WMO का ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन 2023 | 04 Nov 2024
प्रिलिम्स के लिये :विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO), ग्रीनहाउस गैस (GHG) बुलेटिन, WMO ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच (GAW), मीथेन (CH₄), नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O), अल नीनो, कार्बन सिंक, ला नीना, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान, UNFCCC, पेरिस समझौता, ओज़ोन, यूवी विकिरण, ग्रीनहाउस गैसें, एरोसोल, विश्व मौसम विज्ञान कॉन्ग्रेस। मेन्स के लिये :ग्लोबल वार्मिंग में ग्रीनहाउस गैसों की भूमिका, ग्लोबल वार्मिंग से निपटने में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की भूमिका। |
स्रोत: IE
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने वर्ष 2023 के लिये अपना वार्षिक ग्रीनहाउस गैस (GHG) बुलेटिन जारी किया।
GHG बुलेटिन, वायुमंडलीय सांद्रता पर WMO ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच (GAW) का नवीनतम विश्लेषण प्रदान करता है।
ग्रीनहाउस गैस (GHG)
- ग्रीनहाउस गैसें वायुमंडलीय गैसें हैं जो सूर्य से आने वाली ऊष्मा को रोकती हैं और पृथ्वी की सतह को गर्म रखती हैं।
- हालाँकि जीवाश्म ईंधन जलाने, निर्वनीकरण तथा औद्योगिक प्रक्रियाओं जैसी मानवीय गतिविधियों ने इन गैसों की सांद्रता में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिससे ग्रीनहाउस प्रभाव बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग व उसके बाद जलवायु में परिवर्तन हो रहा है।
- प्रमुख GHG:
- कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂): यह जीवाश्म ईंधन (कोयला, प्राकृतिक गैस और तेल), ठोस अपशिष्ट आदि के जलने से वायुमंडल में प्रवेश करती है।
- मीथेन (CH₄): मवेशी पालन, लैंडफिल अपशिष्ट, चावल की कृषि और जीवाश्म ईंधन निष्कर्षण जैसी मानवीय गतिविधियों ने वायुमंडल में मीथेन के स्तर को बढ़ा दिया है।
- नाइट्रस ऑक्साइड (N2O): यह कृषि, भूमि उपयोग और औद्योगिक गतिविधियों, जीवाश्म ईंधन तथा ठोस अपशिष्ट के दहन के दौरान उत्सर्जित होता है।
- जल वाष्प (H₂O): यह सबसे प्रचुर मात्रा में पाई जाने वाली ग्रीनहाउस गैस है। यह वायुमंडल में केवल कुछ दिनों के लिये मौजूद रहती है।
- औद्योगिक फ्लोरीनेटेड गैसें: इनमें हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC), परफ्लोरोकार्बन (PFC) और सल्फर हेक्साफ्लोराइड (SF₆) शामिल हैं, जिनमें उच्च ग्लोबल वार्मिंग क्षमता (GWP) होती है।
- उदाहरण के लिये , SF₆ का GWP CO₂ से 23,000 गुना ज़्यादा है, जिससे ये गैसें ग्लोबल वार्मिंग में बेहद शक्तिशाली योगदानकर्त्ता बन जाती हैं।
- GWP यह बताता है कि CO₂ के सापेक्ष एक विशिष्ट अवधि में GHG वायुमंडल में कितनी ऊष्मा को रोकता है।
GHG बुलेटिन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- GHG स्तर और रुझान:
- ऐतिहासिक वार्मिंग: वर्ष 1990 के बाद से ग्रीनहाउस गैसों से होने वाले वार्मिंग प्रभाव में 51.5% की वृद्धि हुई है, जिसमें CO2 का योगदान लगभग 81% है।
- वर्ष 2023 में उच्च रिकॉर्ड: कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), मीथेन (CH₄) और नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O) सहित ग्रीनहाउस गैसों का स्तर वर्ष 2023 में वैश्विक स्तर पर रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया।
- वर्ष 2022 से CO₂ 2.3 भाग प्रति मिलियन (ppm) बढ़कर 420 ppm तक पहुँच गया।
- उच्चतम विकिरणी प्रणोदन: वर्ष 2023 को सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज किया गया, जो वर्ष 2016 में स्थापित पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया। वैश्विक तापमान 1850-1900 पूर्व-औद्योगिक औसत से 1.48°C अधिक था।
- विकिरणी प्रणोदन, ग्रीनहाउस गैसों के कारण जलवायु पर पड़ने वाला गर्म प्रभाव है।
- वर्तमान CO₂ सांद्रता 3-5 मिलियन वर्ष पूर्व के स्तर के बराबर है, जब वैश्विक तापमान 2-3°C अधिक था और समुद्र का स्तर आज की तुलना में 10-20 मीटर अधिक था।
- यह क्रमागत 12वाँ वर्ष है जब वार्षिक CO2 वृद्धि 2 ppm से अधिक रही है।
- CO₂ के स्तर में वृद्धि के कारण:
- मानवीय गतिविधियाँ: औद्योगिक गतिविधियों के साथ-साथ जीवाश्म ईंधन के उपयोग से लगातार उच्च CO₂ उत्सर्जन वृद्धि में प्रमुख योगदानकर्त्ता हैं।
- अल नीनो प्रभाव: अल नीनो घटना जो विशेष रूप से दक्षिण एशिया में गर्म मौसम और शुष्क परिस्थितियाँ लाती है, शुष्क वनस्पति तथा वनाग्नि का कारण बनती है, जिससे वायुमंडल में अधिक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है और भूमि कार्बन सिंक की दक्षता प्रभावित होती है।
- जलवायु संबंधी चिंताएँ:
- दुष्चक्र चेतावनी: बढ़ते CO2 स्तर और जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र GHG स्रोतों में बदल सकते हैं क्योंकि गर्मी के कारण वनाग्नि से कार्बन उत्सर्जन बढ़ सकता है तथा महासागरों द्वारा CO2 अवशोषण कम हो सकता है।
- मीथेन में वृद्धि: मीथेन में वर्ष 2020 से 2022 तक तीन वर्ष की सबसे बड़ी वृद्धि देखी गई, विशेष रूप से गर्म और आर्द्र ला नीना स्थितियों के कारण प्राकृतिक आर्द्रभूमि से।
- कार्बन सिंक में कमी: इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया कि गर्म होते महासागर और लगातार वनाग्नि प्राकृतिक ग्रीनहाउस गैस अवशोषण को कम कर सकती है।
- नीतिगत प्रतिक्रियाएँ:
- राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC): UNFCCC के वर्ष 2023 के आकलन के अनुसार NDC वर्ष 2019 से 2030 तक वैश्विक उत्सर्जन में 2.6% की कमी ला सकते हैं, जो पेरिस समझौते के अनुसार तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये आवश्यक 43% की कमी से काफी कम है।
- मज़बूत NDC के लिये UNFCCC का आह्वान: देशों को फरवरी 2024 तक अद्यतन NDC प्रस्तुत करने की आवश्यकता है, UNFCCC ने वैश्विक उत्सर्जन में कमी के प्रयासों में अंतर को पाटने के लिये इसे एक महत्त्वपूर्ण क्षण बताया है।
ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच क्या है?
- परिचय: GAW 100 देशों का एक सहयोगात्मक कार्यक्रम है जो वायुमंडलीय संरचना और प्राकृतिक तथा मानवीय प्रभावों के कारण होने वाले परिवर्तनों पर महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक डेटा प्रदान करता है।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य वायुमंडल, महासागरों और जीवमंडल के बीच अंतःक्रियाओं की समझ को बढ़ाना तथा वायु प्रदूषण एवं जलवायु परिवर्तन अनुसंधान के लिये डेटा संग्रह को समर्थन प्रदान करना है।
- मुख्य निगरानी लक्ष्य: GAW कार्यक्रम छह प्रमुख वायुमंडलीय चरों पर ध्यान केंद्रित करता है, अर्थात् ओज़ोन, यूवी विकिरण, ग्रीनहाउस गैसें, एरोसोल, चयनित प्रतिक्रियाशील गैसें और वर्षण रसायन आदि।
- शासन व्यवस्था: GAW विशेषज्ञ समूह GAW कार्यक्रम में नेतृत्व प्रदान करते हैं और प्रमुख गतिविधियों का समन्वय करते हैं।
- GAW विशेषज्ञ समूहों की देख-रेख WMO अनुसंधान बोर्ड और इसकी पर्यावरण प्रदूषण एवं वायुमंडलीय रसायन विज्ञान वैज्ञानिक संचालन समिति (EPAC SSC) द्वारा की जाती है।
- प्रकाशन: स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट, ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन, GAW रिपोर्ट, ओज़ोन बुलेटिन।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन
- परिचय: विश्व मौसम संगठन वायुमंडलीय विज्ञान पर संयुक्त राष्ट्र का अग्रणी प्राधिकरण है, जो पृथ्वी के वायुमंडल, मौसम, जलवायु, जल संसाधनों तथा भूमि एवं महासागरों के साथ उनकी अन्योन्यक्रिया पर कार्य करता है।
- WMO संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है।
- वैश्विक सहयोग: इसमें 193 सदस्य देश और प्रदेश शामिल हैं। भारत WMO का सदस्य है।
- संरचना: WMO विश्व मौसम विज्ञान कॉन्ग्रेस, कार्य परिषद, क्षेत्रीय संघों, तकनीकी आयोगों एवं सचिवालय से मिलकर बना है।
- विश्व मौसम विज्ञान कॉन्ग्रेस: यह सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है तथा समग्र नीतियों एवं उनके निर्देशन का कार्य करती है।
- कार्य परिषद: यह कॉन्ग्रेस के निर्णयों को क्रियान्वित करती है।
- क्षेत्रीय संघ: इसमें 6 क्षेत्रीय संघ शामिल हैं जो अपने विशिष्ट क्षेत्रों में मौसम विज्ञान, जल विज्ञान और संबंधित गतिविधियों का समन्वय करते हैं।
- जलवायु कार्य: WMO UNFCCC और अन्य पर्यावरण सम्मेलनों का समर्थन करता है। यह सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिये जलवायु से संबंधित मुद्दों पर सरकारों को परामर्श प्रदान करता है।
- मुख्यालय: WMO का सचिवालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है जिसकी देख-रेख महासचिव करता है।
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को नियंत्रित करने हेतु प्रमुख पहलें क्या हैं?
निष्कर्ष
WMO के वर्ष 2023 ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन के अनुसार ग्रीनहाउस गैसों के स्तर में अत्यंत चिंताजनक वृद्धि हुई है जिसके शमन हेतु इसमें सुदृढ़ नीतिगत उपायों की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया है। जलवायु में परिवर्तन की तीव्रता बढ़ने के साथ पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने और वैश्विक संधारणीयता की रक्षा के लिये ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच के माध्यम से सहयोग एवं राष्ट्रीय योगदान में वृद्धि आवश्यक है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: ग्रीनहाउस गैस क्या हैं? मानवीय गतिविधियों ने ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता को किस प्रकार प्रभावित किया है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स:प्रश्न: “मोमेंटम फॉर चेंज: क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ” यह पहल किसके द्वारा प्रवर्तित की गई है? (2018) (a) जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल उत्तर: (c) प्रश्न: 'ग्रीनहाउस गैस प्रोटोकॉल (Greenhouse Gas Protocol)' क्या है? (2016) (a) यह सरकार एवं व्यवसाय को नेतृत्त्व देने वाले व्यक्तियों के लिये ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को समझने, परिणाम निर्धारित करने एवं प्रबंधन हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय लेखाकरण साधन है उत्तर: (a) प्रश्न: 'अभीष्ट राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान (Intended Nationally Determined Contributions)' पद को कभी-कभी समाचारों में किस संदर्भ में देखा जाता है? (2016) (a) युद्ध प्रभावित मध्य-पूर्व शरणार्थियों के पुनर्वास के लिये यूरोपीय देशों द्वारा दिये गए वचन उत्तर: (b) मेन्सQ. आर्कटिक की बर्फ और अंटार्कटिका के ग्लेशियरों का पिघलना किस तरह अलग-अलग ढंग से पृथ्वी पर मौसम के स्वरूप तथा मनुष्य की गतिविधियों पर प्रभाव डालते है? स्पष्ट कीजिये। (2021) Q. 'जलवायु परिवर्तन' एक वैश्विक समस्या है। भारत जलवायु परिवर्तन से किस प्रकार प्रभावित होगा? जलवायु परिवर्तन के द्वारा भारत के हिमालयी और समुद्रतटीय राज्य किस प्रकार प्रभावित होंगे? (2017) |