शासन व्यवस्था
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज पर उच्च स्तरीय बैठक
- 24 Sep 2019
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चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र के दौरान 23 सितंबर, 2019 को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज पर संयुक्त राष्ट्र की उच्च स्तरीय बैठक (UN-HLM) का आयोजन किया गया। यह बैठक ‘सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज: एक स्वस्थ दुनिया बनाने के लिये एक साथ आगे बढ़ना’ (UHC:Moving Together to Build a Healthier World) की थीम के तहत आयोजित की गई थी।
प्रमुख बिंदु
- सतत् विकास के लिये एजेंडा-2030 के तहत सभी देशों ने वर्ष 2030 तक सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने के लिये प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- यह बैठक इस दिशा में स्वास्थ्य एजेंडे के लिये अधिकतम राजनीतिक समर्थन जुटाने और एक सामंजस्यपूर्ण तरीके से स्वास्थ्य क्षेत्र में सतत् निवेश बनाए रखने पर विचार करने का अवसर प्रदान करती है।
- इस बैठक का उद्देश्य भी वैश्विक समुदाय को वर्ष 2030 तक सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने की दिशा में तेजी से प्रगति लाने के लिये राज्य और सरकार के प्रमुखों की राजनीतिक प्रतिबद्धता को सुनिश्चित करना है।
- सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज पर संयुक्त राष्ट्र की यह उच्च स्तरीय बैठक संयुक्त राष्ट्र में इस विषय पर पहली और सबसे महत्त्वपूर्ण राजनीतिक बैठक है। क्योंकि यह वर्ष 2023 (एजेंडा-2030 की मध्यावधि) से पहले सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज पर अंतर्राष्ट्रीय सहमति बनाने का एक अंतिम अवसर है।
- सभी को स्वास्थ्य सुविधाएंँ उपलब्ध कराने के संकल्प के साथ इस उच्च स्तरीय बैठक में एक महत्त्वाकांक्षी राजनैतिक घोषणापत्र पारित किया गया है।
- यह घोषणापत्र नागरिक समाज संगठनों और अन्य हितधारकों के सहयोग से राष्ट्रीय UHC योजनाओं के विकास एवं कार्यान्वयन के लिये एक उच्च-स्तरीय रूपरेखा निर्धारित करता है।
- यह घोषणापत्र इस बात को मान्यता देता है कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज न केवल स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये मूलभूत शर्त है बल्कि यह अन्य लक्ष्यों जैसे-गरीबी उन्मूलन (SDG-1), गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (SDG-4), लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण (SDG-5 ), उत्कृष्ट कार्य और आर्थिक वृद्धि (SDG-8), बुनियादी ढाँचा (SDG-9), असमानता कम करना (SDG-10 ), न्याय और शांति (SDG-16) आदि की प्राप्ति के लिये भी आवश्यक है।
- इस घोषणापत्र से संचारी रोगों, एड्स, तपेदिक और मलेरिया जैसे रोगों के साथ ही अन्य ग़ैर-संचारी रोगों और एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस की चुनौती से भी निपटने में सहायता मिलेगी।
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज
(Universal Health Coverage-UHC)
- सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का अर्थ है- देश में रहने वाले सभी लोगों और समुदायों की गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक समतापूर्ण पहुँच हो।
- UHC का उद्देश्य लोगों की जाति, धर्म, लिंग, आय स्तर, सामाजिक स्थिति की परवाह किये बिना सभी की वहनीय, उत्तरदायी, गुणवत्तापूर्ण एवं यथोचित स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करना है। स्वास्थ्य सेवाओं में रोगों की रोकथाम, उपचार एवं पुनर्वास देखभाल शामिल है।
- UHC सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये एक उत्प्रेरक के साथ ही समता, सामाजिक न्याय और समावेशी आर्थिक विकास के लिये भी आवश्यक है। UHC स्वास्थ्य के मानव अधिकार के साथ-साथ व्यापक मानवाधिकार एजेंडे का भी संरक्षक है।
- प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल (Primary Health Care-PHC) प्रणाली सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की नींव है। PHC उन्मुख स्वास्थ्य प्रणाली गुणवत्तापूर्ण, व्यापक, निरंतर, समन्वित और जन-केंद्रित सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम हैं।
UHC सुनिश्चित करने में प्रमुख बाधाएँ
- अवसंरचनात्मक और बुनियादी सुविधाओं की अपर्याप्तता।
- स्वास्थ्य खर्च में आउट-ऑफ़-पॉकेट व्यय का अधिक होना।
- दक्ष एवं योग्य मानव संसाधन की कमी और इनकी अकुशल तैनाती।
- अच्छी गुणवत्ता वाली दवाओं और चिकित्सा उत्पादों का महँगा होना एवं सीमित रूप से उपलब्धता।
- डिजिटल स्वास्थ्य और अभिनव प्रौद्योगिकियों तक पहुँच का अभाव आदि।
UHC: भारतीय संदर्भ
- भारत में UHC के सूत्रीकरण के लिये दस सिद्धांतों को अपनाया गया है-
- सार्वभौमिकता (Universality)
- समता (Equity)
- गैर-बहिष्कार एवं गैर-भेदभाव (Non-exclusion and Non-Discrimination)
- तर्कसंगत एवं गुणवत्तापूर्ण व्यापक देखभाल (Rational and Comprehensive Care of Good Quality)
- वित्तीय सुरक्षा (Financial Protection)
- रोगियों के अधिकारों का संरक्षण (Protection of Patients’ Rights)
- मज़बूत सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये प्रावधान (Provision for Strong Public Health)
- उत्तरदायित्व एवं पारदर्शिता (Accountability and Transparency)
- समुदाय की भागीदारी (Community Participation)
- स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुँच (Putting health in people hands)
- सार्वभौमिक स्वास्थ्य के मामले में भारत ने एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है जो चार मुख्य स्तंभों पर आधारित है-
- निवारक स्वास्थ्य देखभाल।
- सस्ती स्वास्थ्य देखभाल।
- आपूर्ति पक्ष में सुधार।
- मिशन मोड में कार्यान्वयन।
- आयुष प्रणालियों पर विशेष ज़ोर एवं 125,000 से अधिक स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के निर्माण से निवारक स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा मिला है।
- इससे जीवन-शैली संबंधी बीमारियों जैसे-मधुमेह, रक्तचाप, अवसाद आदि को नियंत्रित करने में सहायता मिल रही है।
- ई-सिगरेट पर प्रतिबंध, स्वच्छ भारत अभियान और टीकाकरण अभियानों के माध्यम से जागरूकता के कारण भी स्वास्थ्य संवर्द्धन में सहायता मिल रही है।
- सस्ती स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करने के लिये भारत ने दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत शुरू की है।
- इस योजना के तहत 50 करोड़ गरीबों को सालाना 5 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज की सुविधा दी गई है।
- 5000 से अधिक विशेष फार्मेसियाँ हैं, जहाँ 800 से अधिक प्रकार की जीवनरक्षक दवाएँ कम कीमतों पर उपलब्ध हैं।
- स्वास्थ्य के क्षेत्र में मिशन मोड हस्तक्षेपों में माँ और बच्चे की पोषण की स्थिति में सुधार पर केंदित राष्ट्रीय पोषण मिशन और वैश्विक लक्ष्य 2030 से पाँच वर्ष पहले 2025 तक क्षय रोग को खत्म करने की प्रतिबद्धता उल्लेखनीय पहलें हैं।
- इसके अलावा वायु प्रदूषण और जानवरों के माध्यम से फैलने वाली बीमारियों के खिलाफ अभियान एक अन्य महत्त्वपूर्ण पहल हैं।
- भारत ने कई अन्य देशों, विशेष रूप से अफ्रीकी देशों को टेली-मेडिसिन के माध्यम से वहनीय स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिये भी प्रयास किये हैं।