जैव विविधता और पर्यावरण
जलवायु संतुलन में एयरोसोल की भूमिका
- 25 Oct 2019
- 3 min read
प्रीलिम्स के लिये
एयरोसोल क्या हैं? इनका निर्माण, उदाहरण
मेन्स के लिये
जलवायु संतुलन तथा पृथ्वी के ‘एल्बेडो’ में एयरोसोल की भूमिका
चर्चा में क्यों?
कोऑपरेटिव इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन एन्वायरनमेंटल साइंसेज (Cooperative institute for research in environmental sciences-CIRES) ने एक अध्ययन में पाया कि एयरोसोल कण बादलों के गुणधर्म में परिवर्तन के माध्यम से पृथ्वी के विकिरणीय संतुलन को बनाए रखने में सहायक होते हैं।
एयरोसोल क्या है?
- एयरोसोल, बारीक ठोस कणों तथा द्रव की बूँदों का वायु या किसी अन्य गैस में मिश्रण है।
- एयरोसोल प्राकृतिक या मानवजनित दोनों प्रकार के हो सकते हैं। कोहरा, धूल, गेसर भाप (Geyser Steam) इत्यादि प्राकृतिक एयरोसोल के उदाहरण हैं।
- धुंध, पार्टिकुलेट वायु प्रदूषक तथा धुआँ आदि मानवजनित एयरोसोल के उदाहरण हैं।
एयरोसोल कैसे बनते हैं?
- जब विषुवतीय क्षेत्र में संवहनीय बादल गैसों को वायुमंडल में ऊँचाई पर ले जाते हैं तब उनमें उपस्थित बारीक कण गैस में परिवर्तित होकर एयरोसोल का निर्माण करते हैं। इस प्रक्रिया को ‘गैस से कण परिवर्तन’ कहा जाता है।
- ऊँचाई बढ़ने के साथ तापमान में कमी के कारण इन कणों का संघनन होता है तथा उनके आकार में वृद्धि होती है जिसकी वजह से ये निचले क्षोभमंडल में उपस्थित निचले स्तर के बादलों की धवलता (Brightness) को बढ़ाते हैं।
- गैस से कण परिवर्तन, विषुवतीय क्षेत्रों में प्रशांत तथा अटलांटिक महासागर दोनों के ऊपर बादलों के एल्बेडो को बढ़ा देता है।
एयरोसोल क्यों महत्त्वपूर्ण हैं?
- एयरोसोल मिश्रित बादल धवल (Brighter) होने के कारण सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को अधिक मात्रा में अंतरिक्ष की तरफ परावर्तित करते हैं।
- इन नए कणों का निर्माण पृथ्वी की सतह के 40 प्रतिशत हिस्से को आच्छादित करता है। इसका आशय है कि एयरोसोल कण, ग्लोबल वार्म़िग के विपरीत पृथ्वी के तापमान को कम रखने में सहायक हैं।
- विषुवतीय क्षेत्रों में इन कणों का निर्माण तथा बदलों के गुणधर्म में इनके योगदान को समझना, हमें जलवायु मॉडलों को समझने तथा उनका विकास करने में मदद करेगा।
- CIRES के अध्ययन से पता चलता है कि सुदूर क्षेत्रों में जहाँ वायु साफ होती है वहाँ बादलों के निर्माण में एयरोसोल कणों का प्रभाव अधिक होता है।