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जैव विविधता और पर्यावरण

एशियाई शेर

  • 06 May 2021
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हैदराबाद के नेहरू प्राणी उद्यान (Nehru Zoological Park) में आठ एशियाई शेरों (Asiatic Lion) में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि हुई है।

  • यह भारत में इस प्रकार का पहला ज्ञात मामला है।
  • इससे पूर्व वर्ष 2020 में बाघ के कोविड-19 से संक्रमित होने की सूचना न्यूयॉर्क (ब्रोंक्स चिड़ियाघर) में दर्ज की गई थी।

प्रमुख बिंदु

एशियाई शेर के विषय में:

  • एशियाई शेर, जिसे फारसी शेर या भारतीय शेर के नाम से भी जाना जाता है, पैंथेरा लियो पर्सिका (Panthera Leo Persica) उप-प्रजाति का सदस्य है, जो कि मूलतः भारत तक सीमित है।
    • पूर्व में ये पश्चिम और मध्य पूर्व एशिया में भी पाए जाते थे, लेकिन इन क्षेत्रों में आवासीय क्षति के कारण ये विलुप्त हो गए।
  • एशियाई शेर, अफ्रीकी शेरों की तुलना में थोड़े छोटे होते हैं।
  • एशियाई शेरों में पाए जाने वाली सबसे महत्त्वपूर्ण रूपात्मक विशेषता यह है कि उनके पेट की त्वचा पर विशिष्ट लंबवत फोल्ड होते हैं। यह विशेषता अफ्रीकी शेरों में काफी दुर्लभ होती है।

वितरण:

  • एशियाई शेर एक समय में पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और मध्य भारत के पारिस्थितिकी पर्यावास में पाए जाते थे।
  • वर्तमान में गिर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य (Gir National Park and Wildlife Sanctuary) एशियाई शेर का एकमात्र निवास स्थान है।

संकट:

  • इन शेरों को प्राकृतिक आपदा, अवैध शिकार, मानव-पशु संघर्ष आदि से खतरा है।

 संरक्षण की स्थिति:

संरक्षण के प्रयास:

  • केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा ‘एशियाई शेर संरक्षण परियोजना’ (Asiatic Lion Conservation Project) शुरू की गई है।
  • इसे वर्ष 2018 से वर्ष 2021 तक तीन वित्तीय वर्षों के लिये अनुमोदित किया गया है।
  • यह परियोजना रोग नियंत्रण और चिकित्सकीय देखभाल हेतु बहु-क्षेत्रीय एजेंसियों के साथ समुदायों की भागीदारी के माध्यम से वैज्ञानिक प्रबंधन द्वारा एशियाई शेरों के समग्र संरक्षण की परिकल्पना करती है।

नेहरू प्राणी उद्यान

  • यह उद्यान भारत के सबसे बड़े चिड़ियाघरों और हैदराबाद के शीर्ष दर्शनीय स्थलों में से एक है। तेलंगाना सरकार के वन विभाग द्वारा संचालित इस चिड़ियाघर का नाम देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नाम पर रखा गया है।
  • इसे वर्ष 1963 में जनता के लिये खोला गया था।
  • यह ऐतिहासिक रूप से महत्त्वपूर्ण ‘मीर आलम टैंक’ के पास स्थित है, जो कि 200 वर्ष पुराना है और विश्व का पहला बहु-आर्क चिनाई (Multi-Arch Masonry) वाला बाँध है।

स्रोत: द हिंदू

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