जैव विविधता और पर्यावरण
CMS के पक्षकारों का 14वाँ सम्मेलन (COP-14)
- 20 Feb 2024
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय, प्रवासी प्रजातियों का संरक्षण, बॉन अभिसमय मेन्स के लिये:CMS COP-14, प्रवासी प्रजातियों पर कन्वेंशन और भारत द्वारा किये गए प्रयास |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय (CMS 14) के लिये कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (CoP) की चौदहवीं बैठक का आयोजन समरकंद, उज़्बेकिस्तान में किया गया।
CMS COP 14 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- लिस्टिंग प्रस्तावों की स्वीकृति:
- बैठक में पक्षकारों ने 14 प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण के संबद्ध में लिस्टिंग/सूचीबद्धता प्रस्तावों को अपनाने पर सहमति जताई जिनमें यूरेशियन लिंक्स, पेरूवियन पेलिकन, पल्लास की बिल्ली, गुआनाको, लाहिले की बॉटलनोज़ डॉल्फिन, हार्बर पोरपोइज़, मैगेलैनिक प्लोवर, बियर्डेड वल्चर, ब्लैकचिन गिटारफिश, बुल रे, लुसिटानियन काउनोस रे, गिल्डेड कैटफिश और लौलाओ कैटफिश शामिल हैं।
- इन लिस्टिंग का उद्देश्य उक्त प्रजातियों की सुरक्षा और संरक्षण प्रयासों में वृद्धि करना है।
- सहयोग एवं संरक्षण प्रयास:
- प्रस्तावों में प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण संबंधी खतरों का समाधान करने, शोध करने और संरक्षण नीतियों को कार्यान्वित करने के लिये रेंज राज्यों (Range States) के बीच सहयोग बढ़ाने के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया।
- रेंज राज्य का आशय उन देशों अथवा क्षेत्रों से है जो भौगोलिक सीमा के अंतर्गत आते हैं जहाँ एक विशेष प्रजाति स्वाभाविक रूप से पाई जाती है। ये देश अथवा क्षेत्र प्रजातियों और उनके आवास के प्रबंधन, संरक्षण तथा सुरक्षा में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होते हैं।
- प्रस्ताव में प्रस्तुत प्रयासों का मुख्य लक्ष्य वर्तमान आबादी को संरक्षित करना, कनेक्टिविटी बढ़ाना, आवासों की रक्षा करना और उनकी संख्याओं में वृद्धि करना था।
- प्रस्तावों में प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण संबंधी खतरों का समाधान करने, शोध करने और संरक्षण नीतियों को कार्यान्वित करने के लिये रेंज राज्यों (Range States) के बीच सहयोग बढ़ाने के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया।
- खतरों की पहचान:
- बैठक में प्रवासी प्रजातियों के मौजूदा विभिन्न खतरों पर प्रकाश डाला गया, जिनमें निवास स्थान का क्षरण, विखंडन, अवैध व्यापार, बायकैच, संदूषक और कुछ मानवीय गतिविधियाँ जैसे फेंसिंग, तेल तथा गैस हेतु पर्यावरण का ह्रास, खनन एवं जल के भीतर ध्वनि जैसी मानवीय गतिविधियाँ शामिल हैं।
- CMS परिशिष्टों में इन प्रजातियों को शामिल करने का उद्देश्य इन खतरों का समाधन करना और उनके संरक्षण को बढ़ावा देना है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
- रेंज राज्यों ने संरक्षण उपायों को कार्यान्वित करने और प्रवासी प्राजातियों की सूची में बदलाव का सुझाव देने के लिये सहयोग किया।
- उत्तरी मैसेडोनिया, कज़ाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, चिली, अर्जेंटीना, पेरू, ब्राज़ील, उरुग्वे, इक्वाडोर, पनामा और अन्य जैसे देशों ने लिस्टिंग प्रस्तावों का समर्थन किया तथा प्रवासी प्रजातियों एवं उनके आवासों की रक्षा के लिये संयुक्त प्रयासों का आग्रह किया।
- संकटग्रस्त स्थिति की पहचान:
- जीवसंख्या में गिरावट और विभिन्न खतरों के कारण, कई प्रजातियों, जैसे लाहिल की बॉटलनोज़ डॉल्फिन, पेरूवियन पेलिकन तथा मैगेलैनिक प्लोवर को IUCN रेड लिस्ट में ‘सुभेद्य’, ‘संकटग्रस्त’ या 'गंभीर रूप से संकटग्रस्त' के रूप में चिह्नित किया गया था।
- CMS परिशिष्टों में इन प्रजातियों को सूचीबद्ध करने का उद्देश्य इनकी संरक्षण स्थिति में सुधार करना और आवास संरक्षण के लिये सहायता प्रदान करना है।
- क्षेत्रीय और वैश्विक संरक्षण पहल:
- प्रस्तावों को अपनाना क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर संरक्षण के मुद्दों का हल करने के प्रयासों को दर्शाता है।
- विशिष्ट जीवो-जंतुओं जैसे कि हार्बर पोरपॉइज़ की बाल्टिक जीवसंख्या और विभिन्न प्रजातियों की भूमध्य सागर की जीवसंख्या की रक्षा के लिये उपायों की सिफारिश की गई, जबकि व्यापक संरक्षण रणनीतियों पर भी विचार किया गया।
प्रवासी प्रजाति क्या है?
- वन्य जीवों की एक प्रजाति या उनके वर्गीकरण का निचला स्तर, जिसकी समग्र जीवसंख्या का भौगोलिक रूप से कोई अलग हिस्सा चक्रीय रूप से और अनुमानित रूप से एक या अधिक राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार सीमाओं को पार करता है।
- 'चक्रीय' शब्द किसी भी प्राकृतिक चक्र जैसे खगोलीय (सर्कैडियन, वार्षिक, आदि), जीवन या जलवायु और किसी भी आवृत्ति से संबंधित होता है।
- 'अनुमानित' शब्द का तात्पर्य यह है कि किसी घटना की किसी निश्चित परिस्थिति में पुनरावृत्ति की उम्मीद की जा सकती है, हालाँकि ज़रूरी नहीं कि वह समय पर नियमित रूप से घटित ही हो।
CMS क्या है?
- परिचय:
- यह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत एक अंतरसरकारी संधि है - जिसे बॉन कन्वेंशन के नाम से जाना जाता है।
- इस पर वर्ष 1979 में हस्ताक्षर किये गये थे और यह वर्ष 1983 से लागू है।
- 1 मार्च 2022 तक, CMS में 133 पार्टियाँ/राष्ट्र सम्मिलित हुए हैं।
- भारत भी वर्ष 1983 से CMS का एक सदस्य रहा है।
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य संपूर्ण क्षेत्र में स्थलीय, समुद्री और पक्षी प्रवासी प्रजातियों का संरक्षण करना है।
- यह वैश्विक स्तर पर संरक्षण उपायों को संचालित करने के लिये कानूनी आधार तैयार करता है।
- CMS के तहत वैधानिक उपकरण कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौतों से लेकर कम औपचारिक MoU तक हो सकते हैं।
- CMS के अंतर्गत दो परिशिष्ट:
- परिशिष्ट I में 'संकटापन्न प्रवासी प्रजातियाँ' सूचीबद्ध हैं।
- परिशिष्ट II में 'अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता वाली प्रवासी प्रजातियों' की सूची दी गई है।
- भारत और CMS:
- इसके साथ ही भारत ने कुछ प्रजातियों के संरक्षण और प्रबंधन के लिये गैर-बाध्यकारी MOU पर हस्ताक्षर भी किये हैं। इनमें साइबेरियन क्रेन (1998), मरीन टर्टल (2007), डूगोंग (2008) और रैप्टर (2016) शामिल हैं।
- भारत, विश्व के 2.4% भूमि क्षेत्र के साथ ज्ञात वैश्विक जैवविविधता में लगभग 8% का योगदान देता है।
- भारत कई प्रवासी प्रजातियों को अस्थायी आश्रय भी प्रदान करता है जिनमें अमूर फाल्कन, बार-हेडेड गीज़, ब्लैक-नेक्ड क्रेन, समुद्री कछुए, डुगोंग, हंपबैक व्हेल आदि शामिल हैं।
प्रवासी प्रजातियों के लिये भारत द्वारा किये गए प्रयास क्या हैं?
- प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना (2018-2023): भारत ने मध्य एशियाई फ्लाईवे की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना शुरू की है।
- प्रवासी पक्षियों द्वारा सामना की जाने वाली विभिन्न समस्याओं का प्रबंधन करके इन प्रजातियों के महत्त्वपूर्ण आवासों तथा प्रवासी मार्गों पर दबाव कम करने का प्रयास।
- प्रवासी पक्षियों की संख्या में कमी को रोकना और वर्ष 2027 तक इस परिदृश्य को संतुलित करना।
- आवासों और प्रवासी मार्गों के खतरों से बचाना तथा भावी पीढ़ियों के लिये उनकी स्थिरता सुनिश्चित करना।
- प्रवासी पक्षियों और उनके आवासों के संरक्षण के लिये मध्य एशियाई फ्लाईवे के साथ-साथ विभिन्न देशों के बीच सीमा पार सहयोग का समर्थन करना।
- प्रवासी पक्षियों और उनके आवासों पर डेटाबेस में सुधार करना ताकि उनके संरक्षण आवश्यकताओं को बेहतर तरीके से समझा जा सके।
- भारत के अन्य प्रयास:
- समुद्री कछुओं का संरक्षण: वर्ष 2020 तक समुद्री कछुआ नीति और समुद्री स्ट्रैंडिंग प्रबंधन नीति की शुरुआत।
- माइक्रो प्लास्टिक और सिंगल यूज़ प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण में कमी।
- बाघ, एशियाई हाथी, हिम तेंदुआ, एशियाई शेर, एक सींग वाला गैंडा और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड जैसी प्रजातियों के संरक्षण के लिये सीमा पार संरक्षित क्षेत्र।
- पारिस्थितिक रूप से नाज़ुक क्षेत्रों में अनुकूल विकास के लिये रैखिक अवसंरचना नीति दिशा-निर्देशों जैसे सतत् बुनियादी ढाँचे का विकास।
- प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड (PSL): PSL को हिम तेंदुओं और उनके आवास के संरक्षण के लिये एक समावेशी तथा भागीदारी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने हेतु वर्ष 2009 में लॉन्च किया गया था।
- डुगोंग संरक्षण रिज़र्व: भारत ने तमिलनाडु में अपना पहला डुगोंग संरक्षण रिज़र्व स्थापित किया है।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972:
- प्रवासी पक्षियों सहित पक्षियों की दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों को अधिनियम की अनुसूची-I में शामिल किया गया है जिससे उन्हें उच्चतम स्तर की सुरक्षा प्राप्त होती है।
- पक्षियों और उनके आवासों की बेहतर सुरक्षा तथा संरक्षण के लिये इस अधिनियम के तहत प्रवासी पक्षियों सहित पक्षियों के महत्त्वपूर्ण आवासों को संरक्षित क्षेत्रों के रूप में अधिसूचित किया गया है।
- अन्य पहल:
- दक्षिणी अफ्रीका के रास्ते पूर्वोत्तर भारत में प्रवास करने वाले अमूर फाल्कन की सुरक्षा के लिये नगालैंड राज्य में स्थानीय समुदायों को शामिल करते हुए महत्त्वपूर्ण सुरक्षा उपाय किये गए हैं।
- भारत ने गिद्धों के संरक्षण के लिये कई कदम उठाए हैं जैसे डाइक्लोफेनाक के पशु चिकित्सा उपयोग पर प्रतिबंध लगाना, गिद्ध प्रजनन केंद्रों की स्थापना आदि।
- वन्यजीवों के साथ उनके अंगों तथा उत्पादों के अवैध व्यापार पर नियंत्रण के लिये वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की स्थापना की गई है।
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. जैवविविधता के साथ-साथ मनुष्य के परंपरागत जीवन के संरक्षण के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण रणनीति निम्नलिखित में से किस एक की स्थापना करने में निहित है? (2014) (a) जीवमंडल निचय (रिज़र्व) उत्तर: (a) प्रश्न. प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) तथा वन्य प्राणिजात एवं वनस्पतिजात की संकटापन्न स्पीशीज़ के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2015)
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