक संवाद में प्रसार

स्रोत: द हिंदू

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