सामाजिक न्याय
वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट 2024
- 14 Jun 2024
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट 2024, विश्व आर्थिक मंच, वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक, लैंगिक समानता, स्थानीय शासन मेन्स के लिये:वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट 2024, विभिन्न क्षेत्रों में लैंगिक असमानता के मुद्दे। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व आर्थिक मंच ने वर्ष 2024 के लिये अपनी वार्षिक वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट या ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट का 18वाँ संस्करण जारी किया, जिसमें दुनिया भर की 146 अर्थव्यवस्थाओं में लैंगिक समानता का व्यापक मानकीकरण किया गया है।
वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक क्या है?
- परिचय:
- यह उप-मैट्रिक्स के साथ चार प्रमुख आयामों में लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति के आधार पर देशों को मानकीकृत करता है।
- आर्थिक भागीदारी और अवसर
- शिक्षा का अवसर।
- स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता।
- राजनीतिक सशक्तीकरण।
- चार उप-सूचकांकों में से प्रत्येक पर और साथ ही समग्र सूचकांक पर GGG सूचकांक 0 तथा 1 के बीच स्कोर प्रदान करता है, जहाँ 1 पूर्ण लैंगिक समानता दिखाता है एवं 0 पूर्ण असमानता की स्थिति को दर्शाता है।
- यह सबसे लंबे समय तक चलने वाला सूचकांक है, जो वर्ष 2006 में स्थापना के बाद से समय के साथ लैंगिक अंतरालों को समाप्त करने की दिशा में प्रगति को ट्रैक करता है।
- उद्देश्य:
- स्वास्थ्य, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और राजनीति पर महिलाओं व पुरुषों के बीच सापेक्ष अंतराल पर प्रगति को ट्रैक करने के लिये दिशासूचक के रूप में कार्य करना।
- इस वार्षिक मानदंड के माध्यम से प्रत्येक देश के हितधारक प्रत्येक विशिष्ट आर्थिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक संदर्भ में प्रासंगिक प्राथमिकताएँ निर्धारित करने में सक्षम होते हैं।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:
- समग्र निष्कर्ष:
- वर्ष 2024 में ग्लोबल जेंडर गैप स्कोर 68.5% है, इसमें पिछले वर्ष की तुलना में 0.1% का मामूली सुधार हुआ है।
- प्रगति की वर्तमान दर पर पूर्ण लैंगिक समानता हासिल करने में 134 वर्ष लगेंगे, जो यह दर्शाता है कि प्रगति की समग्र दर काफी धीमी है।
- राजनीतिक सशक्तीकरण (77.5%) तथा आर्थिक भागीदारी एवं अवसरों (39.5%) के मामले में लैंगिक अंतराल सबसे ज़्यादा बना हुआ है।
- शीर्ष रैंकिंग वाले देश:
- आइसलैंड (93.5%) लगातार 15वें वर्ष विश्व का सबसे अधिक लैंगिक समानता वाला देश बना हुआ है। इसके बाद शीर्ष 5 रैंकिंग में फिनलैंड, नॉर्वे, न्यूज़ीलैंड तथा स्वीडन का स्थान है।
- शीर्ष 10 देशों में से 7 देश यूरोप (आइसलैंड, फिनलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, जर्मनी, आयरलैंड, स्पेन) से हैं।
- अन्य क्षेत्रों में पूर्वी एशिया और प्रशांत (न्यूज़ीलैंड चौथे स्थान पर), लैटिन अमेरिका तथा कैरिबियन (निकारागुआ छठे स्थान पर) एवं उप-सहारा अफ्रीका (नामीबिया 8वें स्थान पर) शामिल हैं।
- स्पेन और आयरलैंड ने वर्ष 2023 की तुलना में क्रमशः 8 तथा 2 रैंक की वृद्धि हासिल कर वर्ष 2024 में शीर्ष 10 में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है।
- क्षेत्रीय प्रदर्शन:
- लैंगिक अंतराल के मामले में यूरोप (75%) अच्छी स्थिति में है इसके बाद उत्तरी अमेरिका (74.8%) तथा लैटिन अमेरिका तथा कैरिबियन (74.2%) का स्थान है।
- मध्य पूर्व तथा उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र, 61.7% के साथ लैंगिक अंतराल के मामले में अंतिम स्थान पर हैं।
- दक्षिणी एशियाई क्षेत्र 8 क्षेत्रों में से 7वें स्थान पर है, जहाँ लैंगिक समता स्कोर केवल 63.7% है।
- आर्थिक एवं रोज़गार अंतराल:
- लगभग सभी उद्योगों के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में महिला कार्यबल का प्रतिनिधित्व पुरुषों से कम है, कुल मिलाकर यह 42% ही है तथा वरिष्ठ नेतृत्व की भूमिकाओं में यह केवल 31.7% है।
- "नेतृत्व पाइपलाइन" वैश्विक स्तर पर महिलाओं के लिये प्रवेश-स्तर से प्रबंधकीय स्तर तक 21.5% अंक की गिरावट दर्शाती है।
- आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वर्ष 2023-24 में नेतृत्वकारी भूमिकाओं में महिलाओं की नियुक्ति में गिरावट आएगी।
- देखभाल करने का प्रभाव:
- हाल ही में देखभाल संबंधी ज़िम्मेदारियों में हुई वृद्धि के कारण कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी में सुधार हो रहा है, जिससे समतापूर्ण देखभाल प्रणालियों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश पड़ता है।
- सवेतन अभिभावकीय अवकाश जैसी न्यायसंगत देखभाल नीतियाँ बढ़ रही हैं लेकिन कई देशों में अपर्याप्त हैं।
- प्रौद्योगिकी एवं कौशल अंतराल:
- STEM में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी कम है तथा कार्यबल में उनकी हिस्सेदारी 28.2% है, जबकि गैर-STEM भूमिकाओं में यह 47.3% है।
- AI, बिग डेटा एवं साइबर सुरक्षा जैसे कौशलों में लैंगिक अंतर मौजूद है, जो भविष्य में कार्य के लिये महत्त्वपूर्ण होगा।
जेंडर गैप रिपोर्ट 2024 में भारत का प्रदर्शन कैसा रहा है?
- भारत की रैंकिंग: भारत 146 देशों की वैश्विक रैंकिंग में दो स्थान नीचे आकर वर्ष 2023 में 127वें स्थान से वर्ष 2024 में 129वें स्थान पर पहुँच गया है।
- दक्षिण एशिया में भारत, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका एवं भूटान के बाद पाँचवें स्थान पर है। पाकिस्तान, इस क्षेत्र में सबसे अंतिम स्थान पर है।
- आर्थिक समानता: भारत, बांग्लादेश, सूडान, ईरान, पाकिस्तान एवं मोरक्को के समान सबसे कम आर्थिक समानता वाले देशों में से एक है, जहाँ अनुमानित अर्जित आय में लिंग समानता 30% से भी कम है।
- शैक्षणिक उपलब्धि: भारत ने माध्यमिक शिक्षा नामांकन में सबसे अच्छी लैंगिक समानता दिखाई।
- राजनीतिक सशक्तीकरण: पिछले 50 वर्षों में महिलाओं के राजनीतिक सशक्तीकरण में भारत विश्व स्तर पर 65वें स्थान पर तथा महिला अथवा पुरुष राष्ट्राध्यक्षों के साथ वर्षों की समानता में 10वें स्थान पर है।
- हालाँकि संघीय स्तर पर मंत्रिस्तरीय पदों पर (6.9%), तथा संसद में (17.2%) महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम बना हुआ है।
- लैंगिक अंतराल में कमी: भारत ने वर्ष 2024 तक देश में लैंगिक अंतराल को 64.1% कम कर दिया है। पूर्व में इसका स्थान 127वाँ था जो वर्तमान में गिरकर 129वाँ हो गया है जो कि मुख्य रूप से 'शिक्षण प्राप्ति' और 'राजनीतिक सशक्तीकरण' मापदंडों में हुई मामूली गिरावट के कारण हुआ, हालाँकि 'आर्थिक भागीदारी' तथा 'अवसर' के स्कोर में सुधार हुआ है।
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन में लैंगिक अंतराल को कम करने हेतु भारत की पहलें
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
- महिला शक्ति केंद्र
- महिला पुलिस स्वयंसेवक
- राष्ट्रीय महिला कोष
- सुकन्या समृद्धि योजना
- कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय
- राजनीतिक आरक्षण: सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिये 33% सीटें आरक्षित की हैं।
- संविधान (106वाँ संशोधन) अधिनियम, 2023 लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में महिलाओं के लिये एक तिहाई सीट आरक्षित करता है, यह लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित सीटों पर भी लागू होगा।
- महिला उद्यमिता: महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने स्टैंड-अप इंडिया और महिला ई-हाट (महिला उद्यमियों/SHG/NGO को समर्थन देने हेतु ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म), उद्यमिता तथा कौशल विकास कार्यक्रम (ESSDP) जैसे कार्यक्रम शुरू किये हैं।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक, 2024 में भारत के प्रदर्शन का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। इसमें सुधार के प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा कीजिये तथा भारत में लैंगिक समता को त्वरित करने के उपायों का सुझाव दीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा विश्व के देशों के लिये 'सार्वभौमिक लैंगिक अंतराल सूचकांक' का श्रेणीकरण प्रदान करता है? (2017) (a) विश्व आर्थिक मंच उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. विविधता, समता और समावेशिता सुनिश्चित करने के लिये उच्चतर न्यायपालिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने की वांछनीयता पर चर्चा कीजिये। (2021) |