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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 27 Nov, 2024
  • 20 min read
प्रारंभिक परीक्षा

आधारभूत पशुपालन सांख्यिकी 2024

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (26 नवंबर) के अवसर पर आधारभूत पशुपालन सांख्यिकी 2024 (BAHS) को जारी किया।

  • यह रिपोर्ट एकीकृत नमूना सर्वेक्षण (ISS) के मार्च 2023 से फरवरी 2024 के परिणामों पर आधारित है एवं इसमें दूध, अंडे, मांस तथा ऊन जैसे प्रमुख पशुधन उत्पादों के रुझान को दर्शाया गया है।
    • ISS पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा आयोजित वार्षिक एवं बड़े पैमाने का सर्वेक्षण है।
    • इसके तहत देश भर के 15% गाँवों को कवर किया जाता है जिसमें पशुधन संख्या के साथ दूध, मांस, ऊन एवं अंडे सहित प्रमुख उत्पादों के उत्पादन के आँकड़ों को शामिल किया जाता है। 

नोट: राष्ट्रीय दुग्ध दिवस वर्गीज कुरियन (जिन्होंने श्वेत क्रांति के माध्यम से भारत को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया) की जयंती पर मनाया जाता है।

BAHS 2024 की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?

  • दूध उत्पादन: वर्ष 2023-24 में भारत का कुल दूध उत्पादन 239.30 मिलियन टन (जो वर्ष 2022-23 की तुलना में 3.78% की वृद्धि दर्शाता है) अनुमानित है।
    •  भारत विश्व स्तर पर दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके शीर्ष 3 उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश शामिल हैं।
    • प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता वर्ष 2022-23 के 459 ग्राम प्रतिदिन से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 471 ग्राम प्रतिदिन रहना अनुमानित है।
  • अंडा उत्पादन: वर्ष 2023-24 में कुल अंडा उत्पादन 142.77 बिलियन (जो वर्ष 2022-23 से 3.18% अधिक है) अनुमानित है
    • अंडा उत्पादन में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है। इसके शीर्ष 3 उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना हैं।
  • मांस उत्पादन: वर्ष 2023-24 में भारत का कुल मांस उत्पादन 10.25 मिलियन टन (जो वर्ष 2022-23 की तुलना में 4.95% की वृद्धि दर्शाता है) अनुमानित है।
    • इसके शीर्ष 3 उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र हैं।
  • ऊन उत्पादन: वर्ष 2023-24 में भारत का कुल ऊन उत्पादन 33.69 मिलियन किलोग्राम (जो पिछले वर्ष की तुलना में 0.22% की वृद्धि दर्शाता है) अनुमानित है
    • इसके शीर्ष 3 उत्पादक राज्य राजस्थान, जम्मू और कश्मीर एवं गुजरात हैं।
  • पशुधन वृद्धि: वर्ष 2014-15 से 2022-23 तक यह क्षेत्र 7.38% (स्थिर मूल्यों पर) की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है।
    • कृषि में पशुधन की सकल मूल्यवर्द्धित (GVA) हिस्सेदारी 24.32% (वर्ष 2014-15) से बढ़कर 30.38 % (वर्ष 2022-23) हो गई।
    • वर्तमान में मवेशियों की संख्या पर अद्यतन आँकड़े उपलब्ध कराने के लिये 21वीं पशुधन गणना चल रही है। 

21 वीं पशुधन गणना

  • हाल ही में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा 21वीं पशुधन गणना शुरू की गई।
    • देश भर में पालतू पशुओं, मुर्गियों एवं आवारा पशुओं की संख्या पर आँँकड़े एकत्र करने के क्रम में प्रत्येक पाँच वर्षों में यह गणना की जाती है।
    • वर्ष 1919 से अब तक कुल 20 पशुधन गणनाएँ हो चुकी हैं। 20वीं गणना वर्ष 2019 में की गई। 
  • डेटा संग्रहण: डेटा में पशुओं की प्रजाति, नस्ल, आयु, लिंग एवं स्वामित्व स्थिति के बारे में जानकारी शामिल की जाती है।
  • गणना में शामिल पशु:  
    • पशु: इस गणना में 16 पशु प्रजातियों (जिनमें मवेशी, भैंस, मिथुन, याक, भेड़, बकरी, सुअर, ऊँट, घोड़ा, छोटा घोड़ा, खच्चर, गधा, कुत्ता, खरगोश और हाथी शामिल हैं) को शामिल किया जाएगा।
    • पोल्ट्री पक्षी: इस गणना में पोल्ट्री पक्षियों (जिनमें मुर्गियाँ, चिकन, बत्तख, टर्की, गीज़, बटेर, शुतुरमुर्ग और इमू शामिल हैं) की भी गणना की जाएगी।

 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न: एन.एस.एस.ओ. के 70वें चक्र द्वारा संचालित ‘‘कृषक-कुटुंबों की स्थिति आकलन सर्वेक्षण’’ के अनुसार निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. राजस्थान में ग्रामीण कुटुम्बाें में कृषि कुटुंबों का प्रतिशत सर्वाधिक है।
  2. देश के कुल कृषि कुटुंबों में 60% से कुछ अधिक ओ.बी.सी. के हैं।
  3. केरल में 60% से कुछ अधिक कृषि कुटुंबों ने यह सूचना दी कि उन्होंने अधिकतम आय गैर कृषि स्रोतों से प्राप्त की है।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 2 और 3 
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: C


प्रारंभिक परीक्षा

बायो-प्लास्टिक

चर्चा में क्यों? 

फरवरी 2024 में, भारत के प्रमुख चीनी उत्पादकों में से एक, उत्तर प्रदेश के बलरामपुर चीनी मिल्स ने बायो-प्लास्टिक्स का उत्पादन करने वाली भारत की पहली बायो-प्लास्टिक्स फैक्ट्री में 2,000 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा की।

  • इस परियोजना से चीनी उद्योग में विविधता लाने और पेट्रोलियम आधारित प्लास्टिक  के लिये बायोडिग्रेडेबल विकल्प पेश करके पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।

बायो-प्लास्टिक क्या हैं?

  • परिचय: बायो-प्लास्टिक्स को गन्ना, मक्का जैसे नवीकरणीय कार्बनिक स्रोतों से प्राप्त किया जाता है, जबकि पारंपरिक प्लास्टिक पेट्रोलियम से बने होते हैं। वे हमेशा बायोडिग्रेडेबल या कम्पोस्ट करने योग्य नहीं होते हैं।
    • बायो-प्लास्टिक का उत्पादन मकई और गन्ने जैसे पौधों से चीनी निकालकर और उसे पॉलीलैक्टिक एसिड (PLA) में परिवर्तित करके किया जाता है। वैकल्पिक रूप से, उन्हें सूक्ष्मजीवों से पॉलीहाइड्रॉक्सीएल्कानोएट्स (PHA) से बनाया जा सकता है जिन्हें फिर बायो-प्लास्टिक में पॉलीमराइज़ किया जाता है।
  • बायो-प्लास्टिक के लाभ: चीनी कंपनियों के लिये बायो-प्लास्टिक पारंपरिक चीनी उत्पादन और इथेनॉल से परे एक नया राजस्व स्रोत प्रदान करता है। बायो-प्लास्टिक परियोजना से सालाना 1,700 करोड़ रुपए से 1,800 करोड़ रुपए की आय होने की उम्मीद है।
    • बायो-प्लास्टिक का उत्पादन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को अवशोषित करता है और एक तटस्थ या संभावित रूप से नकारात्मक कार्बन संतुलन में योगदान देता है, जिससे जीवाश्म-आधारित प्लास्टिक की तुलना में कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद मिलती है।
    • पारंपरिक प्लास्टिक के विपरीत, बायो-प्लास्टिक में फ्थालेट्स (Phthalates) जैसे हानिकारक रसायन नहीं होते हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिये खतरनाक माने जाते हैं।
    • बायो-प्लास्टिक पारंपरिक प्लास्टिक की तरह ही मज़बूत और धारणीय होते हैं, जिससे वे खाद्य पैकेजिंग, कृषि और चिकित्सा आपूर्ति जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों में उपयोग के लिये आदर्श होते हैं।
    • बायो-प्लास्टिक उत्पादन के लिये नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग से पेट्रोलियम जैसे गैर-नवीकरणीय संसाधनों पर निर्भरता कम करने में मदद मिलती है।
  • चुनौतियाँ: यद्यपि बायो-प्लास्टिक के अनेक लाभ हैं, फिर भी प्रौद्योगिकी अभी भी विकसित हो रही है, तथा उत्पादन लागत पारंपरिक प्लास्टिक की तुलना में अधिक हो सकती है। 
    • कुछ क्षेत्रों में कृषि अपशिष्ट जैसे कच्चे माल की आपूर्ति भी सीमित हो सकती है।
    • भारत के चीनी उद्योग को गन्ने की बढ़ती मांग को पूरा करना चिंता का विषय है, क्योंकि बायो-प्लास्टिक उत्पादन चीनी और इथेनॉल की जरूरतों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करता है। वर्ष 2024-25 में चीनी उत्पादन में 4 मिलियन टन की अनुमानित कमी के साथ, इन मांगों को संतुलित करना एक चुनौती होगी।
  • बायो-प्लास्टिक के लिये भविष्य का दृष्टिकोण: बायो-प्लास्टिक उत्पादन प्रक्रियाओं और सामग्रियों में निरंतर नवाचार से लागत कम करने और मापनीयता में सुधार करने में मदद मिलेगी।
    • बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये कृषि अपशिष्ट और गन्ना जैसे कच्चे माल की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण होगा।
    • धारणीय उत्पादों और पैकेजिंग के लिये उपभोक्ता मांग, विशेष रूप से पर्यावरण के प्रति जागरूक बाज़ारों में, बायो-प्लास्टिक्स को अपनाने को बढ़ावा देगी।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न: पर्यावरण में मुक्त हो जाने वाली सूक्ष्म कणिकाओं (माइक्रोबीड्स) के विषय में अत्यधिक चिंता क्यों है? (2019)

(a) ये समुद्री पारितंत्रों के लिये हानिकारक मानी जाती हैं।
(b) ये बच्चों में त्वचा कैंसर का कारण मानी जाती हैं।
(c) ये इतनी छोटी होती हैं कि सिंचित क्षेत्रों में फसल पादपों द्वारा अवशोषित हो जाती हैं।
(d) अक्सर इनका इस्तेमाल खाद्य पदार्थों में मिलावट के लिये किया जाता है।

उत्तर: A


रैपिड फायर

UAPA के तहत ULFA पर प्रतिबंध

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

हाल ही में गृह मंत्रालय (MHA) ने विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 (UAPA) के तहत यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) पर प्रतिबंध को पाँच और वर्षों के लिये बढ़ा दिया है।

  • ULFA असम में सक्रिय एक सशस्त्र उग्रवादी संगठन है जिसका उद्देश्य असम को भारत से अलग करना है।
    • ULFA का गठन वर्ष 1979 में सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से "असम की संप्रभुता की बहाली" के लिये किया गया था।
    • ULFA पर पहली बार वर्ष 1990 में प्रतिबंध लगाया गया था और प्रतिबंध को समय-समय पर नवीनीकृत किया जाता रहा है, प्रतिबंध की समय सीमा को अंतिम बार वर्ष 2019 में बढ़ाया गया था।
  • UAPA, 967 की धारा 35 के अनुसार, यदि कोई संगठन या व्यक्ति आतंकवाद या अलगाववाद को बढ़ावा देता है, तो सरकार उन्हें अवैध या आतंकवादी घोषित कर सकती है।

और पढ़ें:  विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप (निवारण) अधिनियम


रैपिड फायर

प्रस्तावना में समाजवादी और पंथनिरपेक्ष

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 के माध्यम से संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और पंथनिरपेक्ष शब्दों को शामिल करने को प्राभावी बनाए रखा।

  • अनुच्छेद 368 के तहत संसद प्रस्तावना सहित संविधान के अन्य प्रावधानों में संशोधन कर सकती है।
  • धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार (अनुच्छेद 25-28) के तहत अपनी पसंद के धर्म का प्रचार, अभ्यास एवं प्रसार करने का अधिकार तथा स्वतंत्रता मिलती है।
  • पंथनिरपेक्षता को भारत की अद्वितीय विशेषता के रूप में बरकरार रखा गया (जिसमें राज्य द्वारा सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान किया जाता हो), जिसमें एसआर बोम्मई केस, 1994 का संदर्भ दिया गया।
    • संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत धार्मिक आधार पर नागरिकों के विरुद्ध भेदभाव को प्रतिबंधित किया गया है। इसके साथ ही विधि के समान संरक्षण तथा लोक नियोजन में समान अवसर की गारंटी प्रदान की गई है।
    • अनुच्छेद 44 सरकार को समान नागरिक संहिता के लिये प्रयास करने की अनुमति देता है और यह प्रस्तावना के पंथनिरपेक्ष शब्द द्वारा प्रतिबंधित नहीं है।
  • भारत में प्रचलित समाजवाद का उद्देश्य नागरिकों के आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान के लक्ष्य को प्राप्त करना है।
    • इससे निजी उद्यमशीलता एवं व्यवसाय करने के अधिकार को प्रतिबंधित नहीं किया गया है, जिसे अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत मूल अधिकार माना गया है।

और पढ़ें: संविधान के अभिन्न अंग के रूप में समाजवादी एवं पंथनिरपेक्षता


रैपिड फायर

वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विद्वानों के शोध लेखों और पत्रिकाओं तक देशव्यापी पहुँच प्रदान करने के लिये तीन वर्ष के लिये वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन (ONOS) योजना को मंजूरी दी है।

  • ONOS योजना का समन्वय सूचना और पुस्तकालय नेटवर्क (INFLIBNET) द्वारा किया जाएगा, जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के तहत एक स्वायत्त अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र है।
  • पारंपरिक शैक्षणिक प्रकाशन 'पे टू रीडर' मॉडल पर निर्भर करता है, जहाँ पुस्तकालय और संस्थान प्रकाशित शोध तक पहुँच के लिये शुल्क का भुगतान करते हैं।
  • ONOS का उद्देश्य पूरे भारत में छात्रों और शोधकर्त्ताओं के लिये उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाना है, जिससे विशेष रूप से टियर-2 और टियर-3 शहरों में रहने वाले लोगों को लाभ पहुँचेगा। 
  • ONOS 30 अग्रणी अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशकों की 13,000 से अधिक उच्च-प्रभाव वाली पत्रिकाओं तक पहुँच प्रदान करेगा, जिससे छात्रों और शोधकर्त्ताओं के लिये शैक्षणिक संसाधनों की उपलब्धता में उल्लेखनीय सुधार होगा।
    • यह पहल 6,300 से अधिक संस्थानों को लक्षित करती है, जिससे लगभग 1.8 करोड़ छात्र, संकाय और शोधकर्त्ता लाभान्वित होंगे तथा अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं तक पहुँच बढ़ेगी, जिससे वैश्विक अनुसंधान समुदायों में भारत का प्रभाव बढ़ेगा।
  • अनुसंधान एवं विकास से संबंधित अन्य पहल:

और पढ़ें: वैज्ञानिक प्रकाशन से संबंधित चिंताएँ


रैपिड फायर

मिंक व्हेल की सुनने की क्षमता

स्रोत: द हिंदू

हाल ही के शोध से पता चला है कि मिंक व्हेल 90 किलोहर्ट्ज (kHz) तक की उच्च आवृत्ति वाली ध्वनियों का पता लगा सकती हैं, यह एक महत्त्वपूर्ण खोज है जो इन समुद्री स्तनधारियों के बारे में हमारी समझ को बढ़ाती है। 

  • शोध से पता चलता है कि मिंक व्हेल समुद्री ध्वनि प्रदूषण से पहले की अपेक्षा कहीं अधिक प्रभावित हैं क्योंकि नौवहन, नौसैनिक सोनार और औद्योगिक गतिविधियों के कारण समुद्री ध्वनि प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है।
  • मानवजनित शोर समुद्री स्तनधारियों के संचार, भोजन खोजने के व्यवहार और नौवहन क्षमताओं में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
  • वर्तमान में लागू नियम बेलीन व्हेल की सुरक्षा के लिये पर्याप्त नहीं हैं क्योंकि पहले उनकी सुनने की क्षमता को कम करके आँका गया था। यह नए आँकड़े समुद्री ध्वनि प्रदूषण नीतियों के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकताओं पर बल देते हैं।
  • मिंक व्हेल: मिंक व्हेल (बैलेनोपटेरा एक्यूटोरोस्ट्रेटा) रोर्कल व्हेल समूह की सबसे छोटी प्रजाति है, जिसमें अन्य बेलन व्हेल शामिल हैं। इसकी अधिकतम लंबाई लगभग 10.7 मीटर तक हो सकती है।
  • संरक्षण की स्थिति:
    • सामान्य मिंक व्हेल: 
      • IUCN: कम चिंताजनक
      • CMS: परिशिष्ट II
  • CITES: परिशिष्ट I (विलुप्त होने का खतरा)
    • अंटार्कटिक मिंक व्हेल: 
      • IUCN: डेटा अपर्याप्त 
  • CMS: परिशिष्ट II 

और पढ़ें: फिन व्हेल 


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